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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 25, 2017

भोज के पहले ही ट्रम्प ने भारत की उम्मीदों पर पानी फेरा राष्ट्रपति ने दोस्ती को धता बताकर अपना हित देखा

भोज के पहले ही ट्रम्प ने भारत की उम्मीदों पर पानी फेरा
राष्ट्रपति ने दोस्ती को धता बताकर अपना हित देखा
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के वहाइट हाउस पहुचने के पहले ही अमेरिकी प्रशासन ने साफ कर दिया की दोनों नेताओ के बीचहोने वाली वार्ता मे भारतीय कामगारों को एच वन वीसा और एनएसजी की सदस्यता के मुद्दे नहीं होंगे | अर्थात ट्रम्प ने आई टी कंपनियो के करम्चरियों के भविष्य पर लटक रही तलवार को फिलहाल लटकाए रखने का फैसला किया है | अमेरिका के वीसा संबंधी नियमो मे परिवर्तन से सर्वाधिक नुकसान भारतीय और चीनी समुदाय के लोगो को हुआ है | जो वनहा पर वर्षो से इस आशा मे काम कर रहे थे की वे अमेरिकी नागरिकता लिए काबिल हो जाएंगे | परिवर्तित नियमो मे गोरे लोगो के समान ही गैर गोरे लोगो को वेतन मान देने की शर्त आई टी कंपनियो के लिए नुकसान का सौदा साबित होगा |
क्योंकि इन कंपनियो ने अमेरिका मे भारत मे शिक्षित और प्रशिक्षित कामगारों को वनहा के वेतनमान से काफी कम पर रखा हुआ था | जिस से की गोरे लोगो के लिए कम के अवसर खतम हो रहे थे | ट्रम्प ने अपने चुनाव के दौरान "”प्रथम अमेरिका "” का नारा देकर साफ कर दिया था की वे अपने देश के काम के अवसरो को "”बाहर"” के लोगो द्वारा भरे जाने की रीति को खतम कर देंगे | सभी सॉफ्टवेअर इंजीनीयरो को एक समान देने की शर्त वीसा संबंधी नियमो मे जोड़ दी | अभी तक अधिकतर भारतीय इंजीनियरो को देशी कंपनीया नियुक्त कर के बाजार मे कम दर पर काम पाने मे सफल रहती थी | जबकि अमेरीकन कंपनियो को अधिक वेतन देने के कारण बाज़ार मे प्रतिस्पर्धा मे मात कहानी पड़ती थी | पीछ्ले कुछ समय से वनहा की बड़ी -बड़ी कंपनिया भी भारतीयो को अपने यानहा नौकरी दे रही थी |

इस प्रकार अमेरिका मे नौकरी के अवसर गोरे लोगो को स्थानीय कंपनियो मे भी घट रहे थे | क्योंकि वनहा की बहुराष्ट्रीय कंपनियो को लाभ की प्राथमिकता होती है | इसलिए वे सस्ते श्रम के लिए भारतीयो और चीनी मूल के लोगो को भर्ती करते थे | जितने वेतन मे दो अमेरिकी युवक काम करेंगे --उतने मे कंपनी तीन लोगो को नौकरी दे सकती थी |
दोस्ती से पहले देश का हित :- राष्ट्रपति ट्रम्प ने वार्ता का अजेंडा ज़ाहिर कर के यह साफ कर दिया की मोदी जी और भारत इन मामलो मे किसी भी रियायत की उम्मीद तो क्या बात भी ना करे | इसी प्रकार "” NUCLEAR SUPPLY GROUP “” की सदस्यता के लिए भारत को उम्मीद थी की राष्ट्रपति ट्रम्प इस मामले मे मदद करेंगे | वह भी धूमिल हो गयी | उधर चीन ने ने भी भारत की सदस्यता की अर्ज़ी पर आपति जताई है | उसका मत है की अगर भारत को सदस्यता दी जाती है तो पाकिस्तान को भी सदस्यता देना होगा | जिस से की इस "”छेत्र ''' मे शक्ति संतुलन बना रहे |
इस परिप्रेक्ष्य मे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा से कोई व्यापारिक लाभ तो नहीं दिखाई पड़ता | एक विवादित मसला अमेरिकी हथियार बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी "””लाक हीड अँड मार्टिन "” के साथ टाटा समूह ने हवाई जहाज और हेलिकॉप्टर बनाने का करार किए जाने की घोसना की है | वास्तव मे यह कंपनी अमेरिकी प्रशासन के लिए शोध और निर्माण करती है | इसके नियंत्रण मे प्रशासन का काफी नियंत्रण है | ट्रम्प ने देश से बाहर जा कर निर्माण करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियो पर "”भारी कराधान"” किए जाने की घोसना की है | प्रशासन का बजट जुलाई के बाद सीनेट द्वारा पारित किए जाने की उम्मीद है | संभव है तभी कुछ तस्वीर साफ होगी |

फिलहाल प्रधान मंत्री की अमेरिका की यात्रा मात्र औपचारिकता ही कही जाएगी |