Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 5, 2021

 

बंगाल के लिए चेहरा फिल्मों से लाना पड़ा -संघ और बीजेपी को !


हाल -फिलहाल मिल रही खबरों के अनुसार बीजेपी नेत्रत्व की बंगाल में ममता बनर्जी के मुक़ाबले चेहरे की खोज फिल्मी दुनिया के कल के हीरो मिथुन चक्रवर्ती में पूरी हो गयी हैं | कहा जाता हैं की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की 7 मार्च को होने वाली सभा में उनका परिचय भावी मुख्य मंत्री के रूप में कराया जाएगा | वैसे बंगाल में फिल्मी लोगो को राजनीतिक रूप से वैसी शोहरत और सफलता नहीं रही हैं , जैसी की तमिलनाडू - आंध्र और केरल में |

वैसे लेखक ने इनहि पंक्तियो में यह संभावना जताई थी , जब आरएसएस के सर संघ चालक डॉ मोहन भागवत ने मिथुन के दरवाजे को खटखटाया था विगत 22 फरवरी को | तभी लगा था की संघ का मुख्य नेता एक अभिनेता के घर जा कर किस हेतु मुलाक़ात कर रहा हैं ? तब मिथुन ने खबरिया चैनलो से कहा था की -”” हमारे संबंध आध्यात्मिक हैं "” !! अब स्पष्ट हुआ की अध्यातम का अर्थ चुनावी राजनीति हैं | कम से कम मिथुन के लिए | पर क्या वे बीजेपी की नैया को पार लगा सक्ने में समर्थ होंगे ? यह सवाल इसलिए मौंजू हैं --- क्यूंकी अभी तक जीतने भी चुनावी सर्वे हुए हैं --उनके अनुसार बीजेपी सरकार बनाने लायक सीटो पर विजय नहीं पा सकेगी ----हाँ अगर चुनाव जनमत की जगह ईवी एम की कृपा से हुए तो परिणाम के बारे में कुछ भी कहना व्यर्थ ही हैं | परंतु दिल्ली विधान सभा चुनावो में जैसी मारकाट प्रचार हुआ था -उसके बाद भी बीजेपी को बुरी तरह से पराजय झेलनी पड़ी थी | अभी दिल्ली म्यूनिसपाल चुनावो में जिस तरह बीजेपी का सुपड़ा साफ हुआ वह एक आशा तो देता हैं की बीजेपी की तकनीकी तरकीब शायद नहीं कामयाब होगी !

इस घटनाक्रम से एक बात साफ हो गयी है की बीजेपी और संघ अपने लक्ष्य के लिए किसी भी "”मर्यादा "” और परिपाटी को तोड़ने में गुरेज नहीं करते | खैर फिल्मी दुनिया के लोगो का राजनीति में भाग लेना -कोई नयी बात नहीं हैं , पहले अभिनेताओ को राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वरा मनोनीत किया जाता रहा हैं | क्यूंकी वे "”वे एक कला की विधा के "” से आते थे | परंतु तमिलनाडू में एमजीआर के उद्भव और आंध्र में रामाराव की सफलता के बाद फिल्मी दुनिया के लोगो की भी महत्व्कांचाये जागने लगी | मुंबई से काँग्रेस ने सुनील दत्त को लोक सभा से सांसद बनाया | उसके बाद हेमा मालिनी और धर्मेंद्र और उनके पुत्र भी लोकसभा सदस्य बने | समाजवादी पार्टी से जया बच्चन राज्यसभा की निर्वाचित सदस्य हैं | त्राणमूल काँग्रेस ने भी एक अभिनेत्री को लोकसभा में भेजा हैं | परंतु विगत सत्तर सालो में कोई अभिनेता केंद्र में तो नहीं मंत्री बना हैं , सिवाय बीजेपी की स्म्रती ईरानी के ,भले वे टीवी की दुनिया के छोटे पर्दे की ही कलाकार रही हो पर वे मोदी सरकार में मंत्री हैं वैसे तमिलनाडू की ही भांति महाराष्ट्र में भी शिव सेना से सहानुभूति रखने वाले अनेक मराठी रंगमंच और चलचित्र के लोग हैं |

एक सवाल मिथुन चक्रवर्ती के इतिहास से :- मिथुन चक्रवर्ती के निजी ज़िंदगी को जानने वालो को मालूम हैं की वे युवा काल में सक्रिय नक्सलवादी रह चुके हैं | बाद में उन्हे माफी मिली और वे फिल्मों की ओर मूड गए | जनहा उनको अपने डांस की बदौलत शोहरत मिली | एक समय वे फिल्मी डांस के सबसे सफल कलाकार बन गए | परंतु जैसा की होता हैं फिल्मी दुनिया में चमक -धमक कुछ ही वर्षो तक रही | फिर उनकी जगह गोविंदा ने ले ली | उन्हे फिल्मे मिलने लगी और मिथुन दादा हो गए , यानि की “” बड़े हो गए “” मतलब उम्र हीरो लायक नहीं रही |

उन्होने उट्टी में एक होटल खोल लिया जो उनका मुख्य कारोबार बन गया | क्यूंकी काफी फिल्मे वही शूट की जाती हैं | इसलिए वे व्यस्त रहने लगे | अभी हाल तक वे चैनलो में होने वाले कार्यकरमों में "”अतिथि" के रूप आते रहे हैं |


पर क्या बीजेपी और त्राणमूल से दलबदल कर आए विधायक और नेता इनको स्वीकार करेंगे --अथवा आरएसएस और बीजेपी संगठन के लोगो का ही हुकुम चलेगा ? अभी तक जिन राज्यो में बीजेपी ने तोड़ -फोड़ कर सरकार बनाई हैं ----वनहा हुकुम ही अनुशासन हैं ! विचार -विमर्श नहीं होता | परंतु बंगाल की राजनीति में सभी पार्टियो में बहस -मुबाहिसा होता रहा हैं |


बीजेपी और आरएसएस के लिए बंगाल की राजनीति उत्तर भारत की राजनीति से अलग ही होगी , ऐसा अनुमान हैं | क्योंकि वनहा राम के बदले काली और दुर्गा हैं – , वैष्णव के मुक़ाबले शाक्त हैं | अब देखते हैं क्या चुनाव परिणाम होता हैं |