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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 27, 2023

 

सरकार की सांसत

ओबामा की टिप्पणी और मणिपुर में जातीय हिंसा !

 

      औपचारिकता को  आयौजन  में बदलने की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  की प्रचार तंत्र की टुकड़ी  को अमेरिका  यात्रा को अभूतपूर्व  बताने  वाले भूल गए की पंडित जवाहर लाल नेहरू , इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी  की राजकीय यात्राओ में मेहमानो का स्वागत  मोदी जी की अगवानी से कनही अधिक भव्य हुआ  था !  सोशल मीडिया  में उनके स्वागत की क्लिपिङ्ग्स  खूब अधिक संख्या में प्रचारित हो रही हैं | सबसे पहले तो न्यूयार्क  में मोदी जी अगवानी  विदेश मंत्रालय के एक नौकरशाह द्वरा किया जाना  सबूत हैं | फिर वाशिंगटन  में भी ऐसा ही दुहरा  दिया गया !  जबकि नेहरू और इन्दिरा गांधी की अगवानी विदेश सचिवो द्वरा की गयी थी !  राजीव गांधी के लिए तो राष्ट्रपति ने छाता पकड़ रखा था , इससे अधिक आत्मीय और क्या हो सकता हैं |  हाँ तीनों ही प्रधान मंत्रियो ने  अपने स्वागत के लिए आप्रवासी भारतीयो को  एकत्रित नहीं कराया था –और ना ही रेडियो और टीवी  को निर्देश दिये गए थे की 100 घंटे कवरेज करें ! जो मोदी जी यात्रा में हुआ | इसे कहते हैं “” बनियो को बांध कर बाज़ार लगाना “” |

      भारत में नौ साल  के कार्यकाल में  मोदी जी ने पत्रकारो  का मुंहा नहीं देखा था –परंतु अमेरिका में स्वतंत्र  प्रैस की परंपरा के चलते वे वनहा  मजबूर हुए  उनके सवालो का जवाब देने के लिए | एक अमेरिकी पत्रकार ने  “”” भारत में जातीय और धार्मिक समुदायो के प्रति सौतेला व्यवहार किए जाने की घटनाओ पर जवाब मांगा था ! मोदी जी ने  रटा रटाया जवाब  दे दिया की ऐसा बिलकुल नहीं है |  उसके बाद भूतपूर्व  अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा  ने एक बयान दिया की अगर जातीय और धार्मिक अल्प संख्यकों  पर  ज्यादतिओ को रोका नहीं गया – तब यह भारत के विखंडन  का कारण बन सकता है !

    अब इस बयान  के आने के बाद  तो सरकार और उसकी पार्टी में इतनी बेचैनी हुई की –बीजेपी की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन और रक्षा मंत्री राजनाथ सिघ के साथ  नड़ड़ा और आसाम के मुख्य मंत्री हेमंत बिसव शर्मा  के बने बयान आने लगे | संघ और बीजेपी की प्रचार मंडली ने दो दिनो में ही एक सर्वे भी करा लिया ----जिसमे  ओबामा को  भांति भांति की सीख दी गयी |

निर्मला सीता रमन ने कह दिया की ओबामा के राष्ट्रपति रहते हुए  6 इस्लामिक देशो में अम्रीका ने बम बरसाए थे !  इनमे उन्होने यमन और सऊदी अरब  को भी जोड़ दिया | जबकि इन दो देशो में ओबामा के कार्यकाल में कोई बम वर्षा नहीं की गयी थी | हाँ अफगानिस्तान  में आतंकवादियो  -ओसामा बिन लादेन के संगठन के ठिकानो पर हमले किए गए थे | ओसामा  को गिरफ्तार करने का काम भी ओबामा के समय ही हुआ था |  जब मोदी जी आतंकवाद पर “”कोई अगर –मगर “” नहीं चाहते  तब वे कैसे दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी को खतम करने को –इस्लामी देश पर बम वर्षा बता सकते हैं | पर निर्मला जी ने ऐसा ही किया | अब उन्हे बताना होगा की सीरिया में अम्रीका द्वरा बम वर्षा किए जाने का काम राष्टपती ट्रम्प  के समय हुआ था | आम आदमी इस बारीकी को नहीं जान पाता है , इसलिए बीजेपी के प्रचार तंत्र सार्वजनिक रूप से झूठ परोस देता हैं |

       जातीय  समुदायो के साथ मोदी सरकार के सौतेलेपन का उदहरण  मणिपुर है पिछले दो महीने से  हिन्दू मईति और ईसाई कुकी समुदायो  के हिंसक लड़ाई को देख रहा है | अम्रीका के दौरे के समय भी मणिपुर जल रहा था |  आज भी केंद्रीय सरकार  सिवाय फौज भेज देने और सुरछा  बलो की टुकड़िया भेज कर  मौन साधे  हुए हैं | अगर आरोपी मुसलमान है तो उसके घर को बुल्लडोज़ार  से ज़मींदोज़ कर दिया जाता हैं -----और कुसथी संघ के अध्याकाछ  ब्रज भूसन शरण सिंह  को पुलिस पाकसो एक्ट के बावजूद भी नहीं छू पाती | भले ही देश के लिए कुश्ती में ओलंपिक  और वर्ल्ड स्पोर्ट्स में स्वरण पदक जीतने वाली महिला खिलाड़ियो  को हफ़्तों दिल्ली के जंतर मंतर  पर धरना देना पड़ता है , उन्हे हटाने के लिए पुलिस बल का प्रयोग करती है ! एक बीजेपी सांसद ने इन खिलाड़ियो को कहा की हरियाणा की जाटनीय  है , !!!!!!

       इन्दिरा गांधी द्वरा देश में आपातकाल लगाए जाने को लोकतन्त्र  के इतिहास का धब्बा  बताने वाले भूल जाते है – की संविधान में  अनुछेद 352 और 353 तथा 354  और 355 में केंद्र सरकार को शक्ति दी गयी है की वह आपातकालीन स्थिति की घोसना कर सकती है | जिस आपातकाल के लिए इन्दिरा जी को गिरफ्तार किया गया , उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त की गयी , उनही के नेत्रत्व  में काँग्रेस  ने 1980 में पुनः सरकार बनाई ---- 7 बड़े राजनीतिक दलो और दर्जन भर छोटे दलो का जनता पार्टी का  गतबंधन  धराशायी हुआ था | क्या वह बिना भारत की जनता के समर्थन से संभव हो सकता था !  और इसके लिए  उन्होने सांसदो की खरीद फ़रोख़त नहीं की थी , जैसा बीजेपी ने मध्य प्रदेश और कर्नाटक में  विधायकों को खरीद कर कमलनाथ की सरकार को गिराया था |

               इसलिए आपातकाल को कलंक कहने वालो अगर हिम्मत है तो संविधान से इन अनुछेदो को निरसित कर दें !  अन्यथा  आज देश जिस प्रकार  अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश लगया गया है , और पत्रकारो –बुद्धिजीवियों  को एनएसए  में बिना चालान  महीनो या सालो तक जेल में रखा गया है , वह अघोषित  आपातकाल ही है |  जिसका कोई सबूत नहीं है पर पीड़ा और शोषण  उजागर है |  

 

Jun 22, 2023

 

धर्म, मंदिर ,कथाये, और यात्राओ  से कौन सा विकास हो रहा ?

 

    अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और मथुरा और काशी में  इस्लाम के उपासना स्थलो  को ले कर कानूनी विवाद , हो ही रहा था की ---  मणिपुर में हिन्दू  मैतेइ  और ईसाई बहुल कुकी  आदिवासियो  का हिंसक संघर्ष  50 वे दिन में है | परंतु केंद्र सरकार के सारे शांति प्रयास निष्फल हो रहे हैं |  सवाल यह है की मणिपुर में बीजेपी  की ही सरकार है  -- वनहा की जातीय हिनशा  दिल्ली को नहीं अखरती है परंतु  पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनावो  में राजनीतिक गुटबंदी  के चलते  राज्यपाल   वनहा दौरा करते हैं –और कलकत्ता हाइ कोर्ट  चुनावो में केंद्रीय बलो की नियुक्ति का फरमान जारी करती हैं | सुप्रीम कोर्ट  मणिपुर के कुकी जनजाति की  याचिका पर  ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई का आदेस देती है –कारण यह शांति व्यसथा  का मसला हैं ! 

      जगगनाथ जी की यात्रा पहले सिर्फ उड़ीसा के पूरी में ही निकलती है ----अब गुजरात  -राजस्थान – मध्य प्रदेश के अनेक नगरो में निकाली जाती है !    अनेक समाजो { जातियो } द्वरा भी अपने – अपने पूर्व देवताओ और नायकों  के स्मरण करते हुए जुलुष निकालते हैं |  अख्बारों  में भी एक कालम होता हैं जिसमे इन दिनो और कार्यकरमों का हवाला होता हैं |

            इसके अलावा  कथा वाचको  के पंडाल और प्रवचन  भी राजनेताओ और  धनी लोगो द्वरा  कराये जा रहे है | कनही रुद्राक्ष  बांटे जाने की सूचना दी जाती है , फिर उस कार्यक्रम को रद्द  करदीय जाता है –क्यूंकी  भीड़ बहुत होती है | इन सब आयोजनो  का तात्पर्य  शुद्ध धार्मिक तो नहीं होता ---वरन  आयोजनकर्ता  के नाम को समाज और इलाके में परिचित करना होता हैं |  भोपाल के मंत्रालय सतपुड़ा में जाबा आग लगी ,उस दिन नगर निगम  के अग्नि शमन और जल कार्य का मोहकमा  एक प्रवचन  में लोगो को पानी पिलाने के लिए तैनात था !

          इन सब घटनाओ के बीच एक सिंधी युवक को तीन मुस्लिम युवक मार पीट करते है , घटना  का वीडियो वाईरल होता हैं  | मामला फ़ौजदारी का तो बनता  है ---पर साथ ही में   धर्म परिवर्तन  काबी जोड़ दिया जाता है | अब धरम बदलने के लिए सड़क पर कोई मारपीट करे –ऐसी यह  पहली घटना है | साफ है की पुलिस दबाव में काम कर रही है | इंदौर और भोपाल में बीजेपी की छात्र शाखा  अखिल भारतीय विद्यारथी परिषद द्वरा  पुलिस के साथ धक्कामुक्की  करने के बाद भी राज्य सरकार ने इंदौर और भोपाल के दो  सहायक पुलिस आयुक्तों को निलंबित कर दिया !!!  उन नेताओ के खिलाफ  कोई रिपोर्ट बी नहीं लिखी गयी | क्यू  शायद इसलिए की चुनाव नजदीक है और यही युवा वर्ग  बीजेपी के लिए  चुनाव प्रचार और बाहुबल  है !

 

          यह सब लिखने का मतलब है की “”सुशासन “” की परिभाषा  भी अब यही है ---सत्ता की मनमानी !  अब सरकारे  कोई  ठोस –जमीनी कार्य नहीं करती है , बास दैनिक अखबारो  में फुल पेज़  के विज्ञापन से उदघाटन और घोसनाओ का हवाला ही रहता हैं | सरकारी दल को लगता है की  बस अखबारी प्रचार से   मतदाता  को एहसास हो जाएगा की सरकार कितनी उनके लिए चिंतित है | हमारे मुख्य मंत्री शिवराज सिंह  -- अब सिर्फ बहनो के भैया  बन के रह गए है | एक हज़ार प्रति माह की राशि  उनके वोट बैंक को मजबूत करेगी | वंचितों को अनाज  भी अच्छा  मिलने लगा हैं | पर सभी लाभार्थियो  के मुंह से यही निकल रहा हैं --- चुनाव आ रहे है | अगर यही शासन की उपलब्धि  है तो भगवान ही मालिक है | जिनके अनेकों रूपो  में  पुजा –अर्चना  मंत्रियो –विधायकों द्वरा की जा रही है |

 

    शिक्षा और स्वास्थ्य  के प्रति सरकार  बिलकुल उदासीन है , नर्सिंग  कालेजो में हर वर्ष छात्र  भर्ती हो रहे है –परंतु ना तो कालेज  लग रहा ना ही परीक्षा  हो रही है ! जी हाँ दो साल हो गए इस फ़ैकल्टी  की अंतिम परीक्षा को | जबलपुर  हाइ कोर्ट  ने नर्सिंग संस्थान  को दाखले  पर रोक लगा दी है | हजारो छात्र अदकों पर परेशान  घूम रहे हैं | रही बात सरकारी स्वास्थ्य सेवाओ और उनके अस्पतालो की ---तो  भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज  में कैंसर मशीन विगत दो सालो से बेकार पड़ी है –क्यूंकी उसका ऑपरेटर  नहीं है , और प्रबंधन को इसकी कोई फिकर ही नहीं है |डाक्टरों को  जेनरिक दवाए लिखने का आदेश है ---- परंतु  डाक्टर साहबान मेडिकल रिप्रेञ्ज्तेटिव  का मुंहा देखते है | मरीज के पुछने  पर टरका दिया जाता हैं |

   सरकार चुनावी मोड  में है –शासन चलाने नहीं

        इस समय मध्य प्रदेश  और उत्तर प्रदेश  में सारी कवायद  आगमई विधान सभा चुनावो को लेकर है |  हर विभाग –जिसका जमीन से कोई नाता है –उस विभाग के कर्मचारियो  को सत्ता रुड  दल अपने हिसाब से सेटटिंग कर रहा है | अभी एक जिले में  आरएसएस के कार्यकरम में  कलेक्टर और कमिसनर साहब को धव्ज़  प्रणाम की मुद्रा में देखा गया ---वीडियो वाईरल  हुआ , पर सरकार और अफसरो के कान में जू तक नहीं रेंगी | कांग्रेस्स ने इस वीडियो को निर्वाचन आयोग के पास भेजा और उन्हे हटाये जाने की मांग की !!! पर अभी हफ्ता बीत जाने के बाद भी कोई कारवाई नहीं हुई |

      सरकारी कार्यक्रमों का खर्चा  शासन का होता है ----पर मंत्री और मुख्य मंत्री भीड़ एकत्रित  करने से लेकर  टेंट और पानी की सभी व्यवस्थाओ  के बाद मंत्रियो का भासन  विरोधी दलो  की बुराई से शुरू होता है ------ पर अगर किसी ने सवाल पूछा  या की कोई शिकायत की तो बस उसकी शामत  आ गयी ! ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------बॉक्स

      किसी ने क्या खूब ही कहा है की  धरती पर इंसान आया  उसने भगवान बनाया {धरम}  और बाद में भगवान के नाम पर इंसान ने दुनिया बाँट ली |   निजी आस्था का विषय है धर्म  या उपास्य , परंतु   इस कारण से  आपस में भिन्न धर्म के लोगो में  शत्रुता  अधिक हुई  -- मोहब्बत कम |  कोई भी धर्म हो उसमे इंसान ही जन्म लेता है – पर उसके जनक और जननी  का धर्म  ही उसका माना जाता है ,क्यू ?  सभी ध्रमों में  उस बच्चे को  नामकरण  से होकर गुजरना होता हैं |  इस्लाम में बच्चे के कान में  अजान कहने के बाद उसके नाम को तीन बार कान में बोला जाता है –अब से तुम्हारी पहचान इसी नाम से होगी | ईसाई समुदाय में  {कैथोलिक या प्रोटेस्टेंट या जेसूइट }  में  बपतिस्मा  कर के उसे पवित्र  पानी से शुद्ध किया जाता है  ,फिर उसे नाम दिया जाता है –जो शिशु को सुनाया जाता है |  ईसाइयो में जन्म और बपतिस्मा  का कनफेरमेशन  चर्च  में पादरी द्वरा किया जाता हैं , तभी वह उस संप्रदाय का माना जाता हैं | यदि वह कनही बाहर चला जाये तो उसे  संबन्धित चर्च  में अपने को रजिस्टर  करना होता हैं |

        अग्निपूजकों  में भी अगियारी के धर्म गुरु  माता –पिता की मर्जी के अनुसार  नामकरना देते है | उनके यानहा पारसी  समुदाय में दाखिल होने के लिए  यज्ञोपवीत सरिकी एक रसम  होती है | यह लड़का या लड़की दोनों के लिए आवश्यक है | इसमें एक कपड़ की  पेटी  होती है जिसे पवित्र किया जाता है | पारसी  समुदाय में यह जरूरी है की माता और पिता दोनों ही पारसी हो  तभी उनके बच्चे अगयारी  यानि की अग्नि का मंदिर  में प्रवेश पा सकते है | अन्य ध्रमों में  पिता का धर्म  ही बच्चे  का धरम माना जाता है | जब तक वह उसे त्याग न दे |

       हर धर्म के अपने कर्मकांड और जन्म –विवाह –तलाक –विरासत  और अंतिम समय की रीतिया है | जिंका पालन उस समुदाय के लोग सदियो से करते आ रहे हैं | इस विविधता को मौजूदा सरकार इन समुदायो के लोगो के लिए अत्याचार मान रही हैं | इस लिए कामन सिविल कोड लाने की तैयारई है |  मैंने  जन्म के समय की रीति बताई है | अब विवाह के बारे में जानते है |  इस्लाम में सगे भाई –बहन में विवाह नहीं हो सकता | बाकी सभी रिश्तो में शादी हो सकती है , जैसे ममेरी , मौसेरी ,फुफेरी  और चचेरी  बहन-भाइयो में शादी जायज है |

ईसाइयो में  फ़र्स्ट कज़िन , यानि माता –पिता के भाई –बहनो से विवाह की मुमानियत है |

                 अब बात करते है सनातन धर्म की , यानहा  उत्तर भारत और दक्षिण भारत तथा पश्चिम भारत में  विवाह के लिए  “”निषेध””  संबंधो के लिए अकग – अलग नियम है |  दक्षिण भारत में ममेरे भाई अथवा भांजी से विवाह  उत्तम माना जाता है | महाराष्ट्र  में भी माता की ओर के संबंधो में विवाह हो सकता है | हरियाणा में तो माता की पाँच पुश्तो और पिता की सात पुसतों में विवाह “”निषेध “” है | परंतु  उत्तर प्रदेश में दो पुश्तो का निसेध है | बिहार में भी ऐसा ही कुछ होता हैं |  उड़ीसा में भी ऐसा ही हैं |

   हिन्दू कोड अधिनियम  में भी विवाह  की तीन श्रेणी है ,

पहला निसेध  कज़िन भाई बहनो में विवाह  गैर कानूनी हैं | परंतु कुछ जातियो में –“”अलटा-पलटा “”का रिवाज है | जिसका अरथा है की भाई – बहन दूसरे परिवार के भाई बहन से विवाह करते है | अर्थात वे एक दूसरे के  साले और बहनोई  बन जाते है | यह स्थिति सिर्फ लड़कियो का भविषय  सुरक्शित करने  का होता है | यह “” निषिद्ध करने लायक “””  विवाह की श्रेणी में आएंगे |

    

Jun 15, 2023

 

महाकाल का कोप या देस का दुर्भाग्य ,आस्था बना चुनावी मुद्दा !

 

     मई माह के  अंतिम दिनो –जब दिल्ली में  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी न्ये संसद भवन का भव्य उदघाटन कर रहे थे –उसी समय उनके द्वरा  उदघाटन किए गए “”महाकाल लोक “”  की सप्त ऋषियों की प्रतिमाए  धूल चाट गयी थी !  उस समय कोई विपर्जोय  तूफान नहीं आया था बस जरा सा हवा का बहाव तेज़ हो गया था ! हंगामेदार  आयोजन में जिस लोक का उदघाटन मोदी जी की इच्छा  के अनुरूप हुआ वही अपशकुन की शुरुआत बना ! इतना ही नहीं दूसरे ही दिन नंदी हाल के द्वार का कंगूरा भी जमीन पर आ गिरा ---गनीमत थी की कोई भक्त उसके नीचे  नहीं आया वरना शिव का दरबार रक्तरंजित हो जाता !  परंतु सत्ता को इन दैवी संकेतो  से क्या –वनहा तो महत्वाकांछा { मेरी मर्ज़ी } ही सर्वोपरि ! 

           खैर संसद के नए भवन के गृह प्रवेश के  सात दिनो में ही उड़ीसा के बालेसोर  में तीन रेलगाड़ियो की टक्कर में 300 लोग काल कवलित हो गए ! एवं 800 से ज्यादा लोग घायल हुए | शवो को रखने और घालो का इलाज़ करने के लिए आस पास के चार – पाँच ज़िलो का स्वस्थ्य –अग्निशामन  और एसडीआरएफ़ ,एनडीआरएफ़  सेना लगी  , तब कनही लाशों को शीत ग्रहो तक पहुंचाया गया |  यह देश की भयंकरतम दुर्घटनाओ में दर्ज़  हुई |  खास बात यह थी की तीन ट्रेनों की टक्कर  का यह पहला वाक्य था ! क्यूंकी अभी तक दो ट्रेनों में टक्कर हुआ करती थी |  खास बात यह रही की ---इतनी बड़ी त्रासदी सिर्फ एक छोटी सी चूक “सिग्नल” देने की थी !  अब इसे क्या माने की इस घटना के कारण  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  को घटना स्थल पर जाना पड़ा , जबकि आम तौर पर वे मानव त्रासदी के “”गवाह “” नहीं बने है !  हाँ  रेल मंत्री जो उड़ीसा के आईएएस अफसर रहे –उन्हे तीन दिन तक  निगरानी करनी पड़ी !~ घटना ही इतनी बड़ी थी | अब इसे महाकाल का कोप नहीं समझे क्या ?

          मई के माह में ही  दिल्ली की काबीना में नंबर दो –गृह मंत्री अमित शाह  मणिपुर में मैतेई और कुकी  जन जातियो के हिंसक  टकराव के लिए  “” चार दिन “” का प्रवास किया –इलाके का दौरा भी किया  वादे भी किए –इंतेज़ाम भी किया  - अफसरो में फेरबदल भी किया | इतना ही नहीं कुकी विद्रोहियो  को सेना और पुलिस से लूटे गए  हथियार जमा करने का 24 घंटे का अल्टिमेटम भी दे आए | उनके जाने के बाद 48 घंटे तक कर्फ़्यू में ढील भी हुई ------पर  शाह के जाने तीसरे ही दिन से फिर पुलिस और माईते लोगो पर हमले शुरू -- | यानि की मोदी सरकार का इकबाल  कुल छ दिनो तक ही रहा | आज फिर मणिपुर जल रहा है ---वनहा भी डबल इंजन  की सरकार हैं !

        सवाल  यह है की काश्मीर को सेना के बल से क़ाबू किया है ---तब या तो बहुत छोटा सा राज्य है –फिर हिंसा  यू नहीं रुक रही ?  वैसे काश्मीर  में आतकियों  को हथियार   पाकिस्तान से आते है ---यानहा पड़ोसी म्यांमार से आ रहे हैं !  चलो यह महादेव का कोप नहीं

                पर  भोपाल के सतपुड़ा भवन जो मंत्रालय का भाग है – इस छ मंजिली  इमारत मे राज्य सरकार के स्वस्थ्य –आदिम जाती कल्याण   के दफ्तर है | अब 13 जून मंगलवार को इस अग्निकांड की जांच के लिए तीन सदसीय हाइ पावर सामी बनी है जिसे तीन दिन में रिपोर्ट देने का हुकुम मुख्यमंत्री ने दिया ---लेकिन वक़्त बीआईटी जाने के बाद भी रिपोर्ट नहीं मिली |  हाँ आग लाग्ने पर मुख्य मंत्री ने प्रधान मंत्री –रक्षा मंत्री से मदद मांगी थी --- सेना के हेलीकाप्टरों से आग बुझाने के लिए ---परंतु भोपाल से सौ किलोमीटर की दूरी पर रक्षा मंत्री राजगढ़  में  पार्टी के कार्यकरम में व्यस्त थे !  अब इसे तो महाकाल का कोप  कहा ही जा सकता है |

 

         और अंत में 15 जून को  विपर्यजोय चक्रवात  का पाकिस्तान की ओर जाते जाते  गुजरात की ओर मूड जाना –भले ही  प्राकरतीक कारण रहा हो –परंतु प्रकरती भी तो दैव आधीन होती है --- इन्द्र-वरुण आदि जल के ही तो अधिपति है ----और वे शंकर शंभू  के क्रोध  को तो पहचानेंगे  ही | बस अभी तो महाकाल लोक के सप्त ऋषियों  की मूर्तियो का खंडित होना और नंदी द्वार  के कंगूरे का गिरना  - इतना दुखा गया अब आगे देखिये क्या होता हैं |

Jun 13, 2023

 

घर में लागि आग और गुहार दिल्ली  तक !!

 

    जी हाँ  भोपाल मे मंत्रालय के सतपुड़ा” की सात मंज़िला इमारत में सोमवार को लगी आग –अनेक कारणो से “गिनीज़ बुक ऑफ रेकॉर्ड “ में दर्ज़ की जाएगी ! पहला कारण तो यह है –की इतनी बड़ी सरकारी इमारत में अग्नि शमन के आवश्यक इंटेजम नहीं थे –जो बहुमंजिला  भवनो के लिए कानूनी रूप से जरूरी है ! यानि की स्प्रिंकलर – और आग लाग्ने पर – आपातकालीन निकलने की व्यवस्था  | जो सरकार टाउन अँड कंट्री प्लानिंग के नियमो के अनुसार नहीं बने भवनो को जमीदोज़  करने के लिए बुल्ल्डोज़ार  का इस्तेमाल करे –वह खुद की इमारतों में मनमाने ढंग से निर्माण करती है ! यह है सरकार का रवैया !

दूसरा कारण इस अग्निकांड का महत्वपूर्ण है –वह है की आग से बचाव के लिए हर शहर में एक फायर फाइघ्टिंग विभाग होता हैं | वस्तुतः यह नगर महापालिका के अधीन होता हैं | राजधानी में भी है | परंतु इस विभाग के भरी – भरकम अमले और उसकी मशीनरी की कलाई इस अग्निकांड में खुल गयी ---- जब उसकी करोड़ो रुपए की ट्रक जिस पर बीस मीटर की सीढी खुल ही नहीं पायी ! और अफसरान खुले मुंह देखते रहे ! 

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण मामला है -- घटना के समय भोपाल नगर निगम के अग्निशामन विभाग के लोग  स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग द्वरा आयोजित "शिव पुराण " की कथा में आए लाखो श्र्धलुओ  को पानी पिलाने में मशगूल थे !  अब  नौतपे की भ्द्दर गर्मी में  आगजनी की घटनाओ की आशंका को दरकिनार कर नगर निगम  पुण्य  कमाने में जोत दिया गया था | फिर क्या - जो होना था वही हुआ - बद इंतजामी !

  चौथा और सबसे महत्वपूर्ण मामला है ---की जब यह घटना हुई तब हमारे मुख्य मंत्री शिवराज सिंह जी ने तुरंत प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह तथा  वायु सेना की मददके लिए राजनाथ सिंह को फोन से संपर्क किया ! अब इस आग को राष्ट्रिय आपदा  ना कहे तो क्या कहे !  अरे भाई नगर में इमारत में लगी आग को स्थानीय इंतेजामों से ही बुझाया जाएगा --कोई दिल्ली से  फायर फाइघ्टिंग  के लिए एनडीआरएफ़ की टीम थोड़े ही आएगी ! फिर क्यू मुख्य मंत्री ने यह ""अनोखा  प्रयास किया """ ?

 

        वैसे सोमवार को लगी आग मंगल वर को भी सुलगती रही , चौथी मंजिल के एयर कंडीशनरो से आग की लपटे देखि गयी ,पर काबू पा लिया गया |  अब आते है की क्यू विधान सभा चुनावो की घोसना होने के तुरंत बाद ऐसी घटना कैसे हो गयी ?  गौर तलब है की देवेन्द्र फदनविस जब महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री थे - और उन्हे एहसास हो गया था की उनकी पार्टी चुनाव हार रही है ---तब भी मुंबई के मंत्रालय भवन में  आग लगी थी ! है न अजीब संयोग ! अब देखने की बात है की कितनी फाइले  और किन किन विभागो की ""भस्मीभूत " हुई !  सूचना के अनुसार तीसरे -चौथी और पाँचवी तथा छठी मंजिलों में स्वस्थ्य विभाग औए आदिम जाती कल्याण विभाग  के दफ्तर थे | जिनकी फाइले जल गयी | कहा जा रहा है की सबसे ज्यड़ा घपले स्वास्थ्य विभाग से जुड़े मामले के है ,एक अनुमान के अनुसार 150 मामले ऐसे है जिनमे भ्र्स्तचर की जांच चल रही थी | 65 मामले ईओ डब्लू  और लोकयुक्त के थे | अब उनमे कभी जांच नहीं हो सकेगी !

      कुछ जलते सवाल !

 मुख्यमंत्री को एक आगजनी के मामले में केंद्र से या कहे अपने सर्वोच्च नेत्रत्व को सूचित करने अथवा मदद मांगने के क्या कारण थे ?

 वायु सेना कभी भी नागरिक छेत्रों में वायुयान अथवा हेलीकाप्टर से आघ बुझाने का काम नहीं करती है , कम से कम मेरी याद में तो ऐसा कोई मामला नहीं आया है | केंद्रीय मदद प्राकरतीक आपदाओ अथवा बड़ी दुर्घ्त्नाओ जैसे बालासोर की रेल्वे दुर्घटना अथवा मौजूदा तूफान के मामलो में ही अकतीव होती है ------वह किसी भवन में आघ लाग्ने में नहीं आती है |

तब क्या विरोधियो के इस आरोप में दम है की वर्तमान सरकार अपने अनियमित और भ्रष्ट कार्यो के सबूतो को मिटा रही थी !  वक़्त बताएगा |

Jun 9, 2023

 

समानता  के अधिकार की  विरोधी है ,हिन्दुत्व की मुहिम  

 

                 आजकल देश में मूर्तिया और मंदिर बनाने पर ज्यादा ज़ोर है , ऐसा माहौल भारत के विगत 70 सालो के लोकतन्त्र के इठस में नहीं देखा गया |  यूं तो राम मंदिर निर्माण की मुहिम और बाबरी मस्जिद को ढहाने में आरएसएस और वीएचपी तथा बजरंग दल के अलावा सत्तरूद दल की प्रछन्न  सहमति  ही जिम्मेदार थी | जिसके लिए उनके मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भी एक दिन की सज़ा भी सुप्रीम कोर्ट ने दी थी !  परंतु धार्मिक ज्वार  को बड़ाने में  सत्ता का निषेध नहीं होने के कारण  अभी भी अनेकों स्थानो पर गैर सनातनी  लोगो को उग्र भीड़ द्वरा  न केवल कानून को हाथा में लिया जाता हैं वरन  मार पीट कर अनेक बार हत्या भी कर दी जाती हैं | अफसोसा यह हैं की पुलिस की  खामोशी इसमे घी डालने का काम करती है |

            जिन पाँच राज्यो में विधान सभा के चुनाव आगामी नौ – दस माह में होने है , और वनहा पर बीजेपी की सरकारे है उन प्रदेशों में यह ज्वर ज्यदा तीव्र है | खास कर उत्तर प्रदेश में तो  भगवा धारी मुख्यमंत्री के नेत्रत्व में तो माफिया करार दिये गए आतिक और लखनऊ मे बाजवा  की अदालत में ले जाते समय हुई हत्या  यह बताती है की बिना राजनीतिक सहमति के पुलिस का इस प्रकार नाकरा रहना  , संभव नहीं है |  अब कानून की मरयदा का उल्ल्ङ्घन करते हुए बिना उचित समय और नोटिस के मुसलमानो के घरो को बुलल्दोजरों से ढहाना  कान्हा तक शांति – व्यसथा  है ?  परंतु अफसोस होता हैं की हमारी न्यायपालिका भी  योगी सरकार के कार्यो को  रोकने में असमरथ  है ---आखिर क्यू ?

 

2—संविधान के अनुछेद  14 और 15 तथा 16 में  समानता के अधिकार को भली भांति परिभाषीय किया गया है |  जिसके अंतर्गत निवास – व्यवसाय और शासकीय सेवा में  धरम –मूल – और जाती तथा लिंग के आधार पर विभेद का प्रतिषेध  किया गया है |  इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तारी गैर कानूनी है |  पर आजकल और खासकर विगत नौ साल से  केंद्र और राज्य की जांच एजेंसिया  बस किसी भी मामले में “संदिग्ध “ बता कर किसी को भी मनचाहे समय तक जेल में डालदेती है | मजे की बात यह है की अदालत  उनसे यह नहीं पूछ सकती की आरोप के समर्थन में “”””मात्र  जांचकर्ता  का ब्यान ही काफी है “”   !  अक्सर इन एजेंसियो द्वरा कहा जाता है की – आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है ! जबकि कानून कहता है की किसी भी व्यक्ति को उसके खिलाफ गवाही देने पर मजबूर नहीं किया जा सकता ----परंतु आजकल यही हो रहा हैं | सीबीआई हो एन आई ए हो या आयकर की एनफोर्समेंट शाखा हो सभी यही कहती है की आरोपी जांच में मददा नहीं कर रहा | अगर सरकार से इतनी सुविधा पाये जांच एजेंसिया  आरोपी के वीरुध  सबूत नहीं एकत्र कर पाती है तब  कानुन  बदल देना चाहिए , और कह देना चाहिए की आरोपी  को अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी  अन्यथा वह इन सरकारी तंत्रो के आरोपो के अपराध का दोषी होगा ! क्या ऐसा कानुन  हम चाहते है !  कुछ कानूनों में ऐसा हैं भी जैसे पाकसो अक्त में | जिसके आरोपी भारतीय कुश्ती संघ के अध्याछ  ब्रज्भुसन शरण सिंह भी हैं|  

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उपासना स्थलो में वीआईपी कल्चर और छुआछूत :-

           उज्जैन के महाकाल मंदिर भारत के ज्योतिर्लिंगों  में एक है --- मोदी सरकार द्वरा धार्मिक यात्रा को पर्यटन  में बदलने के प्रयासो में काशी विश्वनाथ को “”लोक “” बनाने के बाद “”महाकाल लोक “” बनाने की 800 करोड़ की योजना को उसी दिन पलीता लग गया , जिसदिन  देश की नयी संसद भवन का उदघाटन हुआ |  लोक बनाने में सप्त ऋषियों की बनाई गयी प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तिया  हल्के से आँधी वर्ष में ध्वस्त हो गयाई | चार दिन बाद नंदी द्वार के कंगूरे धराशायी हो गए |  सिर्फ इसलिए की प्रधान मंत्री से उदघाटन करवाने की जल्दी में  बाकी जो खर्चा हुआ सो अलग लेकिन आस पास के ज़िलो से भीड़ लाने के लिए भी 4 करोड़ रुपए सरकार के खजाने से गए !  अब इस तीर्थ  में प्रतिदिन हजारो श्र्धलु  रोज आते है , लेकिन गर्भ गृह में प्रवेश के लिए  प्रति व्यक्ति को 750 रुपया  देना होता है – अब यह कान्हा की समानता है की जो पैसे ना दे  वह बाहर से दर्शन करे और जाये !!!!  पर होता ऐसा ही हैं |

  यानहा वीआईपी कल्चर भी है राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री आए या कोई अति विशिस्त  व्यक्ति आए तो उसके लिए  विशेस प्रबंध और विशेस प्रसाद की व्यवास्था  है |  पूर्व रास्टरपति तो पडुयका समेत कुर्सी पर आसीन हो कर दर्शन किए थे ! 

                मतलब यह है की थियेटर की भांति इस मंदिर में भी जो बलशाली है वो गर्भ गृह में जाये , बाकी पीछे  बैठ के पुजा अर्चना देखे |

अब संविधान के समानता का अधिकार  यानहा नोटो के आगे बेबस होगया और सरकारी तंत्र के आगे भी |

3--- जनहा तक  सार्वजनिक स्थानो पर बराबरी का हक़ सभी भारतीय नागरिकों को है ----वह तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के मेलपाथी  गाव्न  में पूरी तरह से मजाक बन गया है | खबर के अनुसार इस ग्राम में “” धरम राज द्रौपदी अम्मान “ मंदिर को इसलिए शासन को बंद करना पड़ा , क्यूंकी ग्राम के ऊंची जाती और यानहा के दलितो के बीच मंदिर में दर्शन को लेकर  विरोध  था | एक अप्रैल को एक दलित समुदाय द्वरा मंदिर में प्रवेश को लेकर यानहा की ऊंची जातियो ने एतराज़ किया था | इस विवाद को लेकर छेत्र में जातीय तनाव हो गया था | फलस्वरूप  सरकार ने मंदिर को ही बंद कर दिया | और वनहा नोटिस चिपका दिया -----तो यह है संविधान के अनुचेद  14 -15 -16 17   का खुला उल्लंघन |

                     अब इन हिन्दू हिन्दू करने वालो से सवाल है की  क्या इस गैर बराबरी  के व्यवहार से कोई समुदाय  उस धरम में रहेगा क्यूंकी वह किसी अन्य जाती में जन्मा है ?????/  माता को कोख ही सभी के लिए एक है --- फिर पिता और उसका धरम तो उसपर थोपा जाता है ---वह उसे चुनता नहीं है | अगर कोई इस उपेक्षा  से दुखी हो कर दूसरा धरम अपनाए तो ----- वीएचपी और आरएसएसएस को तकलीफ होती है –आंदोलन होता है |  सनातनी पहले खुद अपने समाज में बराबरी लाये तब धरम परिवर्तन पर विरोध जताए | वैसे मध्य प्रदेश हो या उत्तर प्रदेश इनहि स्थानो पर शिकायत हैं |

 

         आखिर में एक  हक़ीक़त की धरम भी आज व्यापार सा हो गया है | आंध्र के तिरुपति वेंकटेश मंदिर को देश का सबसे धनी देश  माना जाता है | परंतु  सनातन धरम में मंदिर के देवता स्थान देवता होते हैं |  परंतु  टीटीडी  तिरुपति तिरुमल  देवस्थानम  ट्रस्ट  ने  , जो इस मंदिरा का संचालन करता है , उसने  देश में  तिरुपति वेंकटेश मंदिरो की श्रंखला  खोलने का निर्णय किया | और इस संदर्भ में गत गुरुवार को जम्मू में टीटीडी ने मंदिर के द्वार  भक्तो के लिए खोल दिये !!! कश्मीर के राज्यपाल भी मौजूद थे | अच्छा है अब भक्तो को दर्शन के लिए तिरुपति ब\नहीं जाना होगा |              

Jun 5, 2023

 

महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न  और अमित शाह का कानून

अदालत ने तो बदन को छूने को अपराध मान कर दंड भी दे दिया

 

   गृह मंत्री अमित शाह ने ,बीजेपी सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह को कुश्ती फेडरेशन से हटाने और उनके वीरुध मुकदमा चलाने की मांग को लेकर आन्दोलैन कर रहे ओलंपिक पदक विजेता  महिला पहलवानों  से मुलाक़ात कर  कह दिया “”  कानून को अपना काम करने दीजिये  “” ! पासको  अक्त  लाग्ने के बाद   नाबालिग पहलवान जिसने झारखंड के रांची में नेशनल जूनियर रेस्लिंग  चंपीयनशिप  में गोल्ड पदक जीतने वाली  लड़की को  “कंधे से नीचे जकड़ कर  कहा तुम मुझको सपोर्ट करो मैं तुमको सपोर्ट करूंगा ! “ तब उस बालिका पहलवान ने जवाब दिया की मैं अपने बल बूते पर यानहा पनहुंची हूँ  और मेहनत करके आगे जाऊँगी “” |

  अब बताया जा रहा है की  उसने अपनी शिकायत पुलिस से वापस ले ली हैं !  क्यूंकी  दिल्ली पुलिस ने कहा  लड़की शिकायत के समय बालिग थी ! सवाल यह हैं की “अपराध होते समय वह नाबालिग टी की नहीं ?  क्यूंकी जिस समय ब्रज भूषण शरण सिंह ने यौन अपराध किया उस समय वह जूनियर रेस्लिंग  में भाग लिया था | नियमो के अनुसार कोई बालिग  इस चंपीयन शिप में भाग नहीं ले सकती ! अब या तो तब ब्रज भूषण शरण सिंह ने गलती की अथवा नाबालिग से छेड़छाड़ का अपराध किया ! “ 

 दिल्ली पुलिस की भी दलील  अजब हैं , उनके अनुसार शिकायतकर्ता बालीग है “  | अरे भाई  जब अपराध किया गया  उस समय शिकायत करता तो नाबालिग थी !   लेकिन राजनीतिक और पुलिस के दबाव में आकार शिकायत कर्ता के पिता ने अपनी शिकायत वापस ले ली !!! यह है दिल्ली पुलिस की जांच का चेहरा ! 

         उधर मुंबई की  पोकसो अदालत ने कुसती और लगोरी  प्रशिक्षक को एक महिया पहलवान के साथ  अश्लील हरकत करने के जुर्म में सज़ा सुना दी है | लगता हैं की गृह मंत्री अमित शाह जी को इस घटना का पता नहीं चला ,वरना वे आंदोलन कारी महिला पहलवानों से यह नहीं कहते की “” कानून को अपना काम करने दो “” | क्यूंकी  एक से अपराध में यह दो प्रकार की कारवाई होगी -----एक ओर तो मुंबई की पोकसो अदालत “”अवांछित रूप से महिला के बदन को छूने “” को अपराध मान कर सज़ा दे देता है < वनही दूसरी ओर दिल्ली पुलिस   पोकसो मामले की जांच में उम्र  को लेकर ब्रज भूषण को बचाने में लगी है |  

             अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती संघ   ने भी  आंदोलन करी पहलवानो  की शिकायतों के निराकरन के जल्दी निराकर्न करने  को कहा हैं परंतु केंद्रीय सरकार का नेत्रत्व  अभी भी अपने सांसद को बचाने में लगा हैं | जैसा की उसने उन्नाव के एमएलए और बलात्कार और हत्या के दोषी कुलदीप सिंह के मामले में किया था | जैसा की उसने शाहजहनपुर  में परमार्थ निकेतन के स्वामी चिंम्यानन्द पर बलात्कार के मामले में किया था | वैसा ही ब्रज्भुशन के मामले भी हो रहा हैं

      फेडरेशन के आद्यक्ष के खिलाफ यौन उत्पीड़न की  महिला पहलवानों क शिकायत की पुष्टि ---- एक ओलंपिक , एक कामनवेल्थ गोल्ड पदक विजेता है  एक इंटर्नेशनल रेफरी है  और एक राज्य स्तरीय कोच है ---- अब इनको मिला कर 125 गवाहो की सूची हो गयी है | परंतु दिल्ली पुलिस  इन लोगो के बयानो को  लेकर ---कारवाई करने के बजाय  ऐसा कर रही जिससे की बीजेपी सांसद को बचाया जा सके |

      अफसोस तो यह है की सुप्रीम कोर्ट भी  दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट को ही देख रहा है | अगर वाग इस मामले के 12 गवाहो के बयानो को  ही देख ले तब भी बीजेपी सांसद को नहीं बचाया जा सकता | क्यूंकी मुंबई कोर्ट के फैसले को बदलने  तक तो यही हकीकत है की ----- यह दिल्ली पुलिस की जांच है , जो एकतरफा है और सत्ता के प्रभाव में पीड़ित महिला पहलवानों  की शिकायत की अनदेखी  कर रही हैं |

 

मुंबई पोकसो कोर्ट का फैसला :-  अदालत ने कहा की कोई भी अभिभावक  अपनी लड़की के बारे में सार्वजनिक रूप से ऐसी झूठी शिकायत नहीं कर सकता –जीससे उसकी लड़की के चरित्र  पर आंच आए | ऐसा तभी हो सकता है जब   ऐसी हरकत  हद से गुजर जाये | उन्होने कहा की   पहलवानों को ट्रेनिंग देते समय  “” अवांछित रूप से छूना , ट्रेनिंग नहीं हो सकता | कोई भी अपनी पुत्री की प्रतिस्ठा को इस प्रकार किसी भी कारण से नहीं करेगा , जब तक वास्तविक उत्पीड़न ना हुआ हो !

 

   अब माननीय गृह मंत्री से निवेदन है की वे इस फैसले को देखे और तब “”कानून”” नहीं वरन अदालती फैसले को नजीर मान कर दिल्ली पुलिस को कारवाई करने को कहे | जिसमे ब्रज्भुशन शरण सिंह की गिरफ्तारी प्रमुख मुद्दा हैं |

 

Jun 2, 2023

 

मंदिर राजनीतिक लाभ के लिए नहीं  – श्रद्धा के लिए है

 

          28 मई को जब सेंट्रल विस्टा स्थित नए संसद भवन का उदघाटन समारोह हो रहा था –उसी शाम उज्जैन स्थित “”महाकाल लोक “” में सप्त ऋषियों की मूर्ति खंडित हो रही थी ! अब इसे क्या कहे –अपशकुन ! पर किसके लिए ! प्रदेश सरकार के लिए जो इसके निर्माण की जिम्मेदार –अथवा  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ,जिनके निर्देश पर यह “लोक” बनाया गया !  इतना ही नहीं – राज्य सरकार ने इसे निर्माण की गलती बताते हुए , संबन्धित गुजरात के ठेकेदार से पुनः  ठीक  करवाने की घोषणा की |  मंत्री के सार्वजनिक बयान के बाद फिर  

1 जून को  नंदी हाल के द्वार  पर लगा  एक कलश भी  धराशायी  हो गया !  अब आम श्र्धलुओ  में तो इसे अपशकुन ही माना जा रहा है |

       सवाल यह हैं की जिस प्रकार से केंद्र और बीजेपी शासित प्रदेशों में मंदिर बनवाने की होड लगी हैं  ,उससे ना तो सनातन धरम का कोई हित हो रहा है , ना ही जनता को |   फिलहाल तो मध्य प्रदेश सरकार  ओंकारेस्वर  में आदि गुरु शंकराचार्य  की मूर्ति और वनहा मंदिर को भी सुंदर बनाने की कारवाई हो रही है |  भोपाल के समीप  सलकनपुर में भी मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने “देविलोक “ बनाने की घोसना की है | अब इन घोसनाओ से  उनके  समर्थक और वीएचपी और आरएसएस तथा बीजेपी के लोग   इसे अपनी उपलब्धि मान रहे है -----परंतु इन मंदिरो  से कौन सा जन कल्याण होगा ?

              हाँ इस लोक में भूख  –बेरोजगारी से त्रस्त जनता  को परलोक सुधारने की व्यवस्था जरूर कर रहे हैं – अब उस लोक को किसने देखा है , बात तो सिर्फ विश्वास और आस्था की ही हैं | कुछ ऐसा ही नयी संसद की इमारत के उदघाटन पर हुआ हैं |  जनहा व्पक्ष की गैर हाजिरी में देश की सबसे बड़ी विधि निर्माता सदन  का उदघाटन हुआ |  जिसको लेकर काफी विवाद हुआ , पर  मोदी जी ने किसी की नहीं सुनी |

           मंदिरो और मूर्तियो के निर्माण को जिस प्रथा को उन्होने शुरू किया उसे अब उनके राजनीतिक विरोधी भी ---कर रहे है | तेलंगाना  में बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति हो अथवा  छतीसगढ़  में राम वन गमन पथ का निर्माण हो , और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तो हो ही रहा हैं |  क्या इन मंदिरो और मूर्तियो का निर्माण उसी प्रकार की श्रद्धा  से हो रहा है ---जैसा की इतिहास  में हुआ था ? शायद नहीं । क्यूंकी इन मंदिर के निर्माण कर्ताओ के बारे में हम सिर्फ आर्कियलोजी के पत्र  , जो वनहा लगा होता है , जान पाते हैं |

              परंतु 21वी सदी में यह चुनाव के लिए किया जा रहा है | इस उम्मीद में की “” हिन्दू”” जरुर बीजेपी का समर्थन करेंगे ! क्या ऐसा होगा ?

 बॉक्स

         पुराणो  में एक कथा हैं की एक समय राजा नहुष  अपने सद कर्मो से इन्द्र बन गए , उन्होने इंद्राणी  शची  देवी को बुलाया की वे सिंहासन में उनके बगल में आ कर बैठे | इंद्राणी  ने आने से मना कर दिया , और कहलाया की वे स्वयं  आकार उन्हे ले जाये | साथ ही उन्होने शर्त रखी  की  नहुष पालकी में आए , और उसे  सप्त ऋषि ही उठा कर लाये !  काम से पीड़ित नहुष  ने यह शर्त मान ली ,और सप्त ऋषियों को बुलावा भेजा | जब वे आए ,तो उन्हे पालकी उठाने को कहा ! अचकचाये  ऋषियो ने पालकी सहित नहुष को उठाया | आदत नहीं होने से वे लोग  धीरे –धीरे डगमगाते हुए चल रहे थे | नहुष  को  शची  के पास पाहुचने की जल्दी थी –उन्होने  ऋषियों को “”सर्प “” सर्प”” कह कर जल्दी चलने को कहा --- इस पर क्रोधित सप्त ऋषियों ने नहुष को श्राप दिया की वह “सर्प” योनि में जाये | तब  नहुष को अपनी गलती का भान हुआ की , उन्होने  तीनों लोक में पूजनीय सप्त ऋषियों से पालकी उठवा कर  अधम पाप किया हैं | पर जो होना था वह तो हो गया |  बाद में उन्होने ऋषियों से  शाप के मोचन की प्रार्थना की ---तब उन्होने कहा की जब श्री हरि अवतार लेंगे तब आपका वे ही उद्धार करेंगे |

                    तो यह कथा थी नहुष की सप्त ऋषियों की अवमानना की | बाकी पाठक गण जाने |

     तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र में यह तो सभी को मालूम होगा | परंतु अब पता चला की इस मंदिर के प्र्बंधकर्ताओ  ने अब अन्य प्रांतो भी मंदिर की शाखाये खोल दी है | सबसे नयी –जम्मू में , जनहा सैकड़ो करोड़ खर्च कर के मंदिर बनाया जा रहा है | इसके अलावा दिल्ली –छेन्नई –में भी  डी डी टी  ने मंदिर का निर्माण कराया हैं | अब सवाल यह हैं की की क्या यह उचित और परंपरानुसार है ?