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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 11, 2020

 

कमला हैरिस --किसकी विरासत - हिन्दू या भारतीय अथवा सर्व धर्म समभाव



सोशल मीडिया पर शायद एक भक्त ने पोस्ट डाली की , बेगानी शादी में में अब्दुल्ला दीवाना , संदर्भ अमेरिका में राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनाव था ! दरअसल नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प की गाढी दोस्ती का ध्यान रखकर ही यह टिप्पणी की गयी थी ! क्योंकि हाऊडी मोदी और नमस्ते ट्रम्प जैसे आयोजित समारोह के बाद ट्रम्प की पराजय कट्टर भक्तो को झुँझला देने वाली हैं | हालांकि इन चुनावो से भारतीयो को लाभ ही होने की आशा हैं , चाहे वह भारतीय कामगारों को वीसा का मामला हो , अथवा भारतीय निर्यात में सहूलियत का मसला हो | परंतु देश के कट्टर हिंदुवादी लोगो को – कमला की विजय में गौरव नहीं प्रतीत होता हैं |

कमला हैरिस की माता - तंजौर के कुंभकोडम ब्रांहण की पुत्री है , उनकी माता श्यामला गोपालन के पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू के संयुक्त सचिव रहे हैं | पंडित जी से मिलने के बाद उन्होने शिमला को बर्क्ले विश्व विद्यलय जाने की सलाह दी थी | बताते हैं की श्यामला ने अपनी प्रथम संतान का नामकरण नेहरू जी की पत्नी कमला नेहरू की स्म्रती में कमला रखा | यद्यपि उनके पिता जमाइका मूल के थे | उनकी दूसरी संतान का नाम माया हैं | जब कमला की डेमोक्रेट पार्टी से उप राष्ट्रपति किउम्मीदवारी तय हो गयी ,तब उनके माता के गाव्न के लोगो ने ,उनकी विजय के लिए यज्ञ किया | तत्पश्चात चुनाव में विजय के बाद गाव्न में काफी खुशिया मनाई गयी | टीवी चैनल की खबर के अनुसार उनकी ननिहाल के लोग ,उनके मामा के नेत्रत्व में शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने वाशिंगटन जाएँगे |

अब कमला हैरिस की जीवन यात्रा देखे तो पाएंगे की उन्होने अपनी माता की जीवटता का ज़िक्र हमेशा किया हैं | वे उनके जीवन से बहुत प्रभावित हैं | इसीलिए वे बचपन से वे मंदिर और चर्च दोनों ही उपासना स्थलो पर जाती रही हैं | पेशे से वकील कमला हैरिस के नाम अनेक "”फ़र्स्ट " हैं | वे अमेरिका की प्रथम अश्वेत -और महिला उप राष्ट्रपति होने के पहले कैलिफोर्निया राज्य की अटार्नी जनरल चुनी गयी थी , ऐसा होने वाली वे प्रथम महिला थी | भारत के संदर्भ में महिलाओ ने राष्ट्रपति और --प्रधान मंत्री -तथा राज्यपाल अथवा मुख्य मंत्री के पद काँग्रेस के शासन काल में सम्हाले थे | देश की सबसे सशसक्त प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी ही मानी जाती हैं , जिनहोने अमेरिका की चौधराहट को आँख दिखा कर "”सेंटो सैनिक " संगठन के देश पाकिस्तान पर हमला कर के दुनिया को एक नया देश -”बंगला देश दिया "” | राज्यपाल का पद तो आज़ादी के तुरंत बाद सरोजिनी नायडू - और मुख्य मंत्री का पद सुचेता कृपलानी ने सम्हाला | श्रीमति विजय लक्ष्मी पंडित पहली भारतीय महिला थी जो राजदूत रही {तत्कालीन रूस } वे बाद में संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा की अध्याछ बनी | 1947 से लेकर 1999 के मध्य देश में महिलाओ ने यह पद प्राप्त किए थे |

परंतु अमेरिका जैसे विकसित समझे जाने वाले देश में महिलाओ को मताधिकार भी भारत के बाद ही मिला | देश में संविधान के अंतर्गत स्त्री -पुरुष दोनों को ही मताधिकार दिया गया | राजीव गांधी ने युवाओ को देश की राजनीति और त्रि स्तरीय पंचायत के माध्यम से विकास क अवसर सुलभ करने के लिए --- मतदाता की आयु 21 वर्ष से घाटा कर 18 वर्ष कर दी थी | इस संदर्भ में हो सकता हैं भक्तो को कमला हैरिस की उपलब्धि "”बेगानी "” लगे | परंतु उन्हे समझना होगा की जब अमेरिकी राष्ट्रपति लिंकन – मानव को गुलाम बना कर खरीदने और बेचने की प्रथा के अंत के लिए युद्ध कर रहे थे -----तब भारत से सती प्रथा का अंत ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल विलियम बेंटिक ने कर दिया था | गुलामी की प्रथा तो सदियो पूर्व समाप्त हो चुकी थी | इन संदर्भों में अगर हम अमेरिकी समाज को देखे तो --पाएंगे की हमे सामाजिक रूप से अधिक उन्नत समाज "विरासत " में मिला !

कमला हैरिस का सर्व धरम समभाव इन चुनावो में भी महत्वपूर्ण साबित हुआ हैं | राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद अपने पहले टीवी भासन में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कमला को दक्षिण एसियाई कह कर परिचय दिया | परंतु भारतीय मूल की माता की पुत्री होने के नाते उन्हे भारतीय महाद्वीप के लोगो का समर्थन मिला ---वनही पिता के जमैका का होने के कारण - अफ्रीकी लोगो का भावनात्मक समर्थन भी मिला | लैटिन अमेरिकी देशो के मूल के अमेरिकी वोटर तथा एफ़्रो अमेरीकन { नीग्रो -} समुदाय का समर्थन उन्हे "” फ्रायड {नीग्रो } “” की पुलिस द्वरा हत्या किए जाने पर उन्होने "””ब्लेक मैटर्स"” अभियान चलाया | जिसने पुलिस के भेदभाव के शिकार होने वाले एफ़्रो अमेरीकन लोगो को डेमोक्रेट के पक्ष में खड़ा कर दिया | हालांकि दक्षिण के रूड़ीवादी राज्यो के नीग्रो लोगो का समर्थन कुछ हद तक ट्रम्प को भी मिला |

कमला के पति धरम से यहूदी हैं और पेशे से वकील हैं | उनका नाम उच्चारण में कठिन हैं --डौघ एमहोफ़्फ़ | हैरिस से इंका विवाह 2014में हुआ | बताते हैं की विवाह की रस्मे '’वेदिक और यहूदी '’’ दोनों धरम से निभाई गयी ! 56 वर्षीय कमला हैरिस अपने पति की पहली पत्नी की दो संतानों की "”मामला " हैं | जब पीट से पूछा गया की वो इस संभोधन से क्यू बुलाते हैं , तब चिरंजीव ने कहा – माँ + कमला = मामला !

अब इन संदर्भों से कोई भी समझ सकता हैं की -वेदिक ब्रांहण की माँ से जन्मी और ईसाई पिता के प्यार में पली तथा यहूदी पति की पत्नी कमला तीन - तीन धर्मो से जुड़ी हैं | जो भारत के आरएसएस के सदस्यो और विश्व हिन्दू परिषद तथा बजरंग दल जैसी "”” हिन्दू "”” सोच वाले कमला हैरिस को हिन्दू तो नहीं मानेंगे ! पर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता | हाँ नरेंद्र मोदी जी ---अगर उनके शपथ समारोह में गए { ?} तो वे जरूर उन्हे भारत की विभूति कह सकते हैं | क्योंकि वे जिस आसान पर बैठे हैं -----उसका आधार आरएसएस का कट्टर हिंदुवाद हैं --जो ईसाई और इस्लाम जैसे अन्य धर्मो से नफरत करता हैं | हाँ ट्रम्प की ही तरह मोदी जी भी इज़राइल से अपनी दोस्ती और अरबो से हिकारत के चलते वे कमला हैरिस को "” भारतीय "” मान ले |



Nov 9, 2020

 

असत पर सत--दंभ पर मर्यादा का प्रतीक है --बाइडेन और कमला की विजय

अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प की पराजय , उनके समर्थक [[भक्तो]] को अधिक पीड़ा देने वाली घटना हैं | पर उनके ही देश में एक पराए देश की माँ को जन्मी कन्या -देश की पहिला महिला उप राष्ट्रपति बने , यह उन कट्टर "श्वेत नहीं गोरे समर्थको "” को कलेजे में खंजर की तरह घुश गया हैं , जैसे शिवाजी ने अफजल खान के कलेजे में बघनखा उतारा था | या जैसे सत्तारुड बीजेपी को दिल्ली विधान सभा के चुनावो में -लगातार दूसरी बार भी पराजय झेलनी पड़ी | ट्रम्प का दावा है की उन्हे सर्वाधिक [ अभी तक हुए चुनावो में ] मत मले हैं ---पर वे यह नहीं बताते की जो बाइडेन को उनसे ज्यड़ा मत मिले है | ट्रम्प डाक से आए मतो को '’’फर्जी'’ बताते हैं ! परंतु की सबूत नहीं देते ! पर अदालत को दी गयी अर्ज़ी में भी यह आरोप दुहराते हैं | जैसे नरेंद्र मोदी जी विभाजन और काश्मीर तथा चीन की समस्या के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार बताते हैं | ट्रम्प की तरह भारत में भी सत्ता की एक "”ट्रोल आर्मी है "” जो कल्पना को आधे - अधूरे और गलत रूप से परिभाषित किए गए आरोपो को "”सोशल मीडिया "” में एक सर्व स्थापित सत्य"” की भांति ----भक्तजनों और उनके साथियो को "”सत्य तथ्य "” के रोप में परोसते हैं | जैसे 2016 के राष्ट्रपति के चुनाव में ट्रम्प ने अपने विरोधी उम्मीदवार श्रीमति हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ लगाए थे ! डेमोक्रेट पार्टी और हिलेरी इस "””अमर्यादित प्रचार "”” के लिए तैयार नहीं थी | परिणाम स्वरूप वे पराजित हुई |

इस बार डेमोक्रेट पार्टी किसी भी ऐसे "”आकस्मिक "” हमले के लिए तैयार थी |सबसे बेहतर उपाय था की ,उन्होने सभी 50 राज्यो में अपने रजिस्टर्ड वोटरो को डाक द्वरा मतदान करने क सलाह दी | इससे जनहा मतपत्र की सुरक्षा निश्चित हो गयी वनही , उन्हे प्रचार के लिए ऐसे वोटर कार्यकर्ता के रूप में मिल गए | ट्रम्प द्वरा बाइडेन के खिलाफ भ्रस्ताचर का आरोप की जांच के लिए राष्ट्रपति ने यूक्रेन की आर्थिक साहायता रोक कर उनसे अपनी मर्ज़ी का फैसला देने का दबाव डाला था | परंतु बात खुल गयी और ---मामला टांय -टांय फिस्स हो गया | कुछ ऐसा ही भारत में भी होता हैं | साहायता के मामलो में बीजेपी शासित प्रदेशों और गैर बीजेपी राज्यो के साथ |

ट्रम्प और मोदी जी में एक और समानता थी --- वे अपने शासन काल को अब तक का सर्वश्रेष्ठ और पूर्वर्ती नेताओ को निकम्मा सीध करते रहते हैं | ओबामा से लेकर सीनियर और जूनियर बुश - रेगन तथा अन्य से बेहतर प्रशसन का दावा करते थे | यानहा भी

70 साल बनाम 60 माह को भारत के उद्य से अब तक का सबसे "” स्वर्णिम काल बताते हैं "” | वैसे आज 8 साल बाद भी "”नोट बंदी "” का बुरा असर खतम नहीं हुआ हैं | कोरोना काल में 2 करोड़ से ज्यदा मजदूरो के पलायन की तस्वीर टीवी में देख कर – लोगो को देश के विभाजन में लोग किस प्रकार पैदल - गाड़ी - रेल में ठूंस कर भागे थे ---उस्की याद आ जाती हैं |

हालांकि कुछ ऐसे घटनाए भी हुई जो मिसाल बन गयी ---जैसे 800 किलो मीटर साइकल से पिता को लेकर बिहार जाने वाली लड़की --- ऑटो में परिवार को लेकर बिहार में गाँव जाने वाले बहुत से किस्से हैं | इनमें दुखड़ा यह भी हैं की बीजेपी शशासित राज्यो बिहार ने तो अपने ही लोगो के लिए सीमा बंद कर दी | उत्तर प्रदेश में भी यही हुआ | जैसे डोनाल्ड ट्रम्प ने मेक्सिको सीमा पर दीवाल खड़ी करने का प्रोजेक्ट किया ---- वह शुरू तो हुआ पर पूरा नहीं हो सका ! जैसे संसद परिसर में मोदी जी अपने लिए सेंट्रल विस्टा नामक -नया संसद भवन बनाना छह रहे हैं | सिर्फ 4 से 6 हज़ार करोड़ रुपये में ! ब्रिटेन और अमेरिका के संसद भवन सदियो पुराने हैं , पर उन देशो का काम काज चल रहा हैं , फिर क्यू इतना खर्चा ? सरदार पटेल की मूर्ति पर और अयोध्या में मंदिर पर हजारो करोड़ का खरचा "”” गैर ज़रूरी हैं "” |पर ट्रम्प की ह तर्ज़ पर हमारे प्रधान मंत्री भी "” मेरी मर्ज़ी "” पर चल रहे हैं |

स्वास्थ्य के नाम पर मोदी जी ने अनेकों योजनाए बताई हैं , जैसे आयुष्मान पर --- अधिकतर ज़िला अस्पतालो में एक्स रेय --ऑक्सीज़न - और डाक्टर ही नहीं हैं , तब क्या करेगा आयुष्मान योजना ? सिवाय प्रचार के | ट्रम्प का ओबामा केयर स्वास्थ्य योजना का विरोध – बीमा कंपनियो को इलाज़ के लिए अस्पतालो का खर्चा उठाने से ----उनका "”मुनाफा "” घाट जाता था | परंतु बराक ओबामा ने बीमा कंपनियो को दो टूक कह दिया की आपको अस्पताल का खर्चा देना पड़ेगा | तब अस्पतालो ने दवा कंपनोयो को अपने दाम घटाने पर मजबूर किया , जिससे की उनका घाटा कम हो सके | ट्रम्प के आने के बाद बीमा और फार्मा कंपनियो ने प्रशासन पर दबाव बनाया | और इस योजना को बंद करने को कहा | आयुष्मान योजना के कार्ड को निजी अस्पताल वाले भर्ती ही नहीं करते , वे बेड नहीं हैं ---सुविधा नहीं हैं और डाक्टर {विशेस्ज्ञ } नहीं हैं कह कर दूसरे अस्पताल भेज देते हैं | कोरोना काल में ऐसी सैकड़ो घटनाए समाचार पात्रो में आई हैं | यानहा प्राइम मिनिस्टर

केयर फ़ंड - में मिले चंदे और उसके रख - रखाव के लिए जिम्मेदार कौन हैं , प्रधान मंत्री कार्यालय यह सूचना देने को तैयार नहीं हैं |सूचना के अधिकार को कमजोर करने के लिए केंद्र सरकार ने अनेक निर्देश और आदेश निकाले हैं | संवैधानिक स्थिति से उन्हे सरकारी नौकर बना दिया गया हैं ! देश के प्रधान सूचना आयुक्त के पद पर जंगल सेवा के एक अधिकारी को बैठा दिया हैं !

ट्रम्प ने भी पर्यावरण और श्रम विभाग द्वरा देश में रोजगार की स्थिति तथा क्रशि की उपज के विवरण और किसानो की आय के आकड़े बताने वाली वेब साइट को बंद करा दिया ! जिससे की उनके कहे को कोई आंकड़े के हिसाब से चुनौती नहीं दे सके |

यह थोड़े से उदाहरण हैं की सच को झूठ बता कर -----सत्य के आधार को ही समाप्त कर देते हैं | वैसे चुनाव के दौरान हर वोटर को 15 लाख और , नोटबंदी से काले धन का अंत तथा आतंकवाद का खात्मा का दावा कितना सही निकला यह देश के हर नागरिक को मालूम हैं | यही हाल डोनाल्ड ट्रम्प का था ,उनके जमाने मैं सिर्फ फॉक्स चैनल के मालिक रुपेर्ट मरडोक का ही फाइदा हुआ --जैसे मोदी जी के काल में रिपब्लिक चैनल का ! अदानी और अंबानी की भांति ट्रम्प के अनेक खनिज तेल के व्यापारी भी लाभान्वित हुए है | पर वनहा हवाई अड्डे नीलाम नहीं हुए !



Nov 6, 2020

 

अमेरिका फ़र्स्ट --भारत विश्व गुरु बनाम विभाजित समाज और राष्ट !!


इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेट जो बाइडेन के मध्य नहीं रहा ----यह देश के मतदाताओ के बीच धरम और कलर तथा ग्रामीण और नगरिय तथा कट्टरपंथ तथा उदारवादी सोच में बंट गया हैं | देश और समाज में विभाजन का कारण शिक्षित एवं गरीब की बेरोजगारी - और गोरे राष्ट्रवाद के बीच हैं | भरे पेट के गोरे हो या अफरो अमेरीकन या चीनी मूल के रईस जनहा अमेरिका फ़र्स्ट के नारे के साथ हैं वनही गोरा किसान और बेरोजगार व्हाइट यूवक इस महान अमेरिका के नारे के साये में ,कोरोना से जूझता हुआ और लाइन लगा कर दान में मिले भोजन लेकर आत्म विश्वास खो चुका हैं | वह बीमारी के मंहगे इलाज और बेकारी के कारण , घर का किराया नहीं दे पा रहा हैं |

भारत की तरह ही ट्रम्प भी देश के नौजवानो को काम देने का वादा देकर चुनाव जीते थे | जैसे भारत में नरेंद्र मोदी जी हर वोटर को 15 लाख स्विस बैंक में जमा गद्दार भारतीयो के काले धन को बाटने और 2 करोड़ रोजगार के अवसर प्रति वर्ष बनाने के सुनहरे सपने दिखा कर जीते थे | परंतु ना तो उनका राष्ट्रवाद देश को 5 त्रिल्लियन की अर्थ व्यसथा बना सका और ना ही बेरोजगारो को काम मिल सका ! विश्व गुरु का आरएसएस का नारा मोदी जी ने उधार तो लिया -----पर सिर्फ भासन देने के लिए |

जिस प्रकार भारत में मोदी शासन के दौरान – देश और समाज को धरम के नाम पर और ---उत्तर प्रदेश में जाति के नाम पर साधु के वेश में शासक हैं ---वह दलितो पर हो रहे अत्याचार और संघ - वीएचपी तथा बीजेपी से संबन्धित अपराधियो को सरकार की शह मिली हैं | वह अमेरिका में अफरो अमेरीकन फ्लायड की पुलिस द्वरा सार्वजनिक रूप से टेंटुआ दबा कर मार दिया गया , वह बुलंदशहर में वीएचपी के नेता द्वरा पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या के बराबर ही हैं | फर्क इतना ही हैं वनहा पुलिस "”दमनकारी "” हैं जबकि उत्तर प्रदेश में संघ और बीजेपी समर्थक दमन कर रहे हैं !

देश के गौरव और महानता के लिए सशक्त राष्ट्र बनाने की हुंकार के पीछे अगर ट्रम्प हथियार बनाने वाली कंपनियो की मददा कर रहे थे , वनही मोदी जी की सरकार , मनमाने दामो पर हथियार खरीद रही थी | जिसने भी दाम और प्रक्रिया पर सवाल उठाया उसे सीबीआई या ईडी अथवा एन आई ए के जाल में लपेट कर जेल में डाल दिया |

जिस प्रकार ट्रम्प को चर्च का समर्थन प्राप्त हैं ---वैसे ही संघ के प्रयासो से भगवा पलटन का अंध समर्थन नरेंद्र मोदी को भी हैं | अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भारत की न्यायपालिका ने जिस प्रक्रिया को अपनाया वह "”न्याय " की परिभ्शा ही बादल देता हैं | जिस प्रधान न्यायाधीश ने सत्तधअरी दल के एजेंडा को पूरा किया ----- उसका प्रतिफल उन्हे राज्यसभा का सदस्य बना कर पुर्स्क्रत किया | ट्रम्प ने भी डेल्लास की एका काउंटी के गोरे शेरिफ़ - को जिस पर अश्वेत की हत्या का जुर्म साबित हो चुका था , उसे राष्ट्रपति के रूप में --””अभयदान "” दिया ! उनके वकील ने जब ट्रम्प के चुनावी फंड से उनकी एक महिला मित्र को मुआवजे के रूप में लाखो डालर का भुगतान किए जाने की बात स्वीकार की , तब भी उन्होने उसे अभय दान देने की बात काही |

भारत में यह खेल खुलम खुल्ला खेला जाता हैं ---पुलिस के जरिये | उन्नाव के बीजेपी के ठाकुर विधायक द्वरा एक दलित महिला से सतत बलात्कार की शिकायत पुलिस में क्ये जाने पर थाने की पुलिस ने ही उसके पिता को इतना मारा की वह मर गया | प्रैस में बात आने पर सीबीआई की जांच हुई , विधायक जी किसी प्रकार गिरफ्तार हुए \ मुख्य गवाह -लड़की की कार का आक्सीडेंट करा कर उसकी मौसी और वकील को मरवा दिया | तब मामला दिल्ली की अदालत मे भेज दिया गया |

ट्रम्प और नरेंद्र मोदी में कुछ समांतए :- दोनों ही वन मन आर्मी हैं , वे सहयोगीयो में भरोसा नहीं रखते ---- दोनों ही जी हुज़ूरिए पसंद करते हैं |

2-दोनों ही कानून की व्याख्या अपने हिसाब से करते हैं - जो उन्हे लाभकारी हो | ट्रम्प ने अपने आय का लेखा -जोखा राष्ट्र के सामने नहीं रखा | मोदी जी की सरकार राफेल की खरीद और स्विस बैंक में जिन भारतीयो के खाते हैं ,उनका नाम और दाम बताने को राज़ी नहीं हैं |

3-- दोनों देश की महत्वपूर्ण घटनाओ पर नहीं बोलते हैं ---- वे अपने विरोधियो को "” देशद्रोही "” कहने में तनिक गुरेज नहीं करते | ट्रम्प का कालर ट्यून है "”आर यू पैट्रियत"”” | जिस प्रकार शुरू से लेकर आज तक मोदी का विरोध करने पर ---आपको तुरंत "”बोल कर -लिख कर देशद्रोही "” करार दे दिया जाता हैं | फेसबूक तथा व्हात्सप्प पर "”भक्तो द्वरा अपने आलोचको को यही उपाधि से नवाजा जाता हैं |””

4:- दोनों नेता अपने बराबर में किसी को भी नहीं खड़े होने देते , उदघाटन सड़क का हो या सुरंग का फोटो में सिर्फ नरेंद्र मोदी ही दिखाई देंगे | औपचारिक उत्सवो में भी -जनहा राष्ट्रपति भी होते हैं ----वनहा भी वे अपनी तरफ से मर्यादा ताक पर रख कर जनता के बीच हाथ हिलाते रहते हैं , जैसे ट्रम्प करते हैं | बस अंतर इतना ही हैं की मोदी जी वेषभूषा स्थानीय लोगो की भांति धरण करते हैं , वे ट्रम्प की तरह डांस नहीं करते |

5:- परिणाम यह हैं की दोनों ही भगवा धारियो की तरह गुरुडम और भक्तो की परंपरा जिंदा कर दी हैं | इन लोगो ने पार्टियो की विचारधारा और लक्च्छ्यो को भुला कर "””व्यक्तिवादी "”” बना दिया हैं | पार्टी संविधान और नीति सब दोयम हो गए है ----इन दोनों नेताओ की सत्ता में बने रहने की भूख ने | राष्ट्रपति के चुनाव में जीते कोई पर वह विभाजित अमेरिका का ही नेता होगा |