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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 27, 2018

राम मंदिर का मुद्दा अब धार्मिक नहीं रहा --वरन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंडा बन कर रह गया


राम मंदिर का मुद्दा अब धार्मिक नहीं रहा --वरन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंडा बन कर रह गया |

अक्तूबर मे सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत की "”मांग --अपील '’ की सरकार कानून बनाए ---और साथ दिन बाद भी मोदी सरकार का इस मुद्दे पर मौन , सरकार की दुविधा दिखाता है | वनही जेटली द्वारा कहना की जैसे मस्जिद गिरि है वैसे ही जनता मंदिर बनाएगी | परंतु संघ और सरकारी पार्टी के समर्थन के बावजूद भी पांचों राज्यो मे इन शक्तियों का पराभव --- हिन्दू राष्ट्र वादियो के जनसमर्थन के अभाव का संकेत है !!


पाँच राज्यो मे हुए विधान सभा चुनावो के पूर्व अक्तुबर मे मोहन भागवत ने मुख्यालय नागपूर मे विजयादश्मी के संबोधन मे मोदी सरकार से कानून बना कर अयोध्या मे राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए की गुहार लगाई थी | उनके इस कथन के अनेक निहितार्थ है | पहला तो यह की वे सुप्रीम कोर्ट से मनचाहा फैसला पाने की उम्मीद नहीं रखते थे | उस समय सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर को सुनवाई जनवरे तक के लिए टाल दी थी | दूसरा यह की बड़ी अदालत ने यह साफ कर दिया की विवाद "” भूमि के स्वामित्व का है --- मंदिर या मस्जिद का नहीं | इस टिप्पणी का अनेक नेताओ ने आलोचना करते हुए कहा था की ---यह बहुसंख्यकों के आस्था का सवाल है , इसे ज़मीन के मालिकाना का मसला नहीं माना जा सकता !!!! इस मुद्दे को लेकर महीनो तक चैनलो मे महीनो तक बहस चला कर मुद्दे को गरमाने का प्रयास चलता रहा | संघ और विश्व हिन्दू परिषद तथा बीजेपी के संगठनो ने विधान सभ चुनावो से पूर्व मीडिया मे माहौल बना कर कोशी यह की "”वे सुप्रीम कोर्ट के मुकदमे के मुद्दे को दस्तावेजी सबूत के मुक़ाबले आस्था का विषय बना दे | काफी कुछ कोशिस हुई --परंतु पांचों राज्यो की विधान सभा चुनावो मे जब मोदी की पार्टी और उनके सहयोगीयो की पराजय हुई ------तब लगा की मंदिर विवाद के बर्तन को अभी और गरमाने की ज़रूरत है |

इतेफाक से केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली का बयान की सरकार मंदिर निर्माण मे कोई पहल नहीं करेगी --जिस प्रकार मस्जिद को जन समर्थन से ढहाया गया था ---उसी प्रकार जनता ही मंदिर का निर्माण करेगी |”””इस बयान को हिन्दू राश्त्र्वादी तत्वो को बड़ा धक्का लगा | उनकी उम्मीद थी की मोदी सरकार और बीजेपी के नेता इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव डालेंगे , परंतु मोदी सरकार की इस बेरुखाई से वे निराश हुए |

अयोध्या मे हुए जमघट मे गेरुयाधारी नेताओ ने जनहा बहुत प्रचार कर '’आंदोलन'’ करने का ऐलान किया | वनही शिव सेना के उद्धहाव ठाकरे ने मोदी को चुनौती देते हुए कहा '’’’ मंदिर नहीं तो सरकार नहीं '’’’ का नारा बुलंद कर दिया | विश्व हिन्दू परिषद के दागे कारतूस डॉ तोगड़िया भी शत्रुता भाव मोदी सरकार के प्रति दिखने लगे | उन्होने तो यानहा तक कह दिया की वे भी लोकसभा चुनावो मे अपने समर्थको को खड़ा करेंगे | जितना बड़ा प्रचार -प्रसार अयोध्या मे हुए सम्मेलन का किया गया था , वैसा कुछ भी नहीं हुआ | क्योंकि स्थानीय लोग इस आयोजन के विरोध मे थे | सिवाय कुछ भगव धारी लोगो को जिनक जीवन ही पराए श्रम पर पलना है |
मोहम्मद इकबाल अंसारी जो की बाबरी मस्जिद मामले मे याचिकाकारता है --उन्होने अपनी बीरदारी को पुलिस सुरक्षा की मांग की थी | परंतु जब योगी सरकार ने उसे अनसुना कर दिया तब स्थानीय मुसलमान जरूर कुछ दहशत मे आ गया था फलस्वरूप अधिकांश लोगो ने अपने घर की महिलाओ और बच्चो को बाहर के ज़िलो मे भेज दिया था | बाबरी मस्जिद प्क्रन के दोसरी पार्टी जो रामलला विराजमान की ओर से है बाबा धरम दास ने भी संघ और बीजेपी द्वरा आयोजित इस समागम से अपने को दूर ही रखा | रामलला विराजमान है --जनहा वनहा ज़िला अदालत ने दिन - प्रतिदिन की सेवा के लिए एक पुजारी लाल दास को नियुक्त किया हुआ है | उन्होने भी इस समागम को राजनीतिक पहल बताते हुए अपने को दूर रखा |

सरयू नदी मे दीप दान की बहुत बड़ी तैयारी हुई थी लेकिन स्थानीय लोगो ने इसमे विशेस भाग नहीं लिया ---जिससे आयोजको के स्वार्थ का हिट नहीं सदाहा , बस दो दिन अखबार की खबर बन के रह गया राम मंदिर आंदोलन आयोजन | अब फिर एक बार रामनाम की काठ की हांडी को चुनाव मे चढाने की तैयारी है | अब की बार संघ से बीजेपी मे गए काश्मीर समस्या के करता - धर्ता श्रीराम माधव ने सरकार से आग्रह किया है की वह संसद मे कानून से अथवा अध्यादेव्श लाकर इस मामले को निपटाए सवाल यह है की मोदी - संघ और कट्टर हिंदुवादियों को अब यह लाग्ने लगा है की ------ज़मीन के स्वामित्व को आस्था से अदालत मे नहीं सीध किया जा सकता | यह वैसा ही मामला है जैसा स्वर्गीय नारायण दुत्त तिवारी के साथ हुआ था | उनके माना करने के बाद खून के डीएनए से उनके जनक होने की पुष्टि हुई | कुछ उसी समान विश्वास से तथ्यो को अदालत मे नहीं सिद्ध किया जा सकता है ,, नाही चैनलो पर बहस अथवा समाचार पात्रो मे आलेख या सोश्ल मीडिया मे आक्रामक कमेंटों से दावा सच हो जाता है |