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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 11, 2023

 

फ़ैक्ट चेक यूनिट –क्या होगा !

हक़ीक़त या जो सरकार के दस्तावेज़ कहे वो सच हो

 

     मोदी सरकार की या पहल , सर्वोच

न्यायालय द्वारा उनके फ़ैक्ट को लिफाफे को लगातार नामंज़ूर किए जाने से उत्पन्न हुई है | वे अपना सच “सिर्फ” अदालत के सामने ही रखना चाहते थे , जिसे प्रधान न्यायधीश चंद्रचूड़ ने न्याय के सिद्धांतों के विपरीत बताते हुए , सॉलिसीटर जनरल को  अपनी दलील दूसरे पक्ष को बताने को कहा | अब इस स्थिति से यह आभास होता है की सरकार राष्ट्रिय सुरक्षा बता कर जिस प्रकार एनएसए  लगा कर लोगो को निरूढ़ कर रही थी उस पर रोक लग गयी है | खासकर केरल के एक चैनल को राष्ट्रिय सुरक्षा का हवाला  देकर बंद करने के केन्द्रीय सरकार के फरमान पर ओरधान न्यायाधीश ने कहा की “” मात्र आप के कह देने से कोई देश की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हो जाता , उसके लिए आप को ठोस कारण बताने होंगे | इतना ही नहीं आपके कारणो को हम एक एमिकस कुइरी  नियुक्त कर जांच कराएंगे | अब इस स्थिति के बाद मोदी सरकार के पास सरकार की आलोचना को देशद्रोह की श्रेणी में लाना नामुमकिन हो गया हैं | इस स्थिति से निपटने के लिए ही , जजो के खिलाफ विश वामन करने वाले केंद्रीय कानून मंत्री किरण ऋजुजु  के मंत्रालय ने यह नई चाल चली हैं |

        यानहा सवाल यह पैदा होता हैं की यह यूनिट समाचारो की सच्चाई को किस पैमाने से परखेंगी ?  क्या दस्तवेजी तथ्य ही सबूत होंगे अथवा  सरकार उन दस्तावेज़ो की जो परिभाषा करेगी वही सच होगा -- |  उदाहरन के तौर पर  बड़े – बड़े अखबारो में रोज –रोज फुल फुल पेज के विज्ञापन को सरकार की नियत माने अथवा  फैसले ? अब अगर इनको घोसनाए माने तब इनकी पूर्ति की खोजबीन  जब धरातल पर होगी तब  सरकार के फैसले और उसकी धरातल पर कारवाई को ही फ़ैक्ट  नहा जाएगा अथवा उसे प्र्शसनिक कारवाई कह कर जिम्मेदारों को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 34 के अंतर्गत संरक्षण  मिलेगा ! जब की सरकार की असलियत उजागर करने वाले को  -- फ़ैक्ट चेक यूनिट का नोटिस ! क्यूंकी सरकार के फैसलो की जमीनी हक़ीक़त  तो लोगो से बात कर के और कुछ दस्तावेजी सबूतो से होगी | उदाहरन के तौर पर  आज की ही खबर है की मध्य प्रदेश सरकार ने एक लक लोगो को रोजगार सुलभ यानि नौकरिया देने का “”वादा” किया है |  अब इनमे से  उन लोगो को भी सरकारी नौकरियों में दिखाने की कोशिस है ---जो नौकरी दिलाने वाली कंपनियो के कर्मचारी होते हैं –जिनहे किसी प्रोजेक्ट के तहत काम पर कागे जाता है |  सरकार कांटरैक्ट  पर यानि 90 दिन के संविदा पर काम करने वालो को भी “”सरकारी “” नौकरी बताया जा रहा हैं !  अमूमन  सरकारी नौकरी का अर्थ होता हैं –जनहा उचित रूप से , किसी पेय स्केल मे नियत पद पर नियुक्ति | ना की  नब्बे दिन की अवधि पर भाड़े के लोगो को काम देना ! अब सरकार का पक्ष यह होगा की हमने लोगो को  रोजगार मुहैया करा दिया हैं | तब सवाल यह होगा की क्यू नहीं सरकार ईमानदारी से यह सार्वजनिक रूप से मानती है की  हम एयक लाख लोगो अस्थायी रूप से आजीविका सुलभ करा रहे हैं ! जैसा की किसानो की असल नष्ट हो जाने पर उनकी फसल के नुकसान की सौ प्रतिशत भरपाई नहीं होती है बस  कुल फसल के मुल्य का एक छोटे से भाग का ही मुआवजा मिलता हैं |

  वैसे इस फ़ैक्ट चेक यूनिट  का असली काम केंद्र सरकार से जुड़ी खबरों की ही सच्चाई का पता लगाना है | राजी सरकारो को यह “”संरक्षण “” नहीं है |  मतलब यह की प्रदेश की बीजेपी सरकारो को खबरों की सच्चाई पर भरोसा हैं | क्यूंकी मध्य प्रदेश

में ही  किस खबर पर चाहे दुर्घटना हो अथवा  घोटाला  सरकार के मंत्री प्रवक्ता  का उस पर जवाब मिल जाता है | पत्रकार  अपनी खबर में अपने तथ्य रखने के बाद  खबर लिखता हैं | इसलिए खबर के “””गलत या भ्रामक “” होने की स्थिति नहीं बनती | परंतु दिल्ली में  जिस मंत्रालय की खबर होती है वह  अगर प्रैस इन्फार्मेशन ब्यूएरो को इनपुट देता हैं –तब तो  पत्रकार  इस्तेमाल कर सकता हैं | परंतु सौ में से 90 प्रतिशत मामलो में ना तो मंत्रालय को परवाह होती है की वह सामने आकार हक़ीक़त बताए ना ही वह  पी आई बी  को जानकारी सुलभ करता हैं | तब पत्रकार को अपने सूत्रो के भरोसे ही खबर की सच्चाई पर भरोसा करना पड़ता हैं |

   सच्चाई या हक़ीक़त को जो सरकार के खिलाफ हो उसे राष्ट्रीय खतरा बताने का काम आस्ट्रेलिया की एक सरकार ने किया था | जिस पर वनहा के सभी अखबारो ने एक दिन  समाचार पात्रो का प्रकाशन ही नहीं किया , इस विरोध प्रदर्शन के बाद भी सरकार अड़ी रही तब , पत्रकारो और अखबारो ने मिल कर  हड़ताल जारी रखी | तब सरकार को झुकना पड़ा | हुआ यह था की सरकार द्वरा बहुराष्ट्रिय कंपनियो को रक्षा और खनन  के छेत्र में  ठेके दिये गए थे | जी राष्ट्र के पर्यावरण और सुरक्षा में की जा रही गदबड़ियों के कारण थे | परंतु कतिपय  नेताओ ने अपने आर्थिक लाभ के लिए ये फैसले लिए थे | उनमे से एक फैसला अदानी की एक कंपनी को कोला खनन और विद्युत उत्पादन  का भी था | संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस ठेके को लेकर घोर आपति जताई थी और अपनी रिपोर्ट में इस प्रोजेक्ट को पर्यावरण के लिए “”अति घातक “” बताया था | परंतु जैसा की होता है ---- नेताओ को राष्ट्र और इसके नागरिकों के स्वास्थ्य और हित से अधिक अपनी संपाती का ख्याल रहता हैं | अब इसको फ़ैक्ट चेक कैसे करेंगे की ------नहीं थर्मल विद्युत उत्पादन इकाई से छेत्र का पर्यवरन प्रदूषित नहीं होगा !!!  लेकिन सरकार तो यही कहेगी की बिजली की सुलभता और आर्थिक विकास के लिए औद्यगीकरण जरूर है | फिर उस इलाके के लोग सांस फूलने और  आँय बीमारियो एसआर जूझते रहे | यह है फ़ैक्ट चेक यूनिट का कमाल |