वोट
-और
नोट समर्थन का सम्मिश्रण है
अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव
भारत
मे लोग डेमोक्रेट उम्मीदवार
हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिकन
उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रप के
चुनाव मे काफी दिलचस्पी ले
रहे है | गणतन्त्र
के इस चुनाव मे अपनी -
अपनी
रुचि के अनुसार सभी विजय का
दावा कर रहे है |
लोगो
के रुझान जानने के लिए उत्साही
स्काइप या छत रूम पर नब्ज़
जानने की कोशिस कर रहे है |
परंतु
कम ही लोग समझ पा रहे है की 20
करोड़
लोगो के वोट अमरिकल का राष्ट्रपति
नहीं चुन सकते ---वे
तो सिर्फ इस बात का संकेत देते
है की जनता मे कौन ज्यड़ा लोकप्रिय
है और कौन कम ,
तथा
किन राज्यो मे डेमोक्रेट आगे
है तो किन मे रिपब्लिकन का
ज़ोर है |
असली
निर्णायक तो Electoral
College है
जिसके प्रतिनिधि ही वास्तव
मे अमरीका के भाग्य विधाता
है | इसके
सदस्य चुने जाने की बहुत जटिल
प्रक्रिया है |
इसमे
50 राज्यो
और मुख्य राजनीतिक् दल का
प्रतिनिधित्व होता है |
राष्ट्रपति
निर्वाचित होने के लिए इसी
निकाय के 270 सदस्यो
का वोट मिलना निहायत ज़रूरी
है | इंका
सदस्य निर्वाचित होने के लिए
बड़ी -बड़ी
कंपनी और उद्योग समूह अपने
-अपने
हितो के लिए लोगो को खड़ा करते
है | इसमे
धन का प्रयोग बहुत होता है |
एक बार
डेमोक्रेट उम्मीदवार अल गोर
को देश के मतदाताओ ने जीता
दिया -परंतु
वे कॉलेज मे ज़रूरी समर्थन
नहीं जूता सके फलस्वरूप वे
पराजित हुए |
अध्यक्षीय
शासन की यह प्रणाली अपने मे
एक मिसाल है |
जनहा
सिर्ग वोट गिने ही नहीं '''तौले
भी जाते है "”
\ विश्व
मे अमेरिका ही एक मात्र देश
है जनहा "”राष्ट्ध्यक्ष
और शासनाध्यक्ष ''
दोनों
ही है | संसदीय
लोकतन्त्र मे एक सांकेतिक
राष्ट्ध्यक्ष होता है ,
जैसे
ब्रिटेन मे वनहा की महारानी
और भारत मे राष्ट्रपति |
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