ग्वालियर
-
चंबल
छेत्र मे हुई चुनावी झड़पो मे
संकरी जीत ने क्या कांग्रेस
को निर्वाचन आयोग की निश्पक्षता
और ईवीएमपीअट की सत्यता पर भरोसा
दिला दिया है ?
उत्तर
प्रदेश के विधान सभा चुनाव
के बाद काँग्रेस समेत समाजवादी
पार्टी तथा पंजाब चुनावो के
बाद आप पार्टी ने ईवीएम मतगणना
मशीनों की सच्चाई पर संदेह
जताते हुए – इनको भारतीय जनता
पार्टी की मोदी सरकार के इशारे
पर गड़बड़ी किए जाने के गंभीर
आरोप लगाए थे |
मामला
इतना बिगड़ा था की चुनाव आयोग
को सार्वजनिक रूप से इन मशीनों
की खामिया उजागर करने की चुनौती
राजनीतिक दलो को देनी पड़ी थी
!
परंतु
गड़बड़ी को उजागर करने की विधि
और तरकीब की प्रक्रिया को
लेकर मामला अटक गया |
विरोधी
दल मशीन को खोल कर डिमांस्ट्रेशान
देना चाहते थे ---जबकि
निर्वाचन आयोग उनको "”
छूने
नहीं देने के निर्णय पर अडिग
था “”|
इस
छूआछूत के चलते मामला निर्णायक
स्थिति तक नहीं पहुंचा |
उस
समय जो राजनैतिक माहौल और
"”जनता
का संदेह इन चुनावी मशीनों
के बारे मे उपजा -उस
से लगा की एक बार फिर बैलट पेपर
ही मतदाता की पसंद को नियत
करेंगे "”
परंतु
नित-नूतन
नए घोटालो और खुलासो की आंच
मे इस मुद्दे का "”विसर्जन
"”
सा
हो गया |
परंतु
चुनावी प्रबंध की निसपक्षता
और मशीन की सत्यता पर सीपीएम
के सचिव नीलोत्पल द्वारा
त्रिपुरा विधान सभा चुनावो
मे निर्वाचन आयोग को भेजे गए
पत्र मे "”
स्थान
और समय तथा मतदाताओ से अधिक
मत बताने वाली मशीनों का उल्लेख
"””
किया
गया है |
इस
से एक बार फिर निर्वाचन आयोग
की ''चुस्ती
और ईमानदारी पर उंगली उठ गयी
है "”
|
चुनाव
मे अनियमितताओ को लेकर
ज्योतिरादित्य सिंधिया और
प्रदेश मे काँग्रेस प्रभारी
बावरिया ने एक सवाल के उत्तर
मे पार्टी का रुख स्पष्ट करते
हुए – कहा की कोलारस और मुंगावली
मे मतदाता सूची मे फर्जी
मतदाताओ की संख्या दसियो हज़ार
की थी जिसे पार्टी ने उजागर
करके उन नामो को मतदाता सूची
से "””कटवाया
"”
!! ईवीएम
मशीनों के बारे मे प्रश्न से
कतराते हुए –
उन्होने त्रिपुरा मे भारतीय
जनता पार्टी द्वरा विगत विधान
सभा चुनावो की तुलना मे 2018
मे
24%
मतो
की व्रद्धि को आश्चर्यजनक
बताया !!
उन्होने
कहा की किसी भी विधान सभा अथवा
लोक सभा चुनावो मे किसी भी
पार्टी के मतो मे ऐसी अप्रत्याशित
बढोतरी का कोई इतिहास नहीं
है "”
सवाल
फिर भी वनही अटका हुआ है ---
क्या
चुनावी मशीनों का मुद्दा सिर्फ
"”
हार
-
जीत
"”
से
जुड़ा है ??
या
निर्वाचन आयोग की निस्पछ्ता
भी तभी तक है जब तक "”
जीत
हमारी है "”
?? लगता
है केंद्र सरकार और निर्वाचन
आयोग भी इस मामले मे "”
तेल
देखो -तेल
की धार देखो "”
का
रुख अपनाए हुए है |
यंहा
यह बताना समीचीन होगा की दुनिया
के 120
राष्ट्रो
मे इन मशीनों का बहिष्कार कर
रखा है !!
अमेरिका
-
रूस
और ब्रिटेन तथा जर्मनी फ्रांस
ऐसे विकसित राष्ट्रो के अलावा
यूरोप और आस्ट्रेलिया मे भी
"”
मत
पत्र "”
से
ही जनता की पसंद चुनी और गिनी
जाती है '
बाल्टिक
छेत्र के कुछ देशो मे यह मशीन
का इस्तेमाल है ----जंहा
की आबादी लाखो से लेकर कुछ
करोड़ो मे ही सिमटी है |””
बड़े
राष्ट्रो मे इस मशीन का इस्तेमाल
बंद किया गया है "”
उदाहरण
के लिए अमेरिका !!
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