Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 11, 2020

 

एक पत्थर भाजपा की गाड़ी पर – छुई मुई सी दहली -शाह का बंगाल दौरा !

बंगाल के विधान सभा चुनावो के पूर्व माहौल को गरमाने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय आद्यक्ष जेपी नड़ड़ा और कैलाश विजयवर्गीय के मशहूर इलाके डायमंड हार्बर में "” समर्थको और विरोधियो "” की नारे बाज़ी के दौरान एक पत्थर से गाड़ी के "”काँच " टूटने की घटना ने , केंद्रीय ग्राहमन्त्री अमित शाह को बंगाल का दौरा करने पर विवश कर दिया हैं ! इतना ही नहीं इस घटना के बाद राज्यपाल धनखड़ ने तो बंगाल की सरकार के अस्तित्व को ही शर्म नाक बता दिया | इतना ही नहीं उन्होने मुख्य मंत्री ममता बनर्जी को "”चेतावनी दी की वे आग से ना खेले "” ! भाजपा शासित राज्यो के मुख्य मंत्री और नेताओ ने तो तो इस घटना को लेकर --- बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग भी कर डाली !

अब जरा दिल्ली की केंद्र शासित पुलिस की मौजूदगी में दिल्ली सरकार के उप मुख्य मंत्री सिसौदिया के घर में बीजेपी कार्यकर्ताओ द्वरा घुस कर तोड़ - फोड़ किए जाने की घटना पर , अमित शाह जी की चुप्पी इस संदेह को जनम देती हैं की -----बीजेपी का मूल मंत्र हैं की हम चाहे जो करे वह सही हैं --- तुम वही करो तो पाप ! केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस की इस नालायकी के लिए ना तो लेफ्टिनेंट गवर्नर से पूछ -परख की , आखिर क्यू यह भेदभाव ? यह सौतेला व्यवहार हाए गैर भाजपाई सरकार के साथ हैं |

एक तथ्य है की जबसे मोदी सरकार सत्तासीन हुई हैं , तब से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी तथा बजरंग दल ऐसे कट्टर वादी संगठनो के मेम्बरान राजनीति के नंबुदरी ब्रामहन बन गए हैं | जो आम मानवो से ऊपर और देवताओ से नीचे का स्थान रखते हैं ! इसलिए वे पूज्य हैं ! इसीलिए जब इन भगवा देवताओ की मनमानी पर "”प्रतिरोध "” करता हैं , तब दिल्ली का इंद्रासन डोलने लगता हैं | केरल में संघ के एक कार्यकर्ता की आपसी रंजिश में हुई मौत पर राज्यपाल और दिल्ली सरकार ने विजयन सरकार से जवाब तलब किया | अब कलकत्ता में पार्टी के जुलूस के लोगो और विरोधियो में गुथमगुथा होने पर "” कनही से एक पत्थर ने विजयवर्गीय जी की कार के शीशे तोड़ दिया !

सवाल है की प्रदेश के राज्यपाल का सार्वजनिक रूप से अपनी सरकार की आलोचना --- मोदी काल की संवैधानिक परंपरा ही कनही जाएगी ! असहमति में भी संवाद की सलाह देने वाले मोदी जी को क्या एक पत्थर से टूटे काँच को "” लोकतन्त्र में प्रदेश की समग्र सरकार की असफलता बताना चाहिए ?

हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी को इन्दिरा गांधी से सीख लेनी चाहिए , हालांकि वे तो उन्हे आपातकाल लगा कर प्रजातन्त्र को समाप्त करने का ही टकसाली आरोप लगाएंगे | पर वे इस बात का जवाब नहीं दे पाएंगे की क्या उन्होने संविधान प्रदत्त अधिकारो का उल्ल्ङ्घन किया था ? ये पाकिस्तान और चीन "” आँख से आँख मिला कर भी बात नहीं कर सकते "!

उनही इन्दिरा गांधी की भुवनेश्वर की चुनाव सभा में 9 फरवरी 1967 को किसी ने उनको पत्थर मारा जिससे उनकी नाक पर घाव हो गया | उस समय उड़ीसा में स्वतंत्र पार्टी की सरकार थी , जिसके मुख्य मंत्री राजेंद्र नारायण सिंघदेव थे | पर इन्दिरा गांधी ने इस हमले के लिए प्रदेश सरकार को दोष नहीं दिया ! ना ही उड़ीसा में राष्ट्रपति शासन लगाने की धम्की सत्तारूद दल द्वरा की गयी ! यानहा नड़ड़ा जी तो बुलेटप्रूफ कार में सवार थे , और बीजेपी महामंत्री विजयवर्गीय जी की कार का शीशा ही टूटा ! तब क्यू इतना हँगामा बरपा हैं ?

कहते हैं जो सामने दिखता हैं -वह हमेशा सत्य या वास्तविकता नहीं हुआ करती | वैसे ही बार - बार बीजेपी नेताओ या मंत्रियो का बंगाल दौरा और उनके काफिले पर हर बार होने वाला पथराव कुछ और ही कहानी कहता हैं ! ऐसी ही कोशिस दिल्ली विधान सभा चुनावो के समय हिन्दू - मुसलमान को लेकर बीजेपी नेताओ ने लिखी थी | शाहीन बाग का धरना चल रहा था , और केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर सार्वजनिक रूप से नारा लगवा रहे थे – देश के गद्दारो को -गोली मारो सालो को ! दिल्ली के बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने तो दिल्ली वासियो को देश के मुसलमानो को - अफगानी तालिबान बताते हुए चेतावनी दी थी अगर बीजेपी चुनाव में पराजित हुई ---तो दिल्ली के हिन्दुओ की बहन -बेटियाँ का बलात्कार होगा ! इन बयानो की केंद्रीय चुनाव आयोग से शिकायत हुई , पर सत्ता के इन भगवा नंबुदरी ब्रांहनों को बस चेतावनी देकर हाथ झाड लिए !!!


अब गृह मंत्री अमित शाह के मंत्रालय ने बंगाल सरकार से "पथराव की घटना की रिपोर्ट मांगी हैं " उधर राज्यपाल धनखड़ ने भी अपनी हर 15 दिन वाली खुफिया रिपोर्ट भी इस बारे में भेजी हैं ! शायद मामले "””को गंभीर"” मानते हुए अमित शाह खुद बंगाल जा कर हालत का जायजा लेंगे ! क्या इसे केन्द्रीय सरकार की चिंता समझा जाये अथवा बंगाल विधान सभा चुनावो की तैयारी ??



मोदी सरकार की इस चिंता को देख कर उनके इरादो का पाखंड समझ में आ जाता हैं ,, की दिल्ली के चारो ओर जब लाखो किसान आंदोलनकारी बैठे हो और सरकार से 6 दौर की वार्ता असफल हो गयी | तब अमित शाह दिल्ली की चिंता छोड़ कलकत्ता भाग रहे हैं | इससे उनकी प्राथमिकता समझ में आती हैं | केंदीय सरकार को देश में विधि - व्यवस्था की चिंता से ज्यादा चुनावी समीकरणों की हैं |इसीलिए मैंने लिखा हैं की मोदी सरकार एक पत्थर से दहली !!!