शासन चलाना बाजीगरी नहीं , ईमानदारी और निष्ठा है !
दिल्ली दरबार से क्या नागरिकों
और देश के सवाल –का
समाधान होगा
!
जी
-20 के राष्ट्रो के शासनाध्यच्छों और राष्ट्रधायक्षों
के सम्मेलन की तैयारी और प्रचार ना केवल सरकार वरन सत्ता दल द्वरा भी पूरे ज़ोर –शोर से किया जा रहा है | परंतु प्रश्न यही है की क्या , इन सब तैयारियो से क्या सीमा पर चीन की चुनौती और –मणिपुर में जातीय संघर्ष
तथा उत्तर पूर्व राज्यो में और हिमालय के प्रदेशों
में बाढ की मार सह रहे लाखो –लाखो नागरिकों को कोई राहत मिलेगी ! शायद नहीं , परंतु एक राष्ट्र
के रूप में यह एक कूटनीतिक दायित्व है , जिसे निभाना होता
है | परंतु एक कहावत
है की यह एक “ गलत प्राथमिकता है “” | इसी सम्मेलन के मध्य अचानक मोदी
सरकार द्वरा संसद का “” विशेस अधिवेशन आहूत
करना “” भी मीडिया में मोदी
जी का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा हैं !! प्राकरतीक आपदा और
नूह – मणिपुर में सांप्रदायिक नफरत का ज्वार देश को बेचैन किए हुए है ,
वनही सत्ता के अंग –उपांग जैसे आरएसएस और बीजेपी कोरोना काल के समय की अपनी आदत को दुहराते हुए चार राज्यो में विधान सभा चुनावो में , सरकार के खर्चे पर वोट पाने के लिए अनेक
कल्याण कारी घोसनाओ का डंका पीट रहे है , - पैसा सरकार का और वोट मांगे जा
रहे है –राजनीतिक दल के लिए !!! भले ही राज्य पर “” ओवर ड्राफ्ट “ का बोझ अनियंत्रित रूप से बदता
जाये “!! इसे कहते है सरकारी खर्चे से चुनाव
लड़ना |
ऐसा
ही एक समारोह दिल्ली ने 1911 में देखा था –जब
ब्रिटेन के सम्राट और साम्राज्ञी भारत आए थे
| तब भी देश के
500 से अधिक रियासतो के अधिपति उन्हे सर झुकाने आए थे | जिस तरह दिल्ली की सड्को और पार्को को सजाया जा रहा है , वैसी तैयारी देश के स्वतन्त्रता
दिवस अथवा गणतन्त्र दिवस पर भी तैयारी नहीं
होती | लोग कहते है की मोदी जी का स्टाइल है की –वे जो भी करते है बड़े धूम – धड़के से करते
है --- चाहे वह नोटबंदी हो या देश में कोरोना
काल में आवागमन पर प्रतिबंध हो ! नागरिकों
को कष्ट होता है तो होने दो ---पर सत्ताधिश को मजा आना चाहिए ! फोटो उनके अकेले के खिचने चाहिये – प्रचार केवल
उनका ही होना हैं !
इतना स्व केन्द्रित नेता शायद भारत के लोकतन्त्र में पहली बार हुआ है , जिसे जनता से ज्यादा अपनी कुर्सी
को बचाने की कसरत करनी पद रही है | याद करे नौ साल पहले नागरिकों को स्विट्जरलैंड में जमा “”” कथित धन , वह भी काँग्रेस और गांधी
परिवार के खातो
में !! जो दस साल सत्ता में रहने के बाद भी एक रुपया नहीं निकाल पाये --- उल्टे अदानी से अपने नजदीकी संबंधो के
कारण सरकारी कंपनियो को उनको बेचने और हवाला से काला धन वापस अदानी की कंपनियो में वापस
लगाए जाने की गूंज विदेशो तक में हो रही है | विदेशो में बसे गुजराती भाइयो में अपने “””इस स्वजन “”” के प्रति स्नेह को जनहा उनके चंदे और समर्थन के रूप में “”भीड़ “” बन
के दिखया जा रहा है ---- हकीकत में वैसा है नहीं | अपने मुलुक
के आदमी को विदेश की धरती पर देख कर ,जो आत्मीयता उमड़ती है , वह सहज भावना है | उसमे कनही से भी यह भावना नहीं होती की वे “” हिन्दू है या गुजराती है
“” वे तो बस भारतीय है !!!
अब बात करते है मोदी के सिपहसालार
जयशंकर प्रसाद की विदेश कूटनीति की ---- जिस
चीन के राष्ट्रपति [ आजीवन राष्ट्रपति] ज़ी
सीन पिंग की अगवानी और संबंधो की बदौलत संयुक्त राष्ट्र संघ में यूक्रेन के मुद्दे पर रूस के साथ
भारत खड़ा हुआ है , उसकी कीमत यह है की ना तो रूसी
राष्ट्रपति पुतिन ही इस सम्मेलन में भाग ले रहे है ना ही चीन के राष्ट्रपति
!!! उधर लद्दाख की विवादित सीमा पर चीन के क़ब्ज़े को लेकर अभी भी – मोदी जी और जयशंकर प्रसाद का अड़ियल
रुख है की “””” हमारी भूमि पर ना तो कोई कब्जा है और नहीं था !!! “” जबकि गोदी
मीडिया भी अब तो उपग्रह के फोटो के द्वरा चैनलो में दिखा रहा है की चीन सीमा पर भूमिगत सुरंगो में युद्ध के हथियार छूपा
रहा है !! अब चीन द्वरा भारतीय भू भाग को अपनी सीमा में दिखाने पर - ,यह कहना
की उनकी इस हरकत से कोई फर्क नहीं पड़ता , !! हो सकता है नहीं
प्रभाव पड़ता हो ,परंतु देश की सर्व्भौमिकता को चुनौती तो है !!! वैसे चीन की यह हरकत केवल भारत के साथ ही नहीं वरन
वियतनाम – थायलैंड आदि अनेक पड़ोसी देशो के भू भाग को भी चीन अपनी जमीन बताता है |
आखिर
में मोदी जी से एक सवाल है की हुजूर विरोधी
दलो के एका से घबराहट तो पता चल रही है ---जिस सरकार ने अनेक आंदोलन और जनता की शिकायत के बाद भी घरेलू गॅस के दाम नहीं
घटाए ---उसी मोदी सरकार ने बंबई में इंडिया की बैठक के बाद –अपनी ओर से गैस की कीमतों में कटौती कर दी ?? आखिर क्यू और किस कारण से ? अब मंहगाई कम करते है तो देश के गुजराति उद्योगपतियों को नाराज तो नहीं कर सकते , क्यूंकी राहुल गांधी की सदस्यता खतम करने का षड्यंत्र --उनके द्वारा लोकसभा में यह कहे जाने पर किया
गया की --- प्रधान मंत्री बताए की उनका और
गौतम अदानी का क्या संबंध है ???
देश आज भी यही सवाल कर रहा है की आखिर क्या संबंध
है प्रधान मंत्री और गौतम अदानी का ??? आगे पीछे इस सवाल का खुलासा तो होगा ,पर तब तक गुनहगार गुजर ना जाये |