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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 20, 2023

 

कालेजियम की पारदर्शिता 

 सरकार की खुफिया रिपोर्ट का खुलासा  कर दिया सुप्रीम कोर्ट ने !

 

                          विधि मंत्री  किरण ऋजुजु  के प्रधान न्यायाधीश  चंद्रचूड़ को संबोधित  पत्र में  भावी जजो के चाल – चलन  के बारे में  देश की खुफिया एजेंसियो  रॉ  और आई बी  द्वरा जो रिपोर्ट  सिर्फ प्रधान न्यायाधीश  के निजी जानकारी  के लिए   मोदी सरकार द्वरा भेजी  गयी थी ---- सुप्रीम कोर्ट कालेजियम  ने उसे सार्वजनिक करने का साहस पूर्ण फैसला लेकर  देश के सामने  यह  अवसर  दिया है की  प्रबुध लोग और देश के नागरिक विचार करे  की क्या  सरकार की मंशा  केवल ऐसे लोगो को  हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में  नियुक्त करने की हैं , जो उनकी  बताई  लाइन पर चले !  

                               कालेजियम ने दिल्ली के वकील सौरभ  किरपाल को दिल्ली हाइ कोर्ट का जज नियुक्त करने सिफ़ारिश दुबारा करते हुए उनके नाम को  नियुक्ति देने का आग्रह किया हैं |दूसरे एडवोकेट  सोंशेखर  सुदेरसेन   को मुंबई हाइ कोर्ट  में और  गोधरा अग्निकांड की जांच के लिए तत्कालीन रेलवे मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वरा नियुक्त  जांच आयोग के अध्यछ  बैनरजी के पुत्र अमितेश बैनर्जी  को कलकत्ता  हाइ कोर्ट का  जज नियुक्त किए जाने के लिए नाम को दुबारा भेजा हैं |  कालेजियम ने कुल 20 लोगो के नाम  इलाहाबाद , मद्रास और कर्नाटका  हाइ कोर्ट के जज के लिए भेजे हैं | इनमें 17  एडवोकेट है और 3 न्यायिक सेवा के सदस्य हैं |  अब देखना होगा की इस बार मोदी सरकार  अपने राजनीतिक तरकश से कौन सा तीर निकलती हैं |  वैसे  सरकार की खुफिया रिपोर्ट में  दो व्हाट्स अप्प   रिपोर्ट की टिप्पणियॉ का हवाला देकर   मद्रास हाइ कोर्ट के  के लिए नामित जज जॉन साथयेन  को हाइ कोर्ट के न्यायधीश पद के लिए अयोग्य माना था | क्यूंकी एक में  में उन्होने  कुईंट नामक पत्रिका में आए आलेख को  साझा किया था , जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आलोचनात्मक  टिप्पणिया की गयी थी !  एक दूसरे संदेश में उन्होने अनीता नमक लड़की द्वरा नीट की प्रतियोगिता में सफल नहीं हो पाने के कारण आतंहत्या  की घटना पर  उन्होने इसे राजनीतिक  धोखा कहते हुए  “भारत तुम  शरम करो “” लिखा था | आई बी की इस रिपोर्ट को  खारिज करते हुए  कालेजियम ने कहा की हमारी रॉय में वे एक योगी प्रत्याशी है “ |

                        सौरभ किरपाल के मामले में कालेजियम  ने कहा की  उनके साथी स्वीट्जर लैंड  के हैं इससे यह नहीं कहा जा सकता की विदेशी हमसफर होने से वे “”देशहीत  के वीरुध हो सकतेय हैं | कालेजियम का मत था की देश के अनेक उच्च पदो पर बैठे लोगो  के हमसफर विदेशी नागरिक  रहे हैं , इसलिए

आईबी की यह आशंका निर्मूल हैं | जनहा तक उनकी निजी ज़िंदगी की सेक्स लाइफ का सवाल हैं तो इस मामले में विधि मंत्रालय की आपति  निरर्थक हैं |  सुप्रीम कोर्ट द्वरा नवतेज  जौहर मम्म्ले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ कहा की  यौन  संबंधो का चुनाव व्यक्ति  की अपनी प्रतिस्ठा और सम्मान का विषय हैं |  एवं प्रत्येक भारतीय नागरिक को  इसका चुनाव करने का अधिकार हैं | गौर तलब है की दिल्ली हाइ कोर्ट कालेजियम ने  13 अक्तूबर 2017 को   किरपाल का नाम  सुप्रीम कोर्ट कालेजियम को भेजा था | चार बार किरपाल के नाम पर  विधि विभाग ने  किरपाल के विदेशी साथी पर आपति लगते हुए नाम को वापस भेज दिया |  2021 में चीफ़ जौस्टिस रमन्ना  यू यू ललित और खनविलकर के कालेजियम ने भी नाम भेजा  परंतु सरकार ने पुनः लौटा दिया |  

                                     सौरभ किरपाल  को  पाँच  साल  तक नहीं मंजूरी दी विधि विभाग ने और अमितेश बैनरजी के पिता  यू सी बैनजी जो सुप्रैम कोर्ट के जज थे उन्होने   अति विवादित गोधरा कांड की जांच की थी | जिसमे  उन्होने कुछ टिप्पणिया  तत्कालीन सरकार के वीरुध की थी |  कलकत्ता हाइ कोर्ट के दूसरे एडवोकेट साकया सेन के नाम को भी  विधि मंत्रालय ने आपति के साथ वापस भेज दिया |  विधि मंत्रालय को को कड़े शब्दो में कालेजियम ने कहा “”” विधि मंत्रालय के लिए यह ठीक नहीं हैं की वह बार बार भेजे गाये नामो को वापस कर दे  , जिनहे कालेजियम ने सोच – विचार करने के बाद   अग्रसारित किया हैं “”

 

 किरण ऋजुजु का  नया राजनीतिक दांव – मुख्यमंत्रियों  द्वरा  भेजे गए नामो से  सुप्रीम कोर्ट कालेजियम  जजो की नियुक्ति करे !

                            ऋजुजु द्वरा   कालेजियम को नीचा  दिखाने के लिए   जजो की  राष्ट्र भक्ति और उनके चाल चलन में नैतिकता  तथा पारदर्शिता   को लेकर किए गये  एतराज़ को रॉ और आई बी  की रिपोर्ट  से पुख्ता करने की कोशिस को जब सुप्रीम  कोर्ट कालेजियम ने  ना मंजूर  कर दिया , तब उन्होने अब एक नयी चाल खेली हैं |  उन्होने प्रधान न्यायाधीश को लिखे एक पत्र में कहा हैं की , प्रदेश के मुख्य मंत्री द्वरा  भेजे गए नामो से  कालेजियम जजो की नियुक्ति का चयन करे ! 

 1_---इस सुझाव का अर्थ यह हैं की राजनीतिक  लोगो को  हाइ कोर्ट में बैठा दिया जाये , जिससे की वे  अपनी विचारधारा और दल के हितो की न्यायिक रूप से रक्षा करे और मदद  करे !   सवाल यह हैं की ऐसे लोगो की नियत क्या निसपक्ष होगी ? जो किसी दल और नेता विशेस के पिछलग्गू है |  क्यूंकी  विधान सभाए हो अथवा लोकसभा या राज्य सभा  सभी में ऐसे बहुत से सदस्य है –जिनके वीरुध  आपराधिक मामले चल रहे हैं | ना केवल वे पुलिस  द्वरा  थानो में दर्ज़ हैं वरन  अदालतों से भी उन पर निर्णय हो चुके हैं | बहुत से मामलो  मे माननीय सदस्य लोगो के वीरुध सजाये भी सुनाई गयी है ----हाँ  एक परंतुक है यानहा की इन लोगो की सज़ा  6 साल से कम हैं | दूसरा हमारा कानून और विधान कहता हैं की  जब तक इन लोगो को अंतिम अदालत  से  फैसला नहीं हो जाता तब तक ये निरपराध माने जाएंगे ! 

2- देश के  अनेक राज्यो में विधायकों और सांसदो के वीरुध   , मुकदमें  एक विशेस अदालत में चलते हैं | जो  राज्य की राजधानी में बैठती हैं | ईस अदालत में  केवल विधायकों और सांसदो के ही मुकदमे  सुने जाते है | इसलिए यानहा ऐसे मुकदमो की संख्या बहुत कम होती हैं |  अक्सर यह संख्या सैकड़े  से भी कम होती हैं | परंतु  ऐसा देखा गया है की  सत्तारूद दल के सदस्यो  के मामले  अभियोजन द्वरा  लंबे खिंन्चे  जाते हैं | अब यह कैसे होता हैं  , यह अदालतों के जानकार भली प्रकार जानते हैं |

         बॉक्स

                                  उच्च न्यायालय और उच्चतम  न्यायालय  के भावी न्यायाधीशो  के चयन में    देश की सरकार एक ऐसी एजेंसी  का इस्तेमाल करती है  , जिसका  छेत्र  देश के बाहर खुफिया  जानकारी एकत्र करने का हैं | जी हाँ  रॉ अर्थात रिसर्च अँड अनलसिस विंग  का निर्माण  श्रीमति गांधी के समय हुआ

था , जब कुछ बड़े राष्ट्रो  की “”कोप “ द्रष्टि भारत पर थी |  इसके प्रथम निदेशक  काव थे | उन्होने इस शाखा के कार्य छेत्र  और शक्तियों के लिए  एक “चार्टर “” तैयार किया था | वे रॉ में आने से पूर्व  आई बी  में सेवाए दे चुके थे |   एक प्रकार से  इस विंग का गठन  अमेरिकी खुफिया  एजेंसी   सेंट्रल इंटेलिजेन्स  एजेंसी की तर्ज़ पर किया जाना था | परंतु   शायद मोदी सरकार के निजाम में  सब कुछ  सरकार में बैठे दो तीन आदमियो और चार पाँच अफसरो की मर्जी से होता हैं |  विधि मंत्रालय द्व्ररा   कालेजियम  को हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट  मे नामित किए जाने वाले  जजो की  चाल चलन और चरित्र  की जांच  का काम भी  रॉ से करवाया गया | है ना  अचरज की बात  आखिर  मोदी जी का राज हैं , जो न हो वह भी ...........