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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 8, 2023

 

फिलिस्तीन – इज़राइल टकराव !

ना तो ये युद्ध है ना ही आक्रमण –यह है नस्ल संहार !

 

          संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार गाज़ा पट्टी पर इज़राइल की फौजी कारवाई  ने अब तक  17000 { सत्रह हज़ार } और 700 {सात सौ } फिलिस्तीनी  लोगो की मौत /हत्या / वध का जिम्मेदार है ! यूक्रेन  और रूस के दरम्यान पिछले “”साल भर से चल रहे युद्ध “” में भी इतने लोगो की मौत नहीं हुई ---जितनी इज़राइल की  अहंकारी नेत्न्याहु सरकार ने “ एक माह मे भी  निहथे नागरिकों को मौत की नींद सुला दिया हैं |  भारत के संदर्भ में  ने इतनी मौते  बंगला देश युद्ध में भी नहीं हुई थी | शायद  दूसरे महायुद्ध में  बर्लिन के घेरे के समय  भी दोनों पक्षो ने इतनी “”जन हानी  “ नहीं उठाई होगी !  जितनी इज़राइल की ज़िद्द  बेगुनाह फिलिस्तीनी  लोगो को  मार रही है | इज़राइल ने  अपनी कारवाई के पहले ही  “यह साफ कर दिया था की वह अपनी कारवाई के लिए किसी नियम या अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं होगा !  यानि गाज़ा में उसकी फौजी कारवाई ना तो युद्ध है ना आक्रमण है  यह “बस कारवाई है “ जो हमास  को मिटा कर ही खतम होगी ! 

             अब हमास एक आतंकवादी संगठन  है ,जैसा इज़राइल कहता है ---परंतु  बीबीसी ऐसे चैनल  और उदरवादी खबरों के संस्थान  चाहे  वे रेडियो हो या फिर चैनल हो या अखबार हो सभी इसे आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे सशस्त्र  संगठन  ही माना है | यानहा तक की बीबीसी को  ब्रिटिश प्रधान मंत्री सुनक की सार्वजनिक फटकार भी सुन नी पड़ी !  अब ऐसे संगठन से कोई भी राष्ट्र  कैसे लड़ सकता है !  अमेरिका  ने  भी ओसामा बिन लादेन  के लिए ना तो सऊदी अरब में और ना ही पाकिस्तान पर फौजी  कारवाई की थी | क्यूंकी बिन  लादेन एक आतंकी संगठन चला रहा था ----जिसकी कोई भौगोलिक सीमा नहीं थी | जैसी हमास की कोई सीमा ना ही उसका सिक्का किसी निश्चित भू भाग मे चलता हैं |

           इन तथ्यओ के बावजूद  अमेरिका के राष्ट्रपति  बाइडेंन  गाज़ा पट्टी में हो रहे “फिलिस्तीनी नस्ल संहार “ को रोकने के लिए कड़ी कारवाई  नहीं कर रहे है !! वैसे  सुपर पावर  का अपना दर्जा  वे सुरक्षा परिषद में  “” ही दिखाते  रहते है “”इसलिए अमेरिका अपने अहंकार और हथियार निर्माण करने वाले बहु राष्ट्रीय कंपनियो  के मुनाफे के लिए वियतनाम  में  सालो साल युद्ध करते रहे | भले ही वनहा से “”बड़े बेआबरू “” हो कर निकले ! जिन  मनवाधिकारों की रक्षा के लिए  सालो साल युद्ध किया ----उनके निकलने के बाद उत्तर और दक्षिण  वियतनाम  डॉ हो ची मिनह के नाम पर एक हो गए |

      अफगानिस्तान मे गए थे  “”तालिबान “ का वंश नाश  करने ----और राष्ट्रपति ट्रम्प की सनक के चलते  उनही को सैनिक सामान सहित  देश सौंप आए !  सुपर पवार राशतों में फ्रांस ने इज़राइल को साफ –साफ कह दिया की गाज़ा में नागरिकों के खिलाफ उनकी कारवाई का वह विरोध करता है|  ब्रिटेन और अमेरिका  यहूदी धन कुबेरो  के प्रभाव  और उनके चुनावी चंदे की लालच में  इज़राइल का आंखमुंद कर  हाँ जी हाँ जी कर रहे हैं |

हालत यह है की संयुक्त राष्ट्र संघ  और विश्व स्वस्थ संगठन  के बार – बार अपील करने पर भी नेत्न्यहु अपना प्रधान मंत्री पद बचाने के लिए गाज़ा की  फिलिस्तनी बच्चो और निहथे नागरिकों का  “”कत्ले –आम “” कर रहे है | जो मरने वालो की संख्या से  ज़ाहिर है |  कुछ ऐसा ही काम  म्यांमार  का  “ सैनिक  जुनटा “”  चिन जन जातियो का नर संहार कर रहा है | इनमे अधिकान्स्तः  मुसलमान है ,जिनहे बंगला देश ने अपने यानहा शरण  दिया है | और जो ईसाई है उन्हे मिज़ोरम  और मणिपुर  मे शरण लिया है |   अफ्रीका के कई देशो में जातीय  द्वंद के लिए  विरोधी जन जातियो के गाँव के गाँव  जला कर आबादी का संहार कर दिया जाता है | बोको हराम एक उधारण है |

      जनहा  संयुक्त राष्ट्र संघ  के सदस्यो  से यह अपेकषा  की जाती है की वे उसकी अपील को स्वीकार करेंगे ---इज़राइल  यूएनओ के कर्मचारियो को भी गाज़ा  मे  शरनार्थियों  की मदद के ल्ये भी नहीं जाने दे रहा है | जैसे उत्तर कोरिया के तानाशाह  किम उल सुन  करते है | क्या इज़राइल भी  भी अनियंत्रित  राष्ट्र नहीं बन रहा है !

Dec 5, 2023

 

विधान सभा चुनाव  परिणाम बनाम  महाभारत  की द्यूत क्रीडा  !

 

        जब कुछ ऐसा घटित होता हैं  जो असामान्य  या असंभावित हो तब – तब  शकुनि के पाँसो की चमत्कार  की याद आती है !  जिस प्रकार  जुए  में हार –जीत होती है  , परंतु यदि एक पक्ष  की ही विजय हो तब कुछ असंभव को संभव कला  का संदेह  होता हैं |   जिस प्रकार पांडवो  की लगातार द्यूत में  शकुनि के “” मंत्र अभिसिक्त “ पाँसो ने अपने “मालिक “ के कहे को सत्या किया ---कुछ उसी प्रकार  चुनावो में शायद  

ईवी एम मशीनों ने भी चुनाव परिणाम उगले है |  क्यूंकी विरोधी दलो उम्मीदवारों को उनके ही गाँव  में फक्त  40 से 50 वोट मिलना  आश्चर्य की बात है !

      परंतु जब  गंगा पुत्र  भीष्म  जिस प्रकार कौरव सभा में मजबूर हो गाये थे इस अन्याय को रोकने में  उसी प्रकार भारतीय  न्यायालया  भी मजबूर दिखाई दिये | आखिर वे कर भी क्या सकते थे राजसत्ता के सामने |, जैसे महामहिम  होने के बाद भी वे ना तो शकुनि और दुर्योधन  के षड्यंत्र को  नहीं रोक सके , और अपनी आंखो के सामने द्रौपदी  का चीर हरण  होने दिया कुछ – कुछ वैसा ही   विपक्ष के साथ ईडी और सीबीआई का अत्याचार  देखते रहने  का दुर्भाग्य भी भारतीय अदालते  देखती रही --- कानून का हवाला दे कर  भी वे “” न्याय “ नहीं कर सके |  द्रोणाचार्य  जैसे अनुशासन  की मूर्ति  भी   चुनाव आयोग  के समान ही थे | जो सिर्फ  कमजोर भील बालक का अंगूठा  गुरु दक्षिणा मे लेकर  अपने शिष्यो के प्रतिद्व्न्दी  को खतम  किया –कुछ वैसा ही हमारे  निर्वाचन  आयोग ने किया |  सत्ता के पक्ष में वे सदैव  ही खड़े रहे –भले ही वह न्याययोचित  रहा हो अथवा नहीं |  जिस प्रकार चुनाव प्रचार के दौरान  प्रधान मंत्री और गृह मंत्री द्वरा  राजस्थान और छतीसगरह  में वनहा की सरकारो को  बदनाम करने के प्रयास  हुए , वह कुछ कुछ  एक्लवय  से गुरु दक्षिणा  में हाथ का अंगूठा  काट कर मांगने जैसा ही था | परंतु जो भी हो  द्यूत क्रीडा में पराजित  “”पांडवो  को वनवास झेलना पड़ा था , कुछ – कुछ वैसा ही  अब वर्तमान राजनीतिक परिद्र्श्य  दिखाई पद रहा है |   उससे यह  भान होता है की मशीनी मतदान  के चमत्कार से स्टारूद दल को ही सफलता मिलेगी | जब तक कोई  बरबरिक  इस व्यव्स्था  को धराशायी न कर दे और मानवीय  मतदान  से देश और सत्ता सूत्र का निश्चय ना हो !

         परंतु इसके लिए महाभारत  ही होना पड़ेगा , अन्यथा  वनवास और अज्ञातवास  ही झेलना होगा !  आखिर क्या उपाय हो सकता है जिसमे इस असामान्य  स्थिति को  सामान्य किया जा सके जिसमे  सत्तारूद दल  भी दूसरे राजनीतिक दलो की बराबरी  से ही रतियोगिता में उतरे ------उसके विशेसाधिकार  उससे छिन जाये ?  अभी तो कोई  समीकरण सामने नहीं है –परंतु कुछ तो करना होगा , अन्यथा संसद के बहुमत  के रोड रोलर के तले  लोकतन्त्र पिस्ता ही रहेगा | एवं एकतंत्र  को ओर  बदता रहेगा |