जितनी भागीदारी चुनावी बॉन्ड में , उतनी हिस्सेदारी सरकार में !
गुरुवार को गुजरात और हिमांचल के विधान सभा चुनावो के
परिणाम कमोबेश साधारण जनता { अब आम आदमी नहीं लिख सकते क्यूंकी अब वह सर्वनाम से संज्ञा का रूप ले चुका
हैं }की आशाओ या उम्मीद के अनुरूप रहा | हालांकि अपनी – अपनी पार्टी के भक्तो को वोटो की गिनती तक “चमत्कार की उम्मीद बनी रही| यानि की वे भले ही वे भी हक़ीक़त को समझ रहे हो परंतु , जनहा कनही भी वे चाय पी रहे थे या
पान सिगरेट पी रहे थे – यही दावा कर रहे थे की “”हम ही सरकार बनाएँगे ! “ खैर शाम होते
– होते तस्वीर साफ होने लगी | यह साफ – साफ दिखाई देने
लगा था की , गुजरात में प्रधान मंत्री
नरेंद्र मोदी की हवाई -तूफानी दौरे और
जगह – जगह पर चुनावी सभाओ के भासन ने राज्य
सरकार की खामियो और कुप्रशासन को यानहा तक
की मोरवी जैसे कांड [135 म्रत]को अपने “ क़द “ से ढाक दिया | यही कारण था की मोरवी की दर्दनाक
घटना के बाद भी वनहा से बीजेपी की ही जीत हुई | राज्य में हाल ही में
जहरीली शराब से सैकड़ो लोगो की मौत हुई | यह सब लगातार हो रहा
हैं -जब की गुजरात में “पूर्ण नशाबंदी है “ |अब यह विरोधाभास ही हैं , की ना तो जनता को इन
घटनाओ से कोई फर्क पड़ रहा है और ना ही शासन को | बस हर घटना के बाद सरकार एक एस आई टी बना देती थी ---जिसकी ना तो कोई कारवाई होती है ना
ही कोई रिपोर्ट आती है | ज़ाहिर है अपराधी भी नहीं पकड़ा जाता हैं !!!
विधान सभा की 182
सीटो में 156 स्थान जीत कर सातवी बार बीजेपी की सरकार बनाने का रेकॉर्ड भी इस विजय
से बन गया | इसके लिए प्रधान मंत्री
नरेंद्र मोदी को श्रेय देना होगा , साथ ही चुनाव आयोग को भी श्रेय देना होगा , जिसने अनेक नियमो के
उल्लंघन के बाद भी --- मोदी जी के हर कार्यक्रम को “” कानून सम्मत बताया “! इस चुनाव
से यह भी साफ हो गया की मंहगाई का मुद्दा स्थानीय गुजराती आबादी को नहीं अखरता हैं | वह यानहा पर आए और बसे श्रमिक लोगो
को अनाज और तेल के बदते दामो में मिलती हैं
| सबसे ज्यादा प्रवासी
मजदूर सूरत -भडोच और अहमदाबाद में हैं | परंतु इन स्थानो में भी बीजेपी का विरोध सांकेतिक ही दिखा |
भले ही केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार का विज्ञापन काफी किया था , परंतु उन्हे भी कुल जमा 05 ही स्थान
मिले हैं | सर्वाधिक नुकसान काँग्रेस पार्टी का हुआ हैं जो अब 17 पर सिमट गयी
हैं | विधान सभा नियमो के अनुसार अब उन्हे नेता परतिपक्ष का पड़ भी शायद ना ना मिले
, क्यूंकी उन्हे कुल स्थानो का दस प्रतिशत भी नहीं मिला | इसके लिए बीजेपी को आम
आदमी पार्टी को धन्यवाद करना चाहिए |
हिमांचल प्रदेश :- 68 सदस्यीय विधान
सभा में काँग्रेस को 40 स्थान
और बीजेपी 25 तथा निर्दलीय को 03 स्थान मिले हैं | जितनी तगड़ी जीत गुजरात में बीजेपी को मिली हैं ---उससे थोड़ा
सा ही कम हिमांचल में काँग्रेस को मिली हैं | हाँ यानहा काँग्रेस की विजय के पश्चात भी उसे “”ऑपरेशन कमल “” का खतरा हैं | क्यूंकी विगत में भी मणिपुर और गोवा
में काँग्रेस के बड़े गुट होने के बाद भी सरकार बीजेपी ने अन्य डालो के साथ तथा दल बदल कर
सरकार बना ली थी | हिमांचल में यह खतरा टला नहीं हैं | 3 निर्दलीय विधायक पूर्व
में बीजेपी के साथ थे | आज अगर वे बीजेपी के साथ जाते हैं ,तब भी वे सरकार बनाने में अड़ंगा नहीं बन सकते | यानहा हो सकता की राजस्थान
के मुख्य मंत्री गहलौट की भांति निरदलियों को अपने साथ
शामिल कर के उनके वापस जाने का रास्ता ही बंद कर दे |
दिल्ली नगर निगम :- में तो केजरीवाल ने सत्ता पर अपनी पकड़ बना ली हैं
| 15 साल से एमसीडी पर काबीज बीजेपी को 100 से अधिक सीटो
को छीन कर उन्हे दिल्ली विधान सभा की भांति विपक्ष में बैठा दिया है | अब राजधानी के कूड़े को उन्हे अपनी झाड़ू से साफ करना होगा | सड़क और -पेय जल का भी समाधान करना होगा |
अंत में अगर हम देखे
की चुनावी बांड के जरिये जिस दल को जितना धन मिला ----उसको उतना ही भाग शासन करने के लिए मिला |