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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 26, 2018

हिजाब और नकाब का अंतर खतम करती दो पहिया चालक लड़कियो और महिलाओ का चेहरे पर दुपट्टा पट्टा लपेटा !!


हिजाब और नकाब का अंतर खतम करती दो पहिया चालक
लड़कियो और महिलाओ का चेहरे पर दुपट्टा पट्टा लपेटा !!


एक दैनिक समाचार पत्र मे छपी एक खबर ने ध्यान आकर्षित किया – | खबर यह थी की यूजीसी की नीट परीक्षा मे एक मुस्लिम छात्रा को "”हिजाब "” पहन कर आने पर परीक्षा मे भाग नहीं लेने दिया | छात्रा ने अलप्स्ङ्ख्यक आयोग मे घटना की शिकायत करते हुए कहा की उसके धार्मिक आस्था पर चोट हुई हैं | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वरा प्रायोजित इन प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन किया जाता है |

खबार के साथ जो चित्र प्रकाशित हुआ है – वास्तव मे "हिजाब नहीं वरन चेहरे पर दुपट्टा लपेटा है " | वास्तव मे अनेक मुसलमानो को भी नक़ब और हिजाब का अंतर नहीं मालूम है | हिजाब का चलन यहूदी काल मे हज़रत मूसा के समय उल्लेख मिलता है | जिसमे महिला से यह अपेक्षा की जाती थी की वह माथे से ठुड्डी तक चेहरे को ढंके , हिजाब एक शालीन महिला के पहरावे का भाग हुआ करता था | बाद मे हज़रत मोहम्मद के समय इस्लाम के प्रादुर्भाव के समय चेहरा ढकने अथव छिपाने के लिए "”नकाब "” आया | जिसमे महिला सर से पाव तक एक वस्त्र मे ढकी रहती थी ----मात्र उसकी आंखो के सामने ही दो छेद होते थे जिससे वह अपना रास्ता देख सकती थी |
फ्रांस मे नकाब पहनने को सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है | उनके अनुसार नकाब के पीछे के व्यक्ति को पहचाना नहीं जा सकता | जबकि एटीएम और बड़ी बड़ी दोलनों और मॉल आदि मे सीसीटीवी कैमरो से व्यक्ति की पहचान संभव नहीं है |

जबकि हिजाब मे चेहरा साफ और स्पष्ट दिखाई पड़ता है | जनहा तक आस्था का प्रश्न है इस्लाम मे भी हिजाब को मानिता दी गयी है | खिलाफत का अंत करने वाले तुर्की के कमाल अतातुर्क ने ने भी नक़ब को प्रतिबंधित कर दिया था | वनहा आज भी महिलाए अधिकतर खुले सर रहती है जबकि कुछ हिजाब पहनती है | केरल उच्च न्यायालय ने "”हिजाब "” पहन कर परीक्षा देने को सही ठराय है | परंतु नकाब पहन कर नहीं |

नक़ब जनहा महिला की पहचान को गुप्त रखता है वनही हिजाब स्त्री की मर्यादा और उसके शरमो लिहाज का हिस्सा है | कुछ कठमुल्ला किसम के क़ाज़ी और मौलना अपनी क़ौम को प्रगति मे हिस्सा लेने से वंचित रख कर मध्ययुगीन परम्पराओ मे रखना चाहते है | शासन को हिजाब को मान्यता देकर नकाब पहन कर परीक्षा देना प्रतिबंधित करना चाहिए | क्योंकि पहचान के लिए नकाब को खुलवाने पर कठमुमुल्ला जमात हो हल्ला मचा कर उसे विवाद का मसला बना देते है | अल्पसंख्यको की आस्था का सम्मान है परंतु कुरीतियो का नहीं | जैसे घूँघट का स्थान आज सर पर पल्लू लेना काफी माना जाता है --उसी प्रकार मुसलमानो को भी बदलाव की बयार को मंजूर करना चाहिए |

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