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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 27, 2019


अब ये हैं लोकतन्त्र

आवेदन - निवेदन और [नहीं माने तो ] दे दनादन - वह भी विधायक जी द्वरा !!

इंदौर मैं बीजेपी विधायक और पार्टी के महासचिव कैलाश विजय वर्गीय के चिरंजीव आकाश द्वारा इंडोर नगर निगम के अधिकारियों से जो व्यवहार किया गया – वह सर्वथा अनुचित ही नहीं अपराध भी था , जिसके लिए उन्हे जेल जाना पड़ा | शायद यह पहला मौका होगा जब की वे जेल गए होंगे क्योंकि इसके पहले उनके बारे मैं ना तो कुछ सुना गया और ना ही कुछ लिखा गया | संभवतः वे भी अपने पिता की राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पाहुचने वाला काम नहीं करना चाहते रहे होंगे | इसीलिए ना तो वे "”चर्चित हुए और ना ही विवादित हुए "” | पर इस हरकत ने उन्हे एकदम से उन्हे चर्चित ही नहीं वरन विवादित भी बना दिया | उस पर उनके पिता श्री का यह कथन की "”आकाश के सामने गरीब के साथ अन्याय हुआ होगा , तभी उसने ऐसा किया ! वरना उसे गुस्सा नहीं आता ! अब गरीब के साथ अन्याय इंदौर जैसे नगर मैं नहीं होते हो – ऐसा राम राजी अभी तो नहीं आया हैं | हाँ यह हो सकता हैं की उनके निर्वाचन छेत्र के मतदाताओ को वे भले ही सरकारी मुलाजिमों के "”अन्याय और अत्याचार “” से बचाने की कोशिस करते रहे होंगे | क्योंकि आखिर उन्हे भी तो अपने मतदाताओ का ख्याल रखना होगा | जिनकी बदौलत वे विधायक चुने गए |
परंतु अधिकारो की सुरक्षा और अन्याय का प्रतिकार --कानून द्वारा ही तो किए जाने का विधान हैं --- संविधान मैं इसीलिए व्यसथा हैं | पुलिस - अदालत इनीही कारणो से बनी हैं | भले आज उनकी ईमानदारी को भ्रस्ताचार की दीमक खा गयी हो , परंतु जब तक कोई अन्य विधान नाही बने तब तक तो इनहि पर चलना होगा ! यह कैसे हो सकता हैं की - आप ही कानून बन जाओ और आप ही कारवाई करने वाली अदालत बन जाओ --वह भी बिना सबको सुने हुए !! जर्जर मकानो को गिरने गए निगम कर्मियों को – अदालत से स्टे लाने की मोहलत मांगी जा सकती थी ! तब कारवाई का "”सच और झूठ "” पता चल जाता !! पर ऐसा उन्होने नहीं किया और खुद ही "” कारवाई करदी "” वह भी गैर कानूनी !

इस घटना के कुछ और पहलू हैं जो इंगित करते हैं की इस वारदात के समय मौके पर मौजूद निगम कर्मी और पुलिस वालो ने इस झगड़े मैं बीच -बचाव करने अथवा रोकने का प्रयास नहीं किया | भला क्यो कोई दो हाथियो की लड़ाई मैं हाथ - पैर तुढ़वाता ! वजह थी की मौके पर खड़े 8 निगम कर्मी विधायक से जुड़े थे , अब इसका पुख्ता सबूत तो खोज्न होगा | लेकिन इंदौर नगर निगम ने विध्यक समर्थित 21 कर्मचारियो को बरख़ाष्त कर दिया ! यह निगम मैं वर्चस्व की लड़ाई का संकेत हैं | कैलाश विजयवर्गीय भी इंदौर के महापौर रह चुके हैं | उन्हे निगम की कारवाई की यूञ्च - नीच का अंदाज़ा हैं | फिर यह कहना की गरीब का अहित हुआ होगा तो आकाश को गुस्सा आ गया होगा , कुछ समझ मैं नहीं आता | आकाश ने सारे आम कहा की "”अफसर पैसा खा कर अबरीय मकान खाली कराकर तोड़ रहे हैं ! “” इस आरोप को क्या वे सिद्धर पाएंगे ? वैसे नगर निगम बीजेपी के ही क़ब्ज़े मैं हैं |
महापौर मालिनी गौड़ और कैलाश विजय वर्गीय की पार्टी मैं प्रति द्वंदिता जग ज़हीर हैं | एक सवाल यह भी हैं है की
11.30 बजे दिन की इस सार्वजनिक पिटाई पर पुलिस ने 3.00 बजे रिपोर्ट दर्ज़ आकाश सहित 11 लोग पर !~ और गिरफ्तारी हुई 4.35 बजे !! पुलिस की कारवाई बताती हैं की कितनी त्वरित कारवाई हुई ---जबकि सरकारी अमले को ड्यूटि निभाने पर मारा -पीटा गया ! ऐसी हालत मैं कोई अफसर या कर्मी लोगो का मुंह देखकर ही काम और न्याय करेगा | आखिर मैं शाम 7.30 बजे जिला अदालत मैं उन्हे पेश किया गया , जनहा से वे जेल भेज दिये गए |
बीजेपी नेताओ के पुत्रो के विरुद्ध यह चौथी घटना हैं , केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और उनके विधायक भाई जलम सिंह पटेल तथा पूर्व मंत्री कमाल पटेल के पुत्रो पर फ़ौजदारी के मुकदमैं दर्ज़ हैं |
लोकतन्त्र का दूसरा पहलू



इसी सिलसिले मैं हाल की एक घटना याद आई , राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत शिकायत मिलने पर सिहोर जिला मुख्यालय पर कुशवाह नामक तहसीलदार के दफ्तर का अचनक निरीक्षण किया , और पाया की सैकड़ो जमीन के मामले लंबे समय से लंबित हैं | इन मामलो मैं जमीन की पैमाइश --- ज़मीन के बटान [बँटवारे ] और नामांतरण के मामले थे | जब उन्होने पूछताछ की तो कोई संतोष जनक उत्तर नहीं मिला | मंत्री ने कलेक्टर से उक्त तहसीलदार के निलंबन का प्रस्ताव आयुक्त को भेजने को निर्देश दिया | अब खेल शुरू होता है ---की मंत्री को तहसीलदार के डायस पर बैठने का हक़ नहीं था ---वे कैसे बैठे ? फिर राजस्व अधिकारियों के संघ ने सरकार को चेतावनी दी की अगर कुशवाहा के खिलाफ कोई कारवाई हुयी तो वे राजी व्यापी हड्ताल कर देंगे !! कलेक्टर कह रहे हैं की मुझे तहसीलदार को निलंबित करने का अधिकार नहीं हैं !! अरे भाई आप को तो प्रसत्व बनाकर आयुक्त को भेजने के लिए कहा गया था , निलंबन आप नहीं कर सकते हो यह मंत्री को भी मालूम था | तभी तो उन्होने आयुक्त को निलंबन का प्रस्ताव भेजने को निर्देश दिया था !!

इन दो घटनाओ का ज़िक्र करते हुए यह तथ्य सामने लाना है की "”लोग या जनता "” अपनी शिकायतों या कठिनाइयो को लेकर विध्यक या मंत्री के पास इस आस मैं जाते हैं की उनका काम हो जाएगा | जो अफसरो की निरङ्कुसता और कानून को ढाल बना कर मनमानी करने की हो गयी हैं | बताते हैं की सीहोर जिले मैं बीजेपी नेता नलिन कोहली को हज़ार एकड़ से भी ज्यादा खेती की ज़मीन आवंटित की गयी थी | यह भूमि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए थी | अब यह मध्य प्रदेश मैं ही संभव हैं की कोई व्यक्ति या संस्था इतनी मात्रा मैं खेती की भूमि रख सके | लेकिन औद्योगिक काम के लिए प्रदेश मैं पहले भी लंबी -लंबी जमीने आवंटित की गयी थी | जो ज़रूरत से ज्यदा सीध हुई | इसमैं सार्वजनिक और निजी छेत्र की कंपनी है | भोपाल नगर मैं भारत हेवी इलैक्ट्रिकल यानि की भेल के पास दासियो साल से '’’’ औइद्योगिक पडत की भूमि हैं '’’ परंतु जब - जब सार्वजनिक हित के लिए प्रदेश सरकार ने मांगा तब - तब अड़ंगा लगा दिया गया !

भवन निर्माताओ और रिसार्ट बनाने वालो ने भोपाल से सटे सीहोर जिले मैं दासियो हज़ार एकड़ भूमि कब्ज़िय राखी हैं | इनमैं सरकारी करामचरि ----छोटे सरकारी करामचरि से लेकर बड़े -बड़े अफसरो ने कभी जंगल भूमि दर्ज़ रहे रकबो पर आलीशान भवन बना रखे हैं | बीजेपी के 15 साल के राज मैं भूमि और नदी के रेत को खूब लूटा गया || पर क्या यह लूट काँग्रेस सरकार रोक पाएगी ?? भोपाल -होसंगाबाद रोड पर रेट भरे डंपरो को आबादी के इलाको मैं दिन दहाड़े दौड़ते देखा जा सकता हैं | सरकारी बयानो और दस्तावेज़ो मैं भले ही रेत की चोरी पर रोक लगा दी गयी हो परंतु हक़ीक़त तो बहुत दूर हैं !!!!! पर यह भी लोकतन्त्र का ही एक चेहरा तो हैं !!!!!