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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 27, 2023

 

मोदी का सम्मोहन  खतम हो रहा है ?

पार्टी के नेता भर है –  शासन नहीं भाषण भर देना  आता है ?

      तीन राज्यो में  विधान सभा  चुनावो का ताप बद्ने के साथ  मोदी जी के हवाई दौरे और आभासी उद्घाटनों  के सरकारी आयोजनो  की सूचना के विज्ञापनो से भरे समाचार पत्रो के बाद भी भीड़एकत्र  करे का दायित्व  भी  पार्टी का नहीं – सरकार की ज़िम्मेदारी है ! परंतु ऐसे आयोजनो  में उनके भाषण  अभी भी  कॉंग्रेस  केन्द्रित होते है , अब  ऐसे  अवसर पर दलीय  प्रचार कितना  उचित है , ?? यंहा पर इलाहाबाद  उच्च न्यायलय का जस्टिस  जगमोहन  लाल का विख्यात फैसले का ज़िक्र  करना जरूरी  है ,  जिसमे उन्होने  इन्दिरा गांधी जी के राय बरेली  से संसद के चुनाव  को सिर्फ इसलिए  “”  अवैध “ घोषित कर दिया था – की उनकी सुरक्षा  के लिए  सरकारी खर्चे पर  “ डी” बनवाया गया था ! अब इस फैसले के मद्दे नज़र  अगर हम देखे तब उनके आयोजन  , जो पूरी तरह से  सरकार द्वारा इंतजाम  किया जाता है – उनमे मोदी जी का  राजनीतिक  प्रचार कितना वैधानिक  है ??

        भोपाल में उन्होने   अपने भाषण  में  कहा की  मोदी के वचन  ही मोदी की गारंटी है , अब इस  बयान को उनके  बड़े – बड़े वादो में परखे  तब हक़ीक़त   तहा मा “ काला धन को देश मे वापस लाना , और उसको देश के लोगो को 15 पंद्रह  लाखा वितरित करना ! भाइयो  बताए कितने लोगो को यह वादा  मिला !! फिर  दूसरा वादा हर साल  करोड़ो युवा  लोगो को रोजगार  सुलभ करना  था ! आज सभी सर्वे  और रिपोर्ट बता रहे है की  देश में रोजगार के अवसर  घटे है !! चाहे  वह कारपोरेट  सेक्टर हो अथवा  “ इनफारमल” सेक्टर  हो  , सब जगह  एक जैसी हालत है |    प्रधान मंत्री द्वरा  आभासी  रूप से नौजवानो को नियुक्ति पत्र  देने के आयोजनो  का प्रचार विज्ञापनो  में तो होता है --- परंतु इन नियुक्तियों  की संख्या – विभाग और  नियुक्ति कर्ताओ का विवरण  गायब रहता है |  इनकी जानकारी का विवरण  सरकारी वेबसाइटो  पर भी नहीं उपलब्ध है !!   इससे भी अचरज की बात है की वे कांग्रेस  सरकारो की राहत योजनाओ  की खिल्ली उड़ाते है !  मतलब हम कहे तो ठीक ,तुम कहो तो  गलत !

      जिस प्रकार चुनाव की जमीनी  इंतेजाम को गृह मंत्री अमित शाह  कर रहे है , उसको देखे तो  पता चलता है की  उनकी अपने गठबंधन  एनडीए  से ही नहीं वरन भारतीय जनता पार्टी  से भी लोग भाग रहे है , इसे  मध्य प्रदेश में देखा और महसूस किया जा रहा है |    सबसे पहले  तो सनातन धरम  को लेकर   द्रविड मुनेत्र कड्ड्गम के मंत्री द्वरा  की गयी गैर शालिन टिप्पणी को लेकर जिस प्रकार   बीजेपी के नेता  राहुल गांधी और सोनिया गांधी से जवाब तलब कर रहे थे  , तब उन्होने  दक्षिण के कड्ड्गम  आंदोलन की तमिल बहुसंख्यकों  में जमी जड़ो को नहीं समझा था | उन्होने उत्तर भारत में  राम मंदिर आंदोलन से उपजी राजनित्क सफलता  को सर्वव्यापी  फार्मूला मान लिया था !!   परिणाम स्वरूप  एआईडीएमके  ने एनडीए से नाता तोड़ लिया और कहा की वे  अकेले ही चुनाव लड़ेंगे !!!   क्यूंकी  सनातन का मसला राजनीतिक से कनही ज्यादा  सामाजिक  हैं !  अब  बीजेपी  तमिलनाडू के ब्रांहनों  के आसरे  वनहा चुनाव लड़ेगी !!  काँग्रेस  का पराभव भी   कडगम आंदोलन  को नहीं समझा पाने से ही हुआ था | यद्यपि काँग्रेस के अंतिम मुख्य मंत्री  के कामराज  दलित थे --- पर तब तक  ब्रांहनों और चेट्टियार  से  नाराजगी इतनी तीव्र नहीं थी | आज  वही गलती मोदी जी कर गए !!

         दक्षिण में धर्म मंदिरो में बसता है , वनहा के लोग मंदिर दरसन  और संगीत  एवं कला  के प्रति  संवेदन शील है |  जिसे उनके संगीत और  न्रत्य  तथा  सिनेमा  में देखा जा सकता है |  परंतु राजनीति  से  उनके दिन प्रतिदिन की आस्था  का कोई संबंध नहीं है | बीजेपी ने राम मंदिर  आंदोलन  को “” कसौटी “” मान लिया था --- जिसमे  साधारण जन  धार्मिक  आस्था को ही  राजनीतिक  चयन मान कर उत्तर प्रदेश  में बीजेपी को चुनाव जीता दिया | यही अंतर है उत्तर और दक्षिण  का है |

                मोदी जी काँग्रेस  को भ्रष्ट और अर्बन नक्सलियो  द्वरा  चलाये जाने का आरोप लगाते है – जैसा उन्होने भोपाल में भाषण  दिया था --- वे भूल जाते है की यही पार्टी  है जिसने देश को आज़ाद कराया  , इसी पार्टी के दो प्रधान मंत्री  इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी  देश के लिए शहीद हुए है !!  पंडित जवाहर लाल नेहरू  के बदौलत  ही देश  में स्टील के कारखाने  और  आईआईटी तथा आईआईएम  एवं  एम्स बने , बड़े  बांध  बिजली घर बने  \| ऐसी पार्टी  को   जंग खाई पार्टी बताना  और  देश विरोधी बताने का प्रयास  कितना जनता के गले उतरेगा  यह  वक़्त बताएगा !!

       वैसे सत्तधारी दल के  आनुषंगिक संगठन  बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद  का काम सिर्फ और सिर्फ किसी न किसी बहाने चंदा उगाहना  है | बजरंग दल के  लोगो को बिलकीस बानो मामले में सज़ा  हुई , और गुजरात सरकार  ने उनकी सज़ा  मे कमी कर दी , जब सुप्रीम  कोर्ट  ने  जवाब तलब किया तब  नियम कायदे  बताने लगी थी प्रदेश की सरकार !!   मणिपुर में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद    जिस प्रकार  नस्लीय  और जातीय हिंसा  विगत दो माह से ज्यादा दिनो से  हो रही है – वह पंजाब में  भिंडरानवाले  के गुट द्वरा  आतंक फैलाये जाने के समान ही है | तब प्रधान मंत्री ने इन्दिरा गांधी ने   आपरेशन ब्ल्यू स्टार  किया था |  मिजोरम में जब आतनवादी गुटो ने आकाशवाणी और शासन के मुख्यालय पर कब्जा कर लिया था  तब उन्होने हवाई  हमला कर आतंकवादियो  का खत्म किया था | यह बात और है की सिखो की नाराजगी  ही उनकी हत्या का कारण बनी | परंतु पंजाब में कैरो की भी हत्या हुई थी परंतु उनके हत्यारो को नेपाल से बंदी बना कर लाया गया था !!  दूसरे मुख्य मंत्री के हत्यारे  आज भी जेल में बंद है |  यह है अंतर  प्रधान मंत्री  इन्दिरा गांधी और आज के  नरेंद्र मोदी में | जो मणिपुर को  धार्मिक उन्माद में जलने दे रहे है , पहले देश में , हिन्दुओ को मुसलमानो के खिलाफ  जहर भरा  और अब ईसाई जन जाती के कूकियों  के खिलाफ मतेई समुदाय को शह  दे रहे है |

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बॉक्स

    सभी धर्म  परमात्मा या सर्व शक्तिमान नियंता की कल्पना करते है ----  कुछ निराकार रूप में और बाकी मूर्ति पूजक होते है |  इतिहास में धर्म के नाम पर  अनेक कुरीतिया पनपी –जिंका कारण  धर्म के “ठेकेदारो का लालच था “”  मंदिर की मूर्ति के अरचको  द्वरा  साधारण जनो  को नियंत्रित करने के लिए  अनेक प्रकार की अफवाहों  का सहारा भी लिया गया | मिश्र में फरौन  के समय की मूर्ति के पुजारी  जनमानस  और यनहा तक की राजसत्ता  को भी  , नहीं मानते थे |  तब  हज़रत मूसा ने उनके देवता   को  निरर्थक सिद्ध कर दिया था |  निराकार ईश्वर की कल्पना शायद इसीलिए की गयी होगी  की उपासको में  उंच – नीच  या छोटे बड़े का भाव नहीं पनपे | परंतु  मानव की फितरत है  देखने और दिखाने की  , जिस कारण उन धर्मो भी  मूर्ति पुजा  प्रकारांतर में शुरू हो गयी | इसका उदाहरण  बौद्ध और जैन ध्रमों का है | दोनों वेदिक धरम  के कर्म कांड और ब्रांहणवाद  से उपजे आशंतोष  से उपजे थे | परंतु  बुद्ध और जैन धर्म के तीर्थंकरो  की बड़ी बड़ी  प्रतिमाए  प्रमाण है |  दोनों ही धर्म  ईश्वर की अवधारणा को खारिज करते है  ,एवं आत्मशुद्धि को मानव की  अंतिम उपलब्धि मानते है |  कुछ ऐसा ही सनातन धर्म में हुआ की ईश्वर से बड़े उनके पुजारी हो गये | जिनके अत्याचारो की कथा केरल की इडवा स्त्रियो के स्तन  खुले रखने की प्रथा और मंदिरो में देवदासी  की प्रथा की आड़ में पुजारियों   की स्त्री लिप्सा  ही रही है |

           इस संदर्भ में धरम  के नाम पर मंदिरो –मस्जिदों और  मूर्तियो  की स्थापना  समाज के धनिक वर्ग द्वारा  तथा शासक वर्ग अपने स्वार्थो के लिए इस्तेमाल करता है | इसीलिए हमारे संविधान निर्माताओ ने धर्म से सरकार –राजय को अलग रखने की कोशिस की थी ------जिसे नकारने की कोशिस  नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं |

     धर्म और जाति  भावनात्मक  है , क्यूंकी  सभी धर्मो के लोग “”” मानव पहले है “” उनका जन्म और मौत  एक जैसी होती है | तब धर्म –जाति और इलाके के आधार पर बंटवारा  आदमी द्वरा बनाया गया है | ऐसा  मानव समुदाय मे व्यसथा  और शांति के लिए किया गया था |  परंतु कालांतर में मानव ने ही “” व्यक्तिगत “ स्वार्थो  के लिए  इंका इस्तेमाल किया | यानि  ताकत का बेज़ा इस्तेमाल !!   आदिम मानव की शिकार की  तमन्ना  ही जातीय और सामुदायिक युद्धो का कारण बना | भले ही इसका कारण भूमि और संपाती   रहा |  मानव को मानव का गुलाम बनाने की प्रथा  इसी जंगली  व्यवहार  का कारण थी |

          वैसे  सभी धर्मो ने व्यापक रूप से  सभी इन्सानो को बराबर माना है , परंतु  धर्म के नाम पर ही सर्वाधिक  अत्याचार भी हुए | साम्राज्य  बने  पहले शासक ही देवता बना { मिश्र का फरौन }  पर वह भी प्रक्रति  का उपासक था | आज भी  अनेक धर्म इनकी उपासना करते है ---जैसे पारसी जिनहे अग्नि पूजक माना जाता है |  सनातन धर्म के प्रथम ग्रंथ  ऋग्वेद में प्रथम दस ऋचाए अग्नि को ही समर्पित है , उनही की स्तुति है |