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Nov 6, 2016

वोट -और नोट समर्थन का सम्मिश्रण है अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव

वोट -और नोट समर्थन का सम्मिश्रण है अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव

भारत मे लोग डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रप के चुनाव मे काफी दिलचस्पी ले रहे है | गणतन्त्र के इस चुनाव मे अपनी - अपनी रुचि के अनुसार सभी विजय का दावा कर रहे है | लोगो के रुझान जानने के लिए उत्साही स्काइप या छत रूम पर नब्ज़ जानने की कोशिस कर रहे है |

परंतु कम ही लोग समझ पा रहे है की 20 करोड़ लोगो के वोट अमरिकल का राष्ट्रपति नहीं चुन सकते ---वे तो सिर्फ इस बात का संकेत देते है की जनता मे कौन ज्यड़ा लोकप्रिय है और कौन कम , तथा किन राज्यो मे डेमोक्रेट आगे है तो किन मे रिपब्लिकन का ज़ोर है |


असली निर्णायक तो Electoral College है जिसके प्रतिनिधि ही वास्तव मे अमरीका के भाग्य विधाता है | इसके सदस्य चुने जाने की बहुत जटिल प्रक्रिया है | इसमे 50 राज्यो और मुख्य राजनीतिक् दल का प्रतिनिधित्व होता है | राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए इसी निकाय के 270 सदस्यो का वोट मिलना निहायत ज़रूरी है | इंका सदस्य निर्वाचित होने के लिए बड़ी -बड़ी कंपनी और उद्योग समूह अपने -अपने हितो के लिए लोगो को खड़ा करते है | इसमे धन का प्रयोग बहुत होता है | एक बार डेमोक्रेट उम्मीदवार अल गोर को देश के मतदाताओ ने जीता दिया -परंतु वे कॉलेज मे ज़रूरी समर्थन नहीं जूता सके फलस्वरूप वे पराजित हुए | अध्यक्षीय शासन की यह प्रणाली अपने मे एक मिसाल है | जनहा सिर्ग वोट गिने ही नहीं '''तौले भी जाते है "” \ विश्व मे अमेरिका ही एक मात्र देश है जनहा "”राष्ट्ध्यक्ष और शासनाध्यक्ष '' दोनों ही है | संसदीय लोकतन्त्र मे एक सांकेतिक राष्ट्ध्यक्ष होता है , जैसे ब्रिटेन मे वनहा की महारानी और भारत मे राष्ट्रपति |  

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