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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 28, 2012

ANNA KA ANDOLAN KIS DISHA KO ?

हर प्रजातान्त्रिक  देश का  संविधान -झंडा-राजचिन्ह  उसकी सर्वभौमिकता  की पहचान होती हैं ,पर येप्रतीक हैं  पर जीवंत प्रतिनिधि  होता हैं वंहा का  का राष्ट्रपति  जो उसकी सार्वभौमिकता  की पहचान होता हैं .इसी लिए देश के सभी सरकारी दफ्तरों मैं उसका  चित्र  लगाया जाता हैं , जो उसके प्रति रास्त्र के सम्मान का प्रतिक हैं . .इसलिए  इन प्रतीकों  के प्रति असम्मान अथवा अपमान  दिखाने   पर सजा  का कानून हैं . पर अगर कुछ कुछ  मदांध लोगो का समूह  आपने को कानून से ऊपर समझ कर सरे -आम राष्ट्रपति के चीत्र को पैरो के तले कुचल कर पदासीन व्यक्ति को बेईमान बताये तो किया यह कानून का उल्लंघन नहीं हैं ?अन्ना  की टीम के लोगो ने जिनमें केजरीवाल -किरण बेदी ऐसे लोग शामिल हो तो उन्हे इस सत्यता का ज्ञान तो जरूर होगा  फिर उनके द्वारा प्रधानमंत्री के कार्यालय के बाहर  इस प्रकार की हरकत करना भ्रस्ताचार  आन्दोलन की किस कारवाई  का संकेत हैं ?   हकीक़त  मैं   सरकार  से  छुट्टी पाए और कुछ एक तो  वसीका  वसूल रहे स्वयंभू  लोगो का घमंड ही इस हरकत के मूल मैं हैं .विगत कुछ समय से आम जनता भी इनके  बयानों और उसमें झलकते   विरोधभासो  से उब चुकी हैं . इसीलिए इस बार जंतर -मंतर पर भीड़ के लिए योग शिशक  रामदो को निमंत्रण  दे कर बुलाया था . परन्तु अन्ना की टीम और और रामदेव की आकांषा  मैं  काफी टकराव हैं  इसलिए  फ़िल्मी कलाकारों की तरह भीड़ उनके आने पर आई और उनके मंच से चले जाने के बाद गायब हो गयी                                                                                  
           अब खली मैदान में किस को भासण  सुनाये ?समस्या यह बहुत बड़ी थी , आखिर मीडिया की सुर्खियों मैं रहने के लिए इन्हे कुछ तो करना ही था .यंहा ऐसी ही हालत से मिलता - जुलता एक घटना याद आ गयी , उत्तर प्रदेश मैं कमलापति त्रिपाठी मुख्या मंत्री थे , प्रखर समाजवादी नेता राज  नारायण ने एक बड़े आन्दोलन के लिए लखनऊ मैं  प्रदेश भर से कार्यकर्ताओ को बुलाया था .लगभग  पांच -छः हज़ार  लोग एकत्र हुए , आन्दोलनकारी विधान सभा के सामने आने वाले थे सरकार की परेशानी थी ,जैसी आज हैं . कमलापति जी ने जिला प्रशासन से कहा आंदोलनकारियो को नियंत्रण मैं रखने के भरपूर  बंदोबस्त किया जाये ---पर गिरफ़्तारी न की जाए . छल यह थी की आयोजको के पास इतनी भीड़ को खिलाने का इंतजाम नहीं था , यह बात पता चल चुकी थी .जब ""नेता जी ""जैसा की राज  नारायण जी को कहा जाता था ने देखा की आंदोलनकारियो को न तो गिरफ्तार किया जा रहा नहीं पुलिस लाठी  चला रही हैं तो उन्होने गुस्सा हो कर अफसरों से कहा की गिरफ़्तारी क्यों नहीं हो रही हैं ? तब पुलिस  अफसरों ने कहा हम आपको गिरफ्तार नहीं करेंगे  आप नारे लगाये -धरना दे .आब नेता जी को चिंता हुई की इन आंदोलनकारियो को खाना कंहा से खिलाएंगे , असमंजस मैं उन्होने pwd  के मुख्य अभियंता के दफ्तर मैं जा कर यकायक सामान तोडना शुरू किया  फिर तो पुलिस को उन्हे गिरफ्तार करना पड़ा .उसी दिन शाम को उन्हे रिहा कर दिया गया ..वे सीधे मुख्य मंत्री .के पास पहुंचे और कहा की आपने मुझे मरवा दिया अब इतनी लोगो का खाने का प्रभंद कान्हा से करूँ ?त्रिपाठी   जी ने कहा आन्दोलन आप ने किया हम खाने का  प्रबंध क्यों करे ?नेता जी बोले आप सरकार  हम विरोधी दल के लोग प्रदर्सन करेंगे तो जेल जायेंगे जेंह हमे खाना मिलेगा , इस पर त्रिपाठी जी ने हंसते हुए कहा  इसीलिए  हम ने गिरफ़्तारी पर रोक लगायी थी हमे मालूम था की सुबह चन्ना खिलाकर सब , को विधानसभा  ले आये थे की दोपहर और रात का खाना तो जेल मैं मिलेगा  ना , नेता जी चुप थे .फिर बोले हमने अपना काम किय आपने अपना अब कुछ बंदोबस्त करिए .फिर त्रिपाठी जी ने आंदोलनकारियो के खाने   का प्रबध कराया . जाते जाते राज नारायण जी ने कहा ""गुरु तू गुरुघंटाल  हैं .कहने का मतलब कभी कभी विरोधी दौड़ा कर थका देना जरूरी होता हैं .हमेशा लाठी ही नहीं चलाना चहिये .अब अन्ना की टीम दौड़ कर दौरा करने पर उतर आई हैं पहले जंतर-मंतर को ही ""शक्तिस्थल ""समझ बैठे थे अब इधर -उधर भाग रहे हैं ,              

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