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Jan 29, 2014

क्या राहुल गांधी का इंटरव्यू लोगो के मन मे पनप रहे संदेहो को दूर करेगा ?


क्या राहुल गांधी का इंटरव्यू लोगो के मन मे पनप रहे संदेहो को दूर करेगा ?

काँग्रेस के उपाध्यकक्ष राहुल गांधी को अनेक नाम दिये गए हैं , जिनमें पप्पू या
शहज़ादा अथवा नौसिखिया कहा गया हैं | यंहा तक की उनकी ही पार्टी के लोग भी उन पर पूरी तरह से विश्वास नहीं कर पा रहे हैं | ऐसे मे
देश और पार्टी के सामने आकार इस प्रकार सभी सवालो के जवाब दिये वे भी काफी बारीकी से | अब उन पर सभी प्रकार से टिप्पणिया भी की
जा रही हैं |कुछ साराह रहे हैं तो कुछ इसे चुनावी चाल बता रहे हैं | सवाल यह हैं की चुनाव मे क्या प्रतिस्पर्धा नहीं होती और क्या हर कोई
अपने ज्ञान और सामर्थ्य के अनुसार इस लड़ाई को जीतने के लिए पूरी कोशिस नहीं करता ? क्या बड़ी - बड़ी रैलि और बड़े मंच से भासण
देश को ज्ञान देने के लिए अथवा उन्हे इतिहास बताने के लिए तो नहीं हो रहा हैं ? फिर क्यों एतराज़ ?

संघ के पूर्वा सदस्य और पत्रकार राहुल देव जी ने भी यह माना हैं की राहुल के इंटरव्यू

बाद अब मोदी जी के लिए भी इसी प्रकार के 'कठिन' इंटरव्यू का सामना करना होगा | परंतु करण थापर के र्साथ इंटरव्यू मे मोदी जी के
व्यवहार को देश ने देखा -सुना हैं , इसलिए यह और आवश्यक हो जाता हैं की कम से कम अर्णव गोस्वामी के ही कठिन सवालो का जवाब
दे , क्योंकि करण थापर के किस्से से उनकी साख पर आंच लग चुकी हैं | हाँ राहुल ने कई सवालो के जवाब सीधे और सरल तरीके से नहीं
दिया , परंतु सवाल के संग्राम मे आखिर तक डटे रहे हैं | कम से कम मैदान छोड़ कर भागे नहीं | यह भी आरोप नहीं लगाया जा सकता
की टाइम्स नाऊ का इंटरव्यू कोई प्रहसन था |
अगर राहुल ने अपने प्रति संदेहो को इस प्रयत्न से संदेहो को साफ किया तो मोदी को
वायदे और दावो का खुलासा देश के सामने करना चाहिए , जिस से यह भरोसा हो की वे सिर्फ जनसमूह को ही संबोधित कर सकते हैं ,
ऐसा नहीं वरन वे किसी भी परीक्षा से भी गुजर सकते हैं |