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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Oct 3, 2012

तेल कंपनियों के घाटे का सच बैलेंस शीट मैं फायदा और बयान में घाटा

तेल कंपनियों को हो रहे घाटे  का नाम लेकर केंद्र सरकार ने रसोई गैस के सिलेंडरो पर मिलने वाली सरकारी सहायता में कटौती कर के आम आदमी के लिए घर के खाने का खर्चा  बड़ा  दिया हैं । पर इन तेल कंपनियों के सालाना खर्चे के हिसाब -किताब में 2011-12 में इंडियन आयल कंपनी ने टैक्स चुकाने के बाद में 3955 करोड़  का फायदा दिखाया हैं ।बी पी सी एल  ने इसी अवधि में 1311करोड़ तथा एच पी सी एल ने इस वित्तीय वर्ष में 911 करोड  रुपये का फायदा दिखाया हैं ।अब इस रिपोर्ट के बाद  केंद्र सरकार  का वादा  तो झूठा साबित हो जाता हैं ।\अब  यह सच तो आम आदमी को केंद्र सरकार के प्रति  और अविश्वास से भर देगा । इस स्थिति  का केंद्र के पास क्या  जवाब हैं ? अभी एक रिपोर्ट के अनुसार  केंद्र सरकार  फिर से गैस के दाम बढाने  की तैयारी  कर रही हैं ।  पेट्रोल और डीजल  पर भी बढोतरी  की तैयारी  चल रही हैं  ।आखिर इन सब बातो का क्या मतलब हैं ?           
                       आम  नागरिक  के मन में संदेह  का बीज  इसलिए पनपा हैं चूँकि इन तेल कंपनियों ने लाभाश के रूप में भारत सरकार  को अरबो  रुपये का भुगतान किया हैं ।फिर उनसे  अनुदान के रूप में वापस उसी राशि को वापस ले लेते हैं ।अब इस तरकीब को क्या कहेंगे ? जनता को मुर्ख बनाने का नुस्खा हैं या फिर  आंकड़ो की बाजीगरी जिसे अर्थशास्त्र  के तहत बजट  का ''नया ''तरीका ! क्योंकि फायदे में चलने वाली एक कम्पनी  को ''घाटा '' ''घाटा '' चिलाने का क्या मतलब हो सकता हैं ?आम आदमी की समझ के बाहर  की बात हैं ।  

                  इसी दौरान एक तथ्य सामने आया हैं की राजस्थान के तेल कुओं का ठेका एक अमेरिकेन कंपनी को दिया गया हैं ,  जिसे  एक बैर्रल कच्चे  तेल का दाम तीन डालर पड़ता हैं पर वह इस की मार्केटिंग  100 डालर  में करती हैं । जो भारत सरकार  भुगतान करती हैं ।अब तीन के दाम सौ दिए जायेंगे ,तो पेट्रोल तो महंगा होगा ही ! लेकिन एक सवाल यह भी हैं की आखिर भारत सरकार  की क्या मजबूरी हैं की इतने  महंगे दामो में तेल खरीदने  की क्या मजबूरी हैं ? अगर सभी सरकारी और निजी तेल कंपनियों की तेल निकालने की लागत देश को बताना होगा ,जिस से देशवासियों को आवगत करना होगा ।नहीं तो आम आदमी के मन में हमेशा सरकार  के प्रति एक संदेह  बना रहेगा ।जो सरकार  के लिए बेहद नुकसानदेह  होगा , क्योंकि अगर सच और और बताये गए तथ्य में  सरकारी तथ्य सही साबित नहीं हुए तो लोगो का गुस्सा फूटना पक्का हैं । जो राजनैतिक रूप से वर्त्तमान केंद्र सरकार के लिए घातक साबित हो सकती हैं .।