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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Oct 31, 2022

 

सरदार पटेल – इन्दिरा गांधी और 31 अक्तूबर का महत्व   

 

                     इस दिवस का देश के इतिहास और उसके वर्तमान नक्शे में महत्वपूर्ण योगदान है | इस दिन “सरदार “ वल्लभ भाई पटेल का जन्म दिन है ----तो वनही यह देश की पहली महिला प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी की शहादत का दिन है | 

पटेल को सरदार की उपाधि  राष्ट्र पिता  महात्मा गांधी ने दी थी |

दोनों ही राष्ट्र के गौरव हैं | पटेल ने देश को एक सूत्र में बांधने की कोशिस की -वनही इन्दिरा गांधी ने देश विभाजक ताकतों से टक्कर लेकर खालिस्तानी आतंकवादियो  का मुंहतोड़ जवाब दिया | सिखो के एक वर्ग द्वारा  पाकिस्तान की तर्ज़ पर “खालिस्तान “  निर्माण की मांग करने वाले  भिंडरनवाले ,जो अमरतसर के स्वर्ण मंदिर में  छुपा बैठा था ---उसको समाप्त कर आतंकवाद को खतम किया | परंतु सिख अंगरक्षकों  द्वरा उनकी इसी दिन हत्या कर दी गयी थी | उन्होने प्राण देकर भी देश की अखंडता की रक्षा की , नमन है –इन दोनों विभूतियों को !

 

                                                                                                   देश के आज़ाद होने के बाद देश की 225 देशी रियासतो

 

 और -रजवाड़ो  को भारतीय संघ में  लाकर एक राष्ट्र का स्वरूप देने की कोशिस  ,वैसे तो  नेहरू मंत्रिमंडल का और काँग्रेस पार्टी का फैसला था | परंतु  उप प्रधान मंत्री और गृह मंत्रालय का प्रभारी होने के कारण सरदार बल्लभ भाई पटेल के नेत्रत्व में इस काम को अंजाम दिया गया | वैसे मणिपुर और त्रिपुरा  जैसी रियासते  आजादी के बाद संघ में विलय हुआ | परंतु इन रियासतो  के विलय के बाद  ,  पहले  मैसूर , जयपुर , ग्वालियर , इंदौर , ट्रावंकोर कोचीन  जैसी बड़ी रियासतों  को संघ में विलय के लिए  शुरुआती समय में इन रियासतों के महाराजाओ  को राज प्रमुख का दर्जा दिया गया , जो की गवर्नर  के

समकछ था | वर्तमान राजस्थान  में जयपुर और उदयपुर की रियासतों में इस पद को साझा किया गया , अर्थात छह माह के लिए एक और उसके बाद दूसरे को यह पद दिया गया | कारण था इन रियासतो  के आपसी संबंधो  में सहजता का अभाव होना |

                                              खैर  ब्रिटिश इंडिया और देसी रियासतो  से बने इस भू भाग  को एकजुट करने में पटेल का महत्वपूर्ण योग दान रहा | इस विलय के लिए उन्हे  तरह -तरह के उपाय अपनाने पड़े | तत्कालीन केंद्रीय सचिव  मेनन के संस्मरणों में इनका  वर्णन किया हैं |

 2-आजादी के बाद :-

                    वर्तमान  राष्ट्र  का स्वरूप  राज्य पुनर्गठन  आयोग के बाद हुआ | तब सरदार पटेल राजनीतिक परिद्र्श्य  से जा चुके थे | यह सब पंडित  नेहरू के समय में हुआ | बंबई  का विभाजन  और  मध्य प्रदेश  का उदय  भी इसी समय हुआ |  पुर्तगाली छेत्रों गोवा -दमन -दियू का विलय  भी नेहरू काल में हुआ | फ्रेंच कालोनी -पांडिचेरी और माहे  भी वर्तमान भारत के अंग बने और  आज के भारत का नक्शा   उसी समय उदय हुआ |

3:-  इन्दिरा गांधी काल  

                                  इन्दिरा गांधी ने भी इस देश की सीमाओ को  फैलाये  जिनकी आतंकवाद के वीरुध  लड़ाई के कारण हत्या हुई , वह राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद ऐसी घटना थी जिसने देश को आक्रोश में भर दिया | कुछ हिंसा भी हुई | अगर महात्मा की हत्या के लिए मराठी ब्रांहनों को जनता का कोप भुगतना पड़ा , तो  देश की प्रथम महिला प्रधान मंत्री की हत्या का “जन आक्रोश “” देश के विभिन्न भागो में सिख धर्मावलंबियो  पर बिता | यह बहुत ही दुखद समय था |

                          इन्दिरा गांधी ने भी देश के नक्शे में  सिक्किम राज्य का विलय किया | जो आजादी के समय भूटान के समान एक स्वतंत्र रियासत  थी |  उनका दूसरा महत्वपूर्ण योगदान बांगला देश का निर्माण कराना था | आजादी के बाद बंगाल के मुस्लिम बाहुलय वाले छेत्र को  पूर्वी पाकिस्तान  के नाम से उदय हुआ | जो इस्लामाबाद की सरकार के एक प्रांत की हैसियत रखता था | परंतु पंजाबी और पठान मुसलमानो द्वरा  बंगाल के मुसलमानो का शोसन किया जाता था |  उनकी भाषा और सान्स्क्रतिक विरासत  को यानहा तक उनकी “नस्ल “ को खतम करने की भी कोशिस की जा रही थी |  ऐसे में वनहा की अवामी लीग  पार्टी के शेख मुजीबुर रहमान ने आज़ादी की आवाज़ उठाई | पाकिस्तान के फौजी शासको ने उनको सपरिवार जेल में डाल दिया | तब मुक्तिवाहिनी  के लड़ाको ने  पाकिस्तान के फौजी शासको  और फौज के खिलाफ हथियार  उठाए | पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल याहिया खान ने भारत पर  बंगला देश के मुक्तिवाहिनी को मदद देने का आरोप लगाया |  उसकी कोशिस में तत्कालीन राष्ट्रपति निकसन  ने दौरे पर गयी प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी को  को धम्की दी – पाकिस्तान पर हमला  होने की दशा में अमेरिका चुप नहीं बैठेगा|  इन्दिरा गांधी जी का अमेरिकी राष्ट्रपति को दिया गया करारा जवाब  तत्कालीन सुरक्षा सलहकार  किसिंगर ने लिखा हैं |  इन्दिरा गांधी ने व्हाइट हौसे की संयुक्त पत्रकार वार्ता को रद्द कर दिया |  उन्होने कहा था की हम भले ही विकासशील  राष्ट्र हो , परंतु हम अपने देश के लोगो की ताकत को समझते हैं | 

                      जनरल माणिक शॉ  के नेत्रत्व  में हुए युद्ध में   13 दिन में ही सारी पाकिस्तानी सेना  के 90 हज़ार  सैनिको मे माय हथियारो के आत्म समर्पण  कर दिया था |

         आज के कुछ “”अति “” बुद्धिमान  विचारक और कालम लेखको के अनुसार  इन्दिरा जी  को आतम समर्पण नहीं स्वीकार करना चाहिए था !  तो फिर क्या विकल्प था ? क्या उन सभी को इसलिए मार दिया जाता की वे मुसलमान थे ? क्या यह हिटलर के यहूदी निर्मूलन जैसा  अत्याचार  नहीं होता ? वे भूल जाते हैं की  90000 लोगो के शव  बंगला देश को तो महामारी  से नाश कर देते वरन हमारे देश के बंगाल – आसाम  आदि भी भयानक महामारी  से त्रस्त होते | शिमला समझौते  के समय ऐसा “”दावा “ किया जाता हैं की  ज़ुल्फिकरअली भुट्टो ने यह कह कर वार्ता को तोड़ने की धम्की दी थी – यदि जीते हुए इलाके नहीं दिये गए तो –भारत युद्ध बंदी अपने पास रखे !   इन विचारवान  लोगो से  पूछना चाहूँगा की युद्धबंदियों  को – वापस नहीं लाने की दशा  में  क्या वे अपने देश में सकुशल  रह सकते थे ?  हालांकि बाद में उनका अंत फौजी जनरल के कारण ही हुआ |

अंत में  आज के दिन 31 अक्तूबर को , सिर्फ सरदार पटेल को याद करने की मोदी सरकार की पहल अच्छी है ---परंतु इन्दिरा गांधी की आतंकवाद से लड़ाई में हुई शहादत  की अनदेखी करना ना केवल  उस व्यक्तित्व का अपमान है जिसे मोदी जी के नेता और पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपायी ने “लोकसभा में  बंगला देश की विजय के बाद  दुर्गा कहा था “