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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 23, 2019


पुरुलिया कांड


भगवा का आतंक देश मैं नया नहीं हैं--- 25 वर्ष पहले भी ऐसी घटनाए हुई थी !

भगवा आतंक को लेकर एक खास विचारधारा के लोग इसे वेदिक धर्म का अपमान निरूपित करने का प्रयास करते हैं , परंतु धार्मिक परिधान के तले सब कुछ "””पवित्र और शुभ " ही हैं ऐसा मानना अथवा विश्वास करना यथार्थ से नितांत पलायन करना हैं | धार्मिक परिधान -या वस्त्र आखिर मनुष्यो द्वरा ही धारण किए जाते हैं , एवं वे सभी "”संत अथवा महात्मा "” नहीं हो जाते हैं | इसलिए जो मनुष्य के विश्वास या आस्था को किसी परिधान अथवा चोगे का गुलाम बनाए वह बिलकुल भी सभ्य समाज या देश मैं माना जाने योज्ञ नहीं हैं

बंगाल के महान लेखक बंकिम चंद्र चटर्जी के उपन्यास "” आनंद मठ "” ए प्रभावित होकर बंगाल मैं एक "”पंथ अथवा मत याकि संप्रदाय "” का उद्भव हुआ | गौर तलब हैं की उपन्यास मैं ईस्ट इंडिया कंपनी के समय हुए सन्यासी विद्रोह से प्रभावित हो कर एक बंगाली सज्जन ने आनद मार्ग की स्थापना की | राष्ट्रीय गीत "””बंदे मातरम "” इसी उपन्यास से जाना गया | जिस पर बाद मै एक फिल्म भी बनी | धर्म की रक्षा के लिए विदेशियों के वीरुध हथियार उठाने की प्रेरणा दी गयी थी |

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया नामक स्थान मैं आनंद मार्ग मत का मुख्यालय था | इस तिमंजली सफ़ेद इमारत मैं ही प्रभात रंजन सरकार उर्फ बाबा का आश्रम था | इस संप्रदाय का घोषित उद्देश्य एवं सामाजिक -धार्मिक संस्थाओ की भांति शिक्षा और योग का प्रचार करना था | उद्देश्य की प्राप्ति के लिए इस संप्रदाय अथवा मत के शिष्यो अथवा समर्थको या भक्तो ने , स्थान -स्थान पर स्कूलों की और समागम के लिए आश्रम भी खोले | जिनमैं बालको को धर्म की शिक्षा और बड़े लोगो को योग द्वरा सनातन धर्म के लक्ष्यो की प्राप्ति के लिए जगह - जगह पर वर्ग लगाए जाते थे " जिन मैं इन भगवा धारियो द्वरा पुरतन गौरव और जीवन शैली पर चर्चा हुआ करती थी | इस पंथ की स्थापना 1 जनवरी 1955 को प्रभात रंजन सरकार ने की | मत की स्थापना के बाद बहुत जल्दी ही यह संप्रदाय सारे देश मैं फ़ेल गया | बड़े -बड़े बुद्धिजीवी और समाज के विभिन्न तबको के लोग इनके अनुयायी बन गए | उन मैं सरकारी अफसर और करमचरियों के अलावा शिक्षा -स्वास्थ्य सेवाओ उद्योग व्यापार आदि से जुड़े लोगो को योग और अध्यातम के नाम पर जोड़ा गया |
परंतु साथ के दशक के बाद ये भगवा धारी जो भगवा पगड़ी भी पहनते थे-- तंत्र विद्या द्वरा लोगो की बीमारी दूर करने और बिगड़े काम बनाने का आश्वासन दे कर अपने साथ जोड़ते थे | परंतु साथ और सत्तर के दशक के मध्य ऐसे भगवधारी सन्यासियों के पास से नर मुंडो की बरामदगी ने प्रशासन को चौकन्ना किया | बंगाल और बिहार तथा राजस्थान ऐसे छेत्रों मैं मै इन के शिष्यो से पूछ ताछ की जाने लगी | तब समाज के कुछ प्रभाव शाली लोगो ने इसे आस्था पर प्रहार बताते हुए विरोध किया | इन भगवा धारियो का दल झुंड मैं चलता था | और "” बाबा नाम केवलम "” का जैकारा लगाता था | चिमटा बजते हुए बड़ी बड़ी दाढी आम नागरिकों को वैसा ही आतंकित करती थी जैसे नागा साधुओ की टोली से नागरिक भयभीत होते थे | अथवा जैसे निहंग सिखो को देख कर भिंडरावले के समय मैं हुआ करते थे |

17 मई 1995 को पश्चिमी बंगाल के पुरुलिया इलाके मैं एक हवाई जहाज से हथियारो की खेप गिराए जाने की घटना ने इस संप्रदाय के गेरुआ वस्त्र धारी शिष्यो के इरादो को उजागर कर दिया | जब रात के अंधरे मैं चार लातविया की और एक डेन्मार्क के नागरिक जो अंटोव मालवाहक जहाज से राइफले और विस्फोट की सामाग्री आनंद मार्ग के मुख्यालय के पास गिरने की कोशिस की गयी | जिसे बाद मैं वौ सेना के जहाज ने कलकत्ता हवाई अड्डे पर उतरने को मजबूर किया | इस पूरे घटना का मुखिया देवी नामक डेन्मार्क का नागरिक था | इन पांचों को गिरफ्तार कर सीबीआई ने मुकदमा चलाया | इस घटना मैं आनद मार्ग की सलिप्तता को उस समय एसियान एज के रेपोर्टर रवि झा द्वरा अपने अखबार मैं विस्तार से लिखा गया | अपनी रिपोर्ट के लिए झा पुरुलिया मैं आनद मठ मैं रहकर उनके बारे मैं जानकारी प्रपट की थी | यह उस समय की बेहतरीन खोजी पत्रकारिता का नमूना बनी |

इस घटना के बाद सीबीआई ने झा की खबर की आधार पर देश मैं अनेक स्थानो पर छापे मारे , लोगो को गिरफ्तार किया गया | मुकदमाइन भी चले | यह था भगवा का आतंकी स्वरूप , जिसको लेकर आज बहुत से लोग संवेदनशील होकर संविधान द्वरा स्थापित राज्य को अपने अनुसार बनाना चाहते हैं | हाँ आनंद मार्गियों ने भी एक राजनीतिक दल का गठन किया था ---प्रउटिस्ट ब्लॉक नामक पार्टी भी बनाई थी , जो आनंद मार्ग का राजनीतिक मुखौटा था |

अब दूसरे पंथ या धर्म की बात करे जनहा अपने धार्मिक उद्देश्यों के लिए खालसा धर्म के एक निहंग सन्यासी थे - जिनका नाम था भिंडरावले | बाद मैं सबको पता हैं की किस प्रकार सिख संप्रदाय के इस सदस्य ने ना केवल सिख संप्रदाय के पवित्र स्थान अमृतसर के अकाल तख्त पर कब्जा कर लिया | इस दौरान पंजाब और हरियाणा मैं आतंक इतना फैला की लोगो ने रात को निकालना छोड़ दिया | पंजाब और हरियाणा तथा दिल्ली तक मैं लोगो ने अपने घरो के बाहर डर के मारे सोना बंद कर दिया !!! पंजाब मै शांति -व्यसथा ध्वष्ट हो गयी | सिखो के पवित्र स्थान '’दरबार साहेब " जिसे लोग गोल्डेन टैम्पल के नाम से जाना जाता हैं | जब अकाल तख्त के प्रबन्धको शिरोमणि गुरुद्वरा समिति को बेदखल कर भिंडरवाले के अनुयाईओ ने कब्जा कर लिया ,तथा प्रदेश की शासन व्यसथा को चुनौती देने लगे ,तब केंद्र सरकार भी चिंतित हुई | महीनो तक समझौते की कोशिस के असफल होने के बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया | जिसमाइन बहुत खून खराबा हुआ | परंतु बाद मैं संत कहे जाने वाले भिंडरवाले अपने साथियो सहित मारे गए | बाद मैं इन्दिरा जी की हत्या उनके सिख अंगरक्षक ने की |
धर्म के नाम पर अलग राज्य "””खालिस्तान "” की मांग करने वालो का इस प्रकार अंत हुआ |

धर्म के नाम पर आस्था का दुरुपयोग का यह भारत मैं दूसरा मामला था |

श्री लंका मैं हाल मैं हुए विस्फोटो मैं जिस प्रकार एक इस्लामिक संगठन ने दो आत्मघाती लोगो ने खून खराबे का आतंक फैलाया वह वास्तव मैं ईसाई धर्म के लोगो के वीरुध उनकी नफरत का कांड हैं | लंका के प्रधान मंत्री भंडार् नायके की हत्या भी बौद्ध चरम पंथियो द्वरा की गयी थी | म्यांमार मैं भी बौद्ध गेरुआ वस्त्र धारियो ने मुस्लिमो के खिलाफ मारकाट की थी | अभी भी रोहिङिया मुस्लिमो को वापस लेने मैं वनहा की नेता आंग सान सु की राज़ी नहीं हैं | क्योंकि वनहा के बहुसंख्यक बौद्ध धर्म मानने वाले अपने नेताओ के कारण यह संभव नहीं लगता | बौद्ध भी वेदिक धर्म के सन्यासियों की भांति पीला या गहरा गेरुआ चोगा धरण करते हैं |

अब ईसाई धर्म मैं भी धार्मिक चोगे का अपमान अनेकों बार हुआ हैं | केरल की सनयसिनों द्वरा एक वारिस्ठ पादरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न और बलात्कार का आरोप लगे हैं | जिसका मुकदमा चल रहा हैं | दक्षिण अमरिका के राष्ट्रो मैं हेरोइन की तस्करो द्वारा मारकाट और सरकार के नेताओ के भ्रष्ट आचरण से हिंसक गोलबंदी मैं चर्च ही बीच बचाव करता हैं |
अभी वेटिकन ने भी अपने पादरियों द्वरा बच्चो के यौन शोषण किए जाने की मसले पर पोप ने सार्वजनिक रूप से दुनिया के लोगो से माफी मांगी | यह सब अन्याय धर्म के चोगे मैं रहते हुए किए गाये |

भारत मैं धर्म भीरु लोग बहुसंख्यक हैं | जिनके भोले पन का फाइदा गेरुआ वस्त्र धारी अथवा सफ़ेद वस्त्र धारियो द्वरा किया जाता हैं | इसका उदाहरण आशाराम - और रंगीले गुरु राम रहीम इनशा जो डेरा सच्चा सौदा के करता -धर्ता थे ----- उनकी दशा देख कर आम तौर पर लोगो की धारणा इन लोगो के बारे मैं बादल जानी चाहिए थी | परंतु अचरज हैं की धर्म के नाम की आंखो पर पट्टी बांधे इन "””भक्तो "” को कानूनी कारवाई के बाद भी यह नहीं विश्वास हैं की वे "”अपराधी हैं "” !!

हक़ीक़त मैं भगवा आतंक , धर्म के नाम पर कानून से खेलने वालो के लिए एक हथियार हैं | ये संत - महात्मा -गुरु - आदि भोले - भले आदमियो की आस्था का नाजायज फाइदा लेने वालो का षड्यंत्र हैं | धर्म के नाम पर ये अपने को भगवान स्वरूप पुजवाते हैं | और धन -सम्पदा इकथा करते हैं | आज इन "”संतो"” की मिल्कियत अरबों रुपये हैं | जो किसी सामाजिक भलाई के करी मैं नहीं वरन इनके सुख - सुविधा पर खर्च होती हैं | कहने का अर्थ कोई भी परिधान पवित्र या अपवित्र नहीं हैं " वरन किस चरित्र के लोगो ने इसे धारण किया हैं वही पहचान हैं |