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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 10, 2019


बालाकोट का सबूत मांगने वालो को - फौजी जहाज में लेजाना चाहिए -संघ
तब इतिहास को सही करने के लिए ---भूत काल में जाना होगा क्या जाएँगे ?


ग्वालियर में राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ की महापरिषद की बैठक में सरकार्यवाह हसबोले जी ने -बालकोट में हुई सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने वालो की "” देशभ
क्ति "” पर प्रश्न चिन्ह लगाया हैं | उन्होने कहा की जो लोग वायुसेना के हमले से हुई बरबादी का सबूत मांगते हैं , उन्हे जहाज में बैठा के ले जाना चाहिए !!! मोदी सरकार के फैसलो की सराहना करते हुए उन्होने संगठन का पूर्ण समर्थन होने का आश्वासन भी दिया ! हालांकि विगत पाँच वर्षो में संघ और भारतीय जनता पार्टी के बीच जो विभाजन रेखा थी --वह अब पूरी तरह से मिट चुकी हैं | कहने और में अपने को विश्व का सबसे सबसे बड़ा संगठन बताने वाली इस संस्था का असली चोला इस बयान के बाद उतर गया हैं | जिस प्रकार यह संस्था बीजेपी और मोदी सरकार की पिछलग्गू दिखाई देती है उससे इसके छदम राजनतिक दल होने का सबूत ज्यादा हैं |

एक ओर देश के इतिहास में काँग्रेस और महात्मा गांधी के आंदोलन की प्रमुखता और दूसरी ओर संघ पर अंग्रेजपरसती का शक इन्हे काफी तड़पाता हैं | जब सारा देश अंग्रेज़ो के वीरुध आंदोलन कर रहा था ,तब इनके संगठन के लोग घरो में बैठ कर हिन्दू महासभा से मिल रहे थे | जिसे वे राष्ट्र वादी विचार निरूपित कर रहे थे | इसी तथाकथित "राष्ट्र वादी "” सोच ने नाथुराम गोडसे को जनम दिया , जिसने राष्ट्र पिता की 1948 में हत्या कर दी | अथवा मोदी के मंत्री जनरल वी के सिंह की भाषा में यह एक दुर्घटना होगी ---क्योंकि उन्होने राजीव गांधी की हत्या पर सवाल उठाते हुए कहा था 0इसे आतंक वादी हमला कहा जाये या दुर्घटना !! बात शुरू हुई थी पुलवामा मे बीएसएफ़ के जवानो की मौत पर | अब इन राष्ट्र वादी नेताओ और उनके भक्तो को यह बताने की ---महात्मा गांधी --इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी की स्वार्थी और भटके हुए लोगो ने हत्या की थी | महात्मा गांधी की हत्या उनके द्वरा पाकिस्तान को आर्थिक मदद दिलाने से कुपित गोडसे ने इसे "”राष्ट्र "” विरोधी फैसला बताया था < इसीलिए महतमा को गोली मार कर हत्या करा दी !! इन्दिरा गांधी की हत्या खालिस्तान समर्थक नेता भिंडरनवाला को स्वर्ण मंदिर से निकालने के लिए किए गए आपरेशन ब्ल्यू स्टार के कारण -उनके सिख अंगरक्षकों ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी | राजीव गांधी की हत्या श्री लंका में तमिल संगठन लिट्टे द्वरा ,इसलिए की गयी ,क्योंकि वे भारत सरकार द्वरा लंका को फौजी सहायता दिये जाने से नाराज थे | इसलिए आत्मघाती महिला ने खुद के साथ राजीव गांधी को भी उडा दिया !!
हसबोले जी क्या इन दो प्रधान मंत्रियो की हत्या और परिवार में संबंध हैं ?? अटल बिहारी वाज़पेई बीजेपी के पहले प्रधान मंत्री थे और नरेंद्र मोदी दूसरे है |

बैठक में एक प्रस्ताव और आया की देश में "”संयुक्त परिवार "” को पुनः जीवित किया जाये !!! घर – गर्हस्थी से दूर "”जीवनदानी स्वयंसेवक "” जब ऐसी बात करे ---तब आदिगुरु शंकरचार्य और मंडन मिश्र की पत्नी के मध्य शास्त्रार्थ की याद आती है जब उन्होने "काम शास्त्र "” संबन्धित सवाल पूछ लिया | खैर आदिगुरु तो "””परकाया प्रवेश "” द्वरा कामकला का अनुभव लेने के बाद | पुनः राजा का शरीर छोड़ कर अपनी काया में आए तब उन्होने शास्त्रार्थ जीता | परंतु राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में आजीवन व्रती तो बहुत हैं परंतु भीष्म पितामह तो कोई नहीं बन सका !!!! अटल जी से एका बार सवाल किया गया था ---तो उन्होने कहा था की मैं अविवाहित हूँ परंतु ब्रह्मचारी नहीं ! जिनहे परिवार की कठिनाइयो और परिवार की समस्याओ का ज़रा भी इल्म नहीं वे संयुक्त परिवार की बात करे तो -------अनाडी डाक्टर की याद आती हैं | संगठन में स्वयंसेवक चल जाएँगे परंतु राजनीतिक दल में कार्यकर्ता होते हैं | उनमें महत्वाकांछा होती हैं | शिक्षा - शादी और घर परिवार के सांबन्ध जिनहे नहीं मालूम वे बैठक में "””संयुक्त परिवार "” को पुनर्जीवित करने की बात करे तो ,यह खोखला कथन या नारा लगता हैं |

संयुक्त परिवार या तो किसान का परिवार का होता हैं --जो सपरिवार खेत पर काम करता हैं | अथवा व्यापारी वह भी छोटा जो अपने सदस्यो की मदद से दुकान - अतट चक्की --तेल पेरने की मिल आदि ऐसे व्यसय हैं | परंतु आज कल इन परिवारों के बच्चे भी अध्ययन करने के बाद अपनी जमीन से उखाड़ जाते हैं | किसान का परिवार नगरो में मजदूरी करने और व्यापारियो के बच्चे शहरो में नौकरी करते है | और इस प्रकार आजीविका की भेंट संयुक्त परिवार चढ जाता हैं |गावों में बदते परिवारों में घटती जोत भी घर वालो को नौकरी करने पर मजबूर करती है |
हे महाभावों संघ के नेताओ जब तक किसानी को लाभ का धंधा नहीं बनाओगे – गाव से शहर की ओर जाने वाली भीड़ को रोक नहीं सकते | महाराष्ट्र में विगत चार सालो में 18000 किसानो ने आतमहतया की है ---वह भी क़र्ज़ के कारण !!!!
यह तो हुई एक प्रस्ताव की बात दूसरे प्रस्ताव में कहा गया है की भारतीय इतिहास का लेखन ठीक से नहीं किया गया | अरे भाई ईतिहास तो घटनाओ और उनके परिणामो के आधार पर लिखा जाता हैं | परंतु संघ को महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू को इतिहास में प्रमुखता दिये जाने से बहुत तकलीफ हैं ! चूंकि उनका खुद का आज़ादी के आंदोलन में कोई हिस्सेदारी नहीं थी ---इसलिए उनका नामोनिशान भी इतिहास में नहीं हैं | अब इसके लिए वे पड़ोसी से उधार लेकर अपने प्रतिमानों को गाड़ना चाहते है ___उदाहरण के तौर पर उन्होने सरदार बल्लभ भाई पटेल को इतिहास में उचित स्थान नहीं दिये जाने का आरोप हैं ---शायद इसीलिए नरेंद्र मोदी जी ने पोरबंदर में मोहन दास करमचंद गांधी की प्रतिमा के बजाय सरदार की प्रतिमा बनवाई | उनके इस कारनामे से महातमा गांधी का क़द छोटा नहीं होगा और सरदार का क़द उनके मुक़ाबले बड़ा नहीं हो जाएगा !!! अब उन्होने सुभाष चंद्र बोस के योगदान को उचित स्थान नहीं मिलने की बात की हैं | आज़ाद हिन्द फौज के तीन जनरलो "” ढिल्लन ---सहगल --शाहनवाज़ "” पर लाल क़िले में चलने वाले द्देशद्रोह के मुकदमें में जवाहरलाल नेहरू ने भी काला गाउन पहन कर वकालतनामा लगे और पैरवी की थी | आज़ाद हिन्द के इन फौजी अफसरो की पैरवी के लिए जीतने भी वकील थे वे सभी काँग्रेस के सदस्य थे ----कोई भी राष्ट्र वादी नेता नहीं आया था !!!!!
अब अगर विदेश में हिन्द की सरकार बनाने और अंग्रेज़ो के खिलाफ ज़ंग का ऐलान करने की बात है ---- राजा महेंद्र सिंह द्वरा कनाडा में भी हिन्द की सरकार की घोसना की गयी थी | उदाहरन के लिए दलाई लामा की तिब्बत की निर्वासित सरकार हिमाचल के धर्मशाला से आज भी चल रही हैं | उनकी सरकार को अंतराष्ट्रीय संगठन स्वीकार भी करते हैं | परंतु उनके भविष्य के बारे में सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता हैं | इसलिए आज़ाद हिन्द फौज को इतिहास में न्याया नहीं दिये जाने का ढिंडोरा वे ही पीट सकते जो बंगाल के लोकसभा चुनावो में इस मुद्दे को उठाने की कोशीश करें |


अब