धर्म, मंदिर ,कथाये, और यात्राओ से कौन सा विकास हो रहा ?
अयोध्या
में राम मंदिर निर्माण और मथुरा और काशी में इस्लाम के उपासना स्थलो को ले कर कानूनी विवाद , हो ही रहा था की --- मणिपुर में हिन्दू
मैतेइ और ईसाई बहुल कुकी आदिवासियो का हिंसक संघर्ष 50 वे दिन में है | परंतु केंद्र
सरकार के सारे शांति प्रयास निष्फल हो रहे हैं | सवाल यह है की मणिपुर में बीजेपी की ही सरकार है -- वनहा की जातीय हिनशा दिल्ली को नहीं अखरती है परंतु पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनावो में राजनीतिक गुटबंदी के चलते राज्यपाल वनहा दौरा करते हैं –और कलकत्ता हाइ कोर्ट चुनावो में केंद्रीय बलो की नियुक्ति का फरमान जारी
करती हैं | सुप्रीम कोर्ट मणिपुर के कुकी जनजाति की याचिका पर ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई का आदेस देती है
–कारण यह शांति व्यसथा का मसला हैं !
जगगनाथ
जी की यात्रा पहले सिर्फ उड़ीसा के पूरी में ही निकलती है ----अब गुजरात -राजस्थान – मध्य प्रदेश के अनेक नगरो में निकाली
जाती है ! अनेक समाजो { जातियो } द्वरा भी अपने – अपने पूर्व देवताओ और नायकों
के स्मरण करते हुए जुलुष निकालते हैं | अख्बारों में भी एक कालम होता हैं जिसमे इन दिनो और कार्यकरमों
का हवाला होता हैं |
इसके अलावा कथा वाचको के पंडाल और प्रवचन भी राजनेताओ और धनी लोगो द्वरा कराये जा रहे है | कनही रुद्राक्ष
बांटे जाने की सूचना दी जाती है , फिर उस कार्यक्रम को रद्द करदीय जाता
है –क्यूंकी भीड़ बहुत होती है | इन सब आयोजनो का तात्पर्य शुद्ध धार्मिक तो नहीं होता ---वरन आयोजनकर्ता के नाम को समाज और इलाके में परिचित करना होता हैं
| भोपाल के मंत्रालय
सतपुड़ा में जाबा आग लगी ,उस दिन नगर निगम के अग्नि शमन और जल कार्य का मोहकमा एक प्रवचन में लोगो को पानी पिलाने के लिए तैनात था !
इन
सब घटनाओ के बीच एक सिंधी युवक को तीन मुस्लिम युवक मार पीट करते है , घटना का वीडियो वाईरल होता हैं | मामला फ़ौजदारी का तो बनता
है ---पर साथ ही में धर्म परिवर्तन
काबी जोड़ दिया जाता है | अब धरम बदलने के लिए सड़क पर कोई मारपीट करे –ऐसी यह पहली घटना है | साफ है की पुलिस
दबाव में काम कर रही है | इंदौर और भोपाल में बीजेपी की छात्र
शाखा अखिल भारतीय विद्यारथी परिषद द्वरा पुलिस के साथ धक्कामुक्की करने के बाद भी राज्य सरकार ने इंदौर और भोपाल के
दो सहायक पुलिस आयुक्तों को निलंबित कर दिया
!!! उन नेताओ के खिलाफ कोई रिपोर्ट बी नहीं लिखी गयी | क्यू शायद इसलिए की चुनाव नजदीक है
और यही युवा वर्ग बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार और बाहुबल है !
यह
सब लिखने का मतलब है की “”सुशासन “” की परिभाषा भी अब यही है ---सत्ता की मनमानी ! अब सरकारे कोई ठोस
–जमीनी कार्य नहीं करती है , बास दैनिक अखबारो में फुल पेज़ के विज्ञापन से उदघाटन और घोसनाओ का हवाला ही रहता
हैं | सरकारी दल को लगता है की बस अखबारी प्रचार से मतदाता को एहसास हो जाएगा की सरकार कितनी उनके लिए चिंतित
है | हमारे मुख्य मंत्री शिवराज सिंह -- अब सिर्फ बहनो के भैया बन के रह गए है | एक हज़ार प्रति
माह की राशि उनके वोट बैंक को मजबूत करेगी
| वंचितों को अनाज भी
अच्छा मिलने लगा हैं | पर सभी लाभार्थियो के मुंह से यही
निकल रहा हैं --- चुनाव आ रहे है | अगर यही शासन की उपलब्धि है तो भगवान ही मालिक है |
जिनके अनेकों रूपो में पुजा –अर्चना मंत्रियो –विधायकों द्वरा की जा रही है |
शिक्षा और
स्वास्थ्य के प्रति सरकार बिलकुल उदासीन है , नर्सिंग कालेजो में हर वर्ष छात्र
भर्ती हो रहे है –परंतु ना तो कालेज लग रहा ना ही परीक्षा हो रही है ! जी हाँ दो साल हो गए इस फ़ैकल्टी की अंतिम परीक्षा को | जबलपुर
हाइ कोर्ट ने नर्सिंग संस्थान को दाखले पर रोक लगा दी है | हजारो छात्र
अदकों पर परेशान घूम रहे हैं | रही बात सरकारी स्वास्थ्य सेवाओ और उनके अस्पतालो की ---तो भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज में कैंसर मशीन विगत दो सालो से बेकार पड़ी है –क्यूंकी
उसका ऑपरेटर नहीं है , और प्रबंधन को इसकी कोई फिकर ही नहीं है |डाक्टरों को
जेनरिक दवाए लिखने का आदेश है ---- परंतु डाक्टर साहबान मेडिकल रिप्रेञ्ज्तेटिव का मुंहा देखते है | मरीज के
पुछने पर टरका दिया जाता हैं |
सरकार चुनावी
मोड में है –शासन चलाने नहीं
इस समय
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सारी कवायद आगमई विधान सभा चुनावो को लेकर है | हर विभाग –जिसका जमीन से कोई नाता
है –उस विभाग के कर्मचारियो को सत्ता रुड दल अपने हिसाब से सेटटिंग कर रहा है | अभी एक जिले में आरएसएस के कार्यकरम
में कलेक्टर और कमिसनर साहब को धव्ज़ प्रणाम की मुद्रा में देखा गया ---वीडियो वाईरल हुआ , पर सरकार और अफसरो के
कान में जू तक नहीं रेंगी | कांग्रेस्स ने इस वीडियो को निर्वाचन
आयोग के पास भेजा और उन्हे हटाये जाने की मांग की !!! पर अभी हफ्ता बीत जाने के बाद
भी कोई कारवाई नहीं हुई |
सरकारी
कार्यक्रमों का खर्चा शासन का होता है ----पर
मंत्री और मुख्य मंत्री भीड़ एकत्रित करने से
लेकर टेंट और पानी की सभी व्यवस्थाओ के बाद मंत्रियो का भासन विरोधी दलो
की बुराई से शुरू होता है ------ पर अगर किसी ने सवाल पूछा या की कोई शिकायत की तो बस उसकी शामत आ गयी !
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------बॉक्स
किसी ने
क्या खूब ही कहा है की धरती पर इंसान आया
उसने भगवान बनाया {धरम} और बाद
में भगवान के नाम पर इंसान ने दुनिया बाँट ली | निजी आस्था का विषय है धर्म या उपास्य , परंतु इस कारण से आपस में भिन्न धर्म के लोगो में शत्रुता अधिक हुई -- मोहब्बत कम | कोई भी धर्म हो उसमे इंसान ही जन्म लेता है – पर
उसके जनक और जननी का धर्म ही उसका माना जाता है ,क्यू
? सभी ध्रमों में उस बच्चे को नामकरण से
होकर गुजरना होता हैं |
इस्लाम में बच्चे के कान में अजान कहने
के बाद उसके नाम को तीन बार कान में बोला जाता है –अब से तुम्हारी पहचान इसी नाम से
होगी | ईसाई समुदाय में {कैथोलिक या प्रोटेस्टेंट या
जेसूइट } में बपतिस्मा कर के उसे पवित्र पानी से शुद्ध किया जाता है ,फिर उसे नाम दिया जाता है
–जो शिशु को सुनाया जाता है | ईसाइयो में जन्म और बपतिस्मा का कनफेरमेशन चर्च में
पादरी द्वरा किया जाता हैं , तभी वह उस संप्रदाय का माना जाता
हैं | यदि वह कनही बाहर चला जाये तो उसे संबन्धित चर्च में अपने को रजिस्टर करना होता हैं |
अग्निपूजकों
में भी अगियारी के धर्म गुरु माता –पिता की मर्जी के अनुसार नामकरना देते है | उनके यानहा पारसी समुदाय में दाखिल
होने के लिए यज्ञोपवीत सरिकी एक रसम होती है | यह लड़का या लड़की
दोनों के लिए आवश्यक है | इसमें एक कपड़ की पेटी होती
है जिसे पवित्र किया जाता है | पारसी समुदाय में यह जरूरी है की माता और पिता दोनों ही
पारसी हो तभी उनके बच्चे अगयारी यानि की अग्नि का मंदिर में प्रवेश पा सकते है | अन्य
ध्रमों में पिता का धर्म ही बच्चे का धरम माना जाता है | जब तक
वह उसे त्याग न दे |
हर धर्म
के अपने कर्मकांड और जन्म –विवाह –तलाक –विरासत और अंतिम समय की रीतिया है | जिंका पालन उस समुदाय के लोग सदियो से करते आ रहे हैं | इस विविधता को मौजूदा सरकार इन समुदायो के लोगो के लिए अत्याचार मान रही हैं
| इस लिए कामन सिविल कोड लाने की तैयारई है | मैंने जन्म के समय की रीति बताई है | अब विवाह के बारे में जानते है | इस्लाम में सगे भाई –बहन में विवाह नहीं हो सकता
| बाकी सभी रिश्तो में शादी हो सकती है , जैसे ममेरी , मौसेरी ,फुफेरी और चचेरी बहन-भाइयो में शादी जायज है |
ईसाइयो में फ़र्स्ट कज़िन , यानि माता –पिता के भाई –बहनो से विवाह की मुमानियत है |
अब बात करते है सनातन धर्म की , यानहा उत्तर भारत और दक्षिण भारत तथा पश्चिम भारत में विवाह के लिए “”निषेध””
संबंधो के लिए अकग – अलग नियम है | दक्षिण भारत में ममेरे भाई अथवा भांजी से विवाह
उत्तम माना जाता है | महाराष्ट्र में भी माता की ओर के
संबंधो में विवाह हो सकता है | हरियाणा में तो माता की पाँच पुश्तो
और पिता की सात पुसतों में विवाह “”निषेध “” है | परंतु उत्तर प्रदेश में दो पुश्तो का निसेध है | बिहार में भी ऐसा ही कुछ होता हैं | उड़ीसा में भी ऐसा ही हैं |
हिन्दू कोड
अधिनियम में भी विवाह की तीन श्रेणी है ,
पहला निसेध कज़िन भाई बहनो में विवाह गैर कानूनी हैं | परंतु कुछ जातियो में –“”अलटा-पलटा “”का रिवाज है |
जिसका अरथा है की भाई – बहन दूसरे परिवार के भाई बहन से विवाह करते है | अर्थात वे एक दूसरे के साले और बहनोई
बन जाते है | यह स्थिति
सिर्फ लड़कियो का भविषय सुरक्शित करने का होता है | यह “” निषिद्ध
करने लायक “”” विवाह की श्रेणी में आएंगे |
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