प्रचंड
बहुमत फिर क्यो शंकित है सरकार
सदन मे मतदान कराने
मे ??
संसद
का अधिवेशन नोट बंदी के बाद
पहली बार समवेत हुआ है |
परंतु
दोनों ही सदनो मे कोई चर्चा
नहीं हो प रही है |
देश
की जनता व्याकुल है यह जानने
के लिए कैसे नोट बंदी का फैसला
मंत्रिपरिषद मे लिया गया ?
वितता
मंन्त्रालय ने क्या तैयारई
की थी ?
आज
तेरह दिन हो गए हालत काबू मे
नहीं है ,,
शादी
के लिए 2.50
लाख
की सरकारी घोसना को भी पाँच
दिन हो गए किसान को भी पहले
25हज़ार
फिर 40
हज़ार
तक निकालने की घोसना की गयी
थी |
परंतु
दोनों ही आदेश बंकों को नहीं
मिले |
ऐसा
स्टेट बैंक की शाखा के प्रबन्धको
ने बताया |
नरेंद्र
मोदी जी की हज़ार और पाँच सौ
के नोटो का चलन बंद करने की 8
नवम्बर
की घोसणा को जनता का 85
प्रतिशत
का समर्थन प्राप्त होने का
दावा भारतीय जनता पार्टी और
मोदी समर्थको द्वारा की जा
रही है |
फिर
क्या बात है की सरकार लोकसभा
मे कांग्रेस्स के कामरोको
प्रस्ताव पर चर्चा के लिए राज़ी
नहीं हो रही है ??
आखिर
क्यो
क्या
डर है मोदी सरकार को 282
के
"”प्रचंड
बहुमत "”
के
बाद ---
लोकसभा
मे चर्चा पर मतदान कराने मे
??? यह
समझ मे ना आने वाली बात है ?
अरे
भाई करने दो विपक्ष को चर्चा
बहुमत तो आपके पास है ही -फिर
डरना क्यो ??
-क्या
मोदी जी को अपने गठबंधन पर
भरोसा नहीं रहा की वे प्रस्ताव
के समय वोटिंग होने पर सरकार
का समर्थन नहीं करेंगे ??
अथवा
कुछ और ?
एक
खबर के अनुसार बीजेपी आद्यक्ष
अमित शाह मे 11
नवेंबर
को संसदीय दल की बैठक बुलाने
का नोटिस जारी करवाया था |
जिसे
प्रधान मंत्री मोदी के कहने
पर स्थगित कर दिया गया |
यद्यपि
स्थगन की कोई वजह नहीं बताई
गयी |
इस
से थोड़ी शंका तो होती है --
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