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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 30, 2017

अब देशभक्ति का प्रमाण होगा पतंजलि के उत्पाद खरीदना !!
क्या कोई मार्केटिंग संस्था -उत्पादो को स्व निर्मित का दावा कर सकती है ???

28 अगस्त के समाचार पत्रो मे पतंजलि संस्था की ओर से अपने उत्पादो का विज्ञापन दिया गया जिसमे कहा गया "”पतंजलि के कच्ची घानी का नैचुरल खड़ी तेल अपनाए और बचत के साथ अपनी देशभक्ति के कर्तव्य को निभाए "”” !! इसी दिन सायकाल को स्टार समूह के चैनल जिसका नाम नवीनीकरण कर के "”” स्टार भारत '''' कर दिया गया है उस पर इसी नाम से योग शिक्षक रामदेव का पश्चिमी और भारतीय वाद्यो का मिला जुला संगीत का कार्यक्रम होने का विज्ञापन भी था |
विज्ञापन के अंत मे देशवासियों से अपील की गयी थी की "”” बहू राष्ट्रीय कंपनियो का व्यापार मे एक ही उद्देस्य होता है ---मुनाफा कमाना जिसे वे अपने देश ले जाते है \ इनके द्वरा देश को लूटा जा रहा है -जिससे देश कमजोर हो रहा है | पतंजलि ना केवल ' शत प्रतिशत 'शुद्ध उत्पाद देता है वरन – मुनाफे का शत -प्रतिशत राशि '''परोपकार '''मे लगाई जाती है -जो देश की सेवा है ! “”

इस विज्ञापन से यह तो साफ है की यदि आप पतंजलि उत्पादो को नहीं उपयोग करते है ---तो आप देश की सेवा '''नहीं करते है "” | यद्यपि ऐसा लिखा नहीं है | परंतु लिखे हुए का दूसरा पहलू यही है | अर्थात देश मे देशभक्ति का सेर्टिफिकेट देने वाली एक नयी व्यापारिक संस्था आ ज्ञी है !!
दूसरा सारसो के घानी के शत प्रतिशत शुद्ध तेल का उत्पादन योग शिक्षक की संस्था नहीं करती है __वरन इसका उत्पादन और पैकिंग जयपुर मे होती है | अभी हाल ही मे उत्तराखंड के खाद्य उत्पाद निरीक्षक ने इस तेल की प्रयोग शाला मे जांच की तो --इसे निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं पाया गया ! ऐसा ही इनके नमक और कालीमिर्च के पाउडर के साथ भी हुआ ! तब इंका दावा कितना "” सच्चा है ?”” यह साफ हो जाता है |
बहू राष्ट्रीय कंपनियो का सारी पूंजी उनके कारखाने -ज़मीन मे लगी होती है | कम से कम वे जिन उत्पादो की मार्केटिंग करते है उन्हे वे अधिकतर खुद उत्पादन करते है | जैसे चाय और काफी | रामदेव का विज्ञापन घमंड और अहंकार से इतना भरा हुआ है ---की वे उन भारतीय कंपनियो को भी अप्रत्यक्ष रूप से "”देशभक्त नहीं मानते जो भारत के बाज़ार मे उनकी प्रतिद्वंदी है ! रामदेव का उद्भव राजनीति से हुआ है --योग से तो कम ही हुआ है | इसलिए उन्होने राजनीति का फंडा अपनाया है ---जिसके अनुसार अपने माल की तारीफ से ज्यादा विरोधियो को बदनाम करना ज़रूरी है !! भले ही उनके आरोप नितांत निरधार ही क्यो ना हो | पतंजलि के तर्क के अनुसार आयूएर्वेदिक उत्पादो का निर्माण करने वाली संस्थाए जैसे वैद्यनाथ - उंझा - हिमालयन ड्रग के अलावा सैकड़ो लघु इकाइया देश मे पतंजलि के आने से पहले देशवासियों के स्वास्थ्य का ध्यान रख रही है | इन महाशय के अनुसार वे "”” देशभक्त नहीं है "” ?? हक़ीक़त यह है की पतंजलि के नाम से अनेक प्र्देशो मे दोस्त सरकारो से सैकड़ो एकड़ जमीने मुफ्त केभाव ली गयी है | इसका क्या अर्थ निकाला जाये ?? की शेष संस्थाए या व्यापारिक संगठन देश के तरती वफादार नहीं है ?? सिर्फ ये ही है ??

इनहोने पतंजलि के लाभ या मुनाफे को शत प्रतिशत परोपकार या धर्मार्थ कार्यो मे लगाया जाता है ---इस कथन की जांच ज़रूरी है | जिस संस्था का व्यापार 50,000 करोड़ रुपये सालाना होने का अनुमान लगाया जाता हो – उसके आय -व्यय का सार्वजनिक होना ज़रूरी है | क्योंकि देश की जनता को यह जानने का हक़ है की '''देश भक्ति का प्रमाण -अपने उत्पादो के खरीदारों को ही दे --तब तो देश की आबादी का 5 से 10 प्रतिशत ही देशभक्त होगा !!

पतंजलि भी भारत के नागरिकों की भावना और आस्था से खिलवाड़ कर रहे है --वे ना केवल सार्वजनिक रूप से विज्ञापन के जरिये अपने "””प्रतिद्वंदीयों --- और उत्पाद इस्तेमाल नहीं करने वालो को गद्दार ही बता रहे है | वैसे उम्मीद तो बिलकुल नहीं है परंतु क्या राजय की सरकारे इस '''संस्थान को जो धर्म के नाम से व्यापारिक गतिविधिया चला रहे है --उनको मुफ्त मे दी जाने वाली सुविधाए तुरंत वापस ली जाये | केंद्र सरकार इन्हे ताकीद करे की वे देश के 90 फीसदी आबादी को देशभक्त ''नहीं '' होने का षड्यंत्र तुरंत रोके | अब देखे की की बहरे कानो मे ज़ू रेंगती भी है या नहीं

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