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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 31, 2017

धर्म का बाना पहन कर व्यापार करते बाबा - संत या स्वामी अधिकतर इन गुरुओ के भाषण या प्रवचन अथवा भक्तो की भाषा उपदेश – छपे साहित्य - आडियो और विडियो कैसेट तथा अगरबत्ती -सुगंधी आदि "” उन लोगो को बेची जाती है जो सत्संग मे आते है "””
पर क्या इन लोगो के पास इस फुटकर व्यापार का लाइसेन्स भी है ?? अथवा खाने -पीने के उत्पादो का बिक्रय क्या कानून के नियमो के तहत हो रहा है या ----- आस्था और विश्वास पर ही हो रहा है ??
योग शिक्षक रामदेव द्वरा अपनी संस्था // ट्रस्ट या संगठन द्वरा पतंजलि के माध्यम से दूसरों के बनाए उत्पादनों की मार्केटिंग करके 50,000 करोड़ रुपये का धंधा क्या नियमो के तहत ही हो रहा है ? यह सवाल पूछा जाना ज़रूरी है | क्योनी 28 अगस्त को उन्होने अपने विज्ञापान मे दावा किया की उनके द्वरा बेचे सामानो को उपयोग करने वाले ''' ना केवल देशभक्त होंगे वरन वे धर्म और परोपकार मे सहयोग के भागी होंगे "” कितना बड़ा लालच है औसत भारतीय व्यक्ति के लिए ??

आजतक खाद्य वस्तुओ की जांच के लिए कोई नमूना राजी मे नहीं लिया गया || ना ही नाप तौल विभाग ने इनकी जांच की ? आखिर क्यो ?? बाज़ार के अन्य सामाग्री उत्पादन कर्ताओ के यनहा '''छापा - नमूनो लिए जाना एक वार्षिक कारवाई है जो दीपावली के पूर्व अक्सर विनहगीय अफसरो द्वरा की जाती है | परंतु अभी तक पतंजलि उत्पादो की जांच की खबर कभी नहीं आई आखिर क्यो ??? क्या इसलिए की इनके करता - धर्ता रामदेव जी को सरकार व्यापारी नहीं धर्म प्रचारक मानती है ? या प्रधान मंत्री द्वरा शुरू '''योग ''की मुहिम चलाते है ?

छपी हुई खबरों के अनुसार पतंजलि की एजन्सि की संख्या 5000 के करीब है -----क्योंकि संगठन द्वरा कभी इस बात का खुलासा नहीं किया गया की --किन -किन नगरो मे कौन -कौन उनके अधिकरत डीलर है ?? कुछ ऐसा ही दूसरे '''संत'' श्री श्री का भी है | यमुना के किनारे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन करके ''राष्ट्रीय ग्रीन ट्राबुनल '''' से दोषी करार दिये गए और दासियो लाखो का जुर्माना भी भरा | उनकी भी अब बाज़ार मे दूकाने खुलने की सूचना है | बताया जाता है की उन्होने देश भर मे 3000 स्थानो पर बिक्रय केंद्र खोलने की योजना बनाई है !!

सिरसा का डेरा जनहा कल तक बाबा राम -रहीम था और आज गुरमीत सिंह का सच्चा सौदा के भी हरियाणा - पंजाब और राजस्थान मे 300 से अधिक दूकाने है | जनहा से उसके शिष्य अनेकों सामान खरीदते थे | इन दूकानों मे उन कंपनियो के उत्पाद बिकते थे जिनहे ''गुरु'' का आशीर्वाद होता था |

सरकार क्यो इन बाबाओ के व्यापार को छूट देती है ??? क्या इसलिए डरती है '''वोट बैंक '' खिसक जाएगा ?? तब फिर लाखो का चंदा देने वाले सेठोके यानहा कैसे छापा पद जाता है ?? क्या यह रेट बदने के लिए होता है अथवा धमकाने के लिए ?

अगर इस मामले को पूरी तरह से धार्मिक कसौटी पर देखा जाये तो यह इन भगवा वस्त्र धारियो के लिए "”पातक'' के समान है | अर्थात इन्हे कड़े प्रायश्चित का अपराध है | परंतु ये विभूतिया तो वेदिक धर्म की "””अपनी व्यवख्या लिखने वाली है "”” |
अपरिग्रह के स्थान पर "”येन-केन प्रकारेण''''' धन और मुद्रा संचयन करने वाले किस मुख से ''''त्याग ''' की अपील कर सकते है "” ???
अब भी अगर हमारे भाई और बहने इन भगवा धारी व्यापारियो के प्रवचन == योग == वस्तु व्यापार को नहीं छोड़ेंगी तब तक उनका शोषण जारी रहेगा



Aug 30, 2017

अब देशभक्ति का प्रमाण होगा पतंजलि के उत्पाद खरीदना !!
क्या कोई मार्केटिंग संस्था -उत्पादो को स्व निर्मित का दावा कर सकती है ???

28 अगस्त के समाचार पत्रो मे पतंजलि संस्था की ओर से अपने उत्पादो का विज्ञापन दिया गया जिसमे कहा गया "”पतंजलि के कच्ची घानी का नैचुरल खड़ी तेल अपनाए और बचत के साथ अपनी देशभक्ति के कर्तव्य को निभाए "”” !! इसी दिन सायकाल को स्टार समूह के चैनल जिसका नाम नवीनीकरण कर के "”” स्टार भारत '''' कर दिया गया है उस पर इसी नाम से योग शिक्षक रामदेव का पश्चिमी और भारतीय वाद्यो का मिला जुला संगीत का कार्यक्रम होने का विज्ञापन भी था |
विज्ञापन के अंत मे देशवासियों से अपील की गयी थी की "”” बहू राष्ट्रीय कंपनियो का व्यापार मे एक ही उद्देस्य होता है ---मुनाफा कमाना जिसे वे अपने देश ले जाते है \ इनके द्वरा देश को लूटा जा रहा है -जिससे देश कमजोर हो रहा है | पतंजलि ना केवल ' शत प्रतिशत 'शुद्ध उत्पाद देता है वरन – मुनाफे का शत -प्रतिशत राशि '''परोपकार '''मे लगाई जाती है -जो देश की सेवा है ! “”

इस विज्ञापन से यह तो साफ है की यदि आप पतंजलि उत्पादो को नहीं उपयोग करते है ---तो आप देश की सेवा '''नहीं करते है "” | यद्यपि ऐसा लिखा नहीं है | परंतु लिखे हुए का दूसरा पहलू यही है | अर्थात देश मे देशभक्ति का सेर्टिफिकेट देने वाली एक नयी व्यापारिक संस्था आ ज्ञी है !!
दूसरा सारसो के घानी के शत प्रतिशत शुद्ध तेल का उत्पादन योग शिक्षक की संस्था नहीं करती है __वरन इसका उत्पादन और पैकिंग जयपुर मे होती है | अभी हाल ही मे उत्तराखंड के खाद्य उत्पाद निरीक्षक ने इस तेल की प्रयोग शाला मे जांच की तो --इसे निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं पाया गया ! ऐसा ही इनके नमक और कालीमिर्च के पाउडर के साथ भी हुआ ! तब इंका दावा कितना "” सच्चा है ?”” यह साफ हो जाता है |
बहू राष्ट्रीय कंपनियो का सारी पूंजी उनके कारखाने -ज़मीन मे लगी होती है | कम से कम वे जिन उत्पादो की मार्केटिंग करते है उन्हे वे अधिकतर खुद उत्पादन करते है | जैसे चाय और काफी | रामदेव का विज्ञापन घमंड और अहंकार से इतना भरा हुआ है ---की वे उन भारतीय कंपनियो को भी अप्रत्यक्ष रूप से "”देशभक्त नहीं मानते जो भारत के बाज़ार मे उनकी प्रतिद्वंदी है ! रामदेव का उद्भव राजनीति से हुआ है --योग से तो कम ही हुआ है | इसलिए उन्होने राजनीति का फंडा अपनाया है ---जिसके अनुसार अपने माल की तारीफ से ज्यादा विरोधियो को बदनाम करना ज़रूरी है !! भले ही उनके आरोप नितांत निरधार ही क्यो ना हो | पतंजलि के तर्क के अनुसार आयूएर्वेदिक उत्पादो का निर्माण करने वाली संस्थाए जैसे वैद्यनाथ - उंझा - हिमालयन ड्रग के अलावा सैकड़ो लघु इकाइया देश मे पतंजलि के आने से पहले देशवासियों के स्वास्थ्य का ध्यान रख रही है | इन महाशय के अनुसार वे "”” देशभक्त नहीं है "” ?? हक़ीक़त यह है की पतंजलि के नाम से अनेक प्र्देशो मे दोस्त सरकारो से सैकड़ो एकड़ जमीने मुफ्त केभाव ली गयी है | इसका क्या अर्थ निकाला जाये ?? की शेष संस्थाए या व्यापारिक संगठन देश के तरती वफादार नहीं है ?? सिर्फ ये ही है ??

इनहोने पतंजलि के लाभ या मुनाफे को शत प्रतिशत परोपकार या धर्मार्थ कार्यो मे लगाया जाता है ---इस कथन की जांच ज़रूरी है | जिस संस्था का व्यापार 50,000 करोड़ रुपये सालाना होने का अनुमान लगाया जाता हो – उसके आय -व्यय का सार्वजनिक होना ज़रूरी है | क्योंकि देश की जनता को यह जानने का हक़ है की '''देश भक्ति का प्रमाण -अपने उत्पादो के खरीदारों को ही दे --तब तो देश की आबादी का 5 से 10 प्रतिशत ही देशभक्त होगा !!

पतंजलि भी भारत के नागरिकों की भावना और आस्था से खिलवाड़ कर रहे है --वे ना केवल सार्वजनिक रूप से विज्ञापन के जरिये अपने "””प्रतिद्वंदीयों --- और उत्पाद इस्तेमाल नहीं करने वालो को गद्दार ही बता रहे है | वैसे उम्मीद तो बिलकुल नहीं है परंतु क्या राजय की सरकारे इस '''संस्थान को जो धर्म के नाम से व्यापारिक गतिविधिया चला रहे है --उनको मुफ्त मे दी जाने वाली सुविधाए तुरंत वापस ली जाये | केंद्र सरकार इन्हे ताकीद करे की वे देश के 90 फीसदी आबादी को देशभक्त ''नहीं '' होने का षड्यंत्र तुरंत रोके | अब देखे की की बहरे कानो मे ज़ू रेंगती भी है या नहीं

ढोगी धरम गुरु - पाखंडी साधु -सन्यासी और उनके विशाल आश्रम मे प्रवचंकर्ताओ को सुनने के लिए जाने वाली "”भीड़ "” ही वास्तव मे धरम के नाम पर होने वाले व्यापार "”का ईंधन है "”\ गरीबो के दान -चंदे से वसूली गयी अपार राशि ही उनके विलासी जीवन का और राजनीतिक प्रभाव का "””आधार "”” कार्ड है !!!

डेरा ''सच्चा '' {{कितना ?] का सौदा किस से और किस शर्त पर हुआ था ? अगस्त के अंतिम सप्ताह मे हरियाणा मे डेरा की राजनीति के मुख्य मोहरे "”वज़ीर "” राम -रहीम उर्फ गुरमीत सिंह का ''सौदा '' किसके साथ और किन शर्तो पर हुआ था -इस को लेकर ''भोली - भाली जनता के मन मे "” अनेक भ्रम विद्यमान है | जिनकी सफाई "”देने कोई सामने नहीं आ रहा है "”| हक़ीक़त मे यह सौदा उन करोड़ो भोले - बहाले भक्तो '''के विश्वास का था "” जिस से धर्म का आडंबर करने वाले इन "”भगवान के दूतो या स्वामियों अथवा बाबाओ का "” व्यापार फलता -फूलता है "” | राम -रहीम के 25 वर्ग किलो मीटर मे फैले विशाल आश्रम को साम्राज्य का अथवा जागीर की संज्ञा दी जा सकती है " वह राजस्व के दस्तावेज़ो मे दर्ज़ कोई भूखंड या इमारत भर नहीं है वरन वह लाखो -करोड़ो "””भक्तो "” को बरगला कर बनाई गयी संपत्ति है और उनके "”आस्था"” को बेचकर राजनैतिक प्रभुत्व को अर्जित करने का सबूत है !!!

आजकल सभी धर्म के "” स्वामी या बाबा अथवा संत -महात्मा जो भगवा पहन कर साधु कहलाते है उनसभी का मुख्य और एकमात्र श्रोत जनता की धर्म के प्रति आस्था और विश्वास है जिसका भ्यादोहन इन लोगो द्वरा किया जाता है "” इनके मठो या आश्रमो से कोई परमार्थ या परोपकार अथवा जन कल्याण का कार्य नहीं होता है | थोड़ा बहुत जो भ्रम को बनाए रखने के लिए किया जाता है वह "” भक्तो को यह प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है की वे कितने उदार है "”!!11 भले ही उनकी आय और व्यय का हिसाब सबके सामने नहीं आता है -----वरना कितने डेरा के अनुयायी राम -रहीम की फिल्मों और ज़ाज़ कान्सेर्ट का समर्थन करते ??

किसी ने व्हाट्स अप्प सोश्ल मीडिया पर व्यंग्य के अंदाज़ मे संदेश भेजा "” की इन बाबा -स्वामियों और आश्रम के मालिको की "”बैलेन्स शीट '' भी व्यापारियो और उद्योग घरानो की भांति "”सार्वजनिक होनी चाहिए ---जिस से भक्तो से वसूले गए धन के उपयोग की जांच हो सके !! “” आखिर इन्हे आकार से छूट क्यो मिलनी चाहिए ?? संदेश मे तर्क और तथ्य दोनों ही है | आखिर कैसे राम रहीम ने मंहगी गाड़ियो का काफिला और विलासिता पूर्ण भव्य भवन और उसमे लगी सामाग्री खरीदी होगी ? यह उसके खून - पसीने की तो कमाई नहीं है ??/ फिर सभी धर्म अपने अनुयायियों को सादगी भरे जीवन और आडंबर से दूर के जीवन का उपदेश देते है -फिर क्यो नहीं वही उपदेश वे स्वयं अपने ऊपर नहीं लागू करते ? क्या वे भी राजनीति के उस सिधान्त का पालन करते है "”जिसमे कहा गया है की सम्राट कुछ भी गलत नहीं करता है "” | ब इसी भावना से धर्म और राजनीति का घालमेल शुरू हो जाता है | जब कोई भी नेता या बड़ा आदमी {{पद से }} इनकी "” शरण मे जाता है ---तब वह मंदिर मे जाने वाले कामना पूर्ति दर्शनार्थियों की ही भांति होता है --जो कामना पूर्ति के लिए चदावे को "”फीस ''' मान बैठता है | जबकि यह नितांत गलत और भ्रम पूर्ण है | चराचर को चलाने वाली शक्ति व्यक्तियों से अधिक समूहो के कल्याण का ख्याल करेगा अथवा एक व्यक्ति का ??
वेदिक धर्म मे ग्राम या नगर देवी या देवता की उपासना का कर्मकांड है | जो सभी संबन्धित व्यक्तियों द्वरा अनेक अवसरो पर किया जाता है | अपने आराध्य के विग्रह के सामने हम अपने कष्टो के निवारण की प्रार्थना करते है ---यह धार्मिक क्र्त्य है और करना भी चाहिए | परंतु "””भक्त और भगवान के बीच इन ठेकेदारो "” की स्थितियो का वर्णन तो वेदिक आख्यानो मे मुझे तो नहीं मिला | सिवाय एक के "”गुरु "” के ---परंतु जो गुरु स्वयं विलासिता और आडंबर पूर्ण व्यावहार मे घिरा हो उसको परम शक्ति का प्रतिनिधि कैसे मान सकते है ??
बस यही सवाल अगर सभी "”भक्त "” अपने ह्रदय से पूछे और श्रद्धा को प्रश्न की कसौटी पर कसे ------तब शायद इन "””गुरु - बाबा -स्वामियों और प्रवचन करने वालो और उनके उपदेशो को परखे तब शायद वे इन भगवा वस्त्र्धारियों के शोषण से मुक्त हो पाएंगे | इसी आशा मे ........................

Aug 29, 2017

अंध भक्ति और अंध श्रद्धा -दोनों ही विनाशकारी है --चाहे वह व्यक्ति की हो अथवा समूह की | प्रश्न करने पर जो उत्तर देने के स्थान पर दाँत - डपट लगाए वह व्यक्ति किसी भी समूह के नेत्रत्व के लायाक नहीं होता | सावल तो फौज ऐसे संगठन मे भी पूछे जाने की परंपरा है और जवाब देने का नियम तो वर्दिधारी संगतनों मे भी है | फिर राजनीति और प्रशासन मे क्यो इन्हे दबाया जाता है ??

स्वयं को सर्वज्ञ और सर्वशक्तिशाली के अहंकार ने ही राम रहीम
को क्रूर और विलासी बनाया – असहमति के निर्मूलन की भावना ने उसे हत्यारा बनाया तथा भोले - भले शिष्यो की भीड़ को राजनीतिक दलो के लिए चुनाव मे वोट का चारा देकर वह सरकार का नियंता और कानून से ऊपर होने का भ्रम और अभिमान ही उसे लील गया |
सरकार के मंत्री और अफसर जब किसी की भी इतनी ''हा -हुज़ूरी '' करने लगे की व्यक्ति को "”सच और गलत '' का भेद ही भूल जाये ,तब राम रहीम - आशा राम या रामपाल पैदा हो जाते है | जो चुनाव मे राजनेताओ को अपनी भीड़ के वोट का समर्थन ट्रांसफर कर देते है | भोली भली जनता भी एक राजनीतिक फैसला धर्म के उकसाने से लेती है ----तब नेता और भ्रष्ट धरम गुरु की युति बनती है | जो हरियाणा मे और पंजाब तथा दिल्ली की सदको पर आगजनी और उपद्रव मे दिखाई पड़ी |

यद्यपि जन प्रतिनिधित्व कानून मे साफ रूप से उल्लेख है की "”किसी भी प्रकार धर्म या धार्मिक चिन्हो का प्रयोग निषिद्ध है '' जो निर्वाचन को अवैध कर देता है | अब रामरहिम की मदद से तो 49 विधान सभा छेत्रों मे भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार "””जीते "” ऐसा कहा जा रहा है | पार्टी के सचिव कैलाश विजयवर्गीय ने यानहा तक स्वीकार किया था की भले "”डेरा के अनुसार यह उनकी जीत है '' परंतु जीत तो जीत है''''| अब इस शंका पर लोगो को भरोसा होने लगा है की --खत्तर सरकार की निष्क्रियता --शांति -व्यवस्था को ढीली ढाली रखने के पीछे डेरा प्रमुख की इच्छा को बनाए रखना ही था | केंद्र सरकार द्वरा अंतर राज्यीय अशांति पर "” मौन और चुप्पी ''' संदेह पैदा करती है | छोटे से छोटे मुद्दे और घटना पर पंचम स्वर की गूंज उठाने वाली आवाज़े अचानक गूंगी क्यो हो गयी ??
भारतीय जनता पार्टी के आद्यक्ष अमित शाह द्वरा अपने सदस्यो से यह कहना "”” चाहे जो भी कहना या करना पड़े -परंतु चुनाव मे जीत हमारी ही होनी चाहिए "” इस संदेश मे नियमो की अवहेलना और मर्यादा का उल्लंघन भी चुनाव और सार्वजनिक जीवन मे अर्थ नहीं रखता | सिर्फ और सिर्फ चुनाव जीत कर सरकार बना कर राज़ करने की इछा ही सर्वोपरि है | कुछ ऐसा ही संभवतः डेरा प्रमुख राम रहीम ने भी ''''सोचा और किया "” था | जिसका फल दो असहाय लड़कियो की आह मे भसम हो गया |

राजनीतिक दलो और धर्म गुरुओ के इस अपवित्र चुनावी गठबंधन से निरवाचनों मे मिली सफलता --सरकार तो बना सकती है | परंतु नागरिकों का सम्मान नहीं पा सकती | जैसे युद्ध मे सेना अपने से कई गुना संख्या के लोगो को हथियारो के बल पर अधीन तो कर लेती है परंतु '''उनकी मंजूरी नहीं प्राप्त कर सकती "”” कुछ ऐसी ही स्थिति ऐसी अपवित्र विजय से बनी सरकारो का होता है ''


जिस गुरु पर अंध श्रद्धा थी जिनहोने उसे भगवान माना – उसमे दया
नहीं थी -उसने उनही लोगो को जानवर माना और उनकी भावनाओ का शोषण किया – इस पर रहम नहीं --जज जगदीप सिंह लोहान

डेरा सच्चा सौदा के महंत कहो या बाबा कहो या गुरु कहो पर
गुरमीत राम रहीम - इनमे किसी भी शब्द को सार्थक नहीं करते है | अन्यथा कोई धर्म का प्रचारक अथवा किसी पंथ का मुखिया उन विलासिताओ और आडंबर से नहीं रहता है --जैसा उनका जीवन था | उनके कर्मो की पोटली मे "”अहम का भाव सर्वोपरि था "” श्रष्टि मे सभी भोग को आशरम मे एकत्र करने का भाव सिर्फ अपने शिस्यों को यह दिखाना था की --- जिस स्वर्गिक सुख की कामना तुम भगवान मे करते हो --वह सभी भौतिक सुख सुविधाए मेरे पास है "” |

अपने आसपास और समकालीन विभूतियों को चेलो की भीड़ के वोट समर्थन से सरकारो और सत्ता के भूखे राजनीतिक दलो के लिए वह मसीहा ही था !!

Aug 27, 2017

भाग दो
आखिरकार इन्फोसिस को मिल ही गया आधार

विशाल सिक्का के इन्फोसिस छोड़ने के बाद व्यवसायिक जगत की पत्र -पत्रिकाओ मे और गलियारो मे इसे कंपनी के लिए घटक बताया जा रहा था | यानहा तक कहा गया था की सह संस्थापक कृष्णमूर्ति की दखलंदाज़ी के कारण कोई भी "””सफल मैनेजर ''' नहीं आएगा | परंतु इस अटकलो को तब पूर्ण विरमा लग गया -जब इन्फोसिस के ही पूर्व अधिकारी और ''आधार कार्ड '' के खोजी नीलकेनी ने इस दायित्व को सम्हाल लिया |

नीलकेनी कृष्णमूर्ति के पुराने सहयोगी रह चुके है | दोनों ने मिल कर इस संस्थान को आज की ऊंचाइयों तक पहुंचाया | सिक्का मात्र एक कारोबारी व्यक्ति थे उन्हे इन्फोसिस के कल्चर और उसमे काम करने के वातावरण को ही बदल कर एक बहू राष्ट्रीय कंपनी की "” जानलेवा प्रतिस्पर्धा "” को लागू किया था | कम करने वालो को "” किसी भी प्रकार टार्गेट को पूरा करने ''' की ज़िम्मेदारी थी | जैसी की बीजेपी मे अमित शाह चुनाव के बारे मे कहते है की ''कुछ करो जीत के आओ '' | | नियम और नैतिकता के इस अभाव से इन्फोसिस के कर्मी मात्र "”मुलजिम "” बन के रह गए थे |

अब नीलकेनी के आने से अब इन्फोसिस मे पुनः संस्थान के वातावरन की वापसी होगी | काम को टार्गेट से नहीं नापा जाएगा | वरन काम मे सुधार और नयी तरक़ीबों को खोजने का अवसर मिलेगा | खास कर अमेरिका द्वरा वीसा नियमो मे बदलाव से कंपनी का वनहा का व्यापार प्रभावित हो रहा था | अब उस कठिनाई को पार पाया जा सकेगा |
भारतीय जनता पार्टी कभी गलत नहीं - अमित शाह ने अशांति का
जिम्मेदार जज को बताया

राम रहीम को यौन अपराध का दोषी सिद्ध होने के फैसले के निर्णय देने वाले जज को अब भारतीय जनता पार्टी के आद्यक्ष अमित शाह ने "”सारे हंगामे का दोषी बतया है -उन्होने कहा की झटटर सरकार ने बहुत कुछ किया "” | उनका कहना था की जब प्रशासन ने जज को बता दिया था की उनके भक्तो की बहुत भीड़ आएगी | इसलिए फैसले को ताल दिया जाये | परंतु जज ने सलाह की अनसुनी करते हुए ना तो फैसले की तिथि को ताला और ना ही स्थान बदला | अगर जगह और दिन बदला जाता तब भक्तो को रोका जा सकता था |

दिल्ली के अखबार मे छपी खबरों के अनुसार अमित शाह ने खत्तर सरकार का बचाव करते हुए अदालतों पर --सारी गड़बड़ की ज़िम्मेदारी बताई

उनके बयान को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश एसएस सेरू और जज सूर्यकांत तथा ज़ज़ अवनीश झींगन की फुल बेंच का फैसला और निर्देश भी हंगामे के कारण समझे जा सकते है | उन्होने "”स्पष्ट रूप से खत्तर सरकार पर राजनितिक स्वार्थ के लिए सरकार को गिरवी रख देने का एवं धारा 144 के बाद भी राम रहीम के समर्थको द्वारा पंचकूला को जलने के लिए छोड़ देने की निंदा किया | डीसीपी को निलंबित किए जाने से उस पर सारी ज़िम्मेदारी डालने के फैसले की भी भर्त्स्ना की | रविवार को फूल बेंच के सामने सुनवाई के समय देश के अतिरिक्त सॉलिसीटर सत्या पल जैन ने "””कहा की शांति व्यसथा राजी का विषय है -केंद्र इसमे क्या करे !! इस पर रुष्ट न्यायधीशों ने कहा की ''' मोदी जी सिर्फ बीजेपी के प्रधान मंत्री नहीं है -वे देश के प्रधान मंत्री है !! “”
केंद्र की बीजेपी सरकार की नीयत इससे स्पष्ट हो जाती है | की सत्तारूद पार्टी के नेताओ ने "” कह दिया है की खत्तर को नहीं हटे जाएगा ! अब ऐसी घटना जिसमे अरबों रुपयो लो संपत्ति नष्ट हो गयी हो – सैकड़ो वहाँ फूँक दिये गए हो --- चार प्र्देशों मे तोड़ - फोड़ का नंगा नाच हुआ हो --वह घटना केंद्र के ध्यान देने योगी नहीं है | हालांकि सरकारी मीडिया ने खबरों मे बाते की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा सलहकार अजित डोवाल समेत देर रात तक अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे !
सरकार का पाखंड निजता की याचिका की सुनवाई के समय अटार्नी जनरल की इस दलील से साफ हो जाता है जब उन्होने कहा "” की नागरिक का अपने शरीर पर भी पूरा हक़ नहीं है | फिर उसकी निजता कैसी ?? वह राज्य के अधीन है -राज्य ही उसका सम्पूर्ण रूप से मालिक है | उनकी दलील एक बार उन काले दिनो की याद दिला देते है जब सुलतानो और बादशाह केआर रहमो - करम पर उनकी प्रजा ज़िंदा रहती थी ! परंतु समय बदल गया - पर सोच अभी भी वही दक़ियानूसी - रासपुतिन की भांति ! वकते हुकूमत को अभी भी प्रजा -और नागरिक तथा शासन करने और राज़ करने का अंतर नहीं मालूम --इसी लिए भोपाल मे शाह जी ने अपने पार्टी सदस्यो को आश्वासन दिया था की हम अगले 5ओ साल तक राज़ करेंगे ! अब या तो उन्हे किसी भविष्य वक्ता ने कहा अथवा उन्हे चुनाव मशीन पर भरोसा है !
एक पोस्ट सोशल मीडिया पर आई है जिसमे व्यंग्य लिखा गया है की भारतीय जनता पार्टी कभी "”गलत नहीं होती "” या तो सरकार अथवा देश के लोग गलत होते है "! केंद्र की सरकार और सत्तारूद दलो द्वरा अब किस मुंह से कर्नाटका और बंगाल मे छुटपुट हिंसा पर सरकार का इस्तीफा मांगेगे ? वैसे बीजेपी मे तो कुछ भी हो जाये मंत्री इस्तीफा देता नहीं है – पूर्व शिवसेना के सदस्य रेल मंत्री प्रभु ने खतौली की घटना की ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा प्रेसित तो कर दिया ! परंतु प्रधान मंत्री न्रे उनसे "” इंतज़ार करने को कहा "”
कुछ कुछ वैसा ही हरियाणा के मामले भी हो रहा
इंतज़ार करो और देखो ---कुछ मत करो

Aug 25, 2017

चुनाव मे किसी भी प्रकार विजय का परिणाम ही है ==रामरहीम का
हिंसा का दावानल कानून का राज

यौन शोषण के मामले मे फंसे डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम के दोषी सिद्ध होने पर उनके "” शिष्यो "” द्वरा चंडीगढ और दिल्ली मे हो रही आगजनी और तोड़ – फोड़ पर ना केवल हरियाणा सरकार वरन केंद्र की पुलिस भी "”असहाय "” नज़र आ रही है | हालत कितने बिगड़े हुए है --इसकी कल्पना इसी बात से की जा सकती है की उच्च न्यायालय को "”हालात को देखते हुए राम रहीम के डेरे की सभी संपति को जबत किए जाने का आदेश दिया है "” !!! हालांकि अभी उन्हे सज़ा नहीं सुनाई गयी --तब यह उपद्रव ! सज़ा के बाद की तो बस कल्पना ही की जा सकती है |

यह जानकारी आम है की पिछले विधान सभा चुनाव मे डेरा के समर्थन से भारतीय जनता पार्टी को मिले"”बहुमत "' का आधार है |
अब उनके समर्थन से बनी "खटटर''' सरकार कितना और क्यो अदालत के आदेश को कैसे पालन करेगी ? फिलहाल तो चुनाव अभी दूर है --परंतु आगे चुनावी राजनीति के लिए तो उन्हे धर्म आधारित आस्थावान "”भीड़ '' के रूप मे वोटरो की ज़रूरत तो पड़ेगी ! वरना अमित शाह का काँग्रेस को समाप्त करने का सपना तो अधूरा ही साबित होगा |

मीरा और भायंदर के चुनावो मे जैन मुनि द्वरा मांस मुक्त समाज के लिए बीजेपी को समर्थन देने वाला विदेप भी सार्वजनिक हो गया है | बीजेपी इस नहर निगम मे बहुमत पाकर सत्तारूद तो हो गयी -लेकिन क्या वह नगर निगम को ''धर्म स्थल ' की भांति मांस और शराब मुक्त कर पाएगी ? अगर ऐसा नहीं हुआ तब क्या उनके वॉटर ''ठगे '' नहीं रह जाएँगे ?

रामदेव और श्री श्री से शुरू हुआ काँग्रेस विरोध चुनाव के दौरान बीजेपी के लोगो द्वरा वोट मांगने का आधार तो बना | परंतु उस धर्मांधता की कीमत अब सरकार को चुकानी पड़ेगी |
इस हालत के लिए सत्तारूद दल द्वरा नियमो और मर्यादाओ को भुला कर खरीद फरोख्त कर के सरकार पर कब्जा करना या बहुमत बनाना -अब भारी पद गया | लगता तो नहीं की देश के प्रधान सेवक इन हालातो पर देश के सामने ''हक़ीक़त'' रखेंगे ! अपराध बोध से तो वे बहुत पहले ही मुक्त हो चुके है |