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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 18, 2016

स्वामी और जेटली रघुराज रमन के स्थान पर पनगरिया चाहते है

राजनीति के FRANKSTEIN सुबरमानियम स्वामी का अचानक रघुराज रमन को को हटाने की मांग करना - और वह इसलिए की "”””उनका मन भारतीय नहीं है "””” | यह कला तो स्वामी के ही पास है की वे मन को भी पढ लेते है -अब यह गुण उनही भगवा वस्त्र धारियो के दावे के समान है लगता है जो विश्व की गर्मी को {पर्यावरण } को शांत करने के लिए क्लास रूम ग्लोब पर पानी छिड़क कर सब कुछ ठीक हो जाने का दावा करते है | कुछ वैसे ही सुबरमानियम कर रहे है | यू तो वित्त मंत्री अरुण जेटली बयान तो यही दे रहे है की किसी के कहने से राजन को नहीं हटे जाएगा ,, परंतु एक छोटी चिड़िया बताती है की वास्तव मे यह सब वास्तविकता के पूर्व की भूमिका है | एवं सेप्टेम्बर मे केंद्र सरकार अपनी साख के और मंहगाई के आंकड़े के साथ ही देश के आयात – निर्यात की ऐसी तस्वीर देश के सामने पेश करना चाहता है जो बहुत "””सुनहरी होगी "””” जबकि हक़ीक़त इसके विपरीत है |

विगत कुछ समय मे रघुराज रमन ने सार्वजनिक बैंको को अपनी उगाही बड़ाने का निर्देश दिया था | जिसके परिणाम स्वरूप विजय माल्या और सूरत के एक कंपनी की 6000 करोड़ की देनदारी सबके सामने आई | दूसरा सुप्रीम कोर्ट ने रिज़र्वे बैंक से देश के उन 500 द्योगपतियों के नामकी सूची प्रस्तुत करने को कहा था की जिनपर 1000 करोड़ से ज्यादा का बकाया हो | अब इस लिस्ट मे वे सभी धन्ना सेठो के नाम है जिनहोने लोकसभा चुनावो के समय मोदी जी को उपक्रट किया था | सरकार को डर सता रहा है की एक बार सूची सार्वजनिक हो गयी तो मोदी सरकार की साख पर बट्टा लग जाएगा |

क्योंकि राजन ने एक बयान मे कहा था की मई स्थितियो को देख पा रहा हूँ ---वे इतनी आशाप्रद अथवा सुनहरी नहीं है | अब इस बयान ने जेटली जी की जान निकाल दी | क्योंकी लोकसभा चुनावो के दौरान किए गए वादे और दिखाये गए सब्ज़ बाग --- की तुलना मे तो स्थिति बिलकुल विपरीत है | दूसरा बैंको मे नकदी की कमी को भी लेकर वे चिंतित है | शेयर मार्केट भी सत्ता धारी दल के होश उड़ाए हुए है ---क्योंकि लाख जतन करने के बाद भी विदेशो से निवेश नहीं आ रहा है | प्रधान मंत्री से लेकर मुख्य मंत्री भी "”सहमति पत्र "”” पर हस्ताक्षर अभियान मे लगे हुए है | परंतु कोई भी पूंजी लगाने को तैयार नहीं हो रहा है |


इस वित्तीय वास्तविकता को "”सरकार "”” जनता जनार्दन के सामने नहीं लाना चाहती है | इसलिए सुबरमानियम को इस मामले मे भौकने को कहा गया | फिर जेटली जी को उनके बयान पर एक '' भोला सा बयान '''देने को कहा गया | दूसरा उन्होने स्थिति स्पष्ट करते हुए रेकॉर्ड के आधार पर फैसला लिए जाने की बात दुहराई |



यह तो हुई रघुराम राजन को सटकाने का प्लॉट | इस से भी ज्यादा हानिकारक कदम जेटली रिजेर्व बैंक अधिनियम मे संशोधन | अभी तक वित्त मंत्रालय सिर्फ मौद्रिक स्थिति पर ---बंकों की स्थिति पर उनसे सलाह मशविरा करता था |परंतु अंतिम फैसला गवर्नर और उनके सहयोगी मिल कर लेते थे | यह नहीं कहा जाता था की "””””सरकार ऐसा चाहती है "” क्योंकि बैंको का काम काज लोगो के विश्वास पर टीका है -----वह भी रोज बा रोज ,,पाँच साल मे एक बार जताया गया भरोसा नहीं |क्योंकि अगर अन्य बैंको की तरह इस '''बैंको के बैंक '''' के साथ खिलवाड़ किया तो देश के विनाश के कगार पर पहुँच जाने का खतरा होगा