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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 24, 2018

"” अगर मीडिया धर्म के "””तथाकथित ''' ठेकेदारो का महिमामंडन नहीं करे तो ये अपनी मौत मर जाएँगे "”इलाहाबाद उच्च न्यायालय सड़क और सार्वजनिक स्थल सरकार की मिल्कियत --इसका दूसरा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता


"” अगर मीडिया धर्म के "””तथाकथित ''' ठेकेदारो का महिमामंडन नहीं करे तो ये अपनी मौत मर जाएँगे "”इलाहाबाद उच्च न्यायालय
सड़क और सार्वजनिक स्थल सरकार की मिल्कियत --इसका दूसरा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता
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वर्तमान समय मे जब समाज और देश मे चारो ओर धर्म के नाम पर अनेक "”स्वयं -भू ठेकेदारो "”का उदय हो गया है ---और चारो ओर आम शहरी किसी ना किसी मठ - या महंत -या गुरु अथवा स्वामी के मठ या मंदिर के "” उपदेशो – फतवो और हुक्मो '' के अनचाहे परिणामो को अन चाहे भुगत रहा है| नगरो मे आए दिन किसी ना किसी धर्म के अनुयाईओ द्वरा पालकी अथवा घट यात्रा तथा अखंड रामायण या कीर्तन --जगराते के नाम पर किसी भी सड़क के यातायात को घंटो रोक देते है | इतना ही नहीं पार्को या किसी सार्वजनिक स्थल पर चुनरी यात्रा या किसी संत महात्मा से ज्यादा राम चरित मानस के प्रवचन होते है | -----ऐसे मे उच्च न्यायालय का का फैसला एक विवेक पूर्ण समाज के लिए -सुखद हवा के झोके की भांति ही है | न्यायमूर्ति अजित कुमार एवं सुधीर अगरवाल की खंड पीठ द्वारा एक ऐतिहासिक फैसले मे यह कहा गया |
उन्होने प्रदेश की योगी सरकार को आदेश दिया है की 2011 के बाद के सभी "”धार्मिक अतिक्रमण "” को अविलंब हटाने की कारवाई करे | सार्वजनिक स्थलो पर बने मंदिर - मस्जिद सभी को इस दायरे मे लाया गया है | सड़क -पार्क ऐसे स्थलो का अतिक्रमण कर बनाए गए सभी धर्म स्थलो को हटाने की जिलाधिकारी और पुलिस अविलंब कारवाई करे ! आगे अपने फैसले मे उन्होने कहा की 2011 के पहले अतिक्रमणों को "”सार्वजनिक भूमि '' से हटा कर अन्यत्र स्थापित किया जाये | अपने कठोर निर्णय मे दोनों न्यायमूर्तियों ने कहा की 10 जून 2016 के बाद सार्वजनिक स्थलो का अतिक्रमण बने "धार्मिक स्थलो के निर्माण की ज़िम्मेदारी जिलाधिकारी एवं उप जिलाधिकारी की तथा ज़िला पुलिस अधीक्षक तथा पुलिस छेत्राधिकारी की होगी " | मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को दिये गए निर्देश मे कहा गया की वे अदलत के निर्देशों का पालन करने हेतु लिखे | इतना ही नहीं पीठ ने कहा की इस आदेश को समय सीमा मे पालन ना करने वाले ज़िला अधिकारी"” अदालत की अवमानना के अपराधी होंगे "”

यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है की जब किसी भी "रंग' की प्रादेशिक सरकारे "”जातिगत -अथवा धार्मिक समुदायो '' की मांगो के आगे घुटने टेक रही है | निर्णय मे कहा गया है की चाहे खेती की भूमि हो अथवा सार्वजनिक स्थल उन पर "” राज्य का अधिकार होता है "” जिसके अतिक्रमण की इजाजत "”किसी को को कोई भी नहीं दे सकता "”

यह मुद्दा फ़तेहपुर जिले के एक किसान द्वारा अपनी खेती की भूमि पर मस्जिद निर्माण किए जाने का था | जिलाधिकारी ने उस मस्जिद मे नमाज़ पढने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था | जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय मे मुकदमा दायर किया गया था |जिसमे अदालत ने उक्त टिप्पणी की |

इस संदर्भ मे सर्वोच्च न्यायालय द्वरा राम मंदिर के विवादित मामले मे की गयी यह टिप्पणी महत्व पूर्ण है की "” की यह मामला मंदिर अथवा मस्जिद का नहीं है और अदालत इसे धार्मिक अथवा ऐतिहासिक नज़र से नहीं देखती है | यह मात्र ज़मीन की मिल्कियत का मसला है और इसे उसी नज़र से निर्णय किया जाएगा "”
अभी भूमि अर्जन और उसके अधिकार को लेकर सर्वोच्च न्यायालय मे न्यायमूर्तियों के मध्य"” मतभिन्नता "” हो गयी थी | नागपुर निगम के ज़मीन के अधिग्रहण के मामले मे तीन जजो की पीठ ने एक फैसला दिया ---जो की पूर्व मे तीन जजो की पीठ के दिये गए फैसले के "” सिधान्त के विपरीत था "” || दो पूर्ण पीठ द्वरा दिये गए फैसले को लेकर एक बार फिर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा विवादो मे आ गए है | परंतु एका तथ्य साफ है की भूमि और उसके प्रबंधन तथा सार्वजनिक भूमि के "”” गैर कानूनी क़ब्ज़े या उपयोग ''''अधिकतर धर्म के ही नाम पर किया जाता है | शायद इसीलिए न्यायालय ने "””तथाकथित धर्म के ठेकेदारो '''को मीडिया द्वरा "””भाव नहीं दिये जाने की सलाह दी गयी है |
हालांकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले की क्या "”गति "” होगी इस बारे मे कुछ निश्चित नहीं है | क्योंकि तीन वर्ष पूर्व जबलपुर उच्च न्यायालय द्वरा राज्य सरकार को निर्देश दिया था की वे प्रत्येक नगर मे कितने ऐसे धार्मिक स्थलो के निर्माण ''''सार्वजनिक स्थलो पर हुए है "”” उसकी सूची अदालत मे प्रस्तुत करने को कहा था | परंतु पिछले छ बार से राज्य सरकार "” समय बड़ाये जाने की की मांग करती जा रही है "” परंतु ज़िलो मे आज तक इस ओर कोई कारवाई नहीं की गयी | कंही वैसा ही हाल इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का भी न हो ?

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