नहीं चाहिए रामराज या धरम राज चाहिए संविधान का
राज
कर्नाटक
विधान सभा चुनावो के परिणामो ने यह संकेत तो दे ही दिया हैं की भगवान भक्तो के ह्रदय में रहते हैं ---ई वी एम मासचिनो में नहीं | परंतु इस परिणाम को इस चुनावी मशीन
की “”ईमानदारी “” समझने की भूल तो कतई नहीं
करना चाहिए | क्यूंकी
आखिरकार इसकी नकेल उनही लोगो के हाथ में है
–जो “””मनमाफिक परिणाम निकालने में माहिर हैं “”
इसलिए बेहतर यही होगा की लोकतन्त्र
को बचाने के लिए दुनिया के आँय लोकतान्त्रिक
देशो की तरह ही भारत में भी बैलेट पेपर से ही चुनाव हो |
अब रही बात जय श्री राम की या जय बजरंगबली की के घोष को चुनावी प्रचार का नारा बनाने की हरकत सभी भगवत भक्तो को ना गवारा होगी | भजन –हवन –
मंत्र उच्चारण का स्थान नियत है | अब स्वार्थिजन अपने मतलब के लिए कभी राम का नाम कभी क्रष्ण का नाम और कभी बजरंगबली
का नाम ले रहे हैं |
जो धार्मिक कर्मकांड के नियमो के विपरीत हैं | और नारा लगाने
वालो के अलावा किसी की श्रद्धा को नहीं पाते हैं | क्यूंकी वे
स्वार्थवाश ऐसा करते हैं | जबकि आरध्यों की आराधना उनकी कृपा पाने के लिए नियमानुसार
करनी होती हैं | सड़क पर नारा लगते हुए कोई भक्ति होती है ----इसका
ज्ञान इस अलापज्ञानी को नहीं हैं |
अयोध्या
में बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर का निर्माण भव्य तरीके से हो रहा हैं | उसी विधवंश के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री
स्वर्गीय कल्याण सिंह को क़ैद की सज़ा भी भुगत्नी पड़ी थी | क्यूंकी
उन्होने सुप्रीम कोर्ट में शपथा पत्र देकर झूठ बोला था | फिर मथुरा में क्रष्ण जन्मस्थान को लेकर भी वनहा
एक मस्जिद को “”निशाना “”” बनया जा रहा है
| बनारस की ज्ञानवापी
मस्जिद को लेकर वनहा “”” पुरातत्व विभाग द्वारा
“””” कार्बन डेटिंग की कारवाई की जा रही हैं |
एक पक्ष द्वरा दावा किया जा रहा हैं , की मुगलो ने मंदिर तोड़ मस्जिद बनाई हैं | यह एक पेटेंट
कारण बोला जाता हैं ---भक्त लोग तो ताजमहल को भी तेजोमय आलय बताते हैं | कुतुबमिनार
को भी गैर मुस्लिम निर्माण होने का दावा कुछ विद्वान कर रहे हैं | आखिर इतिहास के इन पन्नो को पड़ने
के लिए एक खुदाई और एक कार्बन डेटिंग मंत्रालय को तीस दिन 24 घंटे काम करना होगा तब
इन सभी स्थानो की स्थिति पता चलेगी ! यह विवाद सिर्फ और सिर्फ एक नफरत का माहौल देश में बनाए रखने का है , क्यूंकी इन मुद्दो से देश की करोड़ो जनता को ना तो भोजन मिले जाएगा ,और ना ही कोई नए रोजगार के अवसर निर्मित
हो जाएँगे !!! हाँ कुछ कट्टर पंथी लोगो को पर् संतापी सुख मिलेगा ---- दूसरों को दुख देने का –उन्हे नीचा दिखाने और अपमानित करने का उन पर हंसने का ही अवसर इन सब हरकतों से मिलेगा | इतिहास अपनी जड़ो
को जानने का विज्ञान है | युद्ध इतिहास का एक भाग है | उसके परिणाम उसी समय तय हो चुके | अब सिकंदर को पराजित
बता कर पोरस को विजेता बताने से ग्रीक जाती
भारत में एतराज़ जताने नहीं आएगी | बाबर – अकबर – औरंजेब को लेकर अफगानिस्तान के लोग भी एतराज़ नहीं करेंगे | आप जैसा चाहो “”इतिहास “” लिख लो | इस विवाद का अंत खुदाई से निकले कंकाल और वस्तुए ही करेंगी
!!! हम आप नहीं !!
आजकल एकबार फिर भगवधारी और
रंग बिरंगे पोशाको के कथा वाचको की भीड़ जुटने
लगी है ----स्व्भविक भी है ---- राम और हनुमान के नाम पर भी अगर भक्तो की भाषा में
कहे तो “”””देश के यशस्वी प्रधान मंत्री मोदी
जी के तूफानी और हवाई चुनाव प्रचार के बावजूद भी कर्नाटक में उनकी पार्टी सत्ता से बेदखल हो जाती
है , तब लोकसभा में चुनावो में कौन “””खेवनहार “”” बनेगा
???? यह लाख रुपये का सवाल हैं ? पार्टी के अध्याकछ नड़ड़ा जी की उपयोगिता हिमांचल
और कर्नाटक में सामने आ गयी है |
अब उत्तर प्रदेश ---बिहार और मध्यप्रदेश तथा हरियाणा में लोकसभा चुनावो को लेकर
रश्स्कशी होगी | सिर्फ उत्तर परदेश में ही विधान सभा
चुनावो में बीजेपी ने साफ साफ बहुमत { छोटी छोटी
पार्टियो को लेकर} प्राप्त किया था | मध्य
प्रदेश में विधायकों की खरीद फरोख्त से शिवराज सिंह की सरकार
बनी है | जैसा की महा राष्ट्र में उधव ठाकरे की सरकार से दल बादल करा कर शिंदे
और बीजेपी की सरकार बनी | परंतु बिहार में नितीश कुमार ने बीजेपी के ही दल बदल के दांव से पटकनी दे दी ! अब हरियाणा में भी चौटाला की पार्टी के सहारे सरकार है | किसान आंदोलन और
प्पहलवानों के विवाद को लेकर जाटो की खाप पंचायते बहुत नाराज हैं | अब इसका क्या
प्रभाव होगा डेकना होगा |
बॉक्स
आजकल
हिन्दी भाषी छेत्रों में बहुतेरे कथावचको की भीड़ जुट
गयी है | जो अब हिन्दू वोट की बात नहीं करती , क्यूंकी अब यह शब्द अपनी धार खो चुका है | अब महिला कथावचको की भी एक बड़ी फौज जगह – जगह पर
“”सनातन”धरम और उसके मूल्यो की बात करती हैं | सत्तारूद
पार्टी की भांति ये सिर्फ उसलोक की बात करते
हैं | कोई सामाजिक कारी
नहीं करते है | इनके
मुंह से रामराज या धरम राज की ही बाते निकलती
हैं | जिस रामराज में राजा और प्रजा का संबंध रहा हो ------वह
आज के लोकतान्त्रिक समय में कैसे संभव हो सकता
है | तब दैवी सिधान्त
के आधार पर “”राजा” होता था | शेस जनता प्रजा होती थी ,जिसका कर्तव्य राजा की “”आज्ञा “” मानना ही होता था | तब प्रजा के अधिकार नहीं होते थे | जातियो में जकड़ा
समाज में समानता की कल्पना नहीं थी | ब्रामहन पूजनीय छतरीय सममानीय और वैश्य के आगे तो साधारण जन के सिर ही झुकते थे | इसको ध्रमराज कहना आज के लोकतान्त्रिक समय में बिलकुल संभव नहीं है |
आज जब छुआछूत
अपराध है –जातियो में उंच नीच नहीं हैं | हाँ हरियाणा
और पश्चिम उत्तर प्रदेश में कई ऐसी घटनाए हुई
है ----जब दलित दूल्हे को बारात निकालने या घोड़ी पर बैठने को लेकर समुदायो में भिड़ंत हुई | परंतु प्रशासन के हस्तचेप से बात
को बिगड़ने से रोक लिया | हरियाणा में एक अखिल भारतीय सेवा की
महिला द्वरा दूसरी जाति के लड़के से विवाह को
लेकर इलाहाबाद हाइ कोर्ट को दाखल देना पड़ा
था |
अभी अनेक अंतरजतीय विवाहो के मामलो में स्थानीय लोगो द्वरा विवाहित
जोड़े को जान से मारने की धम्की के मामले में
अदालतों ने पुलिस को 24 घंटे सुरक्षा उपलबध
करने के आदेश दिये |
आज व्यक्ति प्रजा नहीं है वरन वह राष्ट्र का नागरिक
है | जिसको देश के संविधान से अधिकार और सुरक्षा प्रपात है | वह शासको से भी सवाल कर सकता हैं | आज सरकार में बैठे
मंत्री भगवान के भेजे हुए नहीं है ---वरन नागरिकों
या मतदाताओ के चुने हुए प्रतिनिधि हैं | वे भी रामराज के नहीं वरन संविधान के राज के अंतर्गत चुने गए हैं
| मुझे नहीं लगता जगह – जगह घूम घूम कर कथा बाँचने वाले लोगो को राजनीतिक रूप से प्रभावित कर सकेंगे |
वैसे आशारम
---राम रहीम --- रामलाल जैसे कभी देश व्यापी
नामचीन धार्मिक लोगो को बारे यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी की ये लोग अपना बुढापा
जेलो में कांटेंगे !!!!
इसलिए अब रामराज या कृष्णराज या ध्रमराज की बात
बे मानी हैं | राम के राज में शंबूक का वध और
महाभारत काल में कर्ण का तिरस्कार उसके तथाकथित जन्म के आधार पर -----न्याय तो नहीं
कहा जा सकता |