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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Oct 28, 2018


शीर्षक …
नारा मंदिर का – और बन गयी मूर्ति ? वह भी राम की नहीं वरन
नेताओ की ?
बॉक्स
तीस वर्ष से अयोध्या मे राम मंदिर बनने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ -से उत्पन्न विश्व हिन्दू परिषद – बजरंग दल - तथा विभिन्न स्थानो मे हिन्दू { शब्द जो राष्ट्रियता अथवा धर्म नहीं वरन इलाकाई पहचान बताता है --पर जिसे आरएसएस भारत का पर्यायवाची बताते हुए वेदिक धर्म का स्थानापन्न मानता है ! ]} से जुड़े अनेक संगठनो ने देश की धर्मभीरु जनता मे यह पाखंड फैलाने मे सीमित सफलता पायी | धार्मिक कट्टरता और अंधविश्वास का प्रसार करके आकटोपास रूपी इन संगठनो ने --जनहा राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के ध्वंश के बाद ---जिन मुख्य मंत्री {वर्तमान मे राजस्थान के राज्यपाल -श्री कल्याण सिंह } को सर्वोच्च न्यायालय मे अपनी असफलता और वचन भंगी के दोष मे सज़ा स्वरूप देश से माफी मांगनी पड़ी हो , एवं तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी की प्र्देशों की सरकारो छदम रूप से बयान दिये थे की उनकी पार्टी का राष्ट्रीय स्वायसेवक संघ से कोई संबंध नहीं है !! वे वर्तमान हालत से इन संगठनो के पाखंड और आडंबर से भरे असत्य को समझ जाएँगे | पाँच राज्यो के विधान सभा चुनावो मे भारतीय जनता पार्टी तथा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के घटाटोप मिथ्या प्रचार ---एवं इन स्थानो की जमीनी हक़ीक़त को देखते हुए---- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने "”” अपने तथाकथित सामाजिक और अराजनीतिक कार्यकर्ताओ को मतदाताओ के घर - घर जाकर भारतीय जनता का प्रचार करने का निर्देश दिया है |

इससे संघ का यह पाखंड उजागर हो जाता है वह एक "”सामाजिक संगठन है "” , भारत के प्रथम उप प्रधान मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल को गुरु गोल्व्ल्कर जी ने लिख कर दिया था की उनका संगठन राजनीतिक गतिविधियो से दूर रहेगा !
बॉक्स समाप्त
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------अयोध्या मे बाबरी मस्जिद ---राम मंदिर का विवाद भी एक कट्टर हिंदुवादी जिलधिकारी श्री केकेके नायर के कारनामो का फल था | जिस अकर्मण्यता के लिए उन्हे 1952 मे त्यागपत्र देने के लिए श्री गोविंद बल्लभ पंत की सरकार ने मजबूर किया था !! गौर तलब है श्री नैयर और उनकी पत्नी शकुंतला नैयर को भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़वाया -और दोनों पति - पत्नी सांसद बने |

मंदिर मस्जिद विवाद उसके बाद अदालत मे चलता रहा ---परंतु संघ और उसके समर्थक गेरुआ वस्त्र धारी साधुओ की जमात परिषद के तत्कालीन नेता अशोक सिंघल के उसकने पर धरना -प्रदर्शन करती रही | परंतु जन मानस की धरम भीरुता का मौन समर्थन तो था परंतु राजनीतिक समर्थन चुनावो मे नहीं मिल पा रहा था | इसी मध्य अपनी अफवाह फैलाने की ताकत और उसके प्रभाव को जाचने के लिए ---- अचानक एक दिन मंदिर और घरो मे विराजमान विघ्नहरता गणेश जी की मूर्तियो के दूध पीने की खबरे आने लगी | उत्तर भारत मे इलाको मे यह खबर आग की तरह फैली ? इसमे चैनलो का भी योगदान रहा | इस चमत्कार को वेदिक धर्मी जन जनहा चकित थे वनही ---इस खबर को फैलाने वाले तंत्र को अपनी तरकीब की सफलता का अंदाज़ा हो गया था | इस खबर के समर्थन मे कुछ संघ समर्थक साधु कुछ अधिक उत्साह से फैला रहे थे | केवल एक काहीनल "’आजतक के तत्कालीन संपादक एसपी सिंह ने अपनी शाम की बुलेटिन मे इस चमत्कार का वैज्ञानिक कारण बाते |उन्होने इसे किसी भी प्रकार के दैवी चमत्कार होने की सार्वजनिक घोसना भी की !!!

संघ के 52 आनुषंगिक संगठनो ने धर्म के आधार पर देश को विभाजित करने के लिए आंदोलन और धरना -प्रदर्शन करते रहे |
1990 मे घोषित रूप से विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल आगे थे मस्जिद का ध्वंश करने मे परंतु पीछे की कुमुक मे भारतीय जनता पार्टी - और एक स्वयंसेवक जो अनेक संगठनो मे रहता है ---चाहे वह सरस्वती विद्य मंदिर हो अथवा किसान या मजदूर संघ हो |
1990 मे जब मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन करी हिनशा पर उतार आए तब मुलायम सिंह की सरकार ने उस अनियंत्रित भीड़ को तितर -बितर करने के लिए पुलिस ने गोली चलायी | कलकत्ता के चार युवक उसमे मारे गए |
अब मारे गए युवको को शहीद का दर्जा देने और उन्हे "”” संघ के आयोजित धर्म युद्ध मे "”वीरगति "को स्मरणीय बनाने के लिए अस्थियो की कलश यात्रा निकाली गयी | भोपाल मे सैकड़ो छोटे -छोटे मिट्टी के पात्रो मे राख़ लायी गयी " इस आयोजन के मुख्य प्रणेता उत्तर प्रदेश के पूर्व महानिदेशक {अभी सूचना }यानि इंटेलिजेंस श्री शीरिश चंद्र दिछित थे | उन्होने ई पत्रकार वार्ता मे "”दावा किया की यह आस्थिया गोली चलन मे मारे गए लोगो की है , जिनको नदियो मे तर्पण किया जाना है | जब उनसे बार - बार पूछा गया की म्र्तकों के नाम और पता बताए -तो वे कोई उत्तर नहीं दे सके | जब मैंने उनसे पूछा की मान्यवर वेदिक कर्मकांड के अनुसार बिना नाम और गोत्र के किसी का भी तर्पण संभव ही नहीं है ? तब उन्होने प्रैस कोन्फ्रेंस ही खतम कर दी | यह घटना स्वर्गीय प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियो को जिस प्रकार संघ और बीजेपी जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए पीतल के लोटे मे उसे देश के विभिन्न भागो मे घूमा रही थी | यह क्रम उनके अवसान का दस गात्र हो जाने और तेरहवि का ब्रहम भोज हो जाने के बाद भी चलता रहा !!!! जबकि नियमतः दस दिन के अंदर ही अस्थीय विसर्जित हो जानी चाहिये !!!!! यह इन राष्ट्र वादियो का हिन्दू प्रेम और वेदिक परम्पराओ का राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास | सहज ही समझा जा सकता है की इंका धर्म प्रेम मात्र इनके कुत्सित उद्देश्यों की प्राप्ति तक ही है | --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------भाग -----दो



नारा तो था अयोध्या मे राम मंदिर बनाने का, जिसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के आनुषंगिक संगठन विगत 25 वर्षो से दुहराते {{खासकर चुनावो के समय }} आ रहे है | वादा था की अगर केंद्र मे हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार आएगी तो राम मंदिर ज़रूर बनेगा ! 2014 से नरेंद्र मोदी की बहुमत वाली सरकार केंद्र मे आसीन है | परंतु सिवाय अदालत मे ---लिब्रहान आयोग के , मस्जिद गिरने के आरोपियों की अपने नेताओ के बचाव के कुछ भी नहीं हुआ ! अभी भी जिस मुकदमे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ओर आंखे लगी है ---वह मात्र "””स्वामित्व का भूमि के "”” के प्रश्न को सीध करने के लिए है | मंदिर बनाने की अनुमति देने के लिए नहीं |

केंद्र मे सरकार मे आने के बाद नरेंद्र मोदी की सरकार ने जिन दो महत्वपूर्ण निर्माणों की घोसणा की वे मर्यादा पुरुषोतम श्री राम की मूर्ति के निर्माण की नहीं थी | वरन गुजरात मे 5000 करोड़ की लागत से सरदार बल्लभ भाई पटेल की बड़ोदरा के निकट बन रही है | जिसका अनावरण 30 अक्तूबर 2018 को प्रधान मंत्री द्वरा की जाएगी !! दूसरी मूर्ति मुंबई मे शिवाजी महराज की निर्मित हो रही है ----जिसकी सरकारी लागत 4000 करोड़ है !! यह स्पष्ट करता है की मंदिर का बस नारा है -बनाना मूर्ति है |
विश्व मे सबसे भव्य मंदिर स्वामी नारायण संस्थान द्वारा अमेरिका के न्यू जर्सी मे 108 एकड मे 108 करोड़ की लागत से बना है | जिसे संचार माध्यमों मे सबसे सुंदर और भव्य मंदिर कहा गया है | राजकीय संसाधनो से निर्मित होने वाला दूसरा टेंपल सिटी हैदराबाद से 70 किलो मीटर दूर याददृगुट्टा मे लक्ष्मी - नरसिंघ स्वामी का बनाया जा रहा है | 2000 एकड़ मे तिरुपति के समान बनाए जा रहे इस नगर की लागत मात्र 1200 करोड़ रुपये है |

मंदिर निर्माण को अगर चुनावी मुद्दा बना कर एक समुदाय को नीचा दिखाने की कोशिस नहीं है तो इन भव्य मंदिरो की भांति क्यो नहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा उनसे जुड़े हिंदुवादी लोग क्यो नहीं राम की की एक भव्य मूर्ति बनकर विश्व मे मर्यादा को स्थान दिलाते है ? पर नहीं वे ऐसा नहीं करेंगे | क्योंकि वे अयोध्या को दो समुदायो मे नफरत का मुद्दा बनाए रखना चाहते है | जैसे जेरूसलम मे तीन धर्मो , यहूदी , ईसाई और इस्लाम के बंदो मे लगातार हिंसक वरदते हो रही है |