एक बार फिर गठित हुई किसान -मजदूर -प्रजा पार्टी
२ २ फरवरी को किसान नेता शिव कुमार शर्मा ने भोपाल में किसान मजदूर -प्रजा पार्टी के गठन की घोषणा कर के मुझे एक बार देश की राजनीती में पचास के दशक की याद दिला दी । जब कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज नेताओ ने तत्कालीन पार्टी नेतृत्व की दक्षिण पंथी नीतियों के खिलाफ बगावत कर सर्वहारा वर्ग के हितो की रक्षा के लिए किसान - मजदूर - प्रजा पार्टी का गठन किया था । इस पार्टी की स्थापना करने वाले सदस्यों में आचार्य नरेन्द्र देव - रफ़ी अहमद किदवई -बसावन सिंह - राम मनोहर लोहिया एवं केशव देव मालवीय आदि बड़े बड़े नेता थे । अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश और बिहार से सम्बंधित थे ।
जिन इलाको में ज़मींदारी या ताल्लुकेदारी प्रथा जारी थी , वंहा पर व्यक्तिगत हितो की रक्षा के लिए नीतियों को वे लोग प्रभावित कर रहे थे , जो इन वर्गों से आते थे । काफी अंदरूनी संघर्ष के उपरांत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भूमि सुधारो का मसला प्रदेश सरकारों के हिस्से में छोड़ दिया । अनेक प्रान्तों के नेता जो स्वयं बड़े - बड़े ज़मींदारथे उन लोगो ने राष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को टाले जाने पर रहत की सांस ली थी ।
१ ९ ५ २ के आम चुनावो के लिए जब तैयारिया की जा रही थी तब यह स्पष्ट हो गया था की - कन्हा - कन्हा भूमि सुधारो को लागु किया जायेगा । उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने ज़मींदारी और तालुकेदारी को ख़तम करने का फैसला लिया था । तब पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त ने किसान मजदूर प्रजा पार्टी के नेताओ से वापस पार्टी में लौटने का आग्रह किया था । जिसके फलस्वरूप रफ़ी साहेब और केशव देव मालवीय कांग्रेस पार्टी में लौट आये । जबकि आचार्य जी और लोहिया जी तथा बसावन सिंह ने प्रजा सोसलिस्ट पार्टी का जतान किया और अपना चुनाव चिन्ह झोपड़ी रखा । इस बार शिव कुमार शर्मा ने फिर एक कोशिस की हैं भविष्य ही बताएगा की आगे क्या होगा ...........।