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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 22, 2022

 

मौसम है  ज़िना और क़तल के गुनहगारों  को आज़ादी मिलने का !

                   गुजरात के गोधरा नर संहार की घटना के बाद सबसे भयंकर बलात्कार और हत्या  की घटना – 3 मार्च 2002 को दाहोद में बिलकीस बानो कांड  ! जिसमे 11 ग्यारह  हिन्दुओ ने एक मुस्लिम परिवार के    सात लोगो की हत्या की और गर्भवती बिलकीस बानो के साथ  सामूहिक बलात्कार  किया | दोषियो को उच्च न्यायालय  से आजीवन कारावास की सज़ा हुई

                  अचानक  16 अगस्त को सभी 11 अपराधियो को  गुजरात सरकार द्वरा  उनके “” अच्छे आचरण और व्यवहार के आधार पर उनकी सज़ा को घटा दिया !! “”   जब सभी अपराधी   पंद्रह साल बाद जेल से रिहा हुए तब विश्व हिन्दू परिषद  ने उन सभी का स्वागत माला पहना कर और तिलक लगा कर किया गया | समाचार पत्रो मे खबर आने के बाद विवाद  शुरू हुआ | गजब की बात है की जिस कानून के अंतर्गत  अपराधियो  को सज़ा में छूट दी गयी उसे  दो वर्ष पूर्व ही निरस्त किया जा चुका हैं |  विवाद होने पर गुजरात की बीजेपी सरकार ने कहा की इन बंदियो के अच्छे आचरण के कारण  छूट दी गयी | जब यह तथ्य सामने आया की केंद्रीय कानून  निरस्त हो चुका हैं ---तब राज्य सरकार ने कहा की केंद्रीय गृह मंत्रालय  यानि अमित शाह  जी का साम्राज्य ! से भी इस मामले में सहमति प्रापत की जा चुकी थी !

              किस्सा यह हैं की इन 11 दोषियो की ओर से  सुप्रीम कोर्ट  में सज़ा माफी के लिए  अर्ज़ी लगाई गयी थी | जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने  गुजरात सरकार को निर्देश दिया था की वे इनकी “अर्ज़ी” पर विचार कर निर्णय ले |  जिसका परिणाम 15 अगस्त 2022 को  जेल से आज़ाद किए जाने वाले बंदियो में इन 11 अपराधियो को भी रिहाई मिल गयी | जब बिलकीस बानो के परिवार को यह खबर लगी -तो उन लोगो ने पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराई की इन अपराधियो से उनके परिवार को जान और माल का खतरा हैं , वरन वे दाहोद छोडकर दूसरी जगह बस्ने के लिए  तैयारिया  की |

                               7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के छपला कांड के समूहिक बलात्कार और हत्या के तीनों अपराधियो  को  रिहा करने का फैसला सुनाया ! जबकि ज़िला अदालत और दिल्ली हाइ कोर्ट ने इसे  निरभ्या  कांड जैसा  निरूपित किया था |  इस मामले में एक युवती  से तीनों लोगो ने सामूहिक बलात्कार  करने के बाद उसके गुपतंगों में चोट पहुंचाई और हत्या कर दिया !  सुप्रीम कोर्ट  ने अपने फैसले में ज़िला और उच्च न्यायालय  द्वरा  जिन सबूतो को आधार  मान कर सज़ा सुनाई थी , उन तर्को को सिरे से खारिज कर दिया !!!!

                     11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने  पूर्व प्रधानमंत्री  राजीव गांधी की श्रीपेरंबदूर में लिट्टे आतंकवादियो  द्वारा  आतमघाती  बम  हत्याकांड के 6 छह  अपराधियो  को रिहा करने का फैसला सुनाया !  इस पर काँग्रेस पार्टी ने विरोध जताते हुए  सुप्रीम कोर्ट में रिवियू  अर्ज़ी लगाने की घोसना की हैं | 

केंद्र सरकार भी अर्ज़ी लगाने जा रही इस फैसले के खिलाफ |

                            पिछले छह माह में सुप्रीम कोर्ट  के इन फैसलो से उतना ही जन मानस क्रोधित हैं , जितना पुलिस या गुजरात सरकार से |  लेकिन इतने महत्वपूर्ण मामलो में  दोषियो  को सरकार द्वरा अथवा अदालत द्वारा  रिहा किया जाना ---- फैसला तो हो सकता हैं परंतु न्याय नहीं !

 

 

                   

 

 

Nov 20, 2022

 

संघर्र्ष-श्हादत कांग्रेस की –और  वाह वाही गोडसे और सावरकर की

 

                राष्ट्र पिता  महात्मा गांधी की हत्या  से शुरू हुई राजनीतिक हिंसा , देश को झकझोर तो गयी , परंतु  हिंदुत्ववादी  शक्तियों के लिए  हत्यारे नाथुराम गोडसे  को भी इतिहास में नाम दे दिया |  इतिहास में सदैव ऐसा ही होता आया है | शिशुपाल  के वधके लिए श्री कृष्ण का नाम आता हैं |  जरासंध और दुर्योधन के वधके लिए भीम को याद किया जाता हैं |  शायद  यह मानव की रीति हैं | परंतु कभी भी  कुमार्गियों  के अंत को महिमा मंडित नहीं किया गया , जैसा  की इस समय हो रहा हैं | अविभाजित पंजाब के मुख्य मंत्री रहे  प्रताप सिंह कैरो की हत्या  6 फरवरी 1965 को दिल्ली -चंडीगड राज मार्ग पर सुचचा सिंह ,और बलदेव सिंह तथा नहर सिंह ने की ,जिनहे बाद में अदालत ने फांसी की सज़ा दी |   दूसरे राजनीतिक  शिकार पंजाब के मुख्य मंत्री बेअंत सिंह  बने , 31 अगस्त 1995  बने जिनकी चंडीगड  सचिवालय  में बम विस्फोट में  बेअंत सिंह सहित 18 लोगो की मौत हुई थी |

 राज्यो से राजनीतिक हिंसा  की जो बयार बही  उसने 31 अक्तूबर 1984  को देश की प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी  की जान ले ली | उनकी हत्या उनके ही अंगरक्षकों द्वरा की गयी , अब कौन सोच सकता था की जिनपर  प्रधान मंत्री के प्राणो की रक्षा का भर था  -वे ही प्राण भक्षक निकले | यह गांधी परिवार का ही त्याग हैं की इन्दिरा जी के देहावसान के बाद काँग्रेस पार्टी ने राजीव गांधी को देश का प्रधान मंत्री चुना  |   गौर तलब है की  राजीव के अनुज संजय की मौत एक दुर्घटना में हुई थी |  यद्यपि राजीव राजनीति में संजय की मौत के बाद आए  , और अंततः  इन्दिरा जी की म्रत्यु के बाद सरकार और पार्टी की कमान सम्हाली | फिर आय वह काला दिन 21 मई 1991 का जब वे श्रीपेर्म्बदूर में  चुनावी सभा  को संभोधित कर रहे थे --- उस समय लिट्टे समर्थक  गुट ने  आत्मघाती हमले में उनकी जान ले ली | बम का विस्फोट इतना भेषण था की  राजीव जी के शव को उनके जूते से पहचाना जा सका |

                      इतना ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की पुत्री और दामाद ललित माकन की भी हत्या  दिल्ली में हुई | ये कुछ राजनीतिक हत्याये है –जिनके लिए  विरोधी राजनीतिक विचारधाराए ही जिम्मेदार हैं | महात्मा से लेकर  राजीव गांधी के हत्यारो को  महिमा मंडित  करना न केवल  उनकी कुर्बानियों  को नकारना हैं , वरन राष्ट्र के प्रति  भी अपमान भी है |आजकल  बयार बही हैं -इन शहीदो  को नकारने और  गोडसे तथा सावरकर ऐसों के गुणगान की ! भारतेन्दु हरिश्चंद्र  का नाटक है -अंधेर नागरी  चौपट राजा , कुछ कुछ वैसा ही हो रहा हैं |  लोगो को आज़ादी की लड़ाई में हुई कुर्बानियों की जगह  हिन्दू – मुस्लिम  का पाठ पढाया जा रहा हैं |  यह देश का दुर्भाग्य हैं | शिक्षा -स्वायस्थ  की जगह  मूर्ति – और मंदिर  ही राज्य का काम हो गया हैं ||  इन स्थानो पर सरकारी खजाने से  लाखो दीप जला कर  “”हम किस की  खुशी माना रहे हैं ? “ जब  देश में भूख और बीमारी  और अशिक्षा  का अभिशाप हैं  तब तक  मंदिर में बैठे  देवता  भी  हमारा भला नहीं करेंगे | गीता में कर्मयोग  में  शासक का कर्तव्य  बताते हुए  शर शय्या पर लेते भीष्म ने युधिसठीर को  ज्ञान दिया था , की प्रजा के दुख का निवारण ही तुम्हारा कर्तव्य होना चाहिए | आज हिन्दू -हिन्दू  चिल्लाने वाले  केवल  मुस्लिम – ईसाई ररको कोसते हैं , वे समाज में  असमानता  को दूर करने के बजाय सरकारी संपातियों को उन लोगो को बेच रहे हैं जिनकी हैसियत  बंकों से लिए क़र्ज़ को चुकाने की नहीं हैं | राष्ट्र के सकाल उत्पाद  का 30% कुल पाँच घरानो के पास पिछले सात सालो  पहुँच गया हैं | अब जनता को सवाल पूछना होगा की किसान के लाख रुपये का कर्ज़ की  वसूली  उसका घरबार कुर्क करके होती हैं | पर  योगी से  

 व्यापारी बने को बैंक उदारता पूर्वक  अरबों रुपये का उधर सुलभ करता हैं | अदानी समूह की बात ही निराली हैं --- उनके लिए हुए क़र्ज़  की कितनी “”भरपाई हुई है “” यह  सुप्रीम कोर्ट में भी  केंद्र सरकार ने नहीं खुलाषा किया | जबकि कर्जदारों  को  उधारी वसूली का नोटिस  सार्वजनिक  तौर पर  प्रकाशित किया जाता हैं |  जिन बंकों ने अदानी या अनिल अंबानी को क़र्ज़ दिया हैं  वे भी अपनी  बैलेंस शीट में यह साफ साफ नहीं  दिखते हैं की  कितने क़र्ज़ की वसूली बाकी है !!!!

                           बात हो रही थी देश  के लिए शहीद हुए तीन गांधीयों  की , उनकी कुर्बानियों  को आज राजनीतिक रूप से एक विचारधारा  “नकारने “” का प्रयास कर रही हैं |  राजनीतिक दल  चुनाव  लड़ते हैं , परंतु सिर्फ चुनावी मशीन  बन कर रह जाना  और संगठन के नाम पर पंचतारा  कार्यालय बनाना  शायद  आज की राजनीति हो ! परंतु   भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीत कर  तो कुछ ही सरकार बना पायी है , वरना मध्य प्रदेश , गोवा और उत्तर पूर्व के राज्यो में “”दल महाराष्ट्र  में जिस प्रकार  शिव सेना  को केंद्र सरकार के शह  पर तोड़ा गया  वह किसी से छिपा नहीं हैं |  सत्ता की यह लिप्सा ही  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की राजनीतिक पहचान  बन गयी हैं |  जो  देश के संविधान और जन मानस के के लिए हानिकारक ही हैं |

                        दुनिया के हनगर  इंडेक्स  में भारत का स्थान  चिंतनीय है , विदेशी मुद्रा  के भंडार में लगातार गिरावट भी शोचनीय है , | राज्यो खास कर बीजेपी शासित राज्यो में स्कूलो को बंद करने  की लाइन लगी हैं | आसाम -गुजरात – उत्तर प्रदेश  में  तो बाकायदा  इनकी बंदी का ऐलान भी हो गया है | मध्य प्रदेश  में भी  शायद  हो |  अब संविधान में   समानता का अधिकार  तो किताब में लिखी बात ही रह जाएगी | जैसे  आज़ादी के शहीदो  को हम भूल रहे है , वैसे ही संविधान  भी  बस अब एक किताब बन कर रह गया हैं |

Nov 17, 2022

 

   प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भीड़ जुटाने की एक नयी प्रथा शुरू की

 

 

हैं –वे सरकारी बसो से पंचायत अधिकारियों की मदद से सभा स्थल पर सरकारी बसो में भीड़ को फ्री  आने -जाने की व्यसथा कर के – जन सैलाब को देखने की अपनी मर्जी पूरी करते हैं | अपने भाषणो के दौरान वे  श्रोताओ से हाथ उठवाते है और  अपने कहे पर हामी भी भरवाते हैं |  मध्य  प्रदेश में महाकाल  को महाकाल लोक  घोषित करने के दौरान  दस ज़िलो से  हजारो बसो में भरकर लोग लाये गए , इनके आने जाने का खर्चा  ज़िलो के समाज कल्याण और आदिम जातिकल्याण  के बजट से ख़रच किया गया | अब इस आयोजन से इन वर्गो को कितना लाभ हुआ  यह तो शोध का विषय हैं | यह हुआ मोदी जी की सभा में भासन में श्रोताओ की गिनती का रहस्य | वैसे इस लाने -ले जाने का ख़रच मात्र  3 करोड़ से अधिक हुआ हैं , शासकीय  सूत्रो के अनुसार |  यह सिर्फ आवागमन का खर्च है |

           कुछ ऐसा ही हिमाचल प्रदेश में भी हुआ , वनहा तो चुनाव आयोग ने  निर्वाचन की घोसना के बाद --- लागू होने वाले प्रतिबंधों को  तीन दिन बाद से लागू होने की छूट दी !!! ऐसा कभी हुआ नहीं हैं | जिस दिन से चुनाव की घोसना हो जाती हैं सभी प्रतिबंध उसी समय से  लागू हो जाते हैं | परंतु बात प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वरा चुनाव प्रचार करने की थी चार चुनाव सभाए प्रस्तावित थी | अतः  चुनाव आयोग ऐसी संस्था जिससे “”निसपक्षता “” की आशा की जाती है ----वह भी  मोदी के कोप से भयभीत हो कर अनैतिक फैसला ले बैठा | इन सभाओ पर राज्य सरकार का  4 करोड़ रुपये ख़रच हुए | 

यानहा   सवाल हैं की पूर्व प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी का चुनाव  इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने इसलिए रद्द कर दिया था चूंकि उन्हे “”ब्लयू बुक “” के अनुसार  उनके पद के अनुरूप सुरक्षा बंदोबस्त किए गए थे | जिसे  जज साहब ने  चुनाव का खर्चा मान ,और विवरण में उसका उल्लेख ना किए जाने से  उनके निर्वाचन को ही “”अवैध “ करार दिया | इस घटना को मोदी जी की सभाओ  और रैलियो  में राज्य सरकारो द्वरा  भीड़ एकत्र करने के लिए  सरकारी अमले की तैनाती और बसो और गाड़ियो  का उपयोग ---किस ब्रम्हास्तर के तहत  चुनाव खरच में नहीं जोड़ा जाता ? इतना ही नहीं   आयोग के नियमो के अनुसार सरकार के साध्नो  समपूर्ण  निर्वाचन प्रक्रिया को ही “”अवैध “” बना देता हैं |

                   ऐसा लगता है की चुनाव आयोग नियमो का          उल्ल्ङ्घन  को देख कर आँख मुंदे  बैठा हैं | अन्यथा गुजरात में भी चुनावों में  प्रधान मंत्री के हवाई जहाज  के खर्चे  को बीजेपी के चुनाव खर्च में नहीं जोड़ा जा रहा | जबकि इस विशेस विमान  का खर्चा अत्यधिक है , लाख रुपया प्रति घंटे ,जब हवा में हो | स्थानीय प्रशासन का तो साहस ही नहीं हैं की वह पुछ – परख ले |                            कर्नाटक चुनावो के दौरान कोङ्ग्रेस्सियों  पर छापे पड़रहे थे बीजेपी नेताओ के जहाज नकद ले कर पनहुंच रहे थे | चुनाव आयोग के एक पर्यवेक्ष्क  ने प्रधान मंत्री के हवाई जहज की नियमानुसार तलाशी लेने का प्रयास किया , तो तुरंत तबादला आदेश थमा दिया |बाद में उसे प्रताडित भी किया ---क्यूंकी वह एक मुस्लिम अफसर था !    

मोदी जी सभा में भीड़ -राहुल की रैली में जन समूह --

 

  सरकारी साधनो के उपयोग /दुरुपयोग से चुनाव सिर्फ सत्तासीन सरकार ही लड़ सकती हैं | जो पैसा खर्च कर भीड़ जुटते हैं | लेकिन भीड़ तो जुटाई जा सक्ति है लोगो तीन-चार सौ रुपय प्रतिदिन देकर , लेकिन  “””जन समूह””  एकत्र होता है अपनी  श्र्धा से –आता है -अपने साधनो से राशन पानी लेकर | उसे कहते हैं जन समर्थन |अब उज्जैन में महाकाल “”लोक”” के उदघाटन के समय शिव भक्त तो स्वयं आते , महकाल की नगर सवारी के समय जो जन -सैलाब उमड़ता हैं , वह दस ज़िलो से बसो में भर कर बुलाये गए ग्रामीणो  से बेहतर होता | परंतु भीड़ देख कर “”मूड””  जिंका बने ,उनके लिए तो  मातहत  कुछ भी करेंगे , क्यूंकी मोदी की भ्रकुटी   उनका सिंहासन  छिन सकते हैं |  

अतः नियम – प्रदेश का कुछ भी हो परंतु  हुकुम पुर हो |

                                 उधर राहुल गांधी देश जोड़ो पद यात्रा का रहे है ,  जो नितांत  काँग्रेस पार्टी द्वारा मैनेज की जा रही है | परंतु भीड़ ‘’’’आ रही है ---लोग आ रहे है ‘’’ कोई उन्हे बस में या टॅक्सी मे ल नहीं रहा है | सब अपनी इच्छा से ही आ रहे हैं | न कोई भय हाइनना कोई लालच  यह होता है जन समर्थन  और जुटाई गयी भेद का अंतर |