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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 21, 2022

 

 अदालती फैसलो को चुनौती देते संसदीय बयान

 

केंद्र सरकार  संसद के सत्र में चक्र्य्वुह  में उलझी -तो समापन होगा ?

 

                          संसद के  बहू प्रतीक्षित  शीत कालीन सत्र में विपक्ष के मुद्दो  पर  निरुपाय हो कर  मोदी सरकार  संसद  को निश्चित अवधि से पहले ही  सत्रावसान  करने का सोच सकती हैं !  कारण है  चीन का सीमा पर घुसपैठ !   अब इतने महत्वपूर्ण विषय पर  सरकार का कहना हैं की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाद  इस मुद्दे पर चर्चा की जरूरत ही नहीं हैं |   आश्चर्य की बात है की सरकार के मंत्री काँग्रेस आद्यक्ष  खरगे के राजस्थान में दिये गए बयान  पर तो  चर्चा  करना छह रही हैं | जिसमें  उन्होने कहा था की देश की आज़ादी और अखंडता  के लिए काँग्रेस के नेता इन्दिरा जी और राजीव जी देश के लिए जान दी | जबकि आज़ादी की लड़ाई में सत्तारुड दल का कोई योगदान  नहीं था ! बात तो सही हैं | परंतु सरकार इसका कोई माकूल जवाब नहीं  दे पायी , तब इस मुद्दे पर माफी और चर्चा मांग रही हैं |   सीमा विवाद  देश का महत्वपूर्ण विषय है , उस मुद्दे पर सरकार  भाग रही हैं , जबकि सदन के बाहर दिये गए बयान  पर  वह काँग्रेस से माफी  चाहती हैं , यह उलटबांसी  की बलिहारी हैं !

 

                  सत्तारुड भारतीय जनता पार्टी  ने अपने हिन्दुत्व के एजेंडे  को आगे करते हुए  एक बार फिर  देश में अनचाही बहस को   चुनावी माहौल गरम करने के लिए  ,राज्य सभा में  अपने सांसद  से  कामन सिविल कोड का मुद्दा   निजी  प्रस्ताव के जरिये  उठाया हैं |  इसके मूल में   विवाह और विरासत  के लिए  सभी समुदायो  और एक धर्मो  के लिए  एक  समान कोड  ही मोदी  सरकार की  नियत हैं |  मूलतः  यह इस्लाम के उस प्रविधान  को खतम करने की कोशिस हैं  -जिसमे कहा गया है  की , इस्लाम का बंदा  एक समय में चार विवाह कर सकता हैं !   हिन्दू ब्रिगेड  का कुप्रचार हैं  की मुसलमान  चार  बीबीयो  से  14 बच्चे पैदा करते हैं | यह प्रचार  किया गया है और  किया जा रहा हैं  की भारत की जनसंख्या  को बढाने  के पीछे  देश का  इस्लामिकरण करना हैं !!

                                  जब की  एक पुरुष द्वरा एक समय में  एक से अधिक पत्नीय्या  देश के आदिवासी समुदाय  में ज्यादा  प्रचलित हैं | इस  समुदाय में अधिक भूमि और धन वाले लोग एक से अधिक बीबिया रखते हैं |   हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी जाटो में भी चादर उड़ाने  की रिवाज  हैं |  ऐसा इस समुदाय में इसलिए किया जाता हैं जिससे की खेती की जमीन का विभाजन  नहीं हो | अर्थात  ऐसे विवाह  आर्थिक कारणो से होते हैं |  वे जनसंख्या  व्रधी के लिए नहीं किए जाते हैं |

                                 परंतु हाल के  तीन चुनावो ने  बीजेपी की बारहमासा  चलने वाली  चुनावी मशीन  के दंभ  को चकनाचूर  कर दिया है | इसलिए  आगामी लोक सभा चुनावो के लिए  अब बीजेपी समेत  उनकी हिन्दू ब्रिगेड के समस्त  संगठन  किसी न किसी मुद्दे को लेकर  जन मानस में एक बार फिर  हिन्दू – मुस्लिम  कार्ड खेल रहे हैं | अबकी बार  उनके निशाने पर सुप्रीम कोर्ट भी है , जिसके अनेक फैसले और आदेश  मोदी सरकार को कठघरे में  खड़े कर रहे हैं | 

                            अब की बार सीनियर मोदी यानि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  के बयान  नहीं आ रहे हैं , उसकी जगह  छोटे मोदी यानि बिहार से राज्यसभा  सांसद सुशील मोदी  ने झण्डा उठाया हैं |

1-- सबसे पहले उन्होने  केंद्रीय विधि मंत्री किरण ऋजुजु  से “बैटन” लेकर न्यायपालिका  के   कार्यो पर सवाल उठाए हैं |  यानहा यह बताना  समीचीन होगा की  परंपरा के अनुसार  विधायिका  में न्यायपालिका से संबन्धित सवाल  नहीं उठाए जाते रहे हैं | परंतु मोदी  सरकार में इस परंपरा को उलट कर पिछले सात सालो में  ना केवल  न्यायपालिका  के कार्यो में हस्तकछेप  किया गया हैं , वरन सीधे – सीधे चुनौती भी दी जा रही हैं | 

                                        इस कड़ी में  किरण ऋजुजु द्वरा  सदन में यह कहना की  “ जब तक  सुप्रीम कोर्ट  कोई नयी व्यवास्था  नहीं बनाता  उसके द्वरा हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशो  के नाम लटके ही रहेंगे !  अब सुशील मोदी ने इसी कड़ी को आगे बढ़ते हुए बयान दिया हैं की  हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में  में कार्य करने के दिवस  बड़ाने के लिए  ग्रीशम और शरद कालीन अवकाश के दिन खतम किए जाये !  क्यूंकी अदालतों में लंबित लाखो मुकदमें  न्याया की आशा में लटके हैं |

2--  छोटे मोदी  जी ने  राज्य सभा में एक बयान में मांग की है की  सुप्रीम कोर्ट और हाइ कोर्ट  में  ग्रीशम कालीन 30 दिन की और शीट कालीन 10 दिन के अवकाश को खतम कर अदालते  सरकारी मंत्रालयों की भांति  काम करे !

                                    सुशील मोदी से एक प्रश्न यह भी पूछा  जा सकता हैं --- की न्यायपालिका  उसी प्रकार  “”स्वयंभू “” हैं जिस प्रकार संसद , दोनों को ही अपने नियम बनाने का पूरा अधिकार हैं |  वे केंद्र सरकार के अधीन कोई मन्त्र्लया नहीं हैं ,जिनहे  सरकार निर्देश या सुझाव दे सके !   अब अगर काम का समय न्यायालयों में बड़ाने का सुझाव हैं --- क्यू नहीं संसद  अपने  सत्रो को साल भर चलती हैं |  जैसे अभी शीत कालीन सत्र  को  छोटा करने का विचार किया जा रहा हैं ?   अदालते तो अपने नियत अवधि और समय से  काम करती हैं

 

                     इतना ही नहीं  सुशील मोदी जी ने तो सुप्रीम कोर्ट के खंड पीठ के उस फैसले को विनाशकारी बता दिया ---जिसमे  भारतीय दंड संहिता  की धारा 376 को  अवैधानिक करार दे दिया था ! उन्होने कहा यह आइस मसला हैं -जिसे दो जजो द्वरा  अंतिम निर्णय किया जा सकता हैं |  अब यह फैसला  साल भर से जयदा पुराना हो गया है | परंतु  सुशीलमोदी जी को अब खयाल  आया , प्रतिकृया देने के लिए , शायद बिसर गया हो |

                               बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री रहे मोदी जी गंभीर व्यक्ति के हैं , परंतु उन्होने एक और  गजब का बयान दे दिया हैं  की  देश से “”काला धन समाप्त करने के लिए 2 हज़ार के नोटो की जगह 1 हज़ार के नोट चलाये जाये ! अब  किस्सा यह की दो हजार के नोट वापस ले और एक हजार के नए नोट छापे  , उस पर होने वाला ख़रच  भरे , और क्या गारंटी की पिछली बार की नरेंद्र मोदी जी की घोसना की भांति  दो हजार के नोट काला धन और आतंकवाद समाप्त करने में कामयाब होंगे ! पर हुआ बिलकुल उल्टा ! बाज़ार में नकदी  अनुमान से अधिक आ गयी !

 

 

बॉक्स

 भारत किसका – नेहरू का या मोदी का !

 छोटे केंद्रीय मंत्री बयान देकर  अपने हाथ साफ कर रहे हैं , जैसा की बीजेपी  समर्थित  समूहो का चलन है की वे इतिहास को उतना ही जानते हैं ,जितना  उनके मिशन  { काँग्रेस को कोसो  नीचा दिखाओ }  के माकूल होता हैं | जैसे की चीन का भारत पर 1962  में हमला ! उस मुद्दे पर ना केवल संसद में चर्चा हुई थी वरन  अनेकों बड़े फौजी अफसरो ने बाकायदा  कितबे भी लिखी हैं |  मंत्री राज्यवर्धन सिंह  ने एक बयान में कहा की  नेहरू के समय में चीन ने भारत की भूमि हथिया ल थी | अब मोदी के भारत  में एक इंच भी  जमीन  हम  नहीं लेने देंगे !  उनका बयान महाभारत  के दुर्योधन  की याद दिलाता है , जब उसने कहा था की पांडवो को सुई भर जमीन भी नहीं दूंगा ! हालांकि संदर्भ सिर्फ उनके अहंकार को दर्शाने के लिए हैं |

                           वैसे अगर हम नेहरू और मोदी के भारत की तुलना करे , जो उनके योगदानों को रेखांकित करे , तब हम पाएंगे की नेहरू ने  भाखरा और  हीराकुड जैसी जल योजनाए देश को दी | भिलाई – दुर्गापुर जैसे इस्पात के कारखाने और भाभा अटॉमिक  सेंटर दिया |  जबकि नरेंद्र मोदी का देश को योगदान  सरदात पटेल की मूर्ति और अयोध्या में राम मंदिर  के अलावा गुजरात माडल  में और तो कुछ हैं नहीं ! 

                राज्यवर्धन जी  देश 1962 में चीन से पराजित हुआ , पर 1970 में चीन को पराजित भी किया एक मोर्चे पर | पाकिस्तान  को दो युद्धो में पराजित किया |  इन्दिरा जी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिये बंगला देश  का अभ्युदय  हुआ | आप की सात साल की सरकार ने  काँग्रेस  के शासन काल में  जीतने सार्वजनिक उपक्रम बनाए  थे , उनको बेच -बेच कर आप  मित्रो का क़र्ज़ा चुका रहे हैं क्या |  अतः राज्यवर्धन जी  नेहरू से और काँग्रेस के देश के प्रति योगदान पर चर्चा तो मत ही कीजिये , यही सलाह हैं |

 

 

?  दर्जनो रेपोर्टों और मंत्रालय के कार्यकलापों  पर सदन में ना तो संसद में और नाही विधान मंडलो में चर्चा  हो पाती हैं | कितनी ही रिपोर्ट  साल दर साल दाखिल दफ्तर होती जाती हैं |  विधायिका का काम अब बस सालाना बजट पास करना  या कोई सरकारी  बिल को पास करना रह गया हैं | सुशील मोदी  नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे पहरुवा  हैं जिनहे न्यायपालिका पर हमले के लिए शायद मुकर्रर  किया गया हैं | 

               हाल ही में उन्होने  सुप्रीम कोर्ट  के एक पुराने फैसले  को विवाद का विषय बने हैं | सुप्रीम कोर्ट ने “सम लैंगिक “”संबंधो को  अवैधानिक  नहीं माना हैं ,और संबन्धित अपराध दंड संहिता  की धारा को निरस्त कर दिया हैं |जिस पर सुशील मोदी जी का कहना हैं की सुप्रीम कोर्ट के दो जज  इतने गंभीर मामले  पर फैसला नहीं कर सकते ! जबकि फैसला हो चुका हैं |