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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 23, 2013

एक बार फिर गठित हुई किसान -मजदूर -प्रजा पार्टी



 एक बार फिर गठित हुई किसान -मजदूर -प्रजा  पार्टी  
                                                                                 २ २  फरवरी को किसान नेता शिव कुमार शर्मा ने भोपाल में किसान मजदूर -प्रजा पार्टी के गठन  की  घोषणा कर के मुझे एक बार देश की  राजनीती में पचास के दशक की याद दिला  दी । जब कांग्रेस  पार्टी के  कई दिग्गज नेताओ ने तत्कालीन पार्टी नेतृत्व की दक्षिण पंथी नीतियों के खिलाफ बगावत कर सर्वहारा  वर्ग के हितो की रक्षा के लिए किसान - मजदूर - प्रजा पार्टी का गठन किया था । इस पार्टी की स्थापना करने वाले सदस्यों में आचार्य नरेन्द्र देव - रफ़ी अहमद  किदवई -बसावन सिंह - राम मनोहर लोहिया एवं केशव देव मालवीय  आदि बड़े बड़े नेता थे । अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश और बिहार से सम्बंधित थे । 
                                            जिन इलाको में ज़मींदारी या ताल्लुकेदारी प्रथा जारी थी , वंहा पर व्यक्तिगत हितो की रक्षा के लिए नीतियों को वे लोग प्रभावित कर रहे थे , जो इन वर्गों से आते थे । काफी अंदरूनी  संघर्ष के उपरांत  पार्टी के शीर्ष  नेतृत्व ने भूमि सुधारो का मसला प्रदेश सरकारों के हिस्से में छोड़ दिया । अनेक प्रान्तों के नेता जो स्वयं बड़े - बड़े ज़मींदारथे उन लोगो ने  राष्ट्रीय  स्तर  पर इस मामले को टाले जाने   पर रहत की सांस ली थी ।    
                                    १ ९ ५ २  के आम चुनावो के लिए  जब तैयारिया  की जा रही थी तब यह स्पष्ट हो गया था की - कन्हा - कन्हा  भूमि सुधारो को  लागु किया जायेगा । उत्तर प्रदेश  में कांग्रेस पार्टी ने  ज़मींदारी और तालुकेदारी  को ख़तम करने का फैसला लिया था । तब पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त  ने  किसान मजदूर प्रजा पार्टी  के नेताओ से वापस पार्टी में लौटने का आग्रह किया था  । जिसके फलस्वरूप रफ़ी साहेब और केशव देव  मालवीय कांग्रेस पार्टी में लौट आये । जबकि आचार्य जी और लोहिया जी तथा बसावन सिंह   ने प्रजा सोसलिस्ट  पार्टी का जतान किया और  अपना चुनाव चिन्ह  झोपड़ी  रखा । इस बार शिव कुमार शर्मा  ने फिर एक कोशिस की हैं भविष्य ही बताएगा की  आगे क्या होगा ...........।