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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 22, 2021

 

सोनार बांग्ला -वंशवाद -दीदी का धोखा जनता को ! चुनावी वादे कैसे पूरा हो


जो नेता 15 लाख सबको देने का वादा करके -मुकर गए --की यह तो चुनावी जुमला था ! जिस सरकार ने 30 लीटर पेट्रोल का वादा किया था वह बंगाल को सोनार बांग्ला बनाएगी ? जिस पार्टी के लोग 300 रुपये के गॅस सिलिन्डर पर 25 -30 रुपया बड़ जाने पर सांसद लोग सड़क पर आ जाते थे ---आज 800 का सिलेन्डर होने पर चुप हैं ? आज पेट्रोल 100 की दम पर अटका हैं ,कल ज्यदा भी हो जाएगा तो क्या होगा ? अपने को ईमानदार कहने वाले बीजेपी नेताओ के पास हिमाचल के पूर्व मुख्य मंत्री द्वरा अपनी किताब में देश के शिखर पर बैठे नेता पर अनियमितता का आरोप लगाया हैं , उसका कोई ज़िक्र बीजेपी नेता नहीं करते !

दादर नगरा हवेली के निर्दलीय सांसद मोहन डेलकर की 10 मार्च को मुंबई के होटल में आतंहत्या करने और ,ऐसा करने के लिए दादरा नगर हवेली के प्रशासक जो गुजरात के तत्कालीन ग्राहमन्त्री अमित शाह के उतराधिकारी बने प्रफुल्ल पटेल पर परेशान करने और धमकाने का आरोप लगाया है , अपने पत्र में ! पर कुछ नहीं सुनाई या दिखाई नहीं पड़ता !

कर्नाटक के मंत्री रमेश जर्खिहोली को सेक्स स्कैंडल में वीडियो क्लिप वाइरल होने पर इस्तीफा देना पड़ा | एक बीजेपी विधायक मे मुख्यमंत्री यदुरप्पा पर और उनके परिवार पर ट्रांसफर -पोस्टिंग में रिश्वत लेने का सरेआम आरोप लगाया | जिसके बाद बीजेपी विध्यकों ने यदुरप्पा के नेत्रत्व में आगामी चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया हैं !

इसके अलावा कोरोना महामारी के कानून भी वनहा नहीं "” चलते जनहा बीजेपी का प्रचार हो रहा हो , भले सोशल डिस्टेन्सिंग का खुला उल्लंघन हो रहा हों ----फिर भले वह मंच पर हो या जन समूह में | लगता हैं कोरोना एक पालतू है जो सरकार के हुकुम से चलता हैं !!!

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बंगाल विधान सभा चुनावो में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जारी किया गया , पार्टी का घोषणा पत्र 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के बहु प्रचारित कथन की याद दिलाता हैं | जिसमें मंहगाई - और भ्रस्टाचार को दूर करने के साथ सबको 15 लाख रुपया देने का भी वादा था ! पर दिन बीते महीने बीते और साल भी गुजर गए -----पर रुपये तो मिले नहीं ,उल्टे साहब की नोटबंदी ने गरीब और मध्यांवर्गीय परिवारों की रीड़ ही तोड़ दी | जब अमित शाह को को 15 लाख की याद दिलाई गयी -----तब उन्होने इसे चुनावी "”जुमला "” बताया ! जिसको बस कह दिया जाता हैं -----पर पूरा कभी नहीं किया जाता हैं ! तब सभी राज्यो में "”विकास "” का गुजरात माडल के बड़े -बड़े दावे मोदी जी द्वरा चुनावी सभाओ में किए जाते रहे | पर उसकी शकल किसी ने नहीं देखि -मतलब की उसका ड्राफ्ट क्या हैं ? नगरिया और ग्रामीण इलाको में सुधार कैसे होगा |

आज 6 साल बीत गए - ना तो 15 लाख लोगो के खाते में आए ---ना ही मंहगाई खतम हुई ----और पेट्रोल 45 रुपये से बड़कर 100 की दम तक पनहुच गया हैं | आम आदमी कोरोना के लाक डाउन से बेरोजगार हो चुका हैं | शिक्षित बेरोजगारी कई गुना बड़ गयी हैं | इंजीनियरिंग के संस्थान में छात्रों का टोटा हो गया हैं | मेडिकल की फीस भी अब माध्यम वर्ग की पनहुच से बाहर हो गयी हैं | बैंक शिक्षा के लिए लोन नहीं दे रहे हैं | सरकार द्वरा बंकों के निजीकरण के बाद ये क़र्ज़ भी मिलना बंद हो जाएँगे | भुखमरी --गरीबी के बीच न्याया की लड़ाई लड़ रहे लाखो किसान की शिकायत "””सत्ता "”” के कानो तक नहीं पहुँच रही हैं | वैसे सत्तारुड दल के "”भक्तो "” की माने तो इन आतंकवादियो का परिणाम चीन के तीयनमान स्क़्यर अथवा मिश्र के फ्रीडम मैदान में फौज के टैंक से कुचलवा देना चाहिये |


जितने वादे अमित शाह ने किए हैं ----उनको पूरा करने के लिए वित्तीय श्रोत के बारे में सफाई दी | "”” बनिया हूँ पाई -पाई का हिसाब दूंगा "” यह कथन वैसा ही हैं जैसे नरेंद्र मोदी ने गोवा में पार्टी अधिवेशन के बाद कहा था "”” आप मुझे 90 दिन दो अगर मैं अपने वादे पूरे नहीं कर सका तो चौराहे पर खड़ा करके सज़ा देना ! “” आज उस बात को सालो गुजर गए पर प्रधान मंत्री चौराहे पर कभी दिखे ही नही दिखे !!!!!


जो बीजेपी मामा बनर्जी पर वंशवाद का आरोप लगाती है -----उसके मुखी किरदार शुभेन्दु अधिकारी स्वयं मंत्री रहे -पिता त्राणमूल से सांसद रहे --भाई नगरिया निकाय के अध्याकच्छ रहे और दूसरे भाई एक सरकारी प्राधिकरण के मुखिया हैं | उनके मुक़ाबले ममता बनर्जी अविवाहित हैं -अकेले रहती हैं , रिश्ते के नाम पर उनकी मदद के लिए भतीजा हैं | जिसको कोयले की कालाबाजारी की जांच दौरान चुनाव प्रचार सीबीआई ने की ! कर्नाटक में चुनाव और सरकार बनने के दौरान काँग्रेस के शिवकुमार के सानस्थानो और घरो पर एंफोर्सेमेंट ने छापा डाला | अभी हाल में तमिलनाडू में भी चुनाव प्रचार हो रहा हैं वनहा भी राजनीति में नए नए आए अभिनेता कमल हासन के चुनावी दफ्तर पर छा पा मारा एंफोर्समेंट ने !!

आजतक कभी भी बीजेपी या उसके साझीदारों {सरकार में } के दलो पर ऐसी कोइ कारवाई नहीं हुई | चुनवी बॉन्ड हो या कोई भी धन एकत्रीकरण का अभियान सत्तारुड दल ---हमेशा तीन चौथाई का हिस्से दर हैं | अब यह बंगाल के मतदाता का भाग्य हैं की उसे किसकी सरकार मिलती हैं ---ममता की या फिर किसी नए चेहरे वाले की ?

Mar 16, 2021

 

-दिल्ली सरकार को--जागीर बनाने के लिए तड़पती मोदी सरकार !!


पाँच सूबो में सरकार बनाने के लिए केंद्र में सत्तारूड़ दल , जनहा सरकार बनाने के लिए सभी उपाय कर रही हैं | वनही दिल्ली सरकार के हाथ बांध कर , उसे अपना गुलाम बनाने को तरस रही हैं | तभी तो दिल्ली की सीमा को घेरे किसान आन्दोलंकारियों की ओर से "”बेपरवाह "” मोदी सरकार , लोकसभा में केजरीवाल के सुधारो पर "”अंकुश "” लगाने के लिए एक बिल पेश किया हैं !! कारण यह हैं ,की विधान सभा के विगत दो चुनावो में मोदी जी और अमित शाह ने हर जा -बेजा उपाय अपनाए थे , पर नतीजा --सिफर ही रहा ! केंद्र में सत्तारूड नेत्रत्व ने "” हिन्दू -मुस्लिम "” का अपना आजमाया नुस्खा भी लगाया | धन की शक्ति का जो प्रदर्शन हुआ , वह जानने वालो को को आश्चर्यचकित कर देने वाला था | चाहे मोदी जी का रोड शो हो अथवा अमित शाह का घर - घर जा कर मतदाताओ से वोट मांगने का अभियान हो | सभी में जैसी सुविधाओ और समान का उपयोग किया , वैसा कोई पार्टी तभी कर सकती है -----जब उसके दान दाता बड़े उद्योग पति हो अथवा कोई गुप्त खजाना हो ,जिस पर माता लक्ष्मी की अप्रतिम कृपा हुई हो ! परंतु उसके बाद भी "”भाग्य "” ऐसे नेताओ के संगठन को विधान सभा में दहाई में बताई जाने वाली सीटे भी ना दे ! और ऐसा एक बार न हुआ हो ---वरन विरोधी ने अपनी सफलता को दुहराया !

जनहा बंगाल में अमित शाह मुख्य मंत्री ममता बैनर्जी के पर कतरने के लिए केंद्र की आपातकालीन शक्तियों तक का इस्तेमाल किया | पहले उनके मुख्य सचिव को बदला ,फिर कहते हैं "”केंदीय चुनाव आयोग "” ने अपने पर्यवेचको की "” सलाह "” पर पुलिस निदेशक को बदल दिया | एवं नए अफसर के आने के 24 घंटे में नंदी ग्राम में मुख्य मंत्री पर हमला हुआ ---या हादसा हुआ ! अब केंचुआ या चुनाव आयोग को "” खास हस्तियो "” के सुरक्षा के लिए बनी "”ब्ल्यू बूक "” के प्रविधान को भी नए डीजीपी ने भुला दिया ! बीजेपी और काँग्रेस द्वरा "घटना " को हमला बताए जाने पर , काफी खिल्ली उड़ाई गयी ! इसे बीजेपी ने नाटक तक बताया |

1--- परंतु किसी दल ने यह नहीं जानने की कोशिस की मुख्य मंत्री की सुरक्षा के लिए उनके दो चक्र के अफसर कान्हा थे ?

2--- जिला पुलिस को जो सुरक्षा प्रबंध करने थे वे क्यू नहीं किए गए ?

हालांकि ममता विरोधी दल इसे हमले और हादसे बताने में व्यस्त रहे |

काँग्रेस पार्टी को को तो इसे हमला या हादसा बताने की कोशिस नहीं करनी चाहिए ---परंतु उनके नेता अधीर रंजन मुकर्जी शायद

चुनाव प्रचार के दौरान श्रीमति इन्दिरा गांधी पर उड़ीसा में पुरी की सभा में पत्थर मार कर उनकी नाक को घायल किए जाने की घटना को भूल गए | तब भी विरोधी दलो ने इसे "” स्व प्रायोजित "” घटना बताया था | और राजीव गांधी की हत्या भी उचित सुरक्षा नहीं होने के कारण ही हुई ! इसलिए बीजेपी कहे तो कहे लेकिन काँग्रेस को ईटनी अमानवीयता नहीं दिखनी चाहिए |

रहा बीजेपी का सवाल तो उनके किसी बड़े नेता को आज तक हवा भी नहीं छु गयी | पटना में मोदी जी की चुनाव प्रचार सभा में 8 बम विस्फोट हुए , परंतु उनके सुरक्षा अधिकारी ने उन्हे खरोच भी नहीं आने दी | एन आई ए ने घटना की जांच कर कुछ लोगो को गिरफ्तार किया , परंतु 8 साल बाद भी मामला अदालत तक नहीं पहुंचा |


एक ओर अमित शाह बंगाल को "”सोनार बांग्ला "” बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं , वनही केजरीवाल ने दिल्ली की जनता पेय जल --बिजली --स्वास्थ्य और शिक्षा का जो अप्रतिम व्यवस्था की हैं , उसी के चलते कभी पाकिस्तान से आए लोगो में पनप रही मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत को संघ और बीजेपी ने भुनाया था | आज वही संगठन जो दुनिया का सबसे बड़ा संगठन और राजनीति पार्टी का दावा करती हैं -------पिछले दो चुनावो से मात खा रहा हैं | हिन्दू - मुस्लिम का प्रिय ब्रहमसास्त्र भी निसफल हो गया |

अब आते हैं की पाँच राज्यो में चुनाव के दौरान ऐसी कौन सी मजबूरी प्रधान मंत्री की आ गयी की --उन्हे दिल्ली सरकार पर लगाम लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा | वजह है दिल्ली सरकार का बजट --जिसमें केजरीवाल सरकार ने राष्ट्रवाद के लिए आगामी एक साल तक बड़े -बड़े राष्ट्रिय झंडे पुरी दिल्ली में लगाने का एलन किया हैं | मोदी सरकार ने बाघा बार्डर पर एक विशाल झण्डा लगाया हैं जो पाकिस्तान में भी दिखाई पड़ता हैं | इसे राष्ट्रवाद का प्रतीक बताया गया था | उसी तर्ज़ पर जब दिल्ली सरकार ने फैसला किया तब मोदी जी को लगा की राजनीति की शतरंज में केजरीवाल वही चाल चल रहे -जिससे उन्होने अपने विरोधियो को निरुत्तर किया था |

दूसरा कारण है केजरीवाल का वादा की वे दिल्ली के व्रद्ध जनो को राम मंदिर की यात्रा कराएंगे | अब इस अचूक अस्त्र के वीरुध --- मंदिर के नाम पर अरबों रुपये का चंदा एकत्र करने वाले सगठन कैसे विरोध कर सकता हैं ??? इसी लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया गया की दिल्ली सरकार बिना उप राज्यपाल की मंजूरी के कोई फैसला नहीं ले सकते ! मतलब दिल्ली की जनता की चुनी सरकार केंद्र का एक दफ्तर हो गया जनहा बिना सचिव की अनुमति के कोई फैसला नहीं लिया जा सकता !! इससे ज्यादा अधिकार तो पुलिस के सिपाही को सीआरपीसी देती है की अपराध होते देख कर खुद फैसला ले सकता है --ना की दारोगा जी के पास अनुमति लेने जाए !

वैसे यह विवाद सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने एक बार निश्चित किया हैं "””” जिसमें उप राज्यपाल "” के अधिकारो को सीमा को रेखांकित किया था | अब दुबारा उसी फैसले को पुनः परिभाषित करना होगा |

वैसे बीजेपी नेताओ की आशंका है की कनही अन्य राज्यो में विरोधी दलो इसी तर्ज़ पर चुनावी वादे किए तब हम क्या कह पाएंगे ??? यही वह फांस हैं जो चुनावी दौड़ में दिल्ली में घायल मोदी जी को तीस रही हैं | वे किसी भी प्रकार केजरीवाल के माडल को देश में फैलने नहीं देना चाहते हैं ----- क्यूंकी उनके "”सुशासन "” के वादे को देश की जनता नोटबंदी और लाक डाउन की त्रासदी में देख भी चुकी हैं और भुगत भी चुकी हैं | आखिर पानी -बिजली -स्वस्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाए ही तो असली चुनावी मुद्दा हैं !

Mar 15, 2021

 

नेता -नीति के अनुपालन पर सवाल लोकतन्त्र में जरूरी है -द्रोह नहीं



आजकल स्वीडन की बस निर्माता कंपनी स्कीनिया से ऑर्डर देने के एवज़ में "” उपक्रत"” होने के आरोप पर परिवहन मंत्री गडकरी जी पर आरोप लगे हैं |उन्होने भी इन रिपोर्टों पर "”मानहानि का नोटिस कंपनी को भेजा हैं | वास्तव में यह तथ्य स्कीनिया की वार्षिक रिपोर्ट में उसके सीईओ ने उजागर किया हैं | इस पर विपक्ष की आलोचना को देश का अपमान बताया जा रहा हैं ! उन लेखको को याद दिलाना होगा की बोफोर्स तोप मामले भी इसी देश से अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगा था | यानहा तक की समाचार पत्रो ने तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी के परिवार को इस कांड में सम्मिलित होने का आरोप लगाया था ! परिणाम लोकसभा चुनाव में काँग्रेस को बहुमत नहीं मिला ! बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सारे मामले की कानूनी जांच की और इन आरोपो को शरारत पूर्ण बताया और गांधी परिवार को "”क्लीन चिटदी "” तब क्या किसी विरोधी दल ने उन रिपोर्ट को "”देश को बदनाम करने वाला नहीं बतया था "” खासकर संघ और बीजेपी नेताओ ने | अगर तब देश का अपमान नहीं था तब किस पैमाने से आज यह राष्ट्र का अपमान हो गया ???

अभी मैं कुछ पुरानी किताबे देख रहा था – एक ब्रिटिश पत्रकार जिनहोने बाद में उपन्यास भी लिखे और वे सांसद भी बने | सत्तर के दशक मे "”कोल्ड वार"” पर आधारित उनके कई उपन्यास बेस्ट सेलर रहे हैं | उनही का उपन्यास है "”ओड़ेस्सा फाइल "” जो दूसरे विश्व युद्ध के यहूदी नर संहार के जिम्मेदार हिटलर के नाजी एसएस अफसरो की खोज में निकला हैं | लेखक पत्रकार की भूमिका में हैं , वह एक जर्मन हैं दोषियो को सज़ा दिलाने की खोज में उसे हिटलर के लोग --- समझाते हैं की तुम एक आर्यन हो जर्मन हो तुम अपने देश वासियो को क्यू सज़ा दिलाना चाहते हो ??

उसका जवाब होता है हम जर्मन अनुशासन प्रिय लोग हैं - एक शासक्त नेता {हिटलर } के कहे अनुसार हम चलते रहे | जब उसके फौजी दस्तो ने बेगुनाह यहूदियो को लारियो में भर भर कर यंत्रणा शिविरो में ले जाने लगे , तब उनके जर्मन मित्र - मालिक और मजदूर उस अन्याया को देखते रहे | इसलिए कितना भी शक्तवन नेता हो ---उसकी नीति और फैसलो पर न्याय और अन्याया की कसौटी पर परखा जाना चाहिए | ऐसा जर्मन नागरिकों ने नहीं किया , जिसका परिणाम हैं की दुनिया के देशो में गैर यहूदी भी हम पर थूकते हैं | हमारा सर लज्जा से आज दुनिया के सामने झुका हैं | हमारे पूर्वजो ने हमे विरासत में एक भ्रष्ट नेता के लज्जाजनक निर्णयो की नफरत साहनी पद रही हैं | यह बात हर उस लोकतान्त्रिक देश पर लागू होती हैं जनहा सरकार और राष्ट्र को एक समझ लिया जाता है अथवा समझा दिया जाता हैं | कुछ -कुछ ऐसा ही भारत में हो रहा हैं | जनहा पुलिस किसी के इशारे पर "”देशद्रोह "” का मुकदमा 21 साल की लड़की और 80 साल के व्रद्ध को इसी आरोप में बंद कर दिया जाता हैं | अदालतों के बार बार कहने पर भी सरकार से असहमति अथवा उसके फैसलो की आलोचना देशद्रोह नहीं हैं | परंतु फिर भी "”भक्त गण "” किसी भी व्यक्ति की सरकार के फैसलो की आलोचना को सोशल मीडिया पर देशद्रोही बताना शुरू कर देते हैं !

एक अमेरिकी संस्था जिसको वनहा की काँग्रेस {संसद|} द्वरा वितिय सहाता दी जाती हैं | ,और जो उनके सांसदो के लिए शोध का भी काम करती हैं | उसने भारत को "” एकतंत्र "” यानि भ्रष्ट लोकतन्त्र की श्रेणी में रखा हैं | अब स्वयंभू देशभक्तों को लगता हैं की प्राइम हाउस की की रिपोर्ट "” भारत एक आंशिक आज़ाद देश " की श्रेणी में हैं ! क्या यह तथ्य नहीं हैं की आज़ादी के बाद देशद्रोह के जितने मुकदमें 2014 से अब तक दायर हुए हैं , उतने 1947 से 2014 के मध्य भी नहीं हुए थे , क्या तब देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी ? क्या नोटबंदी से उन लछयों को प्रपट किया जा सका ---जिसका वर्णन प्रधान मंत्री मोदी ने राष्ट्र के सम्बोधन मेन किया था ? क्या काला धन बाहर आ गया ? हाँ विमुद्रीकरण से ग्रामीण छेत्रों में महिलाओ के बचत को भी इस फैसले बर्बाद कर दिया | कितने लोगो को लाइनों में लगना पड़ा ? कोई डाक्टर -वकील और व्यापारी को इन लाइनों में नहीं देखा गया ? तो क्या काला धन उस गरीब मजदूर की कमाई थी जिसे उसने बंकों में जमा नहीं किया ? एक अरब की आबादी वाले देश में लखपतियों -और करोडपतियों को तो मुद्रा सुलभ होती रही ----पर कान्हा से और कैसे ? क्या सरकार बताएगी ?

अब कोरोना के कारण की गयी देश व्यापी लाक डाउन में मरने वाले सैकड़ो भारतीयो की जान इतनी सस्ती थी की ----मोदी सरकार ने उनका लेखा -जोखा ही नहीं रखा ? अपने निर्णयो के परिणामो की संभावना सोचना – शायद मोदी जी और उनके सहयोगी अमित शाह जी की आदत नहीं ? क्यूंकी अगर परिणाम की चिंता होती तब --- राज्यो की सीमा पर भूखे -प्यासे लोगो की यंत्रणा दिखाई पड़ती , पर ऐसा नहीं हुआ |

देश के नागरिक को एकतंत्र की प्रजा बनाने के लिए न्यायपालिका , अगर सरकार मुखपेक्षी होगी तो नागरिक -नागरिक नहीं रह जाएगा | ब्रिटेन में प्रधान मंत्री बोरिस जानसन द्वरा हाउस ऑफ कामन का सत्रावसान करने के फैसले को व्नह के सुप्रीम कोर्ट ने उलट दिया और सदन का सत्र बुलाने का आदेश दिया | जबकि सत्रावसान के आदेश पर महारानी के भी दश्तख़त हो चुके थे ! अमेरिका में भी राष्ट्रपति ट्रम्प के अनेक सनक भरे फैसलो को फेडरल कोर्ट नें "”अमान्य"” कर दिया था ,उसमे मेकसिको सीमा पर बच्चो को उनके मटा -पिता से अलग किए जाने का ब निर्मम फैसला भी था |

मोदी जी संविधान में किए गए वादे की देश में "””लोक कल्याङ्कारी व्यवास्था करेंगे "” की पूरी तरह से अनदेखी कर रहे हैं | वे अपनी समझ को जनता के भूख -प्यास -और बेरोजगारी से दूर रख कर , बस येन केन प्रकारेंण परदेशो की सरकारो को अस्थिर करने और विरोधी डालो के विधायकों को खरीदने में व्यस्त रहते हैं | यानहा तक की कोरोना के लाक डाउन की घोसना तब की गयी जब मध्य प्रदेश की काँग्रेस की सरकार को गिरने की कवायद पूरी नहीं हो गयी | तत्कालीन विधान सभ अध्याकाश ने कोरोना के कारण सत्र को बाद में बुलाने को कहा था | परंतु स्वर्गीय राज्यपाल लाल जी टंडन ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया | बाद में बहुमत साबित करने के लिए इसी कोरोना का कारण बताया गया !!!

फ्रीडम हाउस ने नागरिक स्वतन्त्रता के हनन की जो बात काही हैं ------ उसका उदाहरण भीमा कोरे गाव्न मामले के आरोपी हैं | जिसमे एक मात्र सबूत राष्ट्रीय जांच एजेंसी एन आई के पास एक मात्र सबूत लैपटाप में पाये गए कुछ संदेश थे | जिनकी जांच अमेरिका की एक कंपनी ने बारीकी से की ------तब पाया गया की लप तोप को हेक करके उन संदेशो को डाला गया हैं | अर्थात आरोपियों की आलोचना से घबराकर सरकार ने इन 8 लोगो को क़ैद में डाल दिया | और आज तक केस को कोर्ट में पेश नहीं किया | इसी प्रकार जे एन यू के वाम्पंथी नेता डॉ कनहिया कुमार के तर्क पूर्ण भासनों से दुखी हो कर आरएसएस --विद्यरथी परिषद भारतीय जनता युवा मोर्चा और बीजेपी ने उन पर भी देशद्रोह का मुकदमा दर्ज़ कर दिया | पर मामले में कोर्ट में जाने लायक ,पुलिस के पास सबूत अभी तक नहीं मिले | पर दिल्ली दंगो के गैर भाजपाई लोगो जिम्मे हिन्दू बहुल है ----उनको छूआ भी नहीं और मुस्लिमो को जेल में डाल दिया | इतना तो तय हैं की जिस तरह से मोदी सरकार अभी तक चली है ----उसके आधार पर निश्चित रूप से कहा जा सकता हैं की फाइव ट्रीलियन अर्थ व्यसथा स्विस बंकों से काला धन लाकर बाटने जैसा "””जुमला ही साबित होगा "””



Mar 8, 2021

 

और एकबार फिर केंद्र ने अपराध जांच मे महाराष्ट्र में दखल दिया !


देश के धन कुबेर मुकेश अंबानी के निवास एंटलिया के समीप जिलेटिन की छड़े एक एसयूवी में मिलने की जांच --अब एन आई ए

करेगी ! शायद ग्राहमन्त्री और प्रधान मंत्री को महाराष्ट्र सरकार की जांच एजेंसियो पर भरोसा नहीं हैं | सबसे पहले इसी एजेंसी ने कोरेभीमा गाव मामले को अपने हाथ में ले लिया था | क्यूंकी मुख्य मंत्री उढ़ाव ठाकरे ने इस मामले की जांच जल्दी कराकर अदालत में दाखिल करने का वादा किया था | इसलिए इस मामले में जिन लोगो को बंदी बनाकर रखा गया हैं , उनके वीरुध आज तक अदालत में अभियोग पत्र दाखिल नहीं किया गया हैं | जबकि आरोपी साथ -सत्तर वर्ष की आयु के हैं | वे बीमार भी हैं |


दूसरा मामला बहुप्रचारित सुशांत की रहस्यमई मौत का था | हालांकि सीआर पीसी के अनुसार ऐसे मामले में स्थानीय पुलिस की जांच पर्याप्त और विधि सम्मत हैं | परंतु बिहार में विधान सभा चुनावो में जातिका मसला भुनाने के लिए ----सुप्रीम कोर्ट की एक जज की बेंच ने इसे सीबीआई के हवाले कर दिया | सुशांत के पिता की अर्ज़ी पर किया गया | उस समय भी सीबीआई का छेत्रधिकर नहीं होने की आपति जताई गयी थी | परंतु सुप्रीम कोर्ट के जज साहब ने उसे नहीं माना | उसके बाद सीबीआई ने विधान सभा चुनावो के बाद अपनी रिपोर्ट में --वही निष्कर्ष लिखा जो मुंबई पुलिस की प्रारम्भिक जांच में था | परंतु दिल्ली में बैठे लोगो को इतने पर संतोष नहीं हुआ , तब उन्होने नरकोटिक कंट्रोल बोर्ड को जांच थमा दी | जिनहोने अभी कुछ दिन पूर्व ही अदालत में 12000 पेज की चार्ज शीट सौंप दी ----जिसमें 22 आरोपी हैं और 200 गवाह हैं !! इस रिपोर्ट का लुबोलबाब यह हैं की मुंबई की फिल्मी दुनिया के लोग ड्रग सप्लायर से संबंध हैं | अब जिस एपोर्ट में इतने पेज हो तो कानूनन सभी आरोपियों को एन सीबी की इस भारी भरकम रिपोर्ट की कॉपी भी 22 लोगो को देनी होगी | मुकदमा कब शुरू होगा यह भी कहा नहीं जा सकता |

अब तीसरी बार फिर केंद्र ने इस केस में केंद्रीय जांच एजेंसी को डाल कर राज्य के शांति - व्यवस्था के मामले में दखलंदाज़ी की हैं | बाते जाता हैं की एजेंसी ने इसका आधार "” आतंकी गतिविधिया "” बताई हैं !! इस मामले में गाड़ी में जो पत्र मिला था – वह "” जैसे हिन्द "” द्वरा लिखा बतया था पुलिस ने | परंतु दो दिन बाद ही यानि की 27 फरवरी को जैसे हिन्द की ओर से इस दावे का खंडन उनकी वैबसाइट पर किया गया | खबरों की माने तो आतंकी संगठन ने कहा था की वे मोदी के दुश्मन हैं ---अंबानी के नहीं | पत्र में बहुत बचकानी भाषा लिखी हुई थी मुकेश अंबानी के लिए भाई और उनकी पत्नी नीता के लिए भाभी का सम्बोधन षड ही किसी आतंकी संगठन ने कभी इस्तेमाल किया हो | पर किन कारणो से "” इसे आतंक :”” से जुड़ा मामला बताया समझ में नहीं आता |

परंतु गाड़ी के मालिक हिरेन मन सुख की मौत जरूर पूरे मामले को गहरा बनती हैं | हिरेन की गाड़ी मिलने के बाद मुंबई पुलिस ने उसी दिन उन्हे खोज निकाला था | उन्होने बताया था की उनकी गाड़ी खराब हो गयी थी | जिसकी रिपोर्ट उन्होने पुलिस को दे दी थी | उनसे पुलिस ने पूछताछ की | 5मार्च को हिरेन की लाश समुद्र में पायी गयी | हालांकि उन्होने 2मार्च को मुख्य मंत्री -गृह मंत्री और पुलिस महानिदेशक को पत्र लिख कर कहा था की "” मुझसे पुलिस और मीडिया बार – बार एक ही तरह के सवाल कर रहा हैं | जिससे मैं मानसिक रूप से पीड़ित हो गया हूँ | कृपया मुझे

सुरक्षा प्रदान करे | लेकिन उन्हे सुरक्षा सुलभ नहीं कराई गयी |


अब एन आई ए के इस आगमन से जांच के अधिकार में विरोध होने की पूरी संभावना हैं | महाराष्ट्र के गृह मंत्री के अनुसार गाड़ी की चोरी और हिरेन की मौत की जांच महाराष्ट्र एंटी टेररिस्ट स्क्वाड ही करेगी | सिर्फ गाड़ी में जिलेटिन छड़ो की बारामदगी केन्द्रीय जांच एजेंसी द्वरा की जाएगी | इस मामले में एक तथ्य खटक रहा हैं की आम तौर पर आतंकवादी जिलेटिन छड़ो को इस प्रकार नहीं छोडते हैं | दिल्ली में इज़राइल दूतावास के सामने हुए विस्फोट हुए थे | और उस घटना की ज़िम्मेदारी जैसे हिन्द ने ली थी ,ऐसा समाचार पात्रो में आया था | जितनी जिलेटिन छड़े मिली थी अगर उनमें दूर से विस्फोट कराया जाता तो एक मील तक के इलाके में तबाही आ जाती , मुकेश अंबानी का निवास भी छतिग्रस्त हो सकता हैं |


अब देखना होगा की एन आई ए इस मामले को कैसे हैंडल करती हैं | क्यूंकी जिसकी गाड़ी में विस्फोटक मिले थे उसकी तो मौत हो गयी हैं |

Mar 5, 2021

 

बंगाल के लिए चेहरा फिल्मों से लाना पड़ा -संघ और बीजेपी को !


हाल -फिलहाल मिल रही खबरों के अनुसार बीजेपी नेत्रत्व की बंगाल में ममता बनर्जी के मुक़ाबले चेहरे की खोज फिल्मी दुनिया के कल के हीरो मिथुन चक्रवर्ती में पूरी हो गयी हैं | कहा जाता हैं की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की 7 मार्च को होने वाली सभा में उनका परिचय भावी मुख्य मंत्री के रूप में कराया जाएगा | वैसे बंगाल में फिल्मी लोगो को राजनीतिक रूप से वैसी शोहरत और सफलता नहीं रही हैं , जैसी की तमिलनाडू - आंध्र और केरल में |

वैसे लेखक ने इनहि पंक्तियो में यह संभावना जताई थी , जब आरएसएस के सर संघ चालक डॉ मोहन भागवत ने मिथुन के दरवाजे को खटखटाया था विगत 22 फरवरी को | तभी लगा था की संघ का मुख्य नेता एक अभिनेता के घर जा कर किस हेतु मुलाक़ात कर रहा हैं ? तब मिथुन ने खबरिया चैनलो से कहा था की -”” हमारे संबंध आध्यात्मिक हैं "” !! अब स्पष्ट हुआ की अध्यातम का अर्थ चुनावी राजनीति हैं | कम से कम मिथुन के लिए | पर क्या वे बीजेपी की नैया को पार लगा सक्ने में समर्थ होंगे ? यह सवाल इसलिए मौंजू हैं --- क्यूंकी अभी तक जीतने भी चुनावी सर्वे हुए हैं --उनके अनुसार बीजेपी सरकार बनाने लायक सीटो पर विजय नहीं पा सकेगी ----हाँ अगर चुनाव जनमत की जगह ईवी एम की कृपा से हुए तो परिणाम के बारे में कुछ भी कहना व्यर्थ ही हैं | परंतु दिल्ली विधान सभा चुनावो में जैसी मारकाट प्रचार हुआ था -उसके बाद भी बीजेपी को बुरी तरह से पराजय झेलनी पड़ी थी | अभी दिल्ली म्यूनिसपाल चुनावो में जिस तरह बीजेपी का सुपड़ा साफ हुआ वह एक आशा तो देता हैं की बीजेपी की तकनीकी तरकीब शायद नहीं कामयाब होगी !

इस घटनाक्रम से एक बात साफ हो गयी है की बीजेपी और संघ अपने लक्ष्य के लिए किसी भी "”मर्यादा "” और परिपाटी को तोड़ने में गुरेज नहीं करते | खैर फिल्मी दुनिया के लोगो का राजनीति में भाग लेना -कोई नयी बात नहीं हैं , पहले अभिनेताओ को राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वरा मनोनीत किया जाता रहा हैं | क्यूंकी वे "”वे एक कला की विधा के "” से आते थे | परंतु तमिलनाडू में एमजीआर के उद्भव और आंध्र में रामाराव की सफलता के बाद फिल्मी दुनिया के लोगो की भी महत्व्कांचाये जागने लगी | मुंबई से काँग्रेस ने सुनील दत्त को लोक सभा से सांसद बनाया | उसके बाद हेमा मालिनी और धर्मेंद्र और उनके पुत्र भी लोकसभा सदस्य बने | समाजवादी पार्टी से जया बच्चन राज्यसभा की निर्वाचित सदस्य हैं | त्राणमूल काँग्रेस ने भी एक अभिनेत्री को लोकसभा में भेजा हैं | परंतु विगत सत्तर सालो में कोई अभिनेता केंद्र में तो नहीं मंत्री बना हैं , सिवाय बीजेपी की स्म्रती ईरानी के ,भले वे टीवी की दुनिया के छोटे पर्दे की ही कलाकार रही हो पर वे मोदी सरकार में मंत्री हैं वैसे तमिलनाडू की ही भांति महाराष्ट्र में भी शिव सेना से सहानुभूति रखने वाले अनेक मराठी रंगमंच और चलचित्र के लोग हैं |

एक सवाल मिथुन चक्रवर्ती के इतिहास से :- मिथुन चक्रवर्ती के निजी ज़िंदगी को जानने वालो को मालूम हैं की वे युवा काल में सक्रिय नक्सलवादी रह चुके हैं | बाद में उन्हे माफी मिली और वे फिल्मों की ओर मूड गए | जनहा उनको अपने डांस की बदौलत शोहरत मिली | एक समय वे फिल्मी डांस के सबसे सफल कलाकार बन गए | परंतु जैसा की होता हैं फिल्मी दुनिया में चमक -धमक कुछ ही वर्षो तक रही | फिर उनकी जगह गोविंदा ने ले ली | उन्हे फिल्मे मिलने लगी और मिथुन दादा हो गए , यानि की “” बड़े हो गए “” मतलब उम्र हीरो लायक नहीं रही |

उन्होने उट्टी में एक होटल खोल लिया जो उनका मुख्य कारोबार बन गया | क्यूंकी काफी फिल्मे वही शूट की जाती हैं | इसलिए वे व्यस्त रहने लगे | अभी हाल तक वे चैनलो में होने वाले कार्यकरमों में "”अतिथि" के रूप आते रहे हैं |


पर क्या बीजेपी और त्राणमूल से दलबदल कर आए विधायक और नेता इनको स्वीकार करेंगे --अथवा आरएसएस और बीजेपी संगठन के लोगो का ही हुकुम चलेगा ? अभी तक जिन राज्यो में बीजेपी ने तोड़ -फोड़ कर सरकार बनाई हैं ----वनहा हुकुम ही अनुशासन हैं ! विचार -विमर्श नहीं होता | परंतु बंगाल की राजनीति में सभी पार्टियो में बहस -मुबाहिसा होता रहा हैं |


बीजेपी और आरएसएस के लिए बंगाल की राजनीति उत्तर भारत की राजनीति से अलग ही होगी , ऐसा अनुमान हैं | क्योंकि वनहा राम के बदले काली और दुर्गा हैं – , वैष्णव के मुक़ाबले शाक्त हैं | अब देखते हैं क्या चुनाव परिणाम होता हैं |