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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 5, 2017

जांच करने वाले बहुत -सीबीआई और एनआईए पर मुकदमा तो हारते ही जाते है __क्यो ?

बम विस्फोटो की जांच हमेशा नामची केन्द्रीय जांच एजेंसियो द्वारा की जाती है ----पर परिणाम हमेशा उनकी इज्ज़त मे पलीता लगाता है | अभी हाल मे मारन बंधुओ को मैक्सिम डील मे तथा कथित रिश्वत खोरी के आरोप से विशेष जज ने बारी करते हुए अभियोजन पर अकुशलता की टिप्पणी भी की | इस फैसले से बौखलाये आय कर शाखा ने सीधे सुप्रीम कोर्ट मे अपील कर दी है !

अब गौर करे सीबीआई और नेशनल इन्वेस्टीगेसन एजेंसी के रिपोर्ट कार्ड की 1993 मे सूरत बम कांड का फैसला 2014 मे आया --जिसमे 11 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है ! कोयंबटूर बम विस्फोटो की श्रखला मे सब मिलकर 19 विस्फोट हुए थे | जिस आरोप मे सीबीआई ने 166 आरोपियों के खिलाफ चार्ज शीट अदालत मे पेश किया था | सेशन जज ने उनमे से 53 लोगो को सज़ा सुनाई | यानि 113 लोग निर्दोष थे अथवा अभियोजन उनके विरुद्ध सबूत नहीं पेश कर पाया ?? आखिर क्या कारण है ? क्या इस शाखा मे किसी अफसर को इस असफलता का जिम्मेदार बनाया जाता है ? अथवा चलो एक मामला खतम हुआ -कह कर आगे बाद जाते है ,दूसरे मामले की जांच का अभिनय शुरू हो जाता है ?

अभी हाल मे देवास के बहुचर्चित जोशी हत्याकांड का फैसला आया इस मामले की खाश बात यह थी की मध्य प्रदेश पुलिस ने इस हत्यकाण्ड की जांच मे खत्म लगा दिया था | बाद मे इस मामले की फाइल खोली गयी और जांच का जिम्मा एनआईए को दिया गया | इस मामले मे एक आरोपी साध्वी प्रज्ञा भारती भी थी | जिनहे 8 साल तक निरूध रहना पड़ा | आखिर मे अदालत ने सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया गया |
उसके बाद विश्व चर्चित मामला गोधरा हत्याकांड का आया | जिसमे भी अदालत ने सभी 28 अभियुक्तों को दोषमुक्त कर दिया !! यह वह मामला था जिसको लेकर गुजरात की बीजेपी सरकार पर बहुत आरोप लगे थे | अब उन आरोपो को झूठ तो नहीं माना जा सकता --क्योंकि वह घटना -नर संहार तो हुआ ही था | अब अदालत मे कानून और जांच घटना के दोषियो को दंड नहीं दिला पाये तो किसे अपराधी माने ?? क्योंकि अपराध हुआ और सभी बाइज्जत निकाल गए --तो अपराधियो का हौसला बदता है और पुलिस का मनोबल गिरता है |

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