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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 12, 2017

अब धर्म और आस्था राजनीति और सरकार से निकल कर अदालतों मे पहुंची !!

अब धर्म और आस्था राजनीति और सरकार से निकल कर अदालतों मे पहुंची !!

किसान आंदोलन की भड़की चिंगारी ने पिछले एक सप्ताह मे दावानल का रूप ले कर मधी प्रदेश - महाराष्ट्र - आंध्र और हरियाना तथा आंशिक रूप से कर्नाटक और तामिलनाडु तक सुलग रही है | जो चैनल कल तक सरकारो का स्तुति गाँ कर रहे थे ---उन्होने भी अब अपना स्वर बदल दिया है | अब अधिकतर नेता मंत्री भगवान और धर्म की बाते कर रहे है | सोश्ल मीडिया पर भी "”भक्तो "” को घटनाओ का स्पष्टीकरण देना मुश्किल हो रहा है |

इधर रायपुर मे दो नेताओ के बयान महत्वपूर्ण आए है | हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह ने मीडिया का "”माइंडसेट "” बदलने के लिए रावण - हिरणकश्यप और दुर्योधन का उदाहरण दिया | उन्होने कहा की कृष्ण ने दुर्योधन का "”माइंडसेट "” बदलने के लिए गये ते पर वह नहीं माना | तब उसे सबक सीखना पड़ा | उन्होने सरकार की आलोचना कर रहे मीडिया को "”दुष्ट और राक्षस "” निरूपित कर दिया -----जैसे की वे स्वयं देवता हो !! बीजेपी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शुक्ल ने तो बिना नाम लिए {{एनडीटीवी }} कहा की एक चैनल भारतीयता और देशद्रोह तथा राष्ट्रियता के विरुद्ध काम कर रहा है !! अब सत्तारूद दल खुद ही जज और नियंता बन गया है !!

इसी तारतम्य मे हाईकोर्ट के दो फैसलो का भी जिक्र करना ज़रूरी है | एक राजस्थान उच्न्यायालय के जुस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने अपने कार्यकाल के अंतिम छणोमे शासकीय गौशाला मे "” बदइंतजामी "” के कारण 60 से अधिक गायों के मरने पर एक याचिका पर फैसला देते हुए --- मांगी गयी राहत के बारे मे कम लिखा ,,पर बाकी वह सब लिखा जो कानून का नहीं उनकी "”आस्था और विश्वास "” का मामला था | जो उनके निजी विचार थे उसे उन्होने बिन पुछे – बिन मांगे ही फैसले के पन्नो पर लिख दिया !”” उन्होने गाय को सिंह के समान राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने का सुझाव दिया !! उनका तर्क था की नेपाल मे गाय राष्ट्रीय पशु है | इसके बाद उनकी टिप्पणी तो बेहद असमंजस मे डालने वाली थी जब उन्होने कहा की मोर कभी मोरनी के साथ सहवास नहीं करता | मोर के आन्शू पी कर ही मोरनी गर्भवती हो जाती है | उनके फैसले के बाद ही दूसरे दिन से मोर और मोरनी के सहवास के चित्र डाले जाने लगे | जो सीधे -सीधे उनके कथन को निरर्थक सीध करते थे |

उधर आंध्र हाइकोर्ट के जुस्टिस बी शिव शंकर राव ने एक फैसले मे लिखा की "” गाय को राष्ट्रीय पशु बनाया जाये --इतना ही नहीं उन्होने लिखा की "”गाय भगवान और जननी के स्थान पर है | इस मामले मे याचिका करता ने अपने गायों की सुपुर्दगी मांगी थी | उसका कथन था की वह उन्हे चरने के लिए दूसरी जगह ले जा रहा था जब पुलिस ने उसके पशुओ को जबत कर लिया |

इन उदाहरणो से लगता है की अदालतों मे कानून से काम कम और व्यक्तिगत भावनाओ से फैसले किए जा रहे है | निश्चय ही दोनों मामलो मे सुप्रीम कोर्ट इन फैसलो के आधार को नामंज़ूर कर देगा | क्योंकि ये कानून नहीं व्यक्तिगत भावना और आस्था से किए गए है | आखिरकार यह देश संविधान और कानून से चलने के लिए बाध्य है |