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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 29, 2021

 

निरंकुश सत्ता कितनी तथ्य और तर्क विहीन होती है कुछ नमूने

1-- गुजरात के उप मुख्य मंत्री नितिन पटेल ने गांधी नगर में विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में उन्होने कहा की अगर देश में हिन्दू अलपसंख्यक हुआ तो ना तो संविधान और ना ही धरम निरपेक्षता बचेगी और ना लोकसभा ! उन्होने मीडिया को इंगित करते हुए यानहा तक कहा की मेरी बात को रेकॉर्ड कर ले !

साथ में उन्होने यह भी कहा की देश में लाखो मुसलमान देश भक्त है लाखो ईसाई भी देश भक्त हैं | गुजरात पुलिस में लाखो मुसलमान है वे सभी देश भक्त हैं |

एक संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति द्वरा सार्वजनिक रूप से ऐसी चेतावनी देना राष्ट्र के ताने - बाने को कितना मजबूत करेगी यह सहज ही समझा जा सकता हैं | जिस व्यक्ति ने देश की अखंडता और प्र्भुता की शपथ ली हो ,वह यदि खुद ही उस अखंडता को तार-तार करने वाला बयान दे तो क्या उसे शपथ का उल्लंघन नहीं माना जाएगा ? क्यूंकी किसी भी डीएचआरएम भारत वर्ष में हिन्दू - मुस्लिम और ईसाई के अलावा सीख तथा फारसी बौद्ध जैन धरम के लोग भी रहते हैं | किसी भी धरम की आबादी को लेकर यह भयदोहन करना क्या उनकी सरकार और राज्य के लिए कानुनन उचित होगा | पाकिस्तान ज़िंदाबाद का नारा लगाने पर उनकी बस्ती को उज्जैन में उजाड़ दिया जाता हैं , तब ऐसी बात कह कर क्या समाज में धरम के आधार पर विभाजन की रेखा नहीं खिची जा रही ? क्या यह देशभक्ति हैं ? क्या सरकार के उच्च पद पर बैठे हुए व्यक्ति को इतना गैर ज़िम्मेदारी वाला बयान देना कानून की निगाह में सही हैं ? क्या किसी अन्य व्यक्ति द्वरा ऐसा बयान दिये जाने पर पुलिस कारवाई नहीं करती ? दिल्ली दंगो और यालगर परिषद के आरोपियों पर तो भी ऐसे ही आरोप एनआईए ने लगाया हैं | कानून की निगाह में सब बराबर हैं की उक्ति तब बेअसर हो जाती हैं जब देश के प्रधान न्यायधीश रमन्ना कहते हैं की सरकार में बैठे लोगो के साथ पुलिस का गठजोड़ चिंता का विषय हैं | इससे कानून का पालन नहीं होता हैं | अब पाठक ही इस विषय में विचार करे और न्याय भी करे माननीय नितिन पटेल को मालूम होना चाहिए की भारत में हिन्दुओ की जनसंख्या 79.9 % है जबकि मुसलमानो की आबादी मात्र 14.4% ही हैं | अब ऐसे में हिन्दुओ के अलपसंख्यक होने की संभावना कैसे हैं ? क्या हिन्दू आबादी घटेगी और मुस्लिम आबादी कितनी तेज़ी से बड़ेगी की हिन्दू देश में अलपसंख्यक हो जाएंगे ? अभी मुस्लिम हिन्दू आबादी का चौथाई ही हैं , और बड़ी की व्रधी दर दोनों समुदायो में लगभग समान ही हैं | तब यह भ्यादोहन क्यू और किस उद्देश्य से ? क्या यह हिन्दू समाज को डराने का प्रयास हैं , जिससे वे आगामी चुनावो में भारतीय जनता पार्टी की ओर खिसके ? लगता तो ऐसा ही हैं , क्यूंकी जिस प्रकार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सार्वजनिक रूप से धरम के कारण लोगो की पिटाई की जा रही हैं उससे हिन्दुओ के आतंकी चेहरे का नमूना मिलता हैं |

2- दूसरा नमूना हैं देश के पूर्व प्रधान न्यायधीश गोगोई का है , जिनके अयोध्या मंदिर के दिये गए फैसले को लेकर पहले ही अनेकों लोग संदेह जाता चुके हैं की यह विधि और न्याया के सिद्धांतों के अनुसार नहीं हुआ हैं | उन्होने 19 अगस्त को एक ट्वीट किया हैं "” मुस्लिम को मुस्लिम देश छोड़ना पड़े , और दूसरा मुस्लिम देस उसको शरण ना दे तो उसे अपनी अंतरात्मा से इस्लाम त्याग देना चाहिए "” उनका यह ट्वीट अफगानिस्तान में चल रहे ग्रहयुध जैसे हालातो पर टिप्पणी हैं | वे अफगानिस्तान के हालातो पर टिप्पणी करते , तालिबन की आलोचना करते , वनहा पर स्त्रियो के ऊपर हो रहे अत्याचारो की निंदा करते तो समझा में आता हैं , परंतु वनहा से भाग रहे लोगो को अपना धरम छोड़ देने की सलाह कान्हा से तार्किक अथवा तथ्यात्मक है ? अफगानी शरणार्थी तालिबन के दर के कारण अपने देश से पलायन कर रहे हैं , पाकिस्तान सभी अफगानी मूल के लोगो को अपने यानहा शरण देने की स्थिति में नहीं हैं | ईरान और तजकिस्तान और उज्बेकिस्तान अपने मूल के ही लोगो को शरण दे रहे हैं | गौरतलब हैं अफगानिस्तान में 14 रेस अथवा नस्ल अथवा मूल के लोगो को मान्यता है | जिसमें पख्तून की संख्या ज्यादा हैं | तालिबन में उनका प्रभुत्व ज्यादा हैं | वे पिछली बार किए गए अत्याचारो के लिए बदनाम हैं | इसलिए महिलाए सर्वाधिक रूप से आतंकित हैं | काबुल हवाई अड्डे पर हुए बम धमाको में 170 लोगो की जान गयी जिसमे 13 अमेरिकी सैनिक भी थे | अब जिस देश में इतनी अफरा -तफरी मची हो वनहा के लोग धरम छोड़ देंगे तो क्या तालिबानी आतंक से वे बच जाएंगे ? भारत के पूर्व प्रधान न्यायधीश द्वरा जो की बीजेपी द्वरा राज्यसभा में नामित हैं , उन्हे अपने पद की गरिमा के अनुसार बयान देना चाहिए था |


3- कैसे भावनात्मक मुद्दो पर राजनीति की जाती है इसका उदाहरण सीता मऊ और गरोठ में एक किलोमीटर लंबी चुनार यात्रा निकाली गयी , जिस आयोजन को ज़िला प्रशासन द्वरा सिर्फ 5 पाँच व्यक्तियों की अनुमति थी , उसमें तीन किलोमीटर तक हजारो लोगो की भीड़ थी | जिला प्रशासन ने कहा की घत्न्स्थल पर मजिस्ट्रेट नियुक्त हैं उनकी रिपोर्ट पर कारवाई की जाएगी |

इस आयोजन में बीजेपी के राष्ट्रीय महमन्त्री कैलाश विजय वर्गीय और मंत्री हरदीप सिंह डंग तथा रामायण धारावाहिक के के कल के राम उर्फ अरुण गोविल भी शामिल थे |

इस महा कुंभ का आयोजन का उद्देश्य था चंबल को -मालवा की गंगा का दर्जा दिलाने का ! अब गंगा तो एक ही हैं परंतु इस महाकुंभ द्वरा चंबल को उसकी शाखा का सम्मान दिलाने की हैं ! अब आम जनो में यह मुद्दा धरम और गंगा से जुड़ा होने से लोग एकत्र तो हो गए , पर चंबल को मालवा की गंगा का दर्जा कौन देगा ? केंद्र या राज्य सरकार और किस प्रकार यह सवाल खोजना होगा |