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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 12, 2017

व्हाट्स अप्प पर आने वाले कुछ सवाल और उनमे कुछ तो स्वयं ही प्रश्न और उत्तर दोनों ही हल करके "” मनचाहा निष्कर्ष भी निकाल देते है _--वस्तुतः या तो हमारी राजनीति तथ्य और तर्क विहीन हो रही है अन्यथा चैनलो पर बहस की जगह चिलल पो नहीं होती |कुछ ऐसे ही उदाहरणो पर एक नज़र


अभी हाल ही मे एक सज्जन की पोस्ट पढी जिसमे उन्होने स्वतन्त्रता संग्राम मे काँग्रेस के योगदान और गांधी परिवार की लूट तथा उनकी कुर्बानी को नकारते हुए निष्कर्ष दिया था की गांधी परिवार ने कुछ नहीं किया |

सवाल था की आरएसएस या बीजेपी को हिन्दुओ का नेता बन्ने का हक़ किसने दिया ? इस पर कोई मेंजी सज्जन है उनकी तरफ से पोस्ट लिखी गयी थी ----- अब यह अकाउंट वास्तविक व्यक्ति का है अथवा फर्जी इस बारे मई कुछ नहीं कह सकता हूँ | बहरहाल जो भी हो कोई ना कोई तो प्रश्नकर्ता होगा | अब वह साहस करके सामने नहीं आ सकते तो यह उनकी समस्या है | या उनका नकाब पहन कर बोलने का इरादा है | यह वे ही जाने |

फिलहाल बात यह है की आज़ादी की लड़ाई मे मे काँग्रेस के योगदान को कौन सावल कर सकता है ?? वैसे तो सभी भारतीय इस हक़ के अधिकारी है | अब जिनहोने उस इतिहास को देखा या पड़ा नहीं उनको इस श्रेणी से बाहर जाना होगा | क्योंकि सावल पूछने से पहले "””””प्रारंम्भिक ज्ञान या जानकारी होना ज़रूरी है | देश की आज़ादी की पहली लड़ाई 1857 मे हुई जो मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के नेत्रत्व मे ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हुई | उस लड़ाई का परिणाम भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बन गया | काँग्रेस ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध स्वतन्त्रता की मुहिम शुरू किया -----और अंततः 15 अगस्त 1947 को देश ब्रिटिश उपनिवेश से ''एक राष्ट्र '' के रूप मे उदित हुआ |परंतु हाउस ऑफ कामन्स से पारित विधि ने इस देश को दो भागो मे विभाजित कर दिया | जिनमे एक भारत बना और दूसरा पाकिस्तान | लार्ड माउन्टबैटन ने 14 अगस्त को कराची मे और 15 अगस्त को दिल्ली मे आज़ादी का घोसना पत्र पड़ा |

इस आज़ादी की लड़ाई मे काँग्रेस प्रधान भागीदार थी | कुछ संगठन हिंसा के बल पर देश को आज़ादी दिलाने के पक्षधर थे | इनमे भगत सिंह और चंद्र शेखर आज़ाद बटुकेस्वर दत्त असफक़ुल्लह खान आदि सैकड़ो नाम और दासियो क्रांतिकारी संगठन थे | परंतु महात्मा गांधी केवल अहिंसा के मार्ग से आज़ादी चाहते थे | हिन्दू महा सभा और ऐसे कुछ संगठन महात्मा के खिलाफ थे | वस्तुतः वे देश और समाज मे बदते उनके प्रभाव से चिंतित थे | क्योंकि महात्मा छुआछूत उन्मूलन - नारी को शिक्षा तथा समान अधिकार के पक्षधर थे | मुख्यतः समाज मे सभी धर्म और ज़ाति तथा वर्ग के लोग बराबर है उनका यह मानना था | विरोध करने वालो मे हिन्दू महा सभा – और वाराणसी के साधु स्वामी करपात्री जी महराज़ तथा कुछ संगठन गाय को वेदिक [[[[जिसे साधारण ज़न हिन्दू कहते है ]]] धर्म की परम्पराओ को लेकर उनके विरोधी थे | परंतु देश के हिन्दू और मुसलमान तथा सिख-- ईसाई सभी समुदाय का बहुसंख्यक उनका अनुयाई था |

क्या आज यह अधिकार आरएसएस या बीजेपी के पास है ? जिनहोने आज़ादी की लड़ाई मे एक बूंद लहू भी नहीं बहाया और उल्टे अंग्रेज़ो की मदद की | सामाजिक संगठन के रूप मे अपनी पहचान बताने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संगठन के राजनीतिक सरोकार कितने गहरे और व्यापक है इस बारे मे भी बहस हो सकती है परंतु अभी नहीं | संघ ने सत्ता पर कब्जा करने के लिए श्यामा प्रसाद के नेत्रत्व मे जनसंघ पार्टी का गठन किया | यह साम्यवादियों की भांति काड़र आधारित पार्टी थी | जिसमे संघ के लोगो का ही वर्चस्व है |
अब बात करे आज़ादी की लड़ाई मे कुर्बानी की --- क्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कोई नेता इस सघर्ष मे "””बलिदान हुआ ???
इसके उत्तर मे काँग्रेस के दो प्रधान मंत्रियो की हत्या देशद्रोहियों द्वरा की गयी --- इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी !! क्या यह कुर्बानी नहीं है ?? क्या सोशाल मीडिया मे सवाल करने वाले बताएँगे की उन्होने कितना देश के लिए प्राण उत्सर्ग किया ??
60 साल की लूट का आरोप लगाने वाले सज्जन बताए की क्या अब तक मोदी सरकार क्यो नहीं पकड़ सकी ?? अगर लूट हुई थी |
गांधी और गांधी ---- महात्मा गांधी गुजराती -वैश्य समुदाय से थे ---- जिस से सौभाग्य से या दुर्भाग्य से बीजेपी के मुखिया अमित शाह आते है | फिरोज गांधी पारसी -अब यह कैसे हुआ यह कहना मुश्किल है | वैसे संयुक्त प्रांत {{ उत्तर प्रदेश का नाम ]] के प्रथम भारतीय राज्यपाल का नाम भी होमी मोदी था | उनके पुत्र पिलु मोदी संसद सदस्य थे स्वतंत्र पार्टी से ----- वे पारसी थे !! अब नकली कौन है जो 1947 मे राज्यपाल था या जो 2017 मे प्रधान मंत्री ??
एक स्थान मे अमित शाह जी ने तो महात्मा को '''चतुर बनिया '' कह कर अपने संस्कार का परिचय दे दिया था | मुझे नहीं यास आता की की किसी बड़े नेता ने डॉ हेड़गेवार या गोलवलकर जी को '''इस तरह अपमानित '''किया हो ??
हक़ीक़त यह है की स्वतन्त्रता संग्राम मे एक खरोंच भी नहीं खाने वाले आज गांधी परिवार को वंशवाद का आरोप लगा रहे है | क्या बीजेपी के केंद्रीय नेताओ के पुत्रो की पार्टी और राज्य सरकारो मे स्थिति का भी खुलाषा करना होगा ??

अनुमान है की जिन सज्जन ने सोश्ल मीडिया मे ये सवाल उठाए थे उनमे काफी हद तक जवाब देने की कोशिस की है -------उन्हे संतुष्ट करना ना तो मेरा मक़सद है ना ही इरादा