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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 10, 2021

 

सच क्यू नहीं स्वीकार करते सरकार ? मौत तो मौत होती हैं !

प्रदेश की राजधानी के प्रमुख अस्पताल हमीदिया अस्पताल के शिशु वार्ड में लगी आग से असमय काल -कवलित हुए माँ के लालों का दुख उनकी जननी और जनक के लिए तो असह्य ही हैं | अब सरकार यही कहे की चार बच्चे अग्निकांड का शिकार हुए ,-- अथवा पीड़ितो के अनुसार दस अथवा चौदह ,की गिनती अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और सरकार की "”अनदेखी "” का ही तो परिणाम हैं | यू तो मुख्य मंत्री और स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री अस्पताल अक्सर ही जाते -रहते हैं , परंतु बस मीडिया के लिए खबर बनाने के लिए | अगर कभी वनहा की साफ -सफाई , दवा और मेडिकल सुविधाओ की जांच करते तब उन्हे वार्डो में लटकते बिजली के तार और मेडिकल यंत्रो की खराब हालत के बारे में जानकारी होती | इसके उलट अधीक्षक या डीन पद अथवा वनहा के अध्यापको की नियुक्ति की राज नीति में "””मेरा और तेरा'’’ ही करते रहे | ऑक्सीज़न प्लांट लगा तो उसका श्रेय लेने के लिए अखबारो में सरकार का जनसम्पर्क विभाग से फोटो छपवाने का ही उद्देश्य रहता हैं |

यह पहली बार नहीं हैं , कोरोना महामारी के दौरान जब तड़ातड़ मौते हो रही थी , और शमशान घाटो में शवो को जलाने की संख्या तथा कब्रिस्तान में दफनाये जाने वाली लाशों का बाकायदा रेकॉर्ड होने के बावजूद भी राज्य सरकार उनकी "”गिनती"” को असत्य बता रही थी !! अब अगर इन स्थानो के दस्तावेज़ो को कानून की मान्यता है तब सरकार कैसे कह सकती है की यह आंकड़े सती नहीं हैं | हाँ सरकार ने एक "” फरमान जरूर जारी किया था की अस्पताल रोगियो की मौत के दस्तावेज़ में म्र्त्यु का कारण कोरोना नहीं लिखा जाये ! इस आदेश को क्या कहेंगे की सरकार मौतों को छुपाने के लिए प्रयास कर रही हैं !! आखिर इस कवायद से सरकार क्या दिखाना चाहती हैं ? जिनके परिजन बीमारी में खो गए उन बच्चो और सम्बन्धियो को कोई राहत मिलेगी ? अब मरने वालो की लिस्ट में उन लोगो के नाम हो अथवा नहीं हो , इससे कोई अंतर उन हजारो प्र्भवितों को नहीं पड़ता | हाँ एक करोड़ लोगो को कोरोना की एक डोज़ लगी या दोनों डोज़ लगी यह प्रचार भी अतिरंजित रूप से किया जा रहा हैं | यानहा तक की "”रेकॉर्ड बनाने के लिए टीका करण की संख्या भी घटाई - और बड़ाई जाती रही | अब इससे नेता जी भले हुंकार भरकर संख्या बताए ,पर उससे कोई फर्क आम जनता को नहीं पड़ता , सिवाय अंधभक्तों के लिय जो पान की दुकान और चाय की तपरो और अन्य जघो पर इस संख्या को "””राजनीतिक उपलब्धि "”” बताते फिर रहे हैं |

इस देश में बड़ी - बड़ी दुर्घटनाए और महामारिया आई और चली गयी , उनका इतिहास बस मौतों की संख्या बन कर रहा जाता हैं | पर जिस समय यह घटनाए अथवा आपदाये घटती है उस समय सरकार और शासन का रुख जनता के और भुक्तभोगियों के प्रति कैसा रहा यह लोगो की यादों में बस जाता हैं | इसलिए सरकार अपना "” आज "” ठीक करने के लिए सच न बताए परंतु निश्चित ही वह अपना भविष्य तो खराब ही कर रही है |