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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 16, 2023

                राज्य  एक बड़े लुटेरे  के गिरोह के अलावा क्या है – अगर उसमे न्याय नहीं है !  

 

       कर्नाटक  उच्च न्यायालया के न्यायमूर्ति  कृष्ण दीक्षित  ने   यह आबजरवेशन  मुआवजे के एक मामले के निर्णय मे लिखा हैं ! साठ्वे के दशक  में अल्लहबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश  आनंद नारायण मुल्ला ने भी  उत्तर प्रदेश पुलिस के बारे में टिप्पणी की थी की  “उत्तर प्रदेश की पुलिस  हथियारबंद  डाकुओ का एक गिरोह हैं !  व्यवस्था  के प्रति  न्यायालयों द्वरा  यह सर्वाधिक सख्त  टिप्पणी हैं |  अगर ये  टिप्पणियॉ

  न्यायालय  द्वरा नहीं की गयी होती तो  वर्तमान हालत में  में सरकार  ऐसे कथन करने वालो के प्रति  कड़ी से कड़ी कारवाई जरूर करती ! जब  प्रधान मंत्री के वीरुध  लोकसभा  में काँग्रेस  के सांसद राहुल गांधी  के अदानी  को सरकार  के संरक्षण  के बारे तथ्य  देते हुए जो आरोप लगाये थे , उनको तो स्पेकर ॐ बिरला ने  सदन की कारवाई से विलोपित कर दिया ! मतलब ऐसा की जैसे ये आरोप कभी सदन में लगाए ही नहीं गए |  ऐसा  लोकसभा के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ | सत्तारुड दल द्वरा  राहुल गांधी  से अपने कथन  के समर्थन  में दस्तावेज़  देने के बात ही बोल सकते हैं !  आज तक यह परिपाटी रही हैं  की  सदन के सदस्य  अपने विचार  खुल कर रखते थे ,  उनसे कभी भी सरकारी पक्ष  सबूतो की मांग नहीं करता था और ना ही पीठासीन  अधिकारी  सदस्य को पूरी तरह से विलोपित करता था | यह शायद संसद की नयी सीमा हैं , अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की !!

 

                        जिस अदानी समूह  के बारे में देश और विदेश में  , हिनदेनबेर्ग  रिपोर्ट के खुलाशे के बाद  जिस तरह से  अदानी समूह  के शेयर शेयर बाज़ार में लुड़के है वह ऐतिहासिक  घटना ही हैं |  जिसने देश और विदेश की व्यापारिक   दुनिया में हलचल  मचा रखी हैं |  जब लोकसभा  में उन तथ्यो को राहुल गांधी ने रखा तब यही देश उम्मीद कर रहा था की वे इन आरोपो  पर कोई सफाई देंगे ! परंतु सदैव की भांति  वे  देश की ज्वलंत समस्याओ पर वैसी ही चुप्पी साध ली  जैसा की वे विगत  आठ सालो से करते आ रहे हैं , यानि की उन्होने सिर्फ  अपने मन की बात की ! ना की समय पर उठाए गए प्रश्नो की !

                                       न्याय की बात यह हैं की बीबीसी  के 13 साल के खाते चेक करने के लिए  इन्कम टैक्स ने

सर्वे बनाम छापा  डाला , परंतु  अदानी समूह  के पोर्ट  पर 3000 किलो ड्रग्स  की बारामदगी  के मामले  में  कोई “”भारी भरकम “” कारवाई तो दूर रही गिरफ्तार लोगो को जमानत भी मिल गयी | जबकि  नरकोटिक्स एक्ट के तहत इतनी बड़ी मात्रा  में बरमदगी  में जमानत मिल ही नहीं सकती | अभिनेता शाहरुख खान के पुत्र का मामला  सबकी यादों में है , की ड्रग्स  की बरमदगी के भी  बगैर भी उसे काफी दिन जेल में रहना पड़ा था ! एक मामले में अभी सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के एक डोडा चुरा { अफीम के फल के छिलके }  की बरमदगी  पर ना केवल 14 साल की जेल और जुर्माना भी लगाया ! एक ओर  तो छिलके पर इतनी बड़ी सज़ा , दूसरी ओर 3000 किलो  की ड्रग्स  पर चुप्पी ! कुछ ऐसी ही बात  बीबीसी और अदानी समूह को वित्तीय गद्बाड़ियों  पर सरकार  के विभागो की आंखे बंद कर रखी है | 

                                 

                                          अदानी समूह  को जीवन बीमा निगम और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया  द्वरा  दिये गए

कर्ज़ो  के लिए कोई ठोस प्रतिभूति  नहीं दी है |  जबकि इन दोनों निकायो के पास  आम भारतीयो  का पैसा जमा हैं | जितना कर्ज़  अदानी समूह को उनके आस्ट्रेलिया के कारमाइकल  खानो के लिए दिया , उसके वापस होने की उम्मीद कम हैं | क्यूंकी यूएनओ  ने भी इस प्रोजेक्ट  को पर्यावरण के लिए खतरा बतया है , इतना ही नहीं वनहा के स्थानीय नागरिक  भी इस प्रोजेक्ट के वीरुध  आंदोलन कर रहे हैं , फिलहाल  प्रोजेक्ट  अभी निसक्रिय हैं | 

                 इतना ही नहीं  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  के संरक्षण के बारे में अंतराष्ट्रीय  स्तर पर जिन आरोपो को का ज़िक्र लोकसभा में किया गया ----उसमें श्रीलंका  की बदहाली  के दौरान  वनहा के आधिकारिक  प्रवक्ता ने मीडिया में कहा था की की श्रीलंका की ग्रीन एनेरजी  के करार के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वनहा के प्रधान मंत्री से  वनहा पर लाग्ने वाली  इकाई का ठेका  अदानी समूह को देने की सिफ़ारिश की थी ! बंगला देश  के साथ अदानी समूह ने बिजली आपूर्ति  का करार किया था , जिसे बंगला देश की सरकार ने  ,  हिनदेनबेर्ग की रिपोर्ट  सामने आने पर करार रद्द कर दिया |  मोदी जी के इजरायली मित्र  प्रधान मंत्री नेत्न्याहु  ने हाइफा बन्दरगाह  का ठेका अदानी समूह को देने की बात चल रही हैं |   टाटा समूह के अलावा  किसी भी अन्य कंपनी को विदेशो  में ऐसे ठेका  नहीं मिलता !!     

 

                                                                                                                 अब  इन मामलो में न्याय का स्थान कनही है ?  जबकि बीबीसी पर सर्वे  के बारे में केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर  कहते हैं की कोई भी संस्थान या व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं हैं !  जबकि बीजेपी के नेता जो धन पति  है और जिनके बारे में  बीजेपी में शामिल  होने  से पूर्व इन्कम टैक्स और ईडी के छापे पड़े , परंतु जैसे ही उन्होने अपना राजनीतिक चोला बदला ---वैसे ही ये सरकारी एजेंसियो  ना केवल नरम पद गयी वरन  उन मुकदमो  का भी पता नहीं चला , हैं ना अद्भुत बात ---क्या इसे न्याय कहेंगे  अगर नहीं तब जुस्टिस दीक्षित  के कथन को मानना  ही पड़ेगा |