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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 1, 2013

राहत -राहत फीस तय होने से छात्र और मरीजों को राहत

राहत -राहत  फीस  तय होने से  छात्र और मरीजों को राहत 
                                                          रविवार  तारीख २ १ अप्रैल  को दो खबरे ऐसी मिली जिनसे  एक आशा जगी की प्रदेश के स्कूल  अब मनमानी फीस नहीं वसूल सकेंगे , और निजी नर्सिंग होम भी अब  शक्ल देख कर फीस नहीं बता सकेंगे । क्योंकि राज्य सरकार ने दोनों ही प्रकार के संस्थानों पर लगाम लगाने की कवायद शुरू कर दी हे । २ ० १ ३  के सत्र में व्यासायिक संस्थानों में छात्रो की भर्ती की प्रक्रिया  केन्द्रीकरण होने से अब निजी संसथान मनचाहे छात्र  को अपने यंहा भारती नहीं कर सकेगे , वरन उन्हे   उसी छात्र या छात्रा  को लेना होगा जिसे शासन द्वारा नामित किया जायेगा । संसथान और कोर्स  का चयन तीन प्राथमिकता पर निर्भर होगा , एवं उपलब्धि और नम्बरों  के अनुसार छात्र को कोर्स दिया जायेगा । इसके साथ ही शासन ने इन संस्थानों को ताकीद की हे की वे अपने यंहा के फीस का  और अध्यापको का संपूर्ण विवरण  सुलभ कराये जिस से लोग विषय का चुनाव कर सके । 
                                  अभी तक होता यह था की माध्यमिक शिखा मंडल द्वरा  प्रायोजित परीक्षा में नियत नम्बर प्राप्त छात्र किसी भी संसथान  में भर्ती  हो सकता था , , परन्तु अधिक से अधिक छात्रो को खीचने  के लिए अनेक इंजीनियरिंग कॉलेज  दलाल नियुक्त  कर रखे थे  जो प्रलोभन देकर  किसी भी कोर्से में उसे भर्ती  करा देते और उसके मूल प्रमाण पत्र  आदि रखने के बाद उससे अनेकानेक  मदों में फीस वसूली अभियान शुरू हो जाता था  । इस शोषण  का भयावह रूप लड़के सामने तब आता था जब उसे पता चलता था की   संसथान में फैकल्टी  के नाम पर मात्र पांच - सात ही अध्यापक हे और बाकी गेस्ट फैकल्टी के नाम पर महीने में   एक दिन आकर पांच घंटे तक धारा  प्रवाह  पड़ा कर हफ्ते भर के पीरियड  का कोटा पूरा कर देते , ,देर रात से भोर तक की इस लगातार  अध्ययन  से कितना भला स्टूडेंट्स का होता होगा ,वह संसथान के रिजल्ट से पता चलता था जब क्लास  के साथ फीसदी लड़के पूरक परीक्षा में बैठते थे । और  कई कई लडको को तो तीन या चार बार इम्तहान देना पड़ता था ,तब एक पेपर क्लियर हो पता था  । 
                                      प्रबंधन मे एक और बुरी प्रथा थी की वे इंटरनल पेपर मे पास करने के लिए पैसो का लेन -देन करते थे , इस प्र का भला और प्रबन्धको पर नकेल कसी जा सकेगी  कार छात्र  और अभिभावक दोनों ही ठगे जाते हे |   और अभिभावक दोनों को ही ठगा जाता था  | परंतु अब    नयी  व्यसथा मे सभी  छात्रों को प्राप्तांक  के अनुसार ट्रेड  और  कॉलेज  का आवंटन होगा | इससे  छात्रों का भयदोहन नहीं हो सकेगा ,  फलस्वरूप  अभिभावकों  से  धन का दोहन भी नहीं होगा , कम से कम ऐसी  ऐसी आशा तो करनी ही चाहिए | | शिक्षा  माफिया द्वारा जिस प्रकार समस्त  व्यवास्था  को नष्ट - भ्रष्ट  किया  और भर्ती मे दलालो का परिचय कराया हे वह अत्यंत घ्राणित हे | 
                                                      दूसरी ओर शासन ने निजी अस्पतालो या नर्सिंग  होम  मे सभी प्रकार की सेवाओ के लिए दरे निर्धारित करने का फैसला लिया हे वह अत्यंत ही श्रेयसकारी है | इस से भी प्रदेश की जनता को बहुत राहत होगी , क्योंकि अभी त क़ सभी निजी अस्पताल या नर्सिंग होम विभिन्न जाँचो के लिए मनमाने दाम वसूल करते थे | एक ही प्रकार की खून की जांच की फीस मे कई - कई गुना अंतर  होता था | फिर अधिकतर मरीज़ो के परिजन अस्पतालो के चक्कर  नहीं समझते थे , इसलिए वे रुपये पर रुपये भरते जाते थे | फलस्वरूप  मरीज को जब आराम आता था तब तक  वह कंगाल  हो जाता था | अनेकों बार हुआ हे की अस्पताल प्रबंधन  ने भुगतान न होने पर महिला मरीज को बंधक बना लिया अथवा शव को परिजनो को सौपने से इनकार कर दिया | ऐसे अमानवीय व्यवहार की  अपेक्षा कम से कम चिकित्सा जगत से नहीं थी परंतु आए दिन समाचार  पत्रो मे ऐसी  घटनाओ की बाड आ गयी थी ,तब सरकार को कोई न कोई कदम तो उठाना ही था | 
                                        इसी कड़ी मे वेंटिलेटर  के  नाम पर डाक्टरों द्वारा की जाने वाली लूट भी शामिल हे , मरीज की हालत गंभीर हो जाने पर ये सेहत के सौदागर  उसे ज़िंदा रखने की कसरत  करते थे | भले ही मरीज  क्लीनिकल्ली  डेड  हो गया हो पर चौबीस घंटे  मे एक बार सीसे  की दीवार  के पीछे से किसी एक परिजन को दिखा कर उसके ज़िंदा होने और जल्दी ठीक होने का झूठा वादा करते रहते और उनको चूसते  रहते जब परिजन ज़मीन को गिरवी रख कर पैसा चूकाते रहते तबतक मरीज के ज़िंदा होने के भ्रम को भगवान के ये दूत  बरकरार  रखते | ऐसे गंदे हथकंडे अपनाकर ये फलते फूलते हे | हालांकि  अस्पताल के गंदे कुडे को ठीक से ठिकाने लगाने के लिए ये बड़े - बड़े अस्पताल कूड़ा जलाने का संयंत्र नहीं लगाएंगे वरन उसे सड़क पर या फिर तालाब या नदी मे चोरी से बहा देंगे , जिस से बीमारियो  को फैलाने मे मदद होती हे | इनके लिए सेहतमंद  आबादी  एक अभिशाप हे जिसे ये कभी नहीं देखना चाहते | 
                                                                  लेकिन नए प्रावधानों के लागू हो जाने से अब इन पर नियत दरो से अधिक दाम वसूलने पर आपराधिक कारवाई की जा सकेगी , अब देखना होगा की सरकार का शिकंजा कितना कडा होगा | म