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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 25, 2024

 

 

इतिहास  दुहराया जा रहा है – सब कुछ लिखा जाएगा

प्लासी और बक्सर  से ही देश  की आज़ादी गयी थी !

     ईस्ट इंडिया कंपनी  व्यापारिक संगठन से शासक  बनने की प्रक्रिया बंगाल  में  हुए प्लासी के युद्ध से प्रारम्भ हुई थी जब वारेन हेस्टिंग्स  ने शुजौदौल्ला , बंगाल के नवाब को पराजित कर , मीर जाफ़र  को गद्दी दी थी  और बदले उसने बंगाल  सूबेदारी सम्हाली थी | बाद में  बक्सर में भी  कंपनी ने बिहार के राजा को हरा  कर शासन करने  का हक़ ले लिया था !  आज  बंगाल ने फिर  एक बार फिर  बीजेपी और आरएसएस के  संगठन के वीरुध  विरोधी दलो के संगठन INDIA से बाहर जाने और अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा  मुख्य मंत्री ममता बैनरजी ने की है | उनका कथन महात्वौर्ण इसलिए हो जाता है –क्यूंकी उन्होने कहा “” देश में क्या हो रहा ,उससे उन्हे कोई मतलब नहीं है “” ! ईटा ही नहीं उन्होने कहा की त्रणमूल  कांग्रेस्स  सेकुलर { धरम निरपेक्ष } पार्टी है वह बंगाल मे अकेले ही लड़ेगी | इतना ही नहीं उन्होने  काँग्रेस पर  बीजेपी से मिले होने और उसकी मदद करने का आरोप लगाया है !!  समझा जा रहा की यह बयान उन्होने अपनी पार्टी के लोगो पर  इंफोर्समेंट  डिरेक्टोरेट  की कारवाई  से भयभीत हो कर  दिया है | जैसा की बसपा  की नेता मायावती के साथ  मोदी सरकारा कर रही है | उनकी जांच की कारवाई  को शुरू करके  उसे चालू रखा है –पर  कोई कारवाई अभी तक नहीं की है !  उधर बिहार के मुख्य मंत्री नितीश  कुमार द्वरा  लालू की पार्टी आरएलडी  के साथ साझा सरकार  चलाने के बावजूद  -उन्होने परिवरवादी पार्टियो  की आलोचना की है | जो की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  की लाइन है , जो वे काँग्रेस  और  उन पार्टियो को निशाना बनाने के लिए करते रहते है | इतिफाक से बक्सर  बिहार में ही पड़ता है |  नीतीश कुमार द्वरा समाजवादी नेता करपुरी ठाकुर  की 100 जयंती  पर उन्होने  उनका सम्मान  किए जाने की बात काही थी | उसके दूसरे ही दिन  मोदी सरकार ने ठाकुर को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की  घोषणा कर दी | तत्काल ही नीतीश ने  केंद्र कए फैसले  का स्वागत करते हुए अपनी पीड़ा भी बयान कर दी की प्रधान मंत्री ने करपुरी जी  के पुत्र रामेस्वर ठाकुर से  बात की पर मुझसे नहीं की !  उसी सांस में उन्होने कहा की कर्पूरी ठाकुर  ने परिवरवादी राजनीति नहीं की थी | उन्होने पिछड़े वर्ग की भलाई के लिए शिक्षा  और रोजगार के  अनेक फैसले  लिए थे |

 

          जो भी हो पर अब लगता है की  बंगाल – बिहार और पंजाब  में सत्ता धारी  दल   ईवी एम  और संघ से लैस  नरेंद्र मोदी के नेत्रत्व से  खुद ही लड़ना चाहते है ! हालांकि इस चुनावी लड़ाई  का परिणाम  क्या होगा , वह  किसी का भी अंदाज़ हो सकता है | परंतु इनके नेताओ के “” अहम”  इन्हे एक साथ आने से रोक रहे है | त्राणमूल – आर जे डी और आम आदमी पार्टी  का यह निर्णय 2024 के संसदीय चुनावो की  पटकथा  लिख दी है |

            अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन  का जिस पैमाने  पर प्रचार बीजेपी सरकारो द्वरा किया गया है -  वह उत्तर भारत मे  काफी कुछ महत्वपूर्ण है | अब इसका फाइदा  आरएसएस संगठन  के लोग बीजेपी और मोदी को भगवान स्वरूप  बताने मे करेंगे |  हमारा देश एक धर्म भीरु लोगो का देश है --- आरएसएस और विहिप  द्वरा अयोध्या के बाद वाराणसी और मथुरा  की मस्जिदों को निशाना बनाने  की तरकीब  सामाजिक माहौल  को अभी भी गरम  रखे है | सनातनियो  और इस्लाम  के बंदो के बीच गुस्सा और  नफरत  का वातावरण  बन रहा है |  अब 2024 में किस शक्ति की सरकार बनती है  यह तय करेगा की  देश में संविधान और कानून का राज्य होगा अथवा “””  सरकार में बैठे लोगो की झक  से शासन होगा ? क्यूंकी जिस तरह से विरोधी डालो के नेताओ और उनके परिवार जनो को ईडी  छापे मार्कर और  पूछताछ के बहाने घंटो – घंटो  अपने दफ्तर में बैठाये रखती  है , वह सरकार का डर और उन्हे उनकी हैसियत  बताने का जरिया बन गया है |  अफसोस तो यह है की राज्यो के उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायलाय  भी व्यक्ति की स्वतन्त्रता  को सुरक्शित नहीं रखा पा रहे है | ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

 

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  राम मंदिर में मूर्ति स्थापना को लेकर  जो विवाद किया जा रहा है वह सनातन धर्म के लोगो की छूइनता का विषय बन गया है |  आदिगुरु द्वरा स्थापित  चार शंकराचराय मठो  के शंकराचार्यों  ने  समय और  कर्मकांड को लेकर आपति की थी | उनकी आपति थी की भारतीय कलेंडर के अनुसार “”पौष “” मास में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है |  परंतु विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े गोविंद गिरि जी ने  बनारस के गणेस्वर शास्त्री  , जो की ज्योतिष के विद्वान बताए जाते है , उनके अनुसार  सूर्य के मकर राशि में जाने से पौष मास की वर्जना “”समाप्त “” हो जाती है !! यद्यपि अनय ज्योतिष के जानकार उनके  इस कथन से असहमत  है | उनके अनुसार यह तर्क तो इस निसिद्ध मास को भी शुभ और सही बना देता है , जो की सही नहीं है |

     उधर ज्योतिष मठ के शंकरचरी अविमुक्ता नन्द जी और पूरी के शंकराचार्य  निश्चला नन्द जी ने भी  मूर्ति प्रतिस्ठा के मुहूर्त और  उससे संबन्धित कर्मकांड प्रक्रिया  को अशुद्ध  बताया है |  उन्होने इस आयोजन से  शंकरचार्यों  को अकेले आने के निम्न्त्रन  को  असम्मान  बताया , उन्होने कहा की देश के सर्वाधिक प्राचीन और  सनातन धरम  की पुनः स्थापना करने वाले आदिगुरु की परंपरा  का अपमान है – की सरकार धार्मिक छेत्र में इस प्रकार  हस्तकचेप  करके  सरकार ने अमर्यादित आचरण किया है | यह सब को मालूम है की आरएसएस द्वरा शंकरचार्यों  को  अपने खेमे में लाने के कुत्सित प्रयासो  को जब सफलता नहीं मिली , तब देश मे जगह – जगह  स्व्यंभू  शंकराचार्य  पैदा हो गए मध्य प्रदेश में ही दो है |  इसी प्रकार मंडलेसवार  और अन्य रूपो मे अनेक भगवा धारी  मिल जाएंगे | पतंजलि के भगवादधारी भी इसी श्रेणी में है | जबकि शंकरचार्यों  के लिए “” गुरु से दीक्षित होना और धरम दंड  का धरण करने वाला होना अनिवार्य है | इन कमंडल धारियो  साधो की भीड़ को ही संघ “” संत”  बताता है | अब इससे बड़ा और उफस क्या होगा की  जेल मे बंद  आशा राम और राम रहीम  जैसे लोग भी इनके यानहा संत बने हुए है |

लेकिन जब भी इतिहास मे ज़िक्र होगा तो शंकरचार्यों  के अपमान  का भी जिक्र होगा ----- जो ना मुगलो के जमाने हुआ और ना ही अंग्रेज़ो  के शासन कल मे हुआ ,जैसा मोदी सरकार  में हुआ !!!!!!

Jan 17, 2024

 

पुरी मे जगन्नाथ मंदिर के परिक्रमा पथ का उदघाटन

 राम मंदिर के गर्भग्रह में दो रामलला के विग्रह पूजित होंगे !

       अयोध्या मे प्रस्तावित राम मंदिर मे प्राण प्रतिस्ठा के कर्मकांड  सरयू नदी के तट से प्रारम्भ हो चुके है ||  बुधवार 17 जनवरी को ही पुरी मे महाप्रभु  जगन्नाथ मंदिर के परिक्रमा  पाठ या परकोटे का वेदिक रीति से उदघाटन हुआ | वेदिक धरम के चार तीर्थ स्थानो में एक  धाम पुरी  मे हुए  इस धार्मिक आयोजन में पुरी मठ के शंकराचार्य  की उपस्थिती  ने  इसे गरिमापूर्ण बना दिया | प्रातः शुरू हुए इस आयोजन में  राजनीति या सरकारी भागीदारी या प्रभाव  नज़र नहीं आ रहा था | जबकि अयोध्या के मंदिर के आयोजन मे “”आदि से अंत तक “” आरएसएस वीएचपी और बीजेपी तथा केंद्र और राज्य सरकारो का नियंत्रण या कहे सहयोग  साफ –साफ नज़र आता है | क्या ही  विचित्र है की मंदिर का निर्माण  न्यायिक  फैसले से ही संभव हो सका , पर इस आयोजन को नरेंद्र मोदी – आरएसएस के भागवत  और वीएचपी के चंपत रॉय के चेहरो से जाना जाता है |  उदघाटन की प्रणाली और रूप रेखा से अशन्तुष्ट  वेदिक धर्म के चारो  दिशाओ मे स्थापित  शंकराचार्य  मठो  के  गुरुओ ने वेदिक परम्पराओ की अवहेलना या यू कहे अनुपालन नहीं किए जाने से   अशन्तुष्ट थे , एवं उन्होने  मंदिर के निमंत्रण को ठुकरा दिया |  क्यूंकी  बीजेपी और आरएसएस तथा वीएचपी के त्रिमूर्ति गठबंधन  ने  आदि गुरु की स्थापित परंपरा को अमान्य करने की कोशिस  मंदिर आयोजन में की है |  जिन धार्मिक आयोजनो में शंकराचार्य  निमंत्रित होते है वनहा उनके सहयोगीयो को भी निम्न्त्रन होता है | जिस प्रकार प्रधान मंत्री या राष्ट्रपति  का निश्चित काफिला होता है उसी प्रकार  इन धर्म गुरुओ का भी स्टाफ होता है | जो उनके साथ हमेशा चलता है |  शंकराचार्यों  को अपने साथ एक सहायक के साथ आने ही निमंत्रण था !! जबकि मोदी जी के साथ कैमरामन –सुरक्षा – सचिवलाय और राजनीतिक सहायको का 20 – 30 लोगो का लवाजमा होता है | यह निम्न्त्र्न  एक प्रकार से इन शंकरचार्यों को  राजसत्ता की महत्ता एक ही आयोजन मे दिखाना  रहा होगा |

 

    वनही पुरी मे हुए आयोजन मे मुख्य मंत्री नवीन पटनायक  की भूमिका  बस एक दर्शक जैसी ही रही | वनहा  यजमान पुरी के राजपरिवार और मंदिर के लोगो की रही | वैसे यह परिक्रमा निर्माण परियोजना भी 3000 करोड़ की है , परंतु ना तो इसका ढ़ोल ओड़ीसा  सरकार ने और ना ही मुख्य मंत्री  नवीन पटनायक  अथवा उनके समर्थको ने ढ़ोल बजाए \

 

 गर्भगृह  मे एक ही देवता के दो विग्रह !

     भारत के सभी मंदिरो में  किसी एक देवता की ही स्थापना  होने की परंपरा है | कम से कम  चरो धामो के मंदिरो मे तो है ही | दक्षिण के मंदिरो में भी यही परंपरा है | तिरुपति हो अथवा  पद्मनाभ्सवामी का हो  वैष्णव देवी हो या आयप्पा मंदिर हो | परंतु  मंदिर प्रबंधन समिति के मुख्य वक्ता चंपत रॉय द्वरा पत्रकारो को बताया गया की  राम लला विराजमान की “”स्वमभू मूर्ति “” भी  गर्भ गृह मे मुख्य विग्रह के साथ विराजमान  रहेगी |  यह आरएसएस वीएचपी तथा बीजेपी का पहला प्रयोग धार्मिक कर्मकांडो से होगा | शायद वे अपने “””भक्तो “” को समझा भी ले –की जो कुछ भी किया जा रहा है वह  देश और हिन्दू धरम  के लिए  श्रेष्ठ  है !! परंतु  करोड़ो धर्मभीरु जनता के मन एक शंका का बीज –जरूर बो देंगे --- की ऐसा क्यू हो रहा है !

 

 कारण यह है की बीजेपी आरएसएस और वीएचपी  लोगो को यह विश्वास दिलाना चाह रहे है की केवल वे ही देश और धरम की रक्षा कर सकते है ! जब कोई उनसे पूछता है की जब देश मे स्वतन्त्रता  की लड़ाई लड़ी जा रही थी तब आप की भूमिका क्या थी ? उनके पास सिर्फ सावरकर का नाम ही लेने को है |  म्हातमा  गांधी के अहिंशा को व्यर्थ और पंडित नेहरू के आदर्शो को अधार्मिक  बताना ही पर्यपात नहीं होगा | कम से कम उन्होने कभी शंकरचार्यों का अपमान नहीं किया | असहमत वे कई मुद्दो पर रहे , जैसे छुआछूत  और मंदिर मे सबके प्रवेश  के अधिकार को लेकर | अब इंतज़ार है 22 जनवरी का |

    

Jan 16, 2024

 

आखिरकार विज्ञापन की भरमार  हार गयी !

 राम मंदिर में  मूर्ति स्थापना के यजमान मोदी नहीं होंगे !

     22 जनवरी को अयोध्या  में होने वाले आयोजन को जिस प्रकार की हाइप समाचार पात्रो और टीवी चैनलो  मे किया जा रहा था ,और  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को उस समारोह का “यजमान “  बनाए जाने का प्रचार हो रहा था  , वह चारो मठो के शंकराचार्यों  की आपति के बाद  कुछ तो संशोधित  करना पड़ा !  अयोध्या में मंदिर के निर्माण को लेकर वीएचपी और आरएसएस तथा  बीजेपी शासित  राज्यो में  प्रचार का जुनून  दिखाई पद रहा था –उसको कुछ विराम सा लग गया है | चंपत रॉय जी के संगठन की ओर से यह बताया गया ही की  मूर्ति स्थापना के मुख्य यजमान  ट्रस्ट के किसी विवाहित सदस्य   को ही बने जाएगा !  राम के मंदिर की स्थापना  में कोई पुरुष एकल रूप से नहीं बैठ सकता ----यानहा तक की मर्यादा पुरुषोतम राम भी अश्वमेघ यज्ञ  में सोने की सीता की प्रतिमा  के साथ ही बैठे थे |  अब ऐसी व्यवस्था में प्रधान मंत्री का राजसत्ता  के सहारे वेदिक नियमो की अवहेलना  करना और वह भी जब की सनातन धरम के चार मठो के शंकरचार्यों  द्वरा आपति की गयी तब आम हिन्दू के मन में धार्मिक कर्मकांडो से  की जा रही इस मनमानी  ने थोड़ा आशंतोष और कुछ  आक्रोश भी था , यानहा तक की सत्ता की अंधभक्तों  की भीड़ भी इस आक्रोश का उत्तर नहीं दे पा रही थी | संभवतः  जमीन में व्यापात इस असंतोष का एहसास  वीएचपी और आरएसएस के साथ बीजेपी के लोगो को भी हो रहा था | शायद यही कारण है की जन आस्था का ख्याल रखते हुए यजमान बदलने का निर्णय लिया गया है |

     अयोध्या से मिल रही खबरों के अनुसार   मंदिर निर्माण ट्रस्ट के सदस्य डॉ अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा मिश्रा  मूर्ति की प्राण प्रतिस्था  के लिए सप्ताह भर चलने वाले कर्मकांडो मे यजमान के रूप बैठेंगे |   यही शास्त्रोक्त  व्यवस्था है , की पत्नी के साथ गठबंधन करके ही किसी भी  यज्ञ अथवा  धार्मिक  कर्मकांड  में बैठ सकते है | उन्हे ही मंदिर निर्माण का विनियोग और संकलप लेना होगा ,तथा यजमान की सारी अहर्रता  पुरी करनी होगी | वैसे वीएचपी के एक सिंह साहबान भी यजमान के रूप में रहेंगे | यह वैसा ही है जैसा की कन्या के विवाह के समय कन्या दान माता और पिता करते है , उसके बाद रिश्तेदार और अन्य लोग भी पैर पूजते है |

 अयोध्या और पूरी के आयोजनो का अंतर !  22 जनवरी के आयोजन से पूर्व 17 जनवरी को पुरी मे जगन्नाथ  के मंदिर परिक्रमा प्र्कल्प  का उदघाटन हो रहा है | गौर तलब है की   जगन्नाथ  जी को आदिगुरु शंकराचार्य  ने  चार स्थानो में  वेदिक धरम  के  मठ के रूप स्थापना की थी |  ये हमारे डीएचआरएम के चरो धामो मे एक है | परंपरासवरूप  से होने वाली “” विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा “”  भी यानहा  पुरी के राजवंश  के ही व्यक्ति की अगुवाई में प्रारम्भ होती है | उसमें कभी किसी प्रधान मंत्री या मुख्य मंत्री ने  यात्रा में अगुआ  बनने की कोशिस नहीं किया है |  ना ही 3000 करोड़ के इस निर्माण को लेकर  वनहा की पटनायक सरकार  या मुख्य मंत्री नवीन पटनायक ने अपने को आगे किया ! जैसे  यह यात्रा  सदियो से निकलती आ रही थी उसी प्रकार  के कर्मकांड से विधिवत यह  धार्मिक  आयोजन सम्पन्न हो रहा है |  जबकि अयोध्या के आयोजन को लेकर चारो मठो के  शंकराचार्यों  ने – अधूरे मंदिर में मूर्ति स्थापना और  यजमान की पात्रता को लेकर  आपति की है |  अब शंकराचारयो के रुख में थोड़ी नरमी दिखाई पद रही है , द्वारिका मठ के शंकराचार्य जी ने  राम मंदिर  में  बाद मे “”जाने की बात काही है | उन्होने कहा की अभी वनहा भीड़भाड़  है बाद में दर्शन करने जाएंगे|

   रामलला विराजमान :-  जिस मूर्ति को लेकर 1949  से विवाद  शुरू हुआ ---जिसके नाम से बीजेपी नेता  आडवाणी जी ने रथ यात्रा निकली ,जिसके कारण  बीजेपी के वोट बैंक मे व्रधी हुई ,और जिसके कारण  राज्यो में और केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी ---वे स्वयंभू  मूर्ति अपने स्थान पर ही रहेगी !! उसकी पुजा –अर्चना  वनही होगी | 

 इस हालत में रहीम का दोहा याद आता है

 काज परे कुछ और है

काज सरे कुछ और

रहिमन भाँवर के परे

नदी सिरवात मौर !  

 

Jan 2, 2024

 

युद्ध नहीं है गाज़ा  पर हमला यह नर संहार है

 सिंडलर लिस्ट से भी ज्यदा भयावह है – गाज़ा के अरबों की मौते !

      हिटलर के नाजी शासन में यहूदियो के लिए  बनाए गए  जेल खाने  और उनमे  यहूदियो को यंत्रणा  देने पर बनी”” सिंडलर लिस्ट “” फिल्म ने आज के समय के लोगो को झकझोर दिया था | वनहा की अमानवीय    व्यवहार  को  देखकर “”मानवता वादी “ मन हिल गया था | हिटलर और उसके कारनामे  मानव इतिहास में एक काले पन्ने  की तरह है |  सारे विश्व ने इन हरकतों को “” युद्ध अपराध “” माना और नुरेन्बेर्ग  ट्राइल  में उन सैनिक अफसरो को  भी मौत की सज़ा सुनाई गयी थी जो “”यंत्रणा शिविरो “” में   तैनात थे और जिनकी देखरेख में यह अमानवीय –गैर कानूनी अपराध किए गाये थे |  युद्ध समाप्त होने के बाद इज़राइल  सरकार ने भी ऐसे  अफसरो को खोजने के लिए एक विशेस  इकाइया का गठन किया था |  जिसके लोगो ने अर्जेन्टीना  से आईखमैन को अगवा कर के तेल अबिब  में मुकदमा चलाया था |  सबकुछ  इन यंत्रणा शिविरो में हुआ था –परंतु  उन यहूदियो  पर ना तो बम बरसाए गाये थे और ना ही गोलियो से छ्लनी किया गया था |   जैसा की  आज इज़राइल की नेत्न्यहु  सरकार  डजा पट्टी और वेस्ट बैंक ल्के लोगो पर हवाई आक्रमण करके  अस्पतालो और रिहाइशि इलाको  को बर्बाद कर रहे है |

    यूएनओ के स्वास्थ्य  संगठन के अनुसार  8 अक्तूबर से चलने वाले  इस एकतरफा   हमले मे अभी तक 20,000 { बीस हजार }  लोग मारे जा चुके है | इज़राइल  कहता है की वह “”आतंकवादी “ संगठन “” हमास “” के के वीरुध लड़ाई लड़ रहा है , परंतु क्या  7000 हज़ार बच्चे  और 20000 लोग हमास  के सदस्य  थे ?  क्या अस्पतालो में  इलाज करा रहे बच्चे और  व्रद्ध  महिलाए इस आतंकवादी संगठन की सदस्य थी ?   हिटलर ने यहूदियो के बच्चो की हत्या नहीं की थी | आदमी और औरतों को यंत्रणा शिविरो में रखा था = जैसा भी था उन्हे भूखा  नहीं  रखा जाता था |  उनकी हत्या नहीं की जाती थी | बीमारों को डाक्टर भी देखता था –जैसा भी व्यवहार  होता रहा हो परंतु  मेडिकल  सुविधा तो थी |

           आइये अब देखते है की हिटलर के सताये  यहूदियो  का गाज़ा और वेस्ट बैंक के  फिलिस्तीनी  लोगो के साथ व्यवहार |

 अबरमह्निक  धरम की शाखा  में यहूदी –ईसाई और  इस्लाम  तीनों ही आते है | कहने को  तो यहूदी ईसा को भी पैगंबर मानते है पर मसीहा नहीं मानते है |  इजराइयाल के कब्जे वाले  इलाके मे ही  यारूशलम  है जो तीनों धर्मो यहूदी – ईसाई और इस्लाम  के लिए पवित्र माना जाता है | इसी छेत्र में  येशुमसीह  का जनमस्थल   बेथलहम  आता है ----  ताज्जुब की बात है की 2023 में  येसुमसीह  का जन्म दिन यानि की 2 दिसम्बर  का पर्व नहीं मनय गया – क्यूंकी  इज़राइली बमबारी से  उस गिरजाघर  के आसपास सिर्फ और सिर्फ  बमबारी मे बर्बाद  मालवा ही मालव बिखरा था ! वनहा के पादरियों  ने क्रिष्मास का त्योहार नहीं मनाया ---और ईशा के शिशु रूप को उस मलवे में लिटा कर अपना दुख व्यक्त किया ! अब अपने को क्रिश्चियन कहने वाले राष्ट्र  अम्रीका और ब्रिटेन  तथा अन्य यूरोपीय देश  किस मुंह से इज़राइल की कारवाई का समर्थन कर रहे है !

        जिस तरह से  इज़राइल  के प्रधान मंत्री  नेत्न्यहु और उनके साथी  एक आतंकवादी संगठन  से लड़ते हुए  बेजुबान और बेगुनाह  फिलिस्तीनीयों  को बम बरसा कर  बेघर और बना रहे है और मौत की नींद सुला रहे है ---- वह तो हिटलर के यंत्रणा शिविरो से भी भयानक  है |    युद्ध रूस और यूक्रेन  मे हो रहा है ---- राष्ट्रपति  पुतिन ने अहंकार पूर्वक  यूक्रेन को एक हफ्ते में  घुटने के बल  बैठाने  का दंभ किया था ---आज दो साल हो गाये है और यूक्रेन लोक तंत्रवादियों  की मदद से अभी भी  उनके ठिकानो पर बम बरसा रहा है – उसको भी हमले सहना पड़ रहा है | यह “””युद्ध”” है , परंतु इज़राइल  । एक कूटनीतिक वाक्य है “”” नान स्टेट एकटर “”  जिसको हमारे पड़ोसी पाकिस्तान ने भारत पर आतंकवादी हमले  के लिए जिम्मेदार बताया ---जैसे की  बाम्बे में हुआ हमला <  भारत  को मालूम था की यह हमला पाकिस्तान की फौज की  एक शाखा  का किया धरा है ----परंतु अंतराष्ट्रीय  स्तर पर  भारत के पास ऐसे तकनीकी सबूत नहीं थे –जिससे वह यह साबित कर पता की इस हमले के पीछे पाकिस्तान सरकार का हाथ था |  हाँ जो पकड़ा गया  उस पर मुकदमा चला कर  सज़ा दी गयाई |

        अगर इज़राइल  अंतरास्त्रीय  कानूनों का सम्मान करता तो वह हमास  के जिम्मेदार को पकड़ कर  सज़ा देता | परंतु  , इजराइयाल  की खुफिया एजेंसी  “” मोसाद “  जिसके बहुत चरचे   होते थे --- उसके बहुत से अफसरो को नेत्न्यहु  सरकार की नीतियो से विरोध था | जैसे सुप्रीम कोर्ट को संसद के अधीन लाने का कानून | दूसरा  अधिकान्स  इजराइलवासि  सत्ता के “” फिलिस्तीनी  नफरत “”  की नीति से सहमत नहीं है | उनका मत है की जिस प्रकार हमारा येरूशलम पर अधिकार है उसी प्रकार ईसाइयो और इस्लाम वालो का भी है |  हालांकि ऐसी रॉय  बहुमत मे है , परंतु  थोड़े से लोगो की गला फाड़ आवाज़  ही टीवी पर दिखयी जाती है | जिस प्रकार भारत में  भी हिन्दू और मुसलमानो  के मध्य नफरत  भड़काई जा रही है ,बिलकुल उसी भांति | यानहा भी कुछ लोग बस जय श्री राम का नारा लगा कर  मुसलमानो को  डराना  चाहते है |  जो हिटलर ने किया की   नसलवाद को बढ़ाया –आर्या श्रेस्ठ कहा , वैसे ही नेत्न्याहु उर्फ बीबी  इस्लाम को दुश्मन मानते है , वे मूल फिलिस्तीनीयों को उनके बसाहट से निकालना चाहते है |

                       ईसी कारण अब वे कहते है की हमारा युद्ध तो 2024 तक चलेगा !!!!!! अब दुनिया को समझना होगा की क्या वह दूसरे हिटलर  को नहीं  पैदा कर रहा है !!! जो ना तो अंतराष्ट्रीय  कानूनों का पालन कर रहा ना ही दुनिया की आवाज़ सुन रहा है !!!  एक है  नर संहार म्यांमार में भी हो रहा है --- जनहा  लोकप्रिय नेता और नोबल पुरस्कार विजेता  आंग सान सु को मिलिट्री जुनटा ने जेल में डाल रखा है | और  सारे  विश्व के राष्ट्र  मौन है , कुछ उसी प्रकार  बड़े राष्ट्र अपने स्वार्थो के बस में इज़राइल की गैरकानूनी और अमानवीय हरकतो पर चुप है | अमेरिकी अधिकारी बार –बार कहते है की इज़राइल को हमने  जन धन की हानी  को रोकने को कहा है –परंतु  साथ दिन बाद भी कुछ बदला नहीं है --- नागरिक बस्तियो एयर शरणार्थियो  के कैंपो पर बम गिराए जा रहे है , बच्चे और बूढ़े  बिना इलाज और नौजवान  हमलो में मर रहे है | देखे कब तक नपुंसक  दुनिया देखती रहेगी |