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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 28, 2023

 

 

 क्या लाड़ली बहनो के भाई और बच्चो के मामा    मुख्य मंत्री  रहेंगे ?

 क्या शिवराज सिंह जान बुझ कर पराई  लड़ाई को लड़ रहे हैं ?

         आगामी विधान सभा चुनावो  की जंग  को सत्तारूद पार्टी  यानि की बीजेपी , किसी “” अनाम “” चेहरे के लिए  ही लड़ रही हैं | यह तथ्य केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर  की प्रैस कोन्फ्रेंस  में कुल कर सामने आ गया !  जब  उनसे पूछा गया की जिस व्यक्ति ने विगत  चार विधान सभा चुनावो  में  भारतीय जनता पार्टी का चेहरा बन कर प्रदेश में   अगुवाई की हो – उसे  पाँचवी बार   राज्य का नेत्रत्व  करने से वंचित रखना---- वैसा ही हैं  , जैसे  राजा { नरेंद्र मोदी } के नाम और परचम  के लिए सूबेदार  लड़ रहा हो !!  

        आखिर  क्यूँ ऐसा हो रहा हैं ? नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब के अनुसार  , “” राज्य का अगला  मुख्य मंत्री  कौन होगा , “” इसका निर्णय  पार्टी का संसदीय बोर्ड ही तय करेगा !   आइस आम तौर पर तब  होता है –जब एक से अधिक लोग मुख्य मंत्री पद के दावेदार हो !  परंतु जिस व्यकति  ने राज्य का  बीस साल तक नेत्रत्व  किया हो , उसके भविष्य  को  पार्टी में और जनता  में  “” अनिश्चित “” कर देने से  क्या बीजेपी का भला हो पाएगा ? एंटी  इंकम्बेंसी  तो मामा यानि शिवराज के खिलाफ है --- परंतु  क्या इस फैक्टर  को  भारतीय  जनता पार्टी   “” नए चेहरे की संभावना “” से खतम किया जा सकेगा !  जिस चुनाव को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी अमित शाह   ने अपने हाथो मे ले रखा हो , वनहा प्रदेश के भावी नेत्रत्व के बारे में यह “” अनिश्चय “” रणनीति से अधिक षड्यंत्र  का इशारा करती है |  या यूं कहे की  की  सत्ता की इस “” युगल जोड़ी “” की  सनक अथवा  इच्छा  ही सर्वोपरि है |

                        जिस प्रकार प्रदेश के अखबारो में और मीडिया चैनलो में शिवराज सिंह  की उपलब्धियों  औए सफलता के  “” विज्ञापनो की भरमार है , उससे तो लगता है की शिव राज सिंह  को  “” बलि का  बकरा “” बने जा रहा है | बहनो को राखी का उपहार  और गॅस सिलेन्डर के दामो में कटौती  के वादे किए जा रहे  है ---- क्या वे शिव राज जानबूझ  कर  जनता मे प्रचार कर रहे है ----- उससे तो लगता है  की  अगर    उनकी जगह पर आने वाले बीजेपी के  नेता को  , यह कहने में आसानी रहेगी की --- शिवराज जी के वादे तो “”जुमले “” थे जैसे नरेंद्र मोदी  के 15 लाख सभी मतदाताओ  के खातो में देने का  जुमला था –जिसे लोगो ने सच मान लिया था !!!!

Aug 13, 2023

 

76 वीं आज़ादी की  वर्षगांठ पर – लालकिला से सबोधन

 

 हुजूर आज़ादी ,मिली ही ब्रिटिश दासता  से – विरासत है इतिहास है !

 

      विधि  और  न्याय व्यवस्था  के कानूनों  में  परिवर्तन  का दावा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा को बताया की –मोदी जी ने विगत में  तीन प्रण लिए थे जीने एक था --- गुलामी की निशानियों को मिटा देंगे !!  फ़ौजदारी और साक्ष्य कानून में संशोधन  के विधेयक पेश करते हुए उन्होने  कहा |  अब मोदी जी और शाह साहब  के पहले के बयानो की तरह ,यह भी हकीकत से बहुत दूर है |  मोदी जी जब –जब लालकिले से कहेंगे की मई आज़ादी की  {76 वीं  } वर्षगांठ पर देश को बधाई देता हूँ , तब आखिर वे यही तो बता रहे हैं की  आज से 76 साल पूर्व  ब्रिटिश साम्राज्य  से भारत देट इज इंडिया  आज़ाद हुआ था !! आप  पंडित नेहरू को कितना भी कोसे ,परंतु   भारत के भाग्य से भावी की मुलाक़ात  तो उन्होने ही अपने साथियो समेत देखा था ! देश के प्रथम स्वतन्त्रता दिवस का संबोधन  भी उनही का था |

     चलिये  अब बात करते है  गुलामी की निशानियों को मिटाने की ---- हुजूर , ये इतिहास है , और इसे दुनिया ने देखा है , इसलिए आप गुजरे वक़्त की हक़ीक़त को ना तो बादल सकते है ना ही मिटा सकते है | आप मुगलो से बहुत नफरत  करो --- पर आप जनहा से देश को संभोधित कर रहे हो वह भी , उनही के द्वारा बनवाया गया है | विरासत  वल्दियत की तरह होती है  उसे ना तो बदला जा सकता है ,और ना ही मिटाया जा सकता है | हिटलर ने भी प्रथम विश्व युद्ध  में जर्मनी  की पराजय का बदला लेने के लिए नेशनल सोसलिस्ट  जर्मन  वर्कर्स पार्टी  बनाई | अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए  उसने देश को दांव पर लगा दिया ,और अंत में देश को तबाह कर दिया ---- और तानाशाह  हार गया !!  पर नियति नहीं बदल सका |

 

       इसके अलावा  आई पी सी ,[ इंडियन पैनल कोड या दंड संहिता ]  सीआर पी सी [ यानि की  दंड प्रक्रिया संहिता ]  और साक्ष्य अधिनियम  में आप “” संशोधन “ ही कर रहे है , कोई आमूल चूल  नया कानून तो ला नहीं रहे है ? फिर इस “” पैबंदी””  काम का इतना हल्ला क्यू ?  अरे भाई इस लोकसभा ने तो   गणतन्त्र  के संविधान में गुजरे 70 सालो में औसतन  प्रतिवर्ष एक की दर से  संशोधन  किए है ! जी हाँ  आज़ादी दिलाने वाले हमारे नेताओ ने कम ,लेकिन  उसके बाद की पीढी  ने  सत्तर से भी अधिक  बदलाव किए | यह सब तत्कालीन  सरकारो  ने वक़्त की हालत को देखते हुए किए थे |

 

      जब संसद में बैठे हुए  नेताओ ने  देश के सर्वोच्च  कानून – “ भारतीय संविधान “” में  इतने बदलाव किए , तब आप भी अपने संख्यासुर  के बल पर  मन मानी  कर लीजिये | हाँ यदि आपके इस  कदम से  देश की न्याय व्यवस्था  और अपराध नियंत्रण  में  बदलाव आए तो स्वागत  योग्य होगा ! परंतु  गुजरे 9 नौ सालो का अनुभव बताता  है की --- आप कहते तो बहुत कुछ हो – परंतु वह अर्थहीन होता  है |  कितने वादे आपने देश से किए –याद है आपको ?  कोई भी  पूरा हुआ , हाँ  एक राम मंदिर निर्माण का , जो आपको विरासत में मिला था , यह आप का  वादा नहीं है |  आप मौजूदा  समस्याओ   को हल करने में विफल रहे हैं !  असफल फिल्म निर्माता की भांति  है आप ने भी वही किया , जो एक असफल  फिल्म निर्माता करता है , एक फिल्म रिलीज करता है , दूसरी अधूरी होती है , औ उसी सामी तीसरी की घोसना  करता  है | इस प्रकार वह  वर्तमान की असफलता को ढंकने  के लिए  दोहरा बंदोबस्त करता है |  याद कीजिये , स्विट्ज़र लैंड की बंकों में जमा , देश के भ्रष्ट  नेताओ और  व्यापारियो  का काला  धन  वापस इंडिया लाने की , और सभी को 15 पंद्रह लाख रुपये देने की ----  ,बहुत बड़ा लालच था   देश की जनता के लिए | पर हुआ क्या नौ साल हो गए और अमित शाह ने उस वादे को जुमला  करार दिया !  उसके बाद तो आप ने अनेकों घोषनाए  और वादे देश से किए , पर सब झूठे निकले |

          आज देश के पूर्वोतर प्रांत में  मणिपुर में आपकी पार्टी की सरकार है – यानि  भाषणो  में आप जो कहते हो ,    “”डबल इंजन की सरकार “” वही विरेन सिंह की सरकार है , तीन माह हो गए है , वनहा पर खून की होली खेली जा रही है , सशस्त्र बालो के अस्त्रागारों से हथियार लूटे जा रहे है  पर कोई समाधान  नहीं | सरकार की नाकामी और नागरिकों और नारियो की चीख को सुन कर   सुप्रीम कोर्ट को  हालत की जांच के लिए  हाई कौर्ट  की तीन   अवकाश प्राप्त महिला न्यायधीशों की समिति को हालत और विस्थापितों को सहायता की  ज़िम्मेदारी देनी पड़ी |  मोदी जी ऐसा ना तो नेहरू जी ना इन्दिरा जी और ना राजीव जी और ना मनमोहन सिंह के प्रधान मंत्री रहते  हुआ !!  इस हिंसा  के ज्वार  से घबराए  हुए आप लोग बैठे हुए है | अगर भिंडरणवाले  के डर से इन्दिरा जी आपकी तरह चुप रहती –तब क्या होता ! कभी कल्पना की है ? उन्होने हालत का मुक़ाबला किया –और फिर आतंकवादियो के साथियो की गोली का शिकार हुई !  आप होते तो अमरतसर जलता रहता | उन्होने मिजोरम की राजधानी आइजुल  पर तब बम गिराए –जब  जमीनी रास्ते से सुरक्षा बलो का पाहुचना  संभव नहीं था | क्यूंकी प्रदेश की राजधानी  पर विद्रोहियो  ने कब्जा  कर लिया था --- देश की और निर्वाचित सरकार  की प्रतिस्ठा दांव पर थी !  आप के पास तो साधन है – जाइए वनहा शांति वार्ता कीजिये | अगर आप  ईमानदारी से जातीय उन्माद का नियंत्रण चाहते है ---- और अगर आप इस अशांति को  हिन्दू और ईसाई  की समस्या के रूप में देखना चाहते है  तो जो आप कर रहे और जो आप की पारी की सरकार के मुखिया विरेन सिंह कर रहे है --- उनके अन्यायी  फैसलो को तो सुप्रीम कोर्ट नियंत्रित करेगा ही |

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         प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी  , आप कभी देश के प्रधान मंत्री के रूप में  इस इंडिया अथवा भारत को संभोधित  नहीं किया ! आप हरदम  अपनी पार्टी  के नेता के रूप  में ही  देश के मतदाताओ  से  मुखातिब  रहे , इसीलिए आप के पिछले संबोधानों  में भी  अपनी उपलब्धियों [ जो की है ही नहीं ]  का गुण गान  ही करते रहे |  कभी आपने देश के नागरिकों  की दशा और समस्याओ  के ज़िक्र तक नहीं किया | जब पेट्रोल के भाव दुनिया में कम हुए –तब आपने उसे अपना नसीब बताया !  जो की सच से कोसो दूर था |  आज खाने – की वस्तुओ के दाम आकाश छु रहे है --- टमाटर  200 रुपये से अधिक हो गया कोई भी सब्जी  100 रुपये किलो से कम में नहीं मिल रही | अगर इसका फाइदा  किसान यानि उत्पादक को होता तब तो ठीक भी ठा –परंतु हमेशा की तरह  बिचौलिये  माल खा रहे हैं |

 

     एक और तथ्य   रखना है की दुनिया के इतिहास में  आज तक कोई भी “” विजेता  भले ही वह विश्व विजेता ही क्यू ना हो “”  उसने नागरिकों को कष्ट और दुख तथा बरबादी ही दी है , सिकंदर से लेकर चंगेज़ खान  ,हलाकू  और सलदिन  सभी विजेता के रूप में इतिहास में दर्ज़ है | पारा उनके समय और स्थान में प्रजा  परेशान ही रही – भूख और बीमारी  से  और उजड़ी हुई  फसलों से  तबाह ही रही !!  और जिन शासको को इतिहास   जानता है वे विजय के बजाय अपने नागरिकों  क सुख –सुविदा के लिए  जाने जाते है | अशोक को महान सम्राट कहते है परंतु , बेहतर राजा के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य  को जाना जाता है |  विक्रमादित्य को  तो अच्छे राजा के रूपे में कहानिया प्रचलित है |   परंतु आप शायद अच्छे से ज्यादा  “” विजयी “” कहलाना  पसंद करते है --- इसीलिए  निर्माण के द्वरा इतिहास में अपना नाम  चाहते है ---अब यह तो भविषय  ही बताएगा की आप कितने सफल रहे या असफल !

 

 

Aug 11, 2023

 

सरकार ने  क्या किया बताने की जगह

 

 मणिपुर की अशांति मुद्दा था – जवाब  नेहरू –इन्दिरा और राजीव पर !

 

         मोदी सरकार के वीरुध अविश्वास का प्रस्ताव  काँग्रेस पार्टी

का नहीं था , वरन यह नव गठित इंडिया गठबंधन का था ! परंतु प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह  के निशाने पर राहुल गांधी और  उनका परिवार ही रहा |  मजे की बात यह है की सरकार ने  कोई ठोस उपायो की घोसना नहीं की |  90 नब्बे दिनो के बाद  भी  वनहा  हालत को नियंत्रित करने में नाकाम बीजेपी की वीरेन सिंह की सरकार  है ,और  सरकार  सिर्फ  उम्मीद कर रही है की “” मणिपुर में शांति का सूरज निकलेगा “” | लोकसभा में प्रस्ताव पर  बहस के लिए नियत समय  का एक चौथाई  मोदी जी के  2 दो घंटे से अधिक के उवाच में निकल गया |

               वैसे एक खास बात यह हुई की लोकसभा अध्याकाश  बिरला जी के बार –बार निर्देश पर की सत्ता पक्ष और विपक्ष  कोई नारे बाजी नहीं करेंगे , यानहा तक की उन्होने प्रधान मंत्री के भाषण के दौरान भी उन्होने सदस्यो को चेतावनी दी  , फिर भी  नारेबाजी नहीं रुकी !!  कारण यह था की मोदी जी के भाषण  का स्टाइल ही छत्र संघ के  चुनावों  जैसा था – जिसमे नेता के  कथन के बाद उत्तर के रूप में बीजेपी सांसद  जवाबी नारा लगते थे | मोदी जी के तुकबंदी वाले चिरपरिचित शैली , उनके जनसभाओ के भाषण  का ही रूप था | उनका भाषण किसी भी आकार से सदन के “ वाद – विवाद “” जैसा तो नहीं था |  शायद  प्रधान मंत्री को बहस  में शामिल होने का अनुभव नहीं है | इसीलिए वे हर स्थान  पर एक जैसा ही वक्त्वय देते रहते है | इस सिलसिले वे यह भी भूल जाते है की  कौन सा  स्थान है और किस विषय पर बोल् ना है |

         चलिये अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी जी और अमित शाह के कथनो को पारखे की वे संसदीय प्रणाली के कितने अनुरूप थे |  जैसा की ऊपर बता चुके है की – मुद्दा मणिपुर में केंद्र की नाकामी का था ---- पर सरकार की ओर के सभी वक्ताओ ने  अपना हमला राहुल और पहले की नेहरू और इन्दिरा गांधी की  तथा राजीव गांधी की सरकारो को जिम्मेदार बताया |  विगत  9 साल से मोदी सरकार का  यह फार्मूला रहा है की –जब भी कोई समस्या  हो  नेहरु –इन्दिरा की सरकारो को दोषी  बताओ | सवाल यह है की  समस्या वर्तमान  में है – और समाधान  की ज़िम्मेदारी आप की है –  परंतु  दोषी  हमेशा  पहले की सरकार बताओ | इस घिसे पीटे तरीके से अब लोग ऊब गए हैं |

 

     अब जरा यह भी परख लेते है की  मोदी जी के कथन में कितनी  सत्यता है ?  उन्होने प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू  के चीन के आक्रमण के समय  - आसाम के वासियो के प्रति सहानुभूति  वायक्त की थी | उसे मोदी जी ने बताया की जब लोग मदद की उम्मीद कर रहे थे तब उन्होने कुछ नहीं किया |  अब वास्तविकता यह है की तब पूर्वोतर  में  रेलवे लाइने बिछाई जा रही थी   नॉर्थ ईस्ट फ़्रोंटियर  रेलवे डिवीजन का गठन हुआ  ही था |   उस असहाय स्थिति में देश के नेता ने  सहानुभूति व्यक्त की थी | मोदी जी ने आज तक  मणिपुर में कुकी जनजाति के नर संहार पर सहानुभूति के दो बोल भी नहीं  “”मन की बात “” तक में नहीं बोले !!!

         उन्होने 1962 में अशासन्त  मिजोरम  में उग्रवादियो  को विदेशो से मिलने वाली हथियारो  की आपूर्ति पर रोक लगाने के लिए  वायु सेना  ने  बम बारी की थी | जिससे वनहा  शांति स्थापित हुई | मोदी जी  इस बार अमरतसर  में गोल्डेन टैम्पल  को   आतंकवादी  भिंडरनवाले  के गिरोह के कब्जे से आज़ाद करने के लिए  इन्दिरा गांधी ने ऑपरेशन  ब्लू स्टार किया था , जो भारतीय सेना द्वरा किया गया था | क्या  एक आतंकवादी को  खतम  करना गलत था ? हो सकता है की मोदी जी भूल गए |   मोदी जी भुला गए की वह इन्दिरा जी ही थी जिनहोने  अमेरिका  की धम्की के बावजूद बंगला  देश  में फौज भेजी थी , और 90 नब्बे हजार  सैनिको को युद्ध बंदी बनाया था |  और पाकिस्तान प्रधान मंत्री भुट्टो को शांति वार्ता के लिए मजबूर किया था |   अपने साहसिक फैसले की कीमत  देश पर अपनी जान कुर्बान  कर के दी थी | राजीव गांधी ने श्री लंका में तमिल उग्रवादियो  पर नियंत्रण  के लिए  पहल की थी जिसकी कीमत उन्हे भी अपनी माता  के समान देश पर जान कुर्बान  कर के दी |

       राहुल गांधी को सुप्रीम कौर्ट  से राहत मिलने के कारण  -  बौखलाए हुए सत्ता पक्ष  ने --  सारा ज़ोर राहुल की आलोचना में लगाया --- विषय पर  सरकार की ओर से अपुष्ट तथ्य  ही बोले गए ,  जब वीओढ़ी वक्ताओ ने जानना चाहा  की – क्यू नहीं मंत्री लोगो ने मणिपुर का दौरा किया ?  तब महिला मंत्री ने कहा की 50 दिनो में अनेकों मंत्री वनहा गाये हैं ! परंतु ना तो वे  दिनाक बता पायी ना ही वे कोई सबूत दे पायी की कोई  मंत्री { अमित शाह के अलावा }}} नहीं गाय था |

      सारी बहस ऐसे हो रही थी की सत्ता  पक्ष   --- विपक्ष  के वीरुध सदन में बहस कर रहा हो | जबकि अविश्वास प्रस्ताव सरकार के वीरुध था |  सत्तरुड दल के वक्ताओ को जैसे बता दिया गया हो की मणिपुर  को छोडकर सिर्फ  काँग्रेस  के भूत काल और वर्तमान काल के नेत्रत्व पर ही हमला करना है |

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    प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में  2 दो घंटे के भाषण  में काँग्रेस  के लिए कहा की --- यूपीए  का क्रियाकर्म करके  अब इंडिया बनाया है ----- वे भूल गाये की  गोधरा कांड के समय  अटल जी के ताप से बचाने वाले लाल क्राइष्ण आडवाणी  समेत  लोगो ने “” अपने

औरस  संस्था “” जनसंघ “” का क्रिया कर्म करके  ही मुंबई के आज़ाद मैदान में नया नामकरण   भारतीय जनता पार्टी हुआ था !!!!  काँग्रेस  का विभाजन   विगत 100 सालो में भले ही दासियो बार हुआ , परंतु  एक धारा हमेशा सतत  बहती रही | रही  400 से 40 सांसदो  में सिमटने की --- तो प्रधान मंत्री जी  लोकसभा में आपकी  भी पार्टी  मात्र 2 दो सदस्यो पर सिमट गयी थी \

         काँग्रेस  को देश के विभाजन का दोषी बताने का जवाब यह है की  जब  का पित्र संगठन  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज़ादी के  खिलाफ था | वह इसलिए की  की सत्ता  का हस्तांतरण  महात्मा गांधी और काँग्रेस को किया जा रहा था | जबकि उस समय आपकी हैसियत सार्वजनिक जीवन में कुछ भी नहीं ही |  1935 में  जब प्रांतीय सरकारो  के लिए चुनाव हुए तब  भी  आरएसएस का राजनीति में कोई नामोनिशान नहीं था |  तब भी प्रांतो  में काँग्रेस की सरकारे  ही बनी थी , सिवाय पंजाब के,  आज भी काँग्रेस की हिमांचल – कर्नाटक –और राजस्थान तथ छतीसगरह  में  सरकार है |

                       जिस प्रकार से उन्होने काँग्रेस पार्टी को लूट की दुकान और झूठ का बाजार – जनता लगाएगी ताला ,कहा , उसका जवाब तो राहुल गांधी का लोकसभा में वह वक्तव्य  तहा जिसमे उन्होने , परधान मंत्री और  गौतम अदानी के संबंधो  के बारे में कहा था | जिस पर समूचा बीजेपी संसदीय दल  शोर मचाने लगा था | रही बात झूठ की  -- तो मान्यवर  अमेरिका में आपने सार्वजनिक रूप से  भाषण में कहा था की भारत में प्रत्येक वर्ष  आई आई टी  और एक आई आई एम  खुल रहा है ---जबकि लोकसभा में आपके शिक्षा राज्य मंत्री एक सवाल के जवाब में बताते है की देश में आखिरी आई आई टी  2011 में पूर्वोतर में खुला था |  अब आप ही बताए की झूठ का बाजार कौन लगाए बैठा हैं |

Aug 9, 2023

 

 

सरकार ने मिलावट कानून से क़ैद खतम की

 

जन विश्वास विधेयक को –विश्व स्वास्थ्य संगठन  का झटका !

           

       भारत सरकार के 42 मंत्रालयों के 48 कानूनों के 182 प्रविधानों  में संशोधन करके  मोदी सरकार के जन विश्वास विधेयक को संसद  से पारित होने के हफ्ते भर के भीतर  ही , विश्व स्वास्थ्य संगठन ने  देश में निर्मित  कफ सिरप  को  “जान लेवा “” घोषीत  कर दिया !  मोदी सरकार ने  दावा निर्माताओ  को  राहत के नाम पर , दवाओ मे मिलावट  पर जेल की सज़ा को  खतम कर दिया हैं |  यानि की अब मिलावट से  अगर लोगो की मौत भी होती है ---तब भी उन पर  फ़ौजदारी कानून के तहत  मुकदमा  नहीं चलेगा | क्यूंकी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के तहत , मिलावटी खाद्या  पदार्थो ,पेय अथवा दवाओ  में मिलावट से होने वाली मौत को "" गैर नियत की हत्या "" का अपराध माना जाता  हैं |  परंतु वर्तमान  विधि के प्रभाव  में आने  के उपरांत   अब  ऐसे मामलो को  जन विश्वास विधि के प्रविधानों  के अंतर्गत मुकदमा चलाया  जाएगा | जिसमे  मिलावट के कारण  हुई मौतों  पर "मात्र "" जुर्माने की ही सज़ा का विधान हैं |

 

                 कुछ समय पूर्व  हिमाचल  की कंपनियो द्वरा  बनाए गए कफ सिरप  से अफ्रीका के कई देशो में बच्चो की मौते हुई थी | जिनकी शिकायत  संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व स्वास्थ्य संगठन  से की गयी थी | तब संबन्धित कंपनियो की  जांच करके  उनके इस दावा के उत्पादन पर रोक लगाई गयी थी |  हालांकि  अफ्रीका में बच्चो  की हुई मौतों  पर उन देशो ना अपने यानहा और ना ही भारत  में दोषी कंपनियो के खिलाफ कोई कानूनी कारवाई  नही की थी |

          कोरोना काल  के बाद भारतीय कंपनियो ने विदेशो को काफी दवाए निर्यात  की थी | परंतु गुणवत्ता की द्र्श्टी  से "" वे "" काफी अमानक स्टार की पायी गयी |  पिछले  10 दस माह में  डबल्यूएचओ  द्वरा  भारतीय  दवाओ पर  पांचवी बार  प्रतिबंध लगाया है | इस बार शिकायत अरब देश इराक़ से आई है | जिस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रतिबंध की कारवाई  की है |  इसका कारण है की डबल्यूएचओ  दवाओ की जांच का मानक  संयुक्त राज्य अमेरिका  की संस्था के मानको के आधार पर करती है | जो विश्व  में सब जगह  मान्य है | परंतु अनेक  भारतीय दवा कंपनी  अमेरिकी  जांच संघटन  के तारो पर "असफल " हो जाती है | इसी लिए  अनेक भारतीय कंपनियो के खिलाफ अमरीका  में मुकदमें भी चले है , और उन्हे दंडित भी किया गया है | भारी भरकम  जुर्माने और

छतिपूर्ति  के दावो से अनेकभारतीय  दवा कंपनियो  को वनहा से अपना धंधा भी समेटना पड़ा था |  

              इस बार शिकायत  तामिलनाडु की दावा निर्माता फोर्ट्स {इंडिया } लबोरेटरी  प्राइवेट लिमिटेड  की महाराष्ट्र स्थित इकाई में बनने वाली  कफ सिरप ""कोल्ड आउट ""  में  पैरासीटामाल और  क्लोरोफेनिरामन फलीयट | मिलकर बनती है | इसका इस्तेमाल  जुकाम  और एलेरजी से निजात  पाने के लिया किया जाता है | इराक़  से शिकायत  मिलने पर  

 प्रयोगशाला  में जांच कराई गयी |  वनहा दवा में  एक रसायन की मात्रा नियत मात्रा से अधिक पायी गयी ---जो  दावा इस्तेमाल करने वाले  के स्वास्थ्य  के लिय खतरनाक हो गया था |

       

  

Aug 8, 2023

 

 

इन काउंटर और बुल्ल्डोजर संसक्राति  पर लगाम

 पंजाब और हरियाणा  उच्च न्यायालय ने कर दिखाया जो अदालते नहीं कर सकी ! बताया  जातीय नर संहार !!

 

        हैदराबाद  में  एक लड़की से बलात्कार और हत्या के मामले में  ,पुलिस ने डो –तीन दिन में ही  तथाकथित  आरोपियों को गिरफ्तार किया फिर “”मौका मुआइना “” के नाम पर घटनास्थल पर ले जाकर  -- उन पर भागने का आरोप लगा कर गोली मार दी ! उस समय  बलात्कार की घटना से उत्तेजित  जनसमूह  ने इसे “” फौरी न्याय”” बताते हुए  पुलिस की वाह वाही की | परंतु   कुछ समय बाद   खुफिया विभाग की जांच में यह पाया गया की पुलिस ने  तीन निर्पराध  लोगो की हत्या कर दी है !  तब अखबारो में  इस त्वरित न्याया  से होने वाले अन्याय को लेकर खबरे  छपी | कुछ ऐसा ही   जातीय  दंगो में  बीजेपी सरकारो द्वरा  अलपसंख्यकों  को अशांति का कारण या पत्थर फेकने का दोषी बता कर  -उनके घरो और दुकानों  को बुल्ल्डोजर द्वरा नेस्तनाबूद करने की  उत्तर प्रदेश के आदित्यनाथ की सरकार की चाल  ने हजारो  मुसलमानो को  बेघर और बेरोजगार कर दिया है |  आश्चर्य की बात यह है की जब पीड़ित लोगो  ने अदालतों  में राहत की अर्ज़ी लगायाई  ---तब अदालतों ने भी , यानहा तक की उच्च न्यायालय ने भी सरकार की इस कारवाई पर रोक लगाने में असमर्थता  बता दी ! 

                      लेकिन  पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने   हरियाणा  में नूह  में हुए दंगो को लेकर  एक धरम विशेस के घरो और रोजगार के स्थानो पर  “” अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर चलाने  के प्रशासन  के काम पर –सवालिया  निशान लगा दिया है |  उन्होने ज़िला प्रशासन की कारवाई को – एक छ्लावा  बताते हुए इसे अलप्स्ङ्ख्यकों  के वीरुध इस्तेमाल  करने पर तत्काल  रोक लगा दी है इतना ही नहीं  न्यायमूर्ति संधवलिया  और  हरप्रीत कौर की बेंच ने  मशहूर  वाक्य कहा की “”” सत्ता  भ्रष्ट कर देती है और सम्पूर्ण सत्ता पूरी  तरह से भ्रष्ट होती है “” |  अदालत ने हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज़ द्वरा   घरो और दुकानों  को सांप्रदायिक दंगो का “”इलाज़ “” बताए जाने पर सख्त प्रतिकृया दी हैं |  उच्च न्यायालय ने  14 दिनो में गिराए गए घरो और इमारतों  के कारण और कारवाई पर सरकार से शपथ पत्र  पर जवाब मांगा है |  उन्होने नूह और गुरुग्राम में ध्वस्त की गयी इमारतों की तफसील मांगी है | एवं  यह भी  मांगा है की इस कारवाई के पहले कोई नोटिस  या न्यायिक कारवाई का आदेश प्रापत  किया था या नहीं |

                    गौर तलब है की उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ सरकार की इस कारवाई को भी अलपसंख्यकों  को सबक सिखाने की कारवाई बताया जाता रहा है |  वनहा की अदालतों  ने ऐसे बुल्ल्डोजर कारवाई  ,पर यह तक ज़िला प्रशासन से नहीं “” पुच्छा  की गिरने के पहले कोई नोटिस और मियाद दी गयी थी या नहीं ? यह बताता है की न्यायपालिका  पर प्रदेश की सरकार का कितना आतंक है | यानहा तक की  उच्च न्यायालय ने भी प्रदेश की ऐसी घटनाओ पर रोक लगाने  की स्वतः  पहल नहीं की | जैसी की सर्वोच्च न्यायालय ने मणिपुर  के  हिन्दू  माइतेई  और ईसाई कूकी  समुदाय के मध्य चल रहे दगो  और सरकार की निष्क्रियता  पर सवाल उठाए थे | 

              एक अनुमान के अनुसार  नूह , पलवल ,  और अन्य  कस्बो में सरकारी  तंत्र द्वरा  अलप्स्ङ्ख्यकों की संपतियो को हानी पाहुचाने से हरियाणा  सरकार पर रोक लगा दी है | उच्च न्यायालय ने कहा की  इतनी बड़ी और इतने विस्तरत पैमाने पर की गयी यह कारवाई बिना कानून की प्रक्रिया का पालन  किए  प्रशासन द्वरा किया गया है |  अदालती आदेश में कहा गया है की अखबार में छ्पी खबर के अनुसार  अस्पताल के बगल की इमारत को गिरा दिया गया ,जबकि वह बहुत समय से थी |  व्यापारिक संस्थानो , दुकानों  और  होटल और रेस्टुरेंट  जो लंबे समय से  चल रहे थे –उनको भी अतिक्रमण बता कर  गिराया गया है |

                     सारे देश में ऐसी कारवाई  विगत  चार सालो से उत्तर प्रदेश में की जा रही है , परंतु  शायद वनहा  की अदालतों को राज्य के नागरिकों से ज्यड़ा सरकार की नाराजगी की फिकर है | वरना  अखबार तो वे लोग भी पड़ते ही होंगे –खबरे देखते और सुनते होंगे –फिर उन्हे क्यू नहीं लगा  की सरकारी अमले द्वरा एक धरम विशेस के ही लोगो के घर –दुकान गिराए जा रहे है और उन्हे गिरफ्तार कर पुलिस के डंडे  खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है !!!  हरियाणा की बीजेपी सरकार को   जाटो और गुजरो की नाराजगी भी झेलनी पड रही है ---- इन जातियो  ने “”खाप “” पंचायत कर के  हिन्दू – मुसलमान  भाई चारे   को नुकसान पाहुचने के विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल और  कथित गौ रक्षको  के प्रयासो का मुक़ाबला  करने की शपथ ली है |   इससे  हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज़  के इलाज़   को गैर कानूनी  ही नहीं वरन  वोट की राजनीति  में भी नुकसान पहुंचेगा |   वोटो के धुर्विकरन  की राजनीति इस समय नूह और गुरु ग्राम  में कसौटी पर हैं |

 

    

 

Aug 7, 2023

 

राहुल गांधी और मणिपुर; सत्ता दल का नासूर

                    

 अदालत में रुसवाई का बदला  बीजेपी ने लोकसभा मे निकाला !

       राहुल गांधी  की सदस्यता बहाली  के बाद लोकसभा में  उनकी मौजूदगी  का जश्न  सत्तारुड दल के सांसदो ने शोरगुल मचाकर और नारे लगा कर किया !!  वैसे  सत्ताधिशो के लिए  सावन का यह सोमवार बहुत अशुभ  साबित हुआ , क्यूंकी  एक ओर मणिपुर नर संहार  के मामले में  वनहा के पुलिस महानिदेशक की सुप्रीम कोर्ट में पेशी हुई | जिसमें उनसे 90 दिनो से अधिक तक चले जातीय स्ंघ्श्रश  के दौरान पुलिस की भूमिका के बारे में सवाल पूच्छे गए थे |  बहरहाल  बीजेपी सांसदो ने एक बार फिर काँग्रेस पर फिर उस गिरोह का होने का आरोप लगाया ----जिसके अस्तित्व  को उनके बड़े नेता ,जी हाँ गृह मंत्री  अमित शाह  इसी सदन में नकार चुके है ! हैं ना अचरज ! किस्सा –कोताह यह की राहुल और काँग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया की वे पंडित जवाहर ल नेहरू की नीति  पर चल कर देश को हिन्दू राष्ट्र  बनने के बाधक है !  खैर सभापति को इस हो हल्ले के बीच सदन को दो बजे तक स्थगित कर दिया |

 

          राहुल गांधी की सदस्यता बहाली के सुप्रीम कोर्ट के फैसले  से ज्यादा “”भक्त गण “” मणिपुर और नूह में जातीय और सांप्रदायिक  दंगो  पर सर्वोच्च न्यायालय  द्वरा “”स्वयं सज्ञान”” लिए जाने से  पगलाए हुए थे ! क्यूंकी उनका भी वही तर्क था जो स्म्रती ईरानी और लेखी उठा चुकी थी ----यानि दो महिलाओ  की नगन परेड और बाद में बलात्कार  जैसी घटनाए तो बंगाल और राजस्थान में भी हुई- फिर उनपर क्यू नहीं स्वतः स्ंग्यान ?  प्रधान न्यायाधीश  चंद्रचूड़ ने मोदी सरकार की इन महिला मंत्रियो के तर्क  को सिरे से खारिज करते हुए कहा था “” मणिपुर कांड की तुलना इन राज्यो में हुए अपराधो से नहीं की जा सकती “ “” बस   यही फैसला  भक्तो  के सड़क छाप से लेकर बुद्धिजीवी पत्रकार  और साहित्यकार तक भड़क गये |  उनका सारा गुस्सा  अब काँग्रेस और राहुल तथा इंडिया गठबंधन  से हट कर  सुप्रीम कोर्ट के प्रधान नयायाधीश  की  “””हैसियत “”  और अधिकारो  को बताने में निकला !!  एक फटीचर नुमा  भक्त जिनहोने यूट्यूब पर एक क्लिप डाली है की “”जिसमें  वे वे प्रधान न्यायाधीश  चंद्रचूड़ को  धम्काते  हुए कह रहे हैं “” तेरी औकात क्या है , तू कुछ नहीं कर सकता कार की टक्कर भी हो जाए तो पुलिस ही करेगी !! “  दूसरे  सीनियर सज्जन ने जो पत्रकार रह चुके है ---उन्होने भी अदालत की उस टिप्पणी  पर आपति की जिसमें  मणिपुर  में संवैधानिक व्यवस्था असफल  हो जाने , और केंद्र की पहल  की गैर हाजिरी  में स्वतः व्यसथा करने की बात काही गयी थी !!  सवाल पूछा गया की  अगर व्यवस्था और शांति बहाली का काम “”अदालत “” करेगी  तब राज्य सरकरे क्या करेंगी ???? 

          दोनों ही भक्तो ने  संविधान को नकारते हुए –सुप्रीम कोर्ट से  “केवल लंबित मुकदमो को जल्दी  फैसला  करना ही हैं !  मुझे याद आता है की  यही भक्त गण  उत्तराखंड की हरीश चंद्र रावत की सरकार को  बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लगाने के आदेश को वनहा के  तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जोसफ ने  जब  “” असंवैधानिक “ बता कर सरकार को सदन में , न्यायालय के प्रतिनिधि की निगरानी में  बहुमत साबित करने का आदेश दिया था | तब  भी बीजेपी के एक  राष्ट्रीय महासचिव  ने भी ऐसी ही टिप्पणी की थी “” अब अदालत  राष्ट्रपति के आदेश को भी नहीं मानेगी ? तब न्यायमूर्ति जोसफ ने कहा था की “” वे कोई  सम्राट  नहीं है “” | तब भी भक्तो ने उनके आदेश को गैर कानूनी बताते हुए कहा था की   -- वे कैसे उस संस्था के आदेश को चुनौती दे सकते है –जिसने उन्हे नियुक्त किया है ? खैर भक्तो ने उनके संबंधो में काँग्रेस और हिन्दू विरोधी  तथ्य खोजने शुरू किए थे |  किस्सा कोताह यह की  दोनों महानुभावों  को संविधान को देखना  चाहिये  और  लोकतन्त्र  में  न्यायपालिका  की भूमिका को समझना चाहिए | अमेरिका में भी वनहा के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ,जो की प्रधान मंत्री नरेंन्द्र  मोदी के बहुत  बड़े दोस्त रहे है ---- आज उनको भी  अदालत में  दासियो मुकदमो का सामना करना पद रहा है ---अपनी जमानत भी करवानी पड रही है !!!

            इन भक्तो को न्यायपालिका  मोदी जी के हिन्दू राष्ट्र के सपने में बाधक लग रही है | अब हिन्दू राष्ट्र के लिए 29 करोड़ मुसलमान  और करोड़ ईसाई  तथा  अन्य धर्मो के लोग बाधक बनेंगे , इसलिए  ---- मणिपुर में ईसाई और हरियाणा में मुसलमान  बीजेपी सरकारो के निशाने पर है | 

इन भक्तो को  संविधान का धरम निरपेक्छ  होना भी  बाधक लगता है | इसीलिए  सत्ता  महात्मा गांधी और पंडित नेहरू  तथा इन्दिरा जी और राजीव गांधी के बलिदान को भी  “”नफरत”” की नजर से देखती  है | इसी लिए जब भी इन भक्तो के नफरत के व्यापार को  राहुल गांधी  की “”मोहब्बत की दुकान “”  खतम करते हुए लगती है |

बॉक्स

    इन मोदी भक्तो और हिन्दू राष्ट्र  के भाग्य विधाता  बनने की आशा पाले  लोगो को यह समझना होगा की – इस देश को आज़ादी  महात्मा गांधी और काँग्रेस  तथा कई अन्य लोगो के प्रयास  से मिली है | उसमें  ना तो  राष्ट्रीय  स्वयं सेवक संघ और ना ही उससे पैदा हुई  जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी  की कोई भूमिका नहीं है |  आज सरकार महात्मा गांधी की स्म्रती को चोरी – चोरी  खतम करना चाहती है – इसका उदाहरण  है की  महात्मा—विनोबा – जयप्रकाश और आचार्य नरेंद्र देव  द्वरा स्थापित  सर्वा सेवा संघ को  और उसके द्वरा  गांधी दर्शन  प्रकाशित करने वाली 10 पत्रिकाओ के लाइसेंसे  सरकार द्वरा रद्द कर दिये गए | 

                         इतना ही नहीं  साबरमती के संत के आश्रम को गुजरात की बीजेपी सरकार ने हस्तगत करके  वनहा पर सुरम्य  अट्टालिका बनाने की योजना बनाई है | स्वला हैं महात्मा  गांधी सादगी की प्रतिमूर्ति थे | वे सुबह शाम कपड़ा बदल कर  प्रार्थना  सभा में नहीं जाते थे --   उनका आश्रम  उनकी स्म्रती  को पुनर्जीवित करे ऐसी व्ययस्था  वनहा की बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार तथा  आरएसएस  बिलकुल नहीं चाहते |  उनकी  हिटलर शाही विचार धारा  और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने  के लक्ष्य  में  ---- जातीय और धार्मिक  नफरत  जरूरी ईंधन  है | जिसका विरोध   राहुल की कन्या कुमारी से श्री नगर  की पद यात्रा में  दिखायी दिया |  इस यात्रा के परिणामो  से मौजूदा सरकारी निजाम  बौखला गया है | जनहा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह  भी  मणिपुर के शरणार्थी शिविरो  का दौरा नहीं कर पाये , उन शिविरो  में राहुल गांधी कुकी समुदाय के लोगो सेमिलने गए |   आज यह साफ हो गया है की मणिपुर में  कानून – व्यवस्था  बिलकुल भंग हो चुकी है | सुरक्षा बालो के अस्त्रागार  लूटे जा रहे  अथवा  सत्ता द्वरा मीतेई समुदाय के लोगो बांटे जा रहे है --- जैसा की आरोप लगाया जा रहा है |  जब केंद्र की सरकार अपना  कर्तव्य निभाने में असफल  हो जाए तब --- नागरिक कान्हा जाये ????  उत्तर है देश की सर्वोच्च न्याय पालिका के सम्मुख ,,वही  सुप्रीम कोर्ट  ने किया –खुद आगे आकर  घटना पर कारवाई की | अब अगर यह कारवाई  भक्तो को अखर रही है –तो यह उनकी तकलीफ है |   

   

Aug 6, 2023

 

गोधरा कांड के षड्यंत्र  के दूसरे आरोपी को भी जमानत मिली |

 

 तीस्ता   सीतलवाड  को  सुप्रीम कोर्ट से जमानत के बाद हाइ कोर्ट ने आर बी श्रीकुमार को जमानत दी !!  राहुल गांधी के मामले में  सुप्रीम कोर्ट द्वारा सूरत के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी वर्मा एवं ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश तथा  गुजरात  उच्च न्यायालय के फैसलो पर सख़त टिप्पणी के बाद ,ऐसा लगता है की , वनहा की अदालतों से भय का वातावरण  खतम सा हो गया है | यह तथ्य   2002 के गुजरात में हुए दंगो में तत्कालीन मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी की संलिप्तता  के षड्यंत्र  मामले में  दूसरे आरोपी , गुजरात के तत्कालीन पुलिस महा निदेशक  आर बी श्रीकुमार  को ,गुजरात उच्च न्यायालय  के  जुस्टिस  इलेश वोरा द्वरा  जमानत दिये जाने से स्पष्ट हुआ हैं !  गौर तलब है की इसी मामले में  कुछ समय पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने  मुख्य आरोपी समाजसेवी  तीस्ता सीतलवाड को , जमानत प्रदान करते हुए एन आई ए  द्वरा  जमानत का विरोध करने पर टिप्पणी की थी ,की आरोपी के वीरुध  समस्त आरोप दस्तावेजी  है , अतः इन्हे “”निरूध “” करने की कोई आवश्यकता हैं |  गौर तलब है की गुजरात पुलिस ने तीस्ता  सीतलवाड  के खिलाफ  अनेकों मुकदमें दायर कर रखे है | अदालत ने यह भी टिपँणी की थी , याचिका कर्ता को एक मामले में जमानत मिलने पर दूसरे मामले  में उलझा दिया जाता है | 

         अब इस मामले के तीसरे आरोपी  आई पी एस अधिकारी  संजीव भट्ट ही  सलाखों के पिछे है | उनकी पत्नी और पुत्री  देश और विदेश में  घूम  –घूम कर  नरेंद्र मोदी  को  दोष देते हुए संजीव भट्ट की रिहाई की मांग कर रही हैं |  गौर तलब है की प्रधान मंत्री की  अमेरिका यात्रा के दौरान  उसने संजीव भट्ट की रिहाई  के लिए प्रदर्शन तक किया था |  राहुल गांधी को मानहानि के आरोप में  सूरत के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी वर्मा द्वरा  बिना कारण बताए हुए “” अधिकतम सज़ा “” देने पर सुप्रीम कोर्ट  ने काफी सख्त रवैया  अपनाया था |  उन्होने गुजरात हाइ कोर्ट की सिंगल बेंच के न्यायमूर्ति  के फैसले पर टिप्पणी की थी की --- सैकड़ो पन्ने लिखने के बाद { लगभग 500 पेज }  भी अदालत ने यह नहीं स्पष्ट किया की , अधिकतम सज़ा देने क्या औचित्य है !

    किस प्रकार एक मामला भी सारे परिदराश्य में  बदलाव ला सकता है --- उसका यह उदाहरण हैं | गौर तलब है की  तत्कालीन पुलिस महानिदेशक  श्रीकुमार और संजीव भट्ट तथा एक आईएएस अफसर शर्मा ने 27 फरवरी 2002 को  गोधरा  में हुए  कांड  के बाद सारे गुजरात में   हुए दंगो  में सरकार की संलिप्तता का आरोप  लगाया था |  गुजरात  में हुए इन दंगो में कथित रूप से आरोप लगाया गया था की सरकार के शीर्ष  से दंगाइयो  के खिल्फ कारवाई नहीं करने के मौखिक निर्देश  मुख्य मंत्री आवास पर हुई उचक स्तरीय बैठक में शामिल हुए अधिकारियों को दिये गए थे |  जिसका संजीव भट्ट एवं  आर बी श्रीकुमार  ने विरोध किया था | कहा जाता है  राजनीतिक नेत्रत्व को अफसरो की हुकुम उदुली काफी नागवार गुजरी | इसी कारण  इन तीनों अफसरो को   अलग मामलो में आरोपी बना कर जेल में बंद कर दिया गया |