अटेर
के भूत ने चुनाव आयोग को साल
भर पुरानी मांग की याद दिला
दी है |
अब
2019
के
चुनाव नयी मशीनों से होंगे
मध्य
प्रदेश के भिंड ज़िले की अटेर
विधान सभा सीट पर होने वाले
उप चुनाव मे निरीक्षण के दौरान
प्रदेश की मुख्य निर्वाचन
अधिकारी श्रीमती सलीना सिंह
ने ट्राइल के दौरान बटन दबाने
पर कमल के चिन्ह वाली पर्ची
का निकालना और उस पर सत्य देव
पचौरी का नाम होना "”
मशीन
के ठीक होने पर शंका उत्पन्न
करता है |
इतिफाक
से पचौरी योगी के मंत्रिमंडल
के सदस्य है |
यह
सीट नेता प्रति पक्ष सत्य देव
कटारे के निधन से रिक्त हुई
है |
इस
विवाद से निर्वाचन आयोग को
एक लाभ हुआ की वह केंद्र से
नयी मतदान मशीनों को खरीदने
के लिए 1940
करोड़
की मांग विगत एक वर्ष से कर
रहा था ,,
वह
धन राशि उसे मिल जाएगी |
केंद्र
सरकार इस विवाद को अंतिम रूप
से समाप्त कर शंका रहित चुनाव
चाहेगा |
आयोग
को 9लाख
30
हज़ार
430
मशिने
चाहिए |
आयोग
ने विगत जुलाई 2016
मे
कहा था की वह ऐसी मशिने चाहता
है -
जिनसे
यदि किसी भी प्रकार की छेड़छाड़
किए जाने पर वे स्वतः बंद हो
जाएगी |
इस
प्रकार यह साबित हो जाएगा की
किसी ने गलत काम किया है |
और
यह सुनिश्चित करना की यह किसने
किया – इस आधार पर तय किया जा
सकेगा की उस "””समय
किसके ज़िम्मेदारी पर रखी गयी
थी "”
इस
संदर्भ मे पहली बात यह है की
भारत निर्वाचन आयोग के नियमो
के अनुसार जिस मशीन का उपयोग
मतदान के लिए होता है उसे छ
माह तक उस ज़िले के स्ट्रॉंग
रूम रखा जाता है |
पहले
भी जब मतपत्रों से चुनाव होते
थे -तब
भी उन्हे कानूनी कारणो से इसी
अवधि केलिए सुरछित रखा जाता
था |
भारतीय
जनता पार्टी द्वरा इन आरोपो
को "”असत्य
और बे बुनियाद बाते जा रहा है
"”
उनका
कथन है की यदि मोदी सरकार को
यही करना था तो पांचों राज्यो
मे क्यो नहीं किया ?
पंजाब
मे बीजेपी का अस्तित्व नहीं
के बराबर है – वनहा लड़ाई अकाली
दल और काँग्रेस तथा आप पार्टी
के मध्य थी |अतः
अगर ऐसा कुछ करते भी तो क्यो
?
वनहा
तो बीजेपी ने चंद सीटो पर ही
उम्मीदवार खड़े कर पाये थे |
जनता
की नजरों मे उतार चुके अपने
सहयोगी के लिए बीजेपी इतना
बड़ा जोखिम नहीं मोल लेना चाहती
थी ||
दूसरा
उत्तर प्रदेश इज्ज़त की बात
बन चूमा था दिल्ली और बिहार
की लगातार पराजय के बाद साख
की चुनौती बनी हुई थी |
दूसरा
सरकार बनाने के साथ ही आगामी
राष्ट्रपति के चुनाव मे
सर्वाधिक वोट यनही से थे |
संख्या
की नज़र से देखे तो चरो राज्यो
को मिला कर जितनी विधान सभा
सीटे है उंसर ज़्यादा स्थान
अकेले उत्तर प्रदेश मे है |
तीसरा
कारण यह है की चुनाव आयोग
"”सहजता
से "”
जिले
के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक
समेत 19
लोगो
को सामूहिक मार्चिंग ऑर्डर
नहीं दे देता |
यद्यपि
यह कदम चुनाव को प्रभावित
करने के विरोधी दलो के आरोप
को ध्यान मे रख कर "”एक
एहतियाती फैसला "””
ही
मानते है |
परंतु
चुनाव की निष्पक्षता को देखते
हुए आयोग ने अपने अधिकारियों
को निर्वाचन नियमो का कड़ाई
से पालन करने का निर्देश दिया
है |
इसका
अर्थ कहे या शंका की कनही कुछ
तो ऐसा था जो "”वैधानिक
"”
नहीं
था |
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