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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 24, 2016

      मोदी के पिछलगू बने अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प

यूं तो इस साल के अंत तक अमेरिका की बागडोर बराक ओबामा के पास ही है ,,पर निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को लेकर जो आशंकाए उनके चुनावी भासदों को ले कर देश - विदेश के लोगो के मन ने थी वे "”निर्मूल "' साबित हो गयी | वैसे ही जैसे 2014 लोकसभा चुनावो के परिणामो के बाद देश के नागरिकों के मन मे थी | अब इसे कोई विचारधारा कहे अथवा चलन या मंथन परंतु दोनों ही नेताओ की सफलता अप्रत्याशित रही है |दोनों नेता ही धुर दक्षिण पंथी और कट्टर वादी है | ट्रम्प खुद अरबपति है तो मोदी के गहरे यार अंबानी और अड़ानी ट्रम्प से कनही ज्यादा अमीर है |

दोनों के चुनाव प्रचार की शैली भी धुंआधार ही थी | रोज - रोज अपने विरोधी पर नए नए आरोप और धम्किया से आक्रामक नारे तक इस्तेमाल किया | चूंकि ट्रम्प का कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है अतः उनके विरोधी को सिर्फ एक ही तथ्य हाथ लगा ----- दासियो वर्ष से "”आयकर "”” नहीं चुकाना | जबकि हिलेरी को खुद के विदेश मंत्री के समय के ई - मेल कांड के अलावा आब्रजन नीति,, ओबामा केयर बगदादी का आतंक अनेकों घरेलू और विदेशो से संबन्धित मामलो की सफाई चुनाव प्रचार के दौरान देनी पड़ी | जैसे की मोदी जी ने मनमोहन सिंह को पाकिस्तान की हरकतों पर चिठी --नहीं दस सिर काट लाने की सलाह दी थी | सबसे बड़ा यू टर्न तो जीएसटी के मुद्दा पर था --जिसको मनमोहन सिंह की सरकार लाना चाहती थी ---परंतु भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकारो ने पुरजोर खिलाफत की | उसे ही संसद मे पारित करवाने के लिए कांग्रेस से चिरौरी की तब पास हो सका |

मोदी जी ने चुनाव के दौरान विदेशो से भारतीय काला बाज़ारियों का पैसा देश मे लाकर हर देशवासी को पंद्रह लाख रुपये देना – मंहगाई को क़ाबू मे लाना – भ्रस्टाचार रोकना – आतंकवाद को नियंत्रण करना परंतु इन सभी वादो के साथ गांधी परिवार के दामाद रोबर्ट वाड्रा की जांच करना भी था | चुनाव के बाद सरकार बन जाने के बाद इन सभी "””चुनावी वादो "””को "”” जुमला "” करार दे दिया गाय -वह भी पार्टी के अध्याछ अमित शाह द्वारा |
उसी प्रकार डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव प्रचार के चार आधार थे – हिलेरी क्लीन्टन को ई-मेल खतम करने के मामले मे जेल भेजना ---आब्रजन के नियम को कडा बनाना जिस से की एस्यियाई मूल के लोगो द्वरा नौकरी हथिया लिए जाने पर रोक लगे – मेक्सिको की सीमा पर दीवार खड़ी करना जिस से की वनहा के नागरिकों का प्रवेश बंद किया जा सके | | परंतु मोदी जी की भांति ही डोनाल्ड ट्रम्प ने यू -ट्यूब पर ढाई मिनट के प्रसारण मे अपने चुनावी वादो को खारिज कर दिया | उन्होने कहा की -वे क्लिंटन परिवार को कष्ट नहीं देना चाहते -इसलिए वे मुकदमा नहीं करेंगे – मेक्सिको सीमा को सील करने के लिए कोई दीवार नहीं बनाई जाएगी – और वीज नियमो से वास्तविक अभ्यर्थियो को डरने की कोई भय नहीं होना चाहिए | जबकि इनहि वादो पर उन्हे लोगो के मत तथा निर्वाचन कालेज मे सफलता मिली थी |
अब आप खुद ह तुलना करे की दोनों ही महान नेताओ ने अपने कहे हुए को असत्य सिद्ध किया ट्रम्प ने पद भार लेने के पहले ही अपने कहे को झूठा साबित कर दिया --जबकि हमारे प्रधान मंत्री ने विगत दो वर्षो मे अपने फैसलो से चुनावी वादो को गलत सिद्ध कर दिया | इस लिहाज से ट्रम्प मोदी के चेले साबित हुए – आखिर भारत एक विधा मे तो विश्व गुरु तो बन ही गया !!


Nov 20, 2016

बहुमत है तो फिर क्या गम है मोदी जी

     प्रचंड बहुमत फिर क्यो शंकित है सरकार सदन मे                   मतदान कराने मे ??

संसद का अधिवेशन नोट बंदी के बाद पहली बार समवेत हुआ है | परंतु दोनों ही सदनो मे कोई चर्चा नहीं हो प रही है | देश की जनता व्याकुल है यह जानने के लिए कैसे नोट बंदी का फैसला मंत्रिपरिषद मे लिया गया ? वितता मंन्त्रालय ने क्या तैयारई की थी ? आज तेरह दिन हो गए हालत काबू मे नहीं है ,, शादी के लिए 2.50 लाख की सरकारी घोसना को भी पाँच दिन हो गए किसान को भी पहले 25हज़ार फिर 40 हज़ार तक निकालने की घोसना की गयी थी | परंतु दोनों ही आदेश बंकों को नहीं मिले | ऐसा स्टेट बैंक की शाखा के प्रबन्धको ने बताया |

नरेंद्र मोदी जी की हज़ार और पाँच सौ के नोटो का चलन बंद करने की 8 नवम्बर की घोसणा को जनता का 85 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त होने का दावा भारतीय जनता पार्टी और मोदी समर्थको द्वारा की जा रही है | फिर क्या बात है की सरकार लोकसभा मे कांग्रेस्स के कामरोको प्रस्ताव पर चर्चा के लिए राज़ी नहीं हो रही है ?? आखिर क्यो

क्या डर है मोदी सरकार को 282 के "”प्रचंड बहुमत "” के बाद --- लोकसभा मे चर्चा पर मतदान कराने मे ??? यह समझ मे ना आने वाली बात है ? अरे भाई करने दो विपक्ष को चर्चा बहुमत तो आपके पास है ही -फिर डरना क्यो ??

-क्या मोदी जी को अपने गठबंधन पर भरोसा नहीं रहा की वे प्रस्ताव के समय वोटिंग होने पर सरकार का समर्थन नहीं करेंगे ?? अथवा कुछ और ? एक खबर के अनुसार बीजेपी आद्यक्ष अमित शाह मे 11 नवेंबर को संसदीय दल की बैठक बुलाने का नोटिस जारी करवाया था | जिसे प्रधान मंत्री मोदी के कहने पर स्थगित कर दिया गया | यद्यपि स्थगन की कोई वजह नहीं बताई गयी | इस से थोड़ी शंका तो होती है --

Nov 17, 2016

कैसा देश का चौकीदार ?चोर को जाने दे घरवालो परेशान

कैसा देश का चौकीदार ? चोर को जाने दे घरवाले परेशान

नौ नवंबर से हज़ार और पाँच सौ के नोट चलन से बंद किए गए --- यह कह कर की इस से आतंकवाद कालाबाजारी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी | अपनी कमाई का पैसा लेने के लिए लोगो को घंटो लाइन मे लगना पड़ा तब दो हज़ार रुपये के नए नोट मिले | लेकिन 17 नवंबर तक सरकार की खास कर मोदी जी की सर्जिकल स्ट्राइक ऑन करप्शन की तैयारी का खुलाषा हो गया \ इन आठ डीनो मे पहले दो हज़ार प्रति खाता निकालने की सुविधा थी | फिर ढाई हज़ार किया तीन दिन तक यह सुविधा मिली 17 नवंबर को फिर वही धाक के तीन पात -यानि सिर्फ ढाई हज़ार ही मिलेंगे | तो इतनी बड़ी स्ट्राइक मे मोदी जी की फौज "”तीन बार आगे - पीछे "” गयी |हा विजय माल्या के 1207 करोड़ का क़र्ज़ राइट ऑफ कर दिया गया ? यह है सरकार की नीयत
आठ दिन बाद सरकार को होश आया की शादियो का मौसम है ---वह भी कर्नाटक के भूतपूर्व मंत्री रेड्डी {,जिनको खनन माफिया भी कहते है} की लड़की की मेगा शादी जिसमे 500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है ---उस से ही सरकार को याद आई होगी की लोगो को भी शादी करनी होगी | तब शादी के लिए निमंत्रण कार्ड दिखाने पर ढाई लाख तक निकालने की सुविधा तथा किसान को बीज -खाद के लिए पचास हज़ार तक की सुविधा घोषित की है सवाल यह है की गोपनियता तो शंका के घेरे मे है -क्योंकि ना तो कोई बड़ा नेता ना ही एमएलए या एमपी या कोरपोरेटर न डाक्टर - वकील लाइन मे खड़ा मिला है | तो क्या इनके यानहा का खर्चा कैसे चल रहा है जब की मुद्रा निकासी पर प्रतिबंध है ??

आठवे ही दिन सरकार की नीयत की खोट भी सामने आ गयी जब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 63 लोगो के 7069 करोड़ रुपये के क़र्ज़ राइट ऑफ कर दिये है | एक रिपोर्ट के अनुसार अभी तक बंकों मे दस लाख करोड़ रुपये की नकदी पहुँच चुकी है | इसका मतलब की आम आदमी फिर ठगा गया ?


आजादपुर सब्जी मंडी दिल्ली मे एक सभा को संबोधित करते हुए बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने तथा दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी जी से सवाल किया की किस प्रकार 2000 का नोट देश मे व्याप्त बेईमानी और कालाबाजारी को खतम करेगा | जबकि गुजरात मे रिश्वत के मामले मे पकड़े गए अफसर से दो हज़ार के नए नोट बरामद हुए दो लाख के ??

Nov 14, 2016

तारेक साहब क्यो हिंदुस्तान के सभी लोग हिन्दू नहीं है

तारेक साहब क्यो हिंदुस्तान के सभी लोग हिन्दू नहीं है

भोपाल मे सरकार और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रज्ञा प्रवाह के तत्वावधान मे हुए तीन दिवसीय "”लोक मंथन "”” मे कुछ अम्रत और कुछ "”गर्ल "”भी निकला | जनम से पाकिस्तानी और हाल मुकाम रिहाइश कनाडा के तारेक फतेह अली साहब ने भारत को सभी देश वासियो को हिन्दू बताते हुए तर्क दिया की ---जब गैरमानी मे रहने वाला जर्मन कह लता है और अमेरिका मे रहने वाला अमरीकी कहलाता है तब क्यो नहीं हिंदुस्तान मे रहने वाले हिन्दू क्यो नहीं कहे जाना चाहिए ?

पढने- और सुनने मे यह तर्क बिलकुल सही लगता है , परंतु तारेक साहब एक बात भूल गए की की इस देश का नाम "”भारत "”' है और यानहा के सभी बासिन्दे "भारतीय "” है | रही बात हिंदुस्तान कहने की तो उसका जवाब है की हुज़ूर – जर्मनी मे "”जर्मन "'' नाम का कोई धर्म नहीं है | और ना ही अमेरिका मे अमेरिकी नाम का कोई धर्म है ----जबकि इस देश मे बहुत से लोग एक धर्म को "”हिन्दू '''धर्म कहते है | जो आँय धर्मो से अलग है | हिन्दू कोई राष्ट्रियता नहीं है --जबकि भारतीयता राष्ट्रियता है | इतनी सी बात तारेक साहब ने घूमा कर अपनी बात को साबित करने की कोशिस की जो सही नहीं है | इस देश मे सभी भारतीय है फिर वे हिन्दू हो या इस्लाम के अनुयायी हो अथवा इससई हो या बौद्ध अथवा जैन सीख हो या बोहरा आदि यह सभी भारतीय है ,,हिन्दू तो नहीं है इतना तो पक्का है

Nov 6, 2016

वोट -और नोट समर्थन का सम्मिश्रण है अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव

वोट -और नोट समर्थन का सम्मिश्रण है अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव

भारत मे लोग डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रप के चुनाव मे काफी दिलचस्पी ले रहे है | गणतन्त्र के इस चुनाव मे अपनी - अपनी रुचि के अनुसार सभी विजय का दावा कर रहे है | लोगो के रुझान जानने के लिए उत्साही स्काइप या छत रूम पर नब्ज़ जानने की कोशिस कर रहे है |

परंतु कम ही लोग समझ पा रहे है की 20 करोड़ लोगो के वोट अमरिकल का राष्ट्रपति नहीं चुन सकते ---वे तो सिर्फ इस बात का संकेत देते है की जनता मे कौन ज्यड़ा लोकप्रिय है और कौन कम , तथा किन राज्यो मे डेमोक्रेट आगे है तो किन मे रिपब्लिकन का ज़ोर है |


असली निर्णायक तो Electoral College है जिसके प्रतिनिधि ही वास्तव मे अमरीका के भाग्य विधाता है | इसके सदस्य चुने जाने की बहुत जटिल प्रक्रिया है | इसमे 50 राज्यो और मुख्य राजनीतिक् दल का प्रतिनिधित्व होता है | राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए इसी निकाय के 270 सदस्यो का वोट मिलना निहायत ज़रूरी है | इंका सदस्य निर्वाचित होने के लिए बड़ी -बड़ी कंपनी और उद्योग समूह अपने -अपने हितो के लिए लोगो को खड़ा करते है | इसमे धन का प्रयोग बहुत होता है | एक बार डेमोक्रेट उम्मीदवार अल गोर को देश के मतदाताओ ने जीता दिया -परंतु वे कॉलेज मे ज़रूरी समर्थन नहीं जूता सके फलस्वरूप वे पराजित हुए | अध्यक्षीय शासन की यह प्रणाली अपने मे एक मिसाल है | जनहा सिर्ग वोट गिने ही नहीं '''तौले भी जाते है "” \ विश्व मे अमेरिका ही एक मात्र देश है जनहा "”राष्ट्ध्यक्ष और शासनाध्यक्ष '' दोनों ही है | संसदीय लोकतन्त्र मे एक सांकेतिक राष्ट्ध्यक्ष होता है , जैसे ब्रिटेन मे वनहा की महारानी और भारत मे राष्ट्रपति |  

Nov 5, 2016

आतंकी -आरोपी--अपराधी और मुठभेड़ --एक विश्लेषण

      आतंकी -आरोपी--अपराधी और मुठभेड़ --एक विश्लेषण

31 अक्तूबर 2016 को भोपाल के अचारपुरा के पास केंद्रीय जेल से भागे आठ क़ैदियो {{हवालाती }} पुलिस की गोलियो से ढेर कर दिये गए | सभी मारे गए लोगो पर "”लूट - डकैती - हत्या "” के आरोप थे | प्रचार -प्रसार माध्यमों ने इन सभी मारे गए लोगो को "”आतंकी "” की भांति संबोधित किया | यह बात मेरे लिए थोड़ा अचम्बेभे की बात थी | क्योंकि मारे गए मात्र एक व्यक्ति के विरुद्ध ही सज़ा का आदेश सक्षम अदालत द्वारा पारित किया गया था | उसे उपरोक्त अपराधो का दोषी तो बताया जा सकता है | परंतु शेष सातो व्यक्ति मात्र "”आरोपी "”ही थे अपराधी नहीं | कानून की किताब -पुलिस -जेल के नियमो के अनुसार मई यह तथ्य चुनौती देते हुए लिख रहा हूँ |

यदि कोई संगठन आतंकी घोसीत किया जा चुका है – तभी उसके किसी सदस्य को {{ अदालत द्वारा सिद्ध पुलिस द्वारा नहीं }} आतंकी निरूपित किया जा सकता है | सुप्रीम कोर्ट ने आसाम के मामले मे यह फैसला दिया है | यह फैसला Disturb Area Act मे गिरफ्तार एक व्यक्ति की याचिका पर दिया गया था | इस मामले मे आठो व्यक्ति "”प्रतिबंधित संगठनStudent Islamik Movement Of India .””.....के सदस्य थे -यह किसी भी अदालत मे साबित नहीं किया गया था | अतः इन्हे आतंकी नहीं कहा जा सकता | ना तो ऐसा दस्तावेज़ो मे लिखा जा सकता है नाही प्रचार और प्रसार माध्यमों द्वारा निरूपित किया जा सकता है |

अब पुलिस द्वारा कहे जा रहे मुठभेड़ मे यदि हम पुलिस रिपोर्ट को देखे -----तो काफी अचूक कामिया है | सबसे पहले आठों व्यक्ति "”इष्तहारी मुजरिम "” नहीं थे | जिनहे ---ज़िंदा या मुर्दा लाने की सार्वजनिक घोसना हुई हो | कानून के अनुसार "”जीवन का अधिकार न्यायालय की प्रक्रिया द्वारा ही छिना जा सकता है "” किसी अन्य रूप से नहीं | कुछ अधिकारी गण कह रहे है की "”मुठभेड़ "”” के समय पुलिस के पास ऐसे अधिकार आ जाते है | मैंने जब एक अधिकारी से पुलिस मैनुअल की उस व्यसथा // पैरा के बारे मे जानन्ना चाहा तो वे बोले बता दूँगा | अभी तक उनका उत्तर नहीं मिला | दूसरे वारिस्ठ ने पुलिस दारा "” आतम रक्षा "” मे की गयी कारवाई बताया | भारतीय दंड संहिता मे देश के सभी नागरिकों को आत्म रक्षा -परिवार रक्षा - संपाति रक्षा "” के लिए शक्ति और साधन के प्रयोग की"”छूट"”| परंतु उसी मे यह भी है की हमलावर को "”क़ाबू"” मे करने के लिए पर्याप्त शक्ति का ही उपयोग करना चाहिए | अब यही एक कारण Self Defence के अधिकार को बहुत सीमित कर देता है | क्योंकि अदालत मे यह सिद्ध करना मुश्किल होता है |

अंत मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा "ऐसी मुठभेडॉ"” के लिए राज्य सरकारो को "”सोलह सूत्री "” गाइड लाइन 2014 मे दी गयी थी | उसका तो पालन हो नहीं रहा