बैंको
की 73
लाख
करोड़ रुपये डूबंत राशि के लिए
देश कभी भी काँग्रेस को माफ
नहीं करेगा ----
लोकसभा
मे प्रधान मंत्री नरेंद्र
मोदी
परंतु
प्रधान मंत्री जी आपकी सरकार
के आंकड़ो के अनुसार ही -यूपीए
सरकार ने तो 2014
मे
सिर्फ 52
लाख
करोड़ की ही राशि का गडडा छोड़ा
जो
पिछले तीन सालो मे 73
लाख
करोड़ रुपया कैसे हो गया ??
वैसे
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी
जी को अक्सर तथ्य याद नहीं
रहते ,
इसका
सबूत उनके भाषणो मे "”यत्र
-सर्वत्र
''
मिलते
है |
कर्नाटक
मे चुनावी सभा को संबोधित करते
हुए कहा था की "”की
राज्य की सात लाख पंचायतों
मे कोई विकास नहीं हुआ "”
वे
भूल गए उनके 'राज
मे '{{
सम्पूर्ण
देश मे }}
मे
भी इतनी ग्राम सभाए नहीं है
!!
कुछ
इसी प्रकार जब वे अपने
पसन्द् के टापिक यानि नेहरू
-
इंदिरा
और राजीव के नाम पर तबर्रा पढ
रहे थे ,,
उसी
के बीच मे उन्होने यह जुमला
बोला था की काँग्रेस को कभी
देश माफ नहीं करेगा !!
मोदी
के पहले भी मोरारजी देसाई -चरण
सिंह -चंद्रशेखर
सिंह -
विश्व
नाथ प्रताप सिंह -
अटल
बिहारी वाजपेयी -
एचडी
देवगौड़ा -
इंद्र
कुमार गुजराल साउथ ब्लॉक की
उसी कुर्सी पर बैठ कर काम कर
चुके है जिस पर वे आज आसीन है
"”
|इनमे
से अनेकों ने काँग्रेस के
नेताओ की आलोचना सार्वजनिक
रूप से की है |
परंतु
कभी भी उनके स्वर '''
शालीनता
और पद की गरिमा के विपरीत नहीं
हुए "”'
जैसा
की प्रधान सेवक जी कर रहे है
"”
|
इन
21
लाख
करोड़ से कौन से उद्योगपति
लाभान्वित हुए है यह कौई छुपी
बात नहीं है |
जनहा
क़र्ज़ से डूबे किसान आतम हत्या
कर रहे है वनही
अंबानी बंधुओ और गौतम अदानी
तथा रूईया घराने की इकाइयो
को कितनी सबसिडी दी गयी इसका
खुलासा मंत्रालय नहीं केआर
रहा है |
इतना
ही नहीं सरकारी संस्थानो और
सार्वजनिक बैंको से इन पर
वर्तमान मे कितना क़र्ज़ बकाया
है "
यह
भी मोदी सरकार नहीं बता रही
है |
सुप्रीम
कोर्ट ने एक जनहित याचिका की
सुनवाई के दौरान रिज़र्व बैंक
से "”
डूबंत
क़र्ज़े का विवरण मांगा था "”
बैंक
ने वह तफसील एक लिफाफे मे बंद
कर के अदलत को सुलभ करा दी |
परंतु
उनसे बैंक तथा केंद्र सरकार
के वकीलो ने यह प्रार्थना की
इसको सार्वजनिक नहीं किया
जाये ----अन्यथा
देश की अर्थ व्यवस्था को नुकसान
होगा "”
लिहाजा
यह हक़ीक़त भी लिफाफा बंद हो गयी
"”
21
लाख
करोड़ की डूबंत राशि का मोदी
सरकार के दौरान होना काफी
"”भयावह
"”
है
|
क्योंकि
52
लाख
करोड़ की राशि "”तो
साथ साल के काँग्रेस काल मे
हुई "”
इस
हिसाब से काँग्रेस के काल मे
प्रति वर्ष औसतन बैंको के क़र्ज़
जो "”डूबंत
खाते मे डाले गए ''
वह
राशि एक लाख करोड़ से कम की हुई
||
जबकि
2014
मे
नरेंद्र मोदी सरकार के पदारूढ
होने के बाद 2017
तक
की घाटे की इस राशि मे 21
लाख
करोड़ और जूड गए |
2014 से
2017
के
मध्य के आंकडो के अनुसार मोदी
सरकार के समय मे प्रति वर्ष
डूबंत कर्ज़ो की राशि 7
लाख
करोड़ रुपया प्रति वर्ष "”है
"”
!!
अब
यह तो देश को जानना होगा की
आखिर डूबने वाले ऐसे कर्ज़ो
से किसको लाभ पहुंचा ?
किसानी
के छेत्र मे तो कोई लाभ हुआ
नहीं -
उल्टे
सुलभ आंकड़ो तो चौंका देते है
है की औद्योगिक घरानो को दिये
गए "”डूबंत
क़र्ज़ की राशि का एक तिहाई भाग
ही देश के किसानो का सहकारिता
समितियों के माध्यम से है !!!!
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