Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 24, 2025

 

धरम प्रचारक --सत्ता से भयभीत नहीं होते -वे सच कहते हैं 

 

 

जनवरी बीस को अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के पश्चात जब वे नेशनल कथेड्रल मे धार्मिक सभ मे पहुंचे ----तब उनके लिए एक अचरज प्रतीक्षा कर रहा था ! जिसकी कल्पना किसी को भी नहीं थी | हाल में ईसाई संप्रदाय के अनेक शाखाओ से धर्म प्रचारको ने अपने - अपने ढंग से उनको शुभ कामन्ये दी | परंतु वाशिंगटन की एपीस्कोपल बिशप

मेरियाँन एडगर बड़ ने अपने "”सरमन {उपदेश} मे राष्ट्रपति को कहा की वे अवैध आप्रवासियों पर दया करे ---उन छोटे छोटे बच्चों पर दया करे जो यंहा बेहतर ज़िंदगी के लिए आए हैं | उन्होंने कहा की ट्रम्प किन्नरों पर भी दया दिखाए क्यूँ की वे भी बेसहारा हैं | उन्होंने ट्रम्प को सभी कमजोर स्त्री पुरुषों के प्रति सद्भाव रखने की सलाह दी |

आम तौर पर शपथ ग्रहण के बाद सामूहिक प्रार्थना सभा एक औपचारिक्ता होती हैं | परंतु ट्रम्प ऐसे महापुरुष के लिए यह आयोजन भी उन्हे और उनकी घोषित नीतियों को आईना दिखा देने वाला साबित हुआ | जिस समय बिशप बड़ प्रवचन दे रही थी ,उस समय उन्होंने राष्ट्रपति को सलाह दी की वे ऐसा कुछ नया कहे ---जिसके लिए उन्हे बाद मे शर्मिंदा होना पड़े | वैसे बड़बोले ट्रम्प इतने बहादुर है की वे गलत साबित हो जाने के बाद भी "”यही रट रट लगाए रखेंगे की "”मैं सही हु और सही ही रहूँगा !!”” जैसा उन्होंने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बाइडें से राष्ट्रपति का चुनाव हार जाने के बाद --- आरोप लगाते रहे की चुनाव मे गड़बड़ी की गई है --| और उन्हे हरवाया गए हैं | यंहा तक की उन्होंने अपने उप राष्ट्रपति {तत्कालीन} को चुनाव परिणाम "”काँग्रेस "” के सामने घोषित करने से मना किया | उप राष्ट्रपति और अन्य अफसरों पर ट्रम्प द्वरा भड़काए जाने पर हुड़दानगियों ने काँग्रेस भवन में "”तोड़ फोड़ "मचा दी थी \ |

2 - एक तरफ नितांत अकेली महिला ने दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्रपति को शीशा दिखा दिया | दूसरी ओर इलाहाबाद मे हो रहे अरबों रुपये के सरकारी खर्चे से हो रहे धार्मिक आयोजन की हकीकत बताने की हिम्मत वनहा के भगवाधारियों मे नहीं हैं | वे अपनी बिरादरी के सन्यासी से मुख्यमंत्री, यानि त्याग से राजभोग को प्राप्त हुए योगी आदित्यनाथ को यह नहीं बताया सक रहे हैं की "””बाहर से आ रहे लाखों तीर्थ यात्रियों को परिवहन और ठहरने की बहुत असुविधा हो रही हैं | आग लग रही हैं व्यावस्था चरमरा रही हैं ,पीने के साफ पानी का अभाव है | परंतु कुछ सैकड़ा भगवधारी साधुओ --मंडलेसवार - पीठाधिस्वर -- अखाड़ा परिषद और "”” अन्य"” ऐसे साधुओ के संगठन की "”””बैठक 27 जनवरी को "”धरम संसद "”बुलाई गई हैं |जिसमे सनातन धरम में व्याप्त कुरीतियों के बारे में चर्चा नहीं होगी << वरन सभी सनातनी एक है, , वक्फ बोर्ड के पास दस लाख एकड़ भूमि कान्हा से आ गई ?? साथ ही इस्लाम की भांति एक धार्मिक स्थानों को नियंत्रित करने के लिए एक बोर्ड गठन की भी मांग है | \!!

अब इन, “” कथा वाचकों ---किरतनियों -- और उपदेश कर्ताओ "” को बस यही कष्ट है की केवल बड़े - बड़े मंदिरों के पास ही संपती ही ! चौबीस हजार टन सोना घरों मे हैं | देश के दर्जनों मंदिरों के पास सैकड़ों एकड़ खेतिहर जमीन है | पूरी के जगन्नाथ मंदिर की भूमि में साल भर धान की खेती होती है और उपज से प्रसाद बंता हैं | आंध्र में तिरुपति मंदिर की भूमि अनेक राज्यों में हैं | केरल के पड़नाभ मंदिर में कितना सोने और रत्नों का भंडार है यह मालूम नहीं | क्यूँकी मंदिर के तहखाने मे भंडार को खोल ही नहीं जा सका ------क्यूँकी उसमे कोई ताला नहीं लगा है ----बल्कि कहते है की वह एक विशिस्ट मंत्र के उच्चारण की ध्वनि से ही खोल जा सकता हैं |


हे धरम संसद को आहूत करने वाले भगवधारियों -- स्वामियों - पीठाधिस्वार -- महामंडलेसवार --- अखाड़ा और अनेक पंथों के मुखिया लोगों मे अधीकतार सिर्फ "”””प्रवचन और कथा उपदेश करते हैं "”” जिसकी

लंबी चौड़ी फीस भी लेते है ---जैसी कवि सम्मेलनों और मुशायरों मे भी दी जाती है | जान्ह तक कथा वाचकों और कीर्तनकार --जगराता करने वाले भी "””धरम प्रचारकों की इस भीड में शामिल हो जाते हैं |


धर्म संसद का एजेंडा :------ 1. वक्फ बोर्ड की तरह से सनातन बोर्ड का गठन हो | अब इसमे बहुत मतभेद होंगे , जैसे शक्ति उपासकों ,में भी अनेकों देवीया के मंदिर और अनुयायी हैं | हिमाचल से लेकर केरल तक शक्ति उपासक मिलेंगे | फिर शैव -शिव मंदिर लगभग देश के सभी हिस्सों मे है -- यंहा तक की आदिवासी समुदाय भी बड़े बाबा के रूपमे पानी देता हैं | इसी श्रेणी में उत्तर भारत मे गणेश और दक्षिण भारत मे कार्तिकेय है | वैष्णव संप्रदाय में विष्णु और उनके अवतारों की एक बहुत बड़ी लाइन है | इसके बाद कबीरपंथी -----रामनामी आदि अनेक समुदाय हैं | इनकी पूजा विधि और शादी - विवाह आदि के रीतियों मे भेद हैं |

इसके अलावा मांशहरी और शाकाहारी का भी भेद हैं } जैन बंधुओ मे , होने को तो छोटा सा ही समुदाय है ---परंतु इनमे भी मुख्यतः तीन तरह के भेद हैं | वैसे इस समुदाय ने अपने को हिन्दू या सनातन धर्म से थोड़ा अलग सा ही किया हुआ हैं | अब कथा वाचक देवकी नंदन ठाकुर को और महंत रवींद्र पुरी को गणतंत्र दिवस तक सफाई देनी होगी की वे वस्तुतः कितने समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं | वैसे हिन्दू कट्टरवादियों की सारी कोशिस के बावजूद यह चूँ -चूँ का मुरब्बा ही रह जाएगा }|||