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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 20, 2020

 

दिल्ली बिहार के चुनावो को बंगाल में दुहराते गृह मंत्री अमित शाह !!!!!



बंगाल में विधान सभा के चुनावो में बीजेपी ही नहीं वरन केंद्र सरकार भी ममता बनर्जी की त्रणमूल सरकार के खिलाफ चुनाव अभियान चला रही हैं ! जिस प्रकार बीजेपी अध्यक्ष की बुलेट प्रूफ कार पर एक पत्थर के लाग्ने से केंद्र और राज्यपाल ने सम्पूर्ण बंगाल की शांति व्यसथा पर सवालिया निशान लगते हुए बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी को वापस बुला लिया हैः , उससे लगता हैं की मोदी और शाह को बंगाल के चुनावो को लेकर बड़ी चिंता हैं है ! क्योंकि साल की शुरुआत में दिल्ली क विधान सभा के चुनावो में जिस प्रकार केंद्रीय गृह मंत्री लाजपत नगर की सड्को में घर -घर समर्थन मांगने निकले थे , कुछ वैसी ही हताशा मिदनापुर और वीरभूमि के दौरो में दिखाई पड रही हैं | हालांकि चुनाव राजनीतिक दल लड़ते हैं ---- पर नरेंद्र मोदी के राज में केंद्रीय अमला और सरकार के साथ बीजेपी भी चुनाव मैदान में है ! इस अनीति का फल क्या होगा यह तो बंगाल के मतदाता ही बताएँगे | वैसे दिल्ली के चुनावो में भी सरकार और सत्ता धारी पार्टी चुनाव लड़ रही थी , तथा केंद्रीय चुनाव आयोग निर्वाचन नियमो की धज्जिया उड़ाए जाने पर मौन बैठा था ! दिल्ली के चुनावो में भी धरम को लेकर शाहीन बाग के धरणे को मुद्दा बना कर मुसलमानो के खिलाफ केंद्रीय मंत्री के नारे को भी अनदेखा कर दिया था | लेफ्टिनेंट गवर्नर को भी दिल्ली की केजरीवाल की सरकार को परेशान करने की सारी कोशीशे की गयी थी -----परंतु परिणाम सत्ता धारी पार्टी और केंद्रीय सरकार को निराश करने वाले ही रहे ! इसी प्रकार बिहार में भी अपने सहयोगी दल नितीश कुमार के जेडीयू को खतम करने के लिए चिराग पासवान के सहारे की जरूरत पड़ी | परंतु फिर भी तेजस्वी यादव की आर जे डी को नुकसान पाहुचने में ज्यड़ा सफल नहीं हुए | लाख कोशिसों के बावजूद भी बीजेपी को मिली जुली सरकार बनाने पर मजबूर होना पड़ा |

अब अमित शाह वही पुराने नारे दुहरा रहे हैं की बंगाल में विकास रुक गया हैं ---बीजेपी शासित राज्यो में विकास हुआ हैं आपने सभी को पार्टियो को सरकार बनाने का मौका दिया हैं 5 साल हमे भी दीजिये ! वैसे देश ऐसे ही वादे को भुगत रहा हैं की एक मौका हमे भी दीजिये | अब तो लगता हैं की चुनाव अगर ये पराजित हो गए तो कनही मोदी जी के दोस्त डोनाल्ड ट्रम्प की भांति गद्दी छोडने से ही इंकार कर दे और भक्त जन देश में मार्शल ला लगाने की मांग करने लंगे | ,लाक डाउन के बाद बीजे शासित उत्तर परदेश और बिहार के निवासियों को जो अनुभव देश की जनता ने देखे वे अमित शाह के दावो को झूठा सिद्ध करते हैं | विरोधियो को राष्ट्र द्रोही और खुद को जनता का पालन हार मानने वाले मोदी और शाह ने :-

1- देश को नोटबंदी में बांध दिया , फल स्वरूप घरेलू बचत से चलने वाले बाजार की अर्थ व्यसथा को बर्बाद कर दिया | वादा किया था की इस कदम से काला धन बाहर आएगा ----परंतु मोदी जी सनक ने भांति - भांति के रंगो के नए नोट छ्प्वा कर ,गैर जरूरी खर्चा सरकार पर लाड़ दिया | पर न काला धन बाहर आया और नाही आतंकवादी गतिविधिया रुकी | जैसे चुनाव के पहले स्विट्जरलैंड के बैंको से काला धन लाकर सभी देश वासियो को 15 लाख देने का चुनावी वादा किया था , वैसे ही नोटबंदी झूठी साबित हुई | बाद में अमित शाह ने इसे "””जुमलेबाजी"” कहा था !

2 --जीएसटी लगा कर एक ओर राज्य सरकारो के बिक्री कर कराधान के अधिकार को अपने हाथ में ले लिया , बदले में राज्य सरकारो को मुआवजा देने वादा किया | परंतु वित्त मंत्री निर्मला सितारामन ने जीएसटी वसूली में कमी होने के कारण राज्यो को मुआवजे की राशि के बराबर रिजर्व बैंक से क़र्ज़ लेने पर मजबूर किया ! यानहा भी मोदी और शाह झुठे निकले | छोटे व्यापारियो को कागजी कारवाई में उलझा कर व्यापार को और कठिन बना दिया |

3-- प्रशासन का राजनीतिकरण ---- का आरोप लगाते हुए अमित शह के मन्त्र्लया ने बंगाल काडर के तीन अफसरो को राज्य सरकार की सहमति के बिना वापस बुला लिया | अपने राजनीतिक विरोधियो के खिलाफ इन्कम टैक्स के एंफोर्समेंट विंग द्वरा छापे मरवाना -जैसे कर्नाटक में काँग्रेस के नेय शिव कुआर के यानहा | बिहार चुनावो के पहले अभिनेता सुशांत द्वरा आतम हत्या किए जाने की घटना में सुप्रीम कोर्ट द्वरा महाराष्ट्र सरकार की असहमति के बावजुद सीबीआई और एनसीबी से जांच करवाना , जिससे की ठाकरे सरकार को बदनाम कर गिराया जा सके , जैसा मध्यप्रदेश में किया | किसान आंदोलन के चलते ईडी ने पंजाब के मुख्य मंत्री के सुपुत्र पर छापा मारा | अब किसान आंदोलन को समर्थन देने वाले आदतियों को छापे की मार झेलनी पद रही हैं |

4---- अमित शाह ने ममता बनेरजी पर राजनीति का अप्राधिकारण का आरोप लगाया हैं | परंतु उन्हे उत्तर प्रदेश में बांगर मऊ के बीजेपी विधायक द्वरा अनुसूचित जाती की युवती से बलात्कार किए जाने और उसकी कार को ट्रक से दुर्घटना करवाने को भूल गए ! सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बलात्कार की गयी युवती को न्याया नहीं मिलने की संभावना पर ही इस मामले की सुनवाई दिल्ली में करने का आदेश दिया | शाहजहान्न्पुर के पूर्व बीजेपी सांसद और भूतपूव मंत्री पर भी बलात्कार का आरोप लगा ! बिहार में महिला सुरक्षा गृह में दर्जनो संवासनियों के गर्भवती होते और गायब कर दिये जाने की आरोपी महिला मंत्री को फिर नितीश मंत्रिमंडल में स्थान मिलना < क्या यह राजनीति का अपराधी कारण नहीं हैं ?

5 ----- शाह ने आरोप लगाया की ममता दीदी ने भ्रस्ताचर को संस्थागत रूप दे दिया हैं ! इस संदर्भ में मध्य परदेश में कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए विधायकों की जो खरीद -फरोख्त हुई "”वह उनका ह्रदय परिवर्तन था "” अथवा बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय का बयान -जिसमें उन्होने कहा था की कमलनाथ की सरकार को मोदी जी ने गिराने का आदेश दिया था ? शायद यह भ्रस्ताचर नहीं हैं ? क्योंकि देश की राजधानी में अनावश्यक रूप से भवनो के निर्माण कार्य ---- जरूरत के कारण किए जा रहे हैं ? सरकारी मुलाज़मीन की संख्या में कमी की जा रही हैं , पर कार्यालय की जगह बड्ति जा रही हैं | सेंट्रल विस्टा की क्या जरूरत हैं ? दुनिया के विकसित राष्ट्रो में सत्ता के केंद्र 400 से लेकर 800 साल पुराने भवनो में चल रहे , पर प्रधान मंत्री कहते हैं वर्तमान संसद भवन को विश्राम चाहिए ! जैसे उन्होने अपने से सीनियर बीजेपी नेताओ को विश्राम देने के लिए "”मार्गदर्शक मण्डल " बनाया हैं | हालांकि इसकी कोई बैठक आज तक नहीं हुई हैं |

अमित शाह जी बंगाल को "”सोनार बांग्ला "” बनाने के लिए कवि गुरु रवीद्र नाथ टैगोर का नाम लेते हैं , ---- उनके भासन लिखने वालो को मालूम होना चाहिए टैगोर का सपना "” बंगाल सिंध गुजरात मराठा ,द्रावीण उत्कल "” था | उनकी द्र्श्ति संकुचित नहीं थी | जिस संदर्भ में शाह "”आमर सोनार बांग्ला देश "” बांग्ला देश का राष्ट्रीय गान है --और उसके लेखक कवि नज़रुल इस्लाम हैं ! और मुसलमानो के प्रति बीजेपी और संघ का रुख जग ज़हीर हैं | वे कहते हैं की नड़ड़ा की कार पर हमला "”लोकतन्त्र पर हमला हैं ?”” उन्हे मालूम होना चाहिए की लोक तंत्र में व्भिन्न मतो का आदर होता हैं , जो बीजेपी नहीं मानती | उन्हे मालूम होना चाहिए की देश की प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी पर 9 फरवरी 1967 को भुवनेश्वर की काँग्रेस की चुनाव सभा में किसी "विरोधी " ने पत्थर मारा था जिसे उनकी नाक पर चोट लगी और खून बहने लगा | उन्होने आपा नहीं खोया और कहा था की हिशा का लोकतन्त्र में कोई स्थान नहीं | और यानहा कार में पत्थर लाग्ने से लोकतन्त्र खतरे में पड़ गया ! वाह कितना कमजोर है बीजेपी की लोकतन्त्र की परिभाषा !

 

आपरेशन ब्लू स्टार – फेरुमान का अनशन -और जलियाँवाला बाग



उपरोक्त तीनों घटनाए पंजाब के आंदोलनो के हिंसक परिणाम की निशानी है | जलियाँवाला बाग में हजारो निहथे लोग अंग्रेज़ो की गोली से मारे गए | परिणाम उधम सिंह ने लंडन में जनरल ओ डायर को गोली मार कर हया की | दर्शन सिंह फेरुमन भाषा के आधार पर पंजाबी सूबे की मांग करते हुए आमरण अनशन किया था , सरकार ने उनकी अनसुनी की परिणाम स्वरूप उनकी मौत हुई ,और हिंशा हुई , आखिर कार वर्तमान पंजाब बना | इसी संदर्भ में भिंडरनवाले ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर खालिस्तान का झण्डा लगाया | संत लोंगोवाल की कट्टर वादियो द्वरा हत्या कर दी गयी | आखिर में आपरेशन ब्ल्यू स्टार में सेना ने भिंडरणवाले को मार कर स्वर्ण मंदिर मुक्त कराया | परिणाम स्वरूप तत्कालीन सेना अध्यक्ष जनरल वैद्य की पूना में गोली चलायी गयी , और प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षक द्वरा हत्या कर दी गई |कहने का तात्पर्य यह है की पंजाब के सिखो का विश्वास जितना जरूरी है | वादा खिलाफी कोई करे चाहे व्यक्ति हो या सरकार परिणाम घातक ही होता हैं | इस लिए इस आंदोलन को अगर मोदी और अमित शाह काश्मीर की तर्ज़ पर दबाने की कोशिस करेंगे तो परिणाम भयंकर हो सकते हैं |


हक़ के लिए कुर्बानी की दास्तान के लिए "”खालसा "” मशहूर हैं | इस लिए दिल्ली के घेरे को हटाने के लिए मोदी - शाह और उनके सलाहकारो ने अगर इस "”अहिंसक आंदोलन को हटाने या दबाने के लिए पुलिस या सेना की मदद अगर लिया तब परिणाम भयंकर हो सकते हैं | जैसा ऊपर लिखा जा चुका हैं | आखिर 25 दिन के आंदोलन के दौरान 20 किसानो की शहादत और कर्नल के के नानकसर गुरुद्वरा के प्रमुख बाबा राम सिंह की इन कानूनों के खिलाफ,, पिस्तौल द्वरा आत्महत्या करने की घटना से अंदर ही अंदर आक्रोश पनप रहा हैं | अगर सरकार ने सावधानी स काम नहीं लिया और पंत प्रधान मोदी जी अपनी ज़िद्द पर अड़े रहे तो परिणाम घातक हो सकते हैं | क्योंकि सेवा निव्र्त फौजियो द्वरा अपने पदको को लौटन की घोसना करना आर्मी में आशंतोष की चिंगारी सुलगा सकता हैं | आपरेशन ब्ल्यू स्टार के बाद अनेक सीख पलटनों ने विद्रोह कर दिया था | कनही वह स्थिति बन गयो तो भगवान ही मालिक हैं


किसान आंदोलन की सरकार द्वरा अनदेखी और अनसुनी करने की कवायद कनही इन आन्दोलंकारियों को हिंसा का शिकार ना बना दे | यह आशंका इसलिए है की ऊपर लिखे जन आंदोलनो की सरकार द्वरा लंबे समय तक उपेक्षा किए जाने के बाद भी जब आंदोलन कारी नहीं झुके ,, तब तब हुकूमत ने हिनशा का सहारा लिया , जिससे बहुत अधिक जन -धन की हानि हुई हैं | अब सरकार की ज़िद्द के सामने पंजाब के सिख किसान अनिश्चित काल तक आंदोलन चलाने के लिए तैयार हो कर आए हैं | उन्हे हरियाणा - राजस्थान और उत्तर प्रदेश से देश की लगती सीमाओ पर अर्ध सैनिक बलो की भरपूर तैनाती और उनकी वक्तन फवक्तन गिरफ्तारी से माहौल अब गरमाने लगा हैं | सत्ताधारी दल द्वरा किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए प्रधान मंत्री से लेकर -मंत्री और बीजेपी मुख्य मंत्री तरह -तरह से आंदोलन को कुचलने की तरकीब कर रहे हैं | इससे देश में किसानो को लेकर दो फाड़ हो गया हैं | कुछ शहर के लोग जिनहे यह भी नहीं मालूम की गन्ने की लंबाई और अरहर की लंबाई में अंतर है या नहीं , वे भी सोशल मीडिया पर अपनी रॉय /विचार बता रहे हैं | गावों का जिनहोने मुंह नहीं देखा , उन्हे आन्दोलन्करियों के जीन्स और जाकेट पर आश्चर्य हो रहा हैं | सरकार और मोदी भक्तो को स बात पर ज्यादा गुस्सा हैं की ये सिख और जाट किसान अपने साथ खाने पीने का समान लेकर आए हैं , नाश्ते में दूध और मक्खन खाते हैं , गरम पानी से नहाने की व्यवस्था हैं | उनके कपड़े भी वाशिंग मशीन में धूल रहे हैं , इसलिए कुछ नादान यानहा तक लिख रहे हैं की ये लोग फसल छोड़ कर "”पिकनिक " माना र्हए हैं ! इन नासमझो को नहीं मालूम की 8 डिग्री तापमान में जब वे घर के अंदर हीटर और वारमर लगा केआर सोते हैं तब ये लोग ठंड से बचने का इंतजाम करते हैं |

अक्सर आंदोलनो में सरकार बिजली - पानी की आपूर्ति बंद कर लोगो को मजबूर कर दिया करती थी | परंतु इस बार मोदी सरकार को एक ऐसे विरोधी से पाला पड़ा हैं जो आंदोलन के लिए अपनी सप्लाइ का बंदोबस्त कर के आए हैं | अक्सर चैनल वाले पुछते हैं की की आप कितने दिनो का खाना -पानी लेकर आए हो ? तब इंका जवाब होता हैं 550 साल से तो हमारा लंगर चला आ रहा हैं ,आगे नानक की मर्जी |

जिस प्रकार बीजेपी और उनके आरएसएस तथा विसव हिन्दू परिषद ने राम मंदिर के आंदोलन में धरम और राजनीति को मिला कर सरकार बनाई , अब उसी का जवाब हैं की सिख काश्तकार अपने धरम और और और अपनी मांग {{ तीनों क्रशी कानूनों का वापस लेने }} के लेकर राजधानी को घेर कर बैठे हैं | इतना ही नहीं सरकार और बीजेपी तथा भक्तो के कु प्रचार के जवाब के लिए किसान पुत्रो ने नयी वेब साइट बना ली हैं ,जिसके द्वरा वे सरकारी नेताओ के खोखले दावो का भन्दा फोड़ कर रहे हैं |

जिस प्रकार पहले इस मसले को सुलझाने के लिए क्रशी मंत्री तोमर किसानो के साथ बैठक करते रहे , फिर सरकार में नंबर 2 अमित शाह मैदान में आए पर बात बनी नहीं | फिलहाल अमित शाह बंगाल के विधान सभा चुनावो के लिए सभी वाजिब और गैर वाजिब हथकंडे अपना कर ममता बनेरजी की सरकार को हटाना चाहते हैं अगर ऐसा न हो पाया तो उनका निशाना राष्ट्रपति शासन लगा कर अपने अधिकारियों की मददा से चुनाव जितना हैं | वैसे यह हथकंडा दिल्ली के चुनावो मीन बुरी तरह फ़ेल हुआ हैं | लेकिन जिस प्रकार मध्य प्रदेश में दल बादल कराकर सरकार गिराई ---उसका भी प्लान तैयार हैं |


प्रधान मंत्री के कहे पर विश्वास नहीं :- किसानो का कहना हैं की जब तक सरकार किसान से संभण्डित तीनों कानून वापस नहीं लेती हमारा आंदोलन चलता रहेगा | यह आंदोलन अंग्रेज़ो के खिलाफ वैसा ही हैं -जैसा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन में किया था | आज देश का किसान अपनी सब्जी की फसल को मिट्टी के भाव बेचने पर मजबूर हैं | केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने एक चैनल को बताया की कैसे उन्होने मुजफ्फरपुर के गोभी उत्पादक को दस रुपया किलो का भाव दिल्ली के व्यापारी से दिलवाया | परंतु उसी किसान ने दूसरे चैनल को बताया की थोड़ा सी फसल को जरूर दिल्ली वाले लेगाए | परंतु बाकी फसल के लिए हम तीन दिन से इंतज़ार कर रहे हैं !!! इस प्रकार आचमन द्वरा स्नान करने के इस कर्मकांड से सरकार की किरकिरी ज्यादा हुई | भले ही रविशंकर प्रसाद अपने प्रयास के गुण गाये 

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नरेंद्र मोदी जी बार बार कह रहे हैं की विरोधी दल इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं , पर वे भूल जाते है की मनमोहन सिंह के समय जब पेट्रोल 40 रुपए से बढा कर 45 रुपए हुआ था तब समूची बीजेपी पार्टी देश में आंदोलन किया था ! घरेलू गॅस के दामो में व्रधी पर तो श्रीमति ईरानी और हेमा मालिनी जी ने सिने पर तख्ती टांग कर सदको जाम किया था | यानहा तो देश के अन्नदाता का मामला हैं , और इस आंदोलन में कोई भी राजनाइटिक पार्टी को आंदोलनकारी किसान अपना मंच नहीं दे रहे हैं | जैसे अन्न हज्जारे के आंदोलन के समय हुआ था , तब पतंजाली सेठ भी मंच पर थे | जैसे अब अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए एक बार फिर भ्ग्वधारियों को कटोरा हाह में देकर घर -घर चंदा मांगने के लिए प्रेरित किया जा रहा हैं |

हालांकि अशोक सिंघल के समय राम जन्म भूमि न्यास के लिए देश से एकत्र किए गए 140 करोड़ रुपये का हिसाब हिन्दू महा सभा के पाधिकारी मांग रहे ,जिसे बताने के लिए कोई तैयार नहीं |

जब देश का प्रधान मंत्री सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना कर सेंट्रल विस्टा का भूमि पूजन करे , जो बंगाल मे राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए अपनी पार्टी के आद्यकश और ग्राहमन्त्री को बार बार भेजे , उसके कथन पर कौन विश्वास करेगा ???