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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 3, 2019

सौ दिनो से ज्यादा समय है_--- लोकसभा चुनावो के लिए 543 सीटो मे शताधिक रैली करने का --- पर पाँच राज्यो मे सरकार खोने के बाद क्या '’जादू '’ रहेगा


सौ दिनो से ज्यादा समय है_--- लोकसभा चुनावो के लिए 543 सीटो मे शताधिक रैली करने का --- पर पाँच राज्यो मे सरकार खोने के बाद क्या '’जादू '’ रहेगा ?


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अप्रैल के तीसरे सप्ताह मे आदर्श आचार चुनाव संहिता के पूर्व ही ये रैलिया सम्पन्न हो सकेगी --- क्योकि उसके बाद करोड़ रुपये वाली यह यात्रा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की पोटली पर भार होंगी !!!

इन रैलियो मे होगा क्या ? मै और मेरी सरकार सर्वोतम ----बाक़ी सब दल भ्रष्ट और -वंशवादी -
मुझसे पहले भी कुछ नहीं हुआ और मेरे बाद भी कुछ नहीं होगा !
इस बार चुनाव --जनता बनाम विपक्ष है --यानि मोदी सरकार ही '’’जनता है "”!

यह सीन संभावित है क्योंकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने "”नए साल '’ मे एक न्यूज़ [[कम] फोटो एजेंसी को दिये गए प्रायोजित इंटरव्यू मे यही कहा था | उन्होने काफी चतुराई से क़र्ज़ माफी को '’नाकाफी '’ और मंदिर मुद्दे के कानूनी समाधान का रोड मैप भी बताया ! जिसे कट्टर हिंदुवादी तत्वो जैसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ --विश्व हिन्दू परिषद और भगवाधारियों के अखाड़ो ने नकारते हुए '’अविलंब '’ उपाय करने की चेतावनी भी दे दी |

अपनी "” महान उपलब्धियों "” नोट बंदी और जीएसटी पर सफाई देते हुए कहा '’’बोरियों मे भरे नोटो के ढेर '’’ इस कानून से बंकों मे आ गए | जिससे बैंको मे बहुत पैसा आ गया | नीरव मोदी - मेहुल चौकसे -विजय माल्या ऐसे आर्थिक अपराधियो के विदेश भाग जाने ---का स्पष्टीकरण अत्यंत अद्भुत था --- हमारी कारवाई से ही तो इन्हे भागना पड़ा , नहीं तो पुरानी सरकार मे तो खाते - खिलाते बचते रहे"”! --वे भूल गए की सत्यम - हर्षत मेहता और तेलगी जैसे अपराधी मनमोहन सिंह सरकार मे ही जेल मे डाले गए | आप के '’’’समय '’’ मे वे सभी आरोप अदालतों मे नकार दिये गए --जिन को ले कर आपकी पार्टी ने आंदोलन और धरणे दिये -----जैसे 2जी और मक्का मस्जिद धमाका कांड | इनमे सभी आरोपी "”बेदाग छूट गए "”

अब आप उसी सीबीआई की तारीफ के कसीदे गा रहे हो जिसके बारे मे "” महाराष्ट्र की विशेस अदालत के जज ने टिप्पणी की '’ यह मामला राजनीतिक विद्वेष का था जिसमे अमित शाह को फसाने के लिए लगाया गया था ! लेकिन आगस्टा हेलिकॉप्टर डील मे '’कठपुतली '’ गवाह ने नाम लिया {{ ऐसा लिखा और् कहा जा रहा है }} की वह किसी श्रीमति जी और उनके बेटे जिसे आर बताया जाता है उससे संबंध है !!! अब कोड नाम भी ऐसे बताए जो देश के लोगो को समझ मे आता है | एक शेर अर्ज़ है – सय्याद की इस सादगी पर कौन न मर जाये ---- खून टपकती शमशीर है हाथ मे और कहते है ,मेरे हाथ पवित्र है '’’’

26 मई 2014 को जिस अश्वमेघ घोड़े पर सवार मोदी जी दिल्ली फतेह करने आए थे ----- पर 6 माह बाद ही उनकी दर्जन भर रैलियो के बाद भी अपनी पार्टी की साख नहीं बचा सके | 90 सदस्यीय दिल्ली की विधान सभा मे मात्र तीन विधायक ही बीजेपी के पहुँच सके ! विजय मद मे चूर नरेंद्र मोदी का घमंड --रावण का अहंकार साबित हुआ | कार्टून की दुनिया मे भी ऐसा ही एक उदाहरण है ---- जूलियस सीज़र महान ने यूरोप को जीत लिया परंतु फ्रांस के एक गाव मे उनकी सेनाए हमेशा पराजित होती थी | जी यह कार्टून चित्र कथा एस्टेरिक्स मे है | यह पराजय नरेंद्र मोदी के दिल मे '’फांश '’ बन कर चुभती रही | जो उनके बाद के कदमो से साबित होता है |

दिल्ली का लेफ्टिनेंट गवर्नर हो कर्नाटक का गवर्नर हो उन्हे किस तरह से '’’जनता द्वरा चुनी सरकार "”” को परेशान करने मे इस्तेमाल किया गया , जग ज़ाहिर है | उत्तराखंड मे भी राज्यपाल से किस प्रकार राष्ट्रपति शासन की सिफ़ारिश की थी | मात्र बयानबाजी से ही हरीश रावत सरकार को अल्प मत मे बता दिया | जब मुखी न्यायाधीश के टी जोसेप्फ़ ने राष्ट्रपति शासन को रद्द कर विधान सभा मे शक्ति परीक्षण करने का निर्देश दिया | जिसमे रावत सरकार ने विश्वास मत हासिल किया | तब बीजेपी और आरएसएस के लोगो ने जोसेप्फ़ के धर्म को लेकर उन्हे बदनाम करना शुरू किया | उन्हे सुप्रीम कोर्ट मे पाहुचने से रोकने की कोशसीस करते रहे | परंतु सुप्रीम कोर्ट के तीन जजो द्वारा प्रैस कोन्फ्रेंस किए जाने के बाद कोलेजियम के पांचों जजो ने जब दुबारा जोसफ का नाम भेजा तब सरकार को मजबूर हो कर उनके नाम को मंजूरी देने पड़ी |
2014 और 2019 के मध्य अनेकों घटनाए जो मोदी सरकार द्वारा राजनीतिक अधिकार के दुरुपयोग की कहानी कहती है -----उनके बाद उस अश्वमेघ या जादू की पुनरावर्ति आसान तो बिलकुल नहीं वरन असंभव लगती है | हरीशंकर व्यास के शब्दो मे कहे --- देश का हिन्दू और उसमे उदारवादी माध्यम वर्ग तो मोदी के फैसलो से खिन्न है | सबसे बड़ा सवाल यह है की जो '’’वादे आप पूरे नहीं कर सकते उन्हे आप "”” जुमले "”” बना कर "”बोलो होना चाहिए या नहीं की एडोल्फ हिटलर की शैली से तात्कालिक रूप से जनता भ्रमित हो सकती है , परंतु कुछ समय बाद ही इन वादो की '’कलई '’ खुल जाती है | तब भयंकर आक्रोश होता है |कुछ वैसा ही हाल के विधान सभा चुनावो मे हुआ |

भारतीय जनता पार्टी के तहत गठित "””राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन "” ने जब काँग्रेस और अन्य विपक्षी दलो के वीरुध चुनाव लड़ा था तब "” गठबंधन पवित्र था "”” परंतु जब बीजेपी विरोधी दलो ने गठबंधन करना शुरू किया तब उन्होने इन्हे "”अपवित्र "” जोड़तोड़ कहा | यानि हम करे तो रास लीला -तुन करो तो करेक्टर ढीला "”