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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 3, 2017

भ्र्र्ष्टाचार की लक्ष्मण रेखा के लिए लाये अध्यादेश -
44 हज़ार यूरो की रिश्वत है कबूल सरकारी मुलजिम को

रिश्वत के कई रूप भारत मे दिखाई पड़ते है – पटवारी साहब "”शुक्राना "” लेते है तो पुलिस दारोगा नजराना और बड़े अफसर "”भेंट या गिफ्ट ' लेते है | निर्माण कार्यो मे इंजीनीयर साहब "”कमीशन "” लेते है सरकारी खरीद मे "”हिस्सा"” होता है | अभी एक मामला सामने आया है --जिसमे भोपाल मे बैठे आला हज़रत ने बजट पास करने पर स्वीक्रत राशि पर अपना "””कट "” भिजवाने की मांग फोन पर ही कर ली थी | रिश्वतख़ोरी इतनी व्यापक हो गयी है की अब बाज़ार मे लोग इसे भ्रष्टाचार की जगह शिष्टाचार कहने लगे है | कुछ इसी परंपरा मे योरोप के देश रोमानिया ने तो तीस - बत्तीस लाख की रिश्वत से कम की राशि म्के गोलमाल - लेनदेन को संगे अपराध ही नहीं माना है | इस से अधिक की राशि को ही गंभीर अपराध माने जाने संबंधी अध्यादेश जारी किया है | जिसका वनहा की माइनस डिग्री तापमान मे लोग सदको पर विरोध जाता रहे है | भारत होता तो यह सब करने की ज़रूरत ही नहीं थी --बस मन माफिक जांच एजेंसी और सहानुभूति रखने वाला ज़ ही चाहिए था |

बीस साल पहले सैनिक तानाशाही से छूटकरा पाने के लिए रुमनीय के नागरिकों ने बड़ा आंदोलन किया -प्रजातन्त्र लाने के लिए -वोट से चुनी सरकार बनाने के लिए परंतु गत 2फेरवऋ को एका बार फिर बीस लाख नागरिकों ने राजधानी बुखारेस्ट मे संसद भवन पर घेरा डाला | माइनस डिग्री की ठंड मे नर - नारी राष्ट्रपति द्वारा सोशल डेमोक्रेट पार्टी के नेता द्रागनिया को बचाने के लिए इस कानून को
ढाल बनाने का आरोप जनता द्वारा लगे | राजधानी के अलावा देश चार प्रमुख नगरो और बंदरगाहों मे भी जनता - जनार्दन की भीड़ ने आक्रोश जताया | वनही सत्तारूद सोशल डेमोक्रेट पार्टी के नेता सोरिन ने कहा की की इस अध्यादेश का उपयोग जेल मे बदती भीड़ को कम करने के लिए लाया गया है | इसमे कहा गया है की जो लोग हिसा से जुड़े मामलो मे बंदी है उन्हे नहीं छोड़ा जाएगा | केवल उन लोगो को को छोत मिलेगी जीके ऊपर 44 हज़ार यूरो से कम की गड़बड़ी के आरोप है | मतलब भारतीय हिसाब से 32 लाख रुपये की रिश्वत "”गंभीर"” अपराध नहीं ह
यह उस देश मे हो रहा है जिसने 1986 मे टनशाई का अंत कर वोट से चुनी सरकार को राज - काज चलाने का अधिकार दिया था | सत्तरूद पार्टी द्वरा कहा जा रहा है की 31 जनवरी का अध्यादेश यूरोपियन यूनियन की शर्तो के कारण उन्हे ऐसा करना पद रहा है | जबकि मीडिया और विरोधी दल पूछ रहे है की दिसम्बर मे हुए संसदीय चुनावो मे इस प्रकार के सुधार की कोई बात नहीं की गयी थी | अब एक महीने बाद ही ऐसा क्यो ?

अंतराष्ट्रीय मीडिया द्वारा इस आंदोलन को बहुत अहमियत दी जा रही है --क्योंकि इस अध्यादेश के कारण 2500 लोग जेल से रिहा हो कर अपराध मुक्त हो जाएंगे |

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